RE: non veg story झूठी शादी और सच्ची हवस
हम दोनों मुश्कुरा दीं और मैं बाहर गेट की तरफ चल पड़ी। निशी ने लिफ्ट अरेंज कर दी थी इसलिए गेट खुला हुआ था और निशी का कजिन कार के पास खड़ा सिगरेट पी रहा था।
मुझे देखते ही उसने फौरन सिगरेट फेंक दी और कार का दरवाजा खोलते हुए कहा-“आप बहुत लंबी हैं और कार छोटी। अगर कहें तो सन-रूफ खोल दूँ?”
मैंने स्पॉट लुक के साथ उसकी तरफ देखा और कहा-“अगर ये मज़ाक था तो फिर कभी सुना देना। मैं जरूर हँसने की कोशिश करूँगी…”
वो एकदम घबरा गया और मैं खिलाफ-ए-मामूल इस दफा कार की पिछली सीट पर बैठ गई। जिस बँगलो से मैं निकली थी, वो शहर से थोड़ा दूर था लेकिन मेरे लिये महफूज। क्योंकी हम दोस्तों में विश्वास का रिश्ता था। जो लड़के वहाँ होते, हम अक्सर सिर्फ़ पिक एंड ड्रॉप की वक़्त ही उनके चेहरे देख पाते थे। ये अलग किश्म के लोग थे। मैं उस वक़्त अकेली जवान लड़के के साथ कार में बैठी थी, लेकिन मज़ाल है कि उसने बैक मिरर से भी मुझे घूरने की कोशिश की हो।
मुझे उस वक़्त अपनी एक दोस्त की बात याद आ रही थी जिसने कहा था-“निदा, हम तो तुम्हें देखते रहते हैं, कभी खुद को भी शीशे में देखो। ऐसी चीज़ हो तुम कि अगर तुम्हें महज देखने के लिये टिकिट लगा दिया जाये तो मर्द लोग एक मिनट में करोड़ों रूपये लुटाकर चले जायेंगे, सिर्फ़ एक दीदार के लिये। इसलिए लाइफ में हमेशा बहुत सावधान रहना…”
लेकिन यहाँ दोस्ती का रिश्ता था, दुनियाँ का सबसे मजबूत रिश्ता और मैं सुनसान सड़क पर एक लड़के के साथ खुद को महफूज होने की कल्पना कर रही थी। कार जब शहर में दाखिल हुई तो डर ने मेरे जेहन को घेरना शुरू कर दिया। अपने इलाके की तरफ बढ़ते हुए मुझे वहशत हो रही थी। वो घटनायें जिन्हें मैं हमेशा इग्नोर करती थी आज मेरे जेहन में ताजा हो रहे थे। मुझे महसूस सा होने लगा था कि जुर्म के हाथ मेरे दामन को छूने वाले हैं।
जब कार मेरे कॉलेज रूट के रास्ते पर आई तो मुझ पर खौफ छाने लगा। मुझे उन सड़कों पर खून दिखाई देने लगा, लाशें नज़र आने लगीं जैसी लोग एक दूसरे को मार रहे हों और मैं उनके बीच गुम-सुम खड़ी हूँ। मैं वहाँ से भागना चाहती थी लेकिन अचानक मेरे मुँह से निकला-“यहाँ कार रोकें ज़रा प्लीज़…”
निशी के कजिन ने फौरन ब्रेक लगा दी और पीछे मुड़े बगैर पूछा-“जी, हुकुम करें। ख़ैरियत तो है?”
मैं बोली-“एक बात पूछूँ?”
वो बोला-“हज़ार पूछो…”
मैंने कहा-“अगर इस सड़क पर चार पाँच लड़के इस वक़्त मुझे बुरी तरह छेड़ रहे होते, हाथ डाल रहे होते तो आप क्या करते?”
वो मेरी तरफ देखकर बोला-“ओके, मैं एक मामूली सा इंसान हूँ लेकिन अगर कोई आपको मेरे सामने कहीं भी हाथ लगाए या छेड़े तो अगर मैंने उसका हुलिया बिगाड़कर उसकी आंतें इस सड़क पर ना फेंक दीं तो रब की कसम आप मेरी नश्लों पर लानत भेजें। ये मज़ाक नहीं है, आजमा के देखना कभी…”
मैंने अपने आँसू छुपाने के लिये सर झुका लिया।
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