RE: non veg story झूठी शादी और सच्ची हवस
मैंने कहा-“नहीं बाजी, सवाल ग़लत हो गया। मैंने अपने जवान होने का इसलिए पूछा पहले कि चूंकी मेरे अंदर ऐसी इक्षा पैदा हो रही है तो क्या आप में भी पैदा होती है क्योंकी आप तो आलरेडी सेक्स कर चुकी हो?” मेरे और बाजी के बीच हमेशा विश्वास का पर्दा रहा है।
इसीलिये बाजी ने फौरन मेरी बात पर 100% बिलीव करते हुए कहा-“ये सच है…” बाजी बहुत नपे तुले जवाब दे रही थीं इस डर की वजह से कि कहीं में उनके किसी जवाब पर मिसगाइड ना हो जाऊँ।
मेरा अगला सवाल-“क्या आप इस पर खुश होंगी, अगर मैं रात में कुछ देर के लिये दूसरे रूम में चली जाया करूँ और फिर जब आप कहें मैं वापस आ जाया करूँ? क्योंकी अगर आपने अली भाई से सिर्फ़ बातें ही करनी होतीं तो वो तो फोन पे भी हो सकती हैं…”
बाजी ने कहा-“मैं अपनी किसी चीज़ की वजह से तेरी नींद खराब नहीं कर सकती, तुमने सुबह कॉलेज जाना होता है और मैं तो दोपहर तक पड़ी रहती हूँ…”
मैंने कहा-“बाजी, बाहर बहुत सर्दी होती है, आप दोनों बीमार पड़ जायेंगे, मैं तो सो रही होती हूँ इसलिए अगर आप दोनों रूम में भी हों तो मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ता, आप समझ रही हैं ना मेरी बात?”
बाजी ने कहा-“हाँ… देखते हैं
मेरा दिल था कि बाजी को उन लड़कों का बताऊँ जिन्होंने कॉलेज के रास्ते में मेरी जिंदगी दूभर कर दी थी लेकिन रात की बातचीत की हैपी एंडर्ंग के वजह से उस वक़्त खामोश हो गई। बाजी ने मेरे बालों में उंगलियाँ फेरकर अगले लम्हे मुझे नींद के आगोष में पहुँचा दिया।
सुबह कॉलेज जाते हुए मैं खुद को काफी रिलेक्स महसूस कर रही थी। 12:00 बजे के बाद मैं दोस्तों के साथ नशा और मस्ती पाटी के लिये उसी प्राइवेट बँगलो में चली गई, जहाँ दोस्त लोग अपनी प्यास अपने तरीके से और मेरी प्यास मेरी सीमा में रहकर बुझती थीं। पॉर्न देखना हमारी हाबी और हल्की-फुल्की वाइन की चुस्कियाँ महज एक फन था। मैंने अपनी दोस्तों पर जाहिर किया कि “अब तो मैं भी कल्पना करने लगी हूँ कि मेरे अंदर उंगली की बजाय किसी लड़के का लंड जा रहा है, बड़ा अच्छा महसूस होता है कसम से…”
मेरी दोस्तो ने ये सुनते ही रूम में एक जोर से आवाज़ लगाई-“पव देखो, निदा जवान हो गई, ओ आज ही नथ खुलवाओ हुन्न…”
मैंने दोस्त के कान में कहा-“ओ नहीं, मैं सिर्फ़ बता रही हूँ कि अब में क्या महसूस करती हूँ, तुम लोगों जैसा महसूस करती हूँ, जो इस मूवी में हो रहा है वो सब महसूस करती हूँ…” ये बताने की ज़रूरत नहीं अब की उस रूम में मेरी एक दोस्त के इलावा हम सब दोस्त पूरी तरह से नंगी रहती थीं।
इसीलिये मेरी दोस्त मुझे पकड़कर टीवी के सामने ले गई, जहाँ ग्रुप सेक्स सीन चल रहा था काफी देर से। मुझे टीवी के सामने खड़ा करके वो पीछे चिपक कर खड़ी हो गई और अपने हाथ मेरे बाजुओं के नीचे से गुजारकर पहले मेरी चुचियों पर लाई और फिर अपना दायां हाथ मेरे फेस की तरफ लेजाकर उंगली मेरे मुँह में देकर बोली-“निदा, केवल महसूस करो इसे, समझो ये लंड है और इसे चूसो, जैसे वो लड़की चूस रही है, फिकर ना करो ये तेरे मुँह में नहीं छूटेगा…
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