RE: non veg story झूठी शादी और सच्ची हवस
बाजी को ये बात पता थी कि उनकी कोई बात अगर मुझे पता लगे तो वो कभी किसी और को पता नहीं लगे गी, या मेरी कोई बात बाजी तक पहुँचती तो बाजी तक ही रहती, इसलिए उस वक़्त ये टोपिक खामोशी से बंद हो गया, लेकिन मैं दिन भर इस बात पर सोचती रही। मैं जानती थी कि जवानी में लड़के और लड़की के इस तरह मिलने का मतलब क्या होता है? निशी का भी कजिन था और वो दोनों सेक्स भी करते थे, इसी तरह मेरी जिस फ्रेंड का भी कजिन या किसी लड़के के साथ मिलना मिलाना था तो उसका मकसद या रिजल्ट सेक्स की सूरत में ही सामने आता था। मैं जब बाजी के रूम में नहीं थी तब यकीनन अली भाई सुबह तक बाजी के साथ ही होते होंगे, और जाहिर है कि जवान लड़का और लड़की रात को एक ही रूम में लूडो थोड़ी खेलते होंगे।
मैंने चूंकी जवानी में कदम रखते ही सेक्स को पॉर्न में देख लिया था, इसलिए लड़के लड़की का सेक्स करना मेरे लिये कोई इतनी बड़ी बात नहीं थी। मेरे जेहन में ये था कि अगर लड़का लड़की सेक्स नहीं करेंगे तो और क्या करेंगे भला? गुनाह-सवाब, सही-ग़लत, जायज़-नाजायज़ ये सब बातें मेरे जेहन में नहीं थीं। मैं सेक्स का टेस्ट सिर्फ़ देखने और उंगलियों होंठों से महसूस करना ही जानती थी। लेकिन जिस लड़की के पास अपनी पसंद का लड़का होता उसे खुश किश्मत समझती थी। इसीलिये शाम होते-होते मेरे जेहन से बाजी और अली भाई से संबंधित बहुत सारे बादल छट चुके थे और मैं उन्हें दो प्रेमियों की शक्ल में देखने लगी थी।
बाजी की कहानी पता चलते ही मेरा अपना सेक्स का नशा हिरण हो चुका था। मेरे रूम की छत पर अभी काम शुरू भी नहीं हुआ था, बिल्डर ने छत को पिलर से सहारा देकर सारा सामान निकलवा दिया था, जिसमें कुछ अम्मी अब्बू के रूम में और कुछ नीचे बैठक में पड़ा था। मैं चाहती थी कि बाजी का रूम उनके लिये छोड़ दूँ
लेकिन वो सब मुमकिन नज़र नहीं आ रहा था। बाजी के विहेबियर में कोई बदलाओ नहीं था लेकिन मैं खुद को रूम में अजनबी समझने लगी।
मैंने रात में हिम्मत करके बाजी से पूछ ही लिया-“क्या अली भाई तब भी आपसे मिलने आते थे जब मैं ऊपर अपने रूम में सोती थी?”
बाजी ने कहा-“हाँ…”
“क्या आपका गर्लफ्रेंड-बायफ्रेंड वाला सर्दी है?” मैंने हिम्मत करके जल्दी से पूछ लिया कि कहीं डर के मारे पूछ ही ना पाऊँ।
बाजी ने मेरी तरफ एकदम से देखा और बोली-“हाँ…”
मैंने पूछा-“क्या आप चाहती हैं कि मैं ये रूम छोड़ दूँ?”
बाजी एकदम मेरे करीब आईं और प्यार से बोलीं-“कभी भी नहीं, तुम मेरी लाइफ का सबसे इंपाटेंट हिस्सा हो, तुम्हें मैं रूम से क्यों निकालूं?”
मैं- “तो क्या आप इतनी सर्दी में रोज बाहर खड़ी रहेंगी कांपती ठिठुरती?”
बाजी बोली-“तो क्या हुआ?”
मैंने कहा-“मैं तो अपने टाइम पे सो जाती हूँ, आप उन्हें अंदर बुला लिया करें…”
बाजी ने बे-मन से टोपिक खतम करने के अंदाज में कहा-“ठीक है बुला लिया करूँगी, तुम फिकर ना करो…”
मैं नहीं जानती थी कि बाजी क्या करेंगी और क्या नहीं? लेकिन उस रात के बाद मेरी जिंदगी के उन हादसों ने अहिस्ता-अहिस्ता मेरे तरफ कदम बढ़ना शुरू कर दिया था, जिन्होंने मेरे शब-ओ-रोज का तहस-नहस कर देना था। मैं रात मुतमइन होकर सो गई और दिल में था कि अगर आँख खुली तो चेक करूँगी कि बाजी कहाँ हैं? और भाई रूम के अंदर हैं या बाहर? लेकिन मेरी आँख ही नहीं खुली। सुबह अज़ान के बाद उठी तो बाजी अपने बेड पर सोई हुई नज़र आईं।
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