RE: non veg story झूठी शादी और सच्ची हवस
***** *****अध्याय 03-जुर्म की दस्तक
अली भाई को इस तरह आधी रात को बॅकयार्ड में छुपकर बाजी से बातें करते देखकर मेरे तो होश उड़ने ही थे। सर्दी जो नफ़रत का था।
बताना ही पड़ेगा कि मेरे एक ताया हुआ करते हैं। हाँ मेरे पिता के बड़े भाई। खून के रिश्ते में अपनी एक चाहत होती है लेकिन मैंने जब से होश संभाला, मैं अपने ताया से तन-ओ-मन और दिल की अनत गहराईओं से नफ़रत करती थी। वो एक नंबर के लुच्चे और बेगैरत इंसान हैं। हमारा उनसे भला क्या लेना देना? लेकिन मेरी एक बहुत प्यारी ताई अंकल की करतूतों की भेंट चढ़ चुकी थी। मुझे उस ताई से बहुत मोहब्बत थी लेकिन फिर एक दिन पता चला कि अंकल अचानक दूसरी बीवी घर ले आए।
दूसरी बीवी भी अंकल ने इंनतहा सावधानी से तलाश की थी, बहुत छान-बीनकर उन्होंने अपने जैसी ही इंनतहा बेगैरत औरत से शादी की। मेरी ताई तो दूर की बात, खुद हमारे जहनो पर ग़म के साए छा गये। अंकल के घर में एक कोहराम मच गया था और मेरी अच्छी वाली ताई ये ग़म सह ना सकी और 3 महीने के अंदर ही इस दुनियाँ से रुखसत हो गई।
इससे पहले कभी मुझे किसी को मरा हुआ देखकर रोना नहीं आता था, बल्की में तो मैय्यत पर औरतों को रोते देखकर दिल ही दिल में वो मंज़र काफी एंजाय करती थी। लेकिन उस दिन मेरी भी वोही हालत हो गई थी। बाकी औरतें तो कभी बन और कभी एक दूसरे से कॉमेडी कर रही थीं। लेकिन अंकल को देखकर मेरा खून खौल रहा था, दिल चाहता था कि जूता उतारकर उनकी खूब पिटाई लगाऊँ। वो दिन और आज का दिन, जब भी अंकल को देखती हूँ मुझे उनके चेहरे पर मनहूसियत के इलावा कुछ नज़र नहीं आता।
अंकल महफ़िलों में कहते थे कि मैंने कोई धर्म के खिलाफ काम थोड़ी किया है।
मैं छोटी थी, शरीयत का तो कुछ पता नहीं था, लेकिन इतना मैं जरूर जानती थी कि वो कौन सी शरीयत हो सकती है जो एक औरत का घर बर्बाद कर दे, उसे इतना ग़म देकर कि वो अपनी जिंदगी ही हार जाये? मेरा अल्लाह कभी ऐसी शरीयत नहीं भेज सकता, मेरा अल्लाह जालिम हो ही नहीं सकता।
अली भाई से मुझे जाती तौर पर कभी कोई शिकायत नहीं रही लेकिन मैं जब भी उनको देखती, मेरी आँखों के सामने अंकल का मनहूस चेहरा घूमने करने लगता। इसीलिये रात के अंधेरे में बाजी के साथ अली भाई को छुपकर बातें करता देखकर मेरे होश उड़ गये, मैं पीछे की तरफ गिरी तो बाजी ने लपक कर मुझे उठा लिया और रूम की लाइट ओन करके देखने लगी कि मुझे कोई चोट तो नहीं लगी?
अली भाई दरवाजे पर ही खड़े रहे, उनके चेहरे पर एक रंग आ रहा था, एक जा रहा था। बाजी ने अली भाई को अंदर बुलाकर दरवाजा बंद कर दिया क्योंकी सर्दी आ रही थी। मैं हाँफ रही थी, इसलिए बाजी मुझे पानी पिलाते हुए बोली-“क्या हुआ गुड़िया, अंधेरे में डर गई क्या? या तुम समझी कि घर में कोई चोर घुस आया है?” मुझे खामोश पकड़कर बाजी मेरे साथ बैठ गईं और मुझे सीने से लगा लिया।
वो यही समझ रही थीं कि मैं या तो ख्वाब में डर गई या उन्हें अचानक देखकर घबरा गई हूँ।
बाजी ने कहा-“वो मेरे लिये दूध गरम करके लाती हैं…”
बाजी के जाने पर मैं गर्दन झुकाए बेड पर बैठी रही।
तो फौरन अली भाई बोले-“तेरा कॉलेज कैसा चल रहा है गुड़िया?”
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