RE: non veg story झूठी शादी और सच्ची हवस
निदा की हाइट 5 फिट 7 इंच थी जबकि सोबिया की 5 फिट 4 इंच। इसलिए अक्सर उसके ड्रेसेस निदा पर फिट ना आते। अंडरगारमेंट्स की सुपर क्लास और ब्रांडेड कलेक्सन थी सोबिया के पास। उनमें अक्सर ब्रा बहुत ज्यादा रिवीलिंग थी और अंडरवेर भी ऐसे जिसे आम तौर पर लड़कियाँ इश्तेमाल नहीं करती थी, ये तो बाद में निदा को पता चला कि हाइ टांगें और थांग्ज क्या चीज़ होती हैं।
सोबिया की चुचियाँ और चूतड़ काफी बड़े हो चुके थे, इसलिए उसके अंडरगारमेंट्स भी निदा के जिश्म पर नहीं आते थे। डीवीडी प्लेयर में अक्सर ओन करके चेक करती थी कि उसमें कहीं कोई डीवीडी तो लगी नहीं रह गई, लेकिन वो हमेशा खाली ही मिलता। अलमारी में जो दराज थी उनको डबल लाक लगे हुए थे इसलिए सोबिया का रूम अच्छा लगने के बावजूद, निदा वहाँ से कुछ हाँसिल नहीं कर पाती थी।
गरीबी के माहौल में पलने बढ़ने की वजह से निदा काफी कांप्लेक्स का शिकार थी। खूबसूरत और मजबूत शरीर की नज़र आने वाली लड़की अंदर से काफी कमजोर थी। स्कूल चूंकी घर के बहुत करीब था, इसलिए मेट्रिक तक वो समझ ही ना पाई कि वो कितनी नज़रों से गुजरकर घर पहुँचती है। लेकिन कॉलेज घर से दूर होने की वजह से कुछ अरसा बाद ही उसको अंदाज़ा हुआ कि हर थोड़े फासले पर कोई ना कोई आशिक उसका स्वागत कर रहा होता।
निदा ने कई दफा सोबिया से इस बात का जिकर किया लेकिन सोबिया ने यही कहा कि इन चीज़ों से छुटकारा मुमकिन नहीं, बर्दाश्त करना पड़ेगा, बस तुम नज़रअंदाज किया करो और पतले कपड़े बिल्कुल ना पहनो जिनमें जिश्म और खासकर टांगें नज़र आयें।
निदा थी तो बला की हसीन लेकिन उसकी लंबी टांगें और कर्वी जिश्म कमाल का था जिसे देखकर लड़कों के तन बदन में आग तो लगनी ही थी। सोबिया की तरफ से जेबखर्च की सूरत में अच्छा खासा पैसा मिलने की वजह से निदा ने कॉलेज में दोस्ती करना शुरू कर दिया।
अच्छा कॉलेज था इसलिए उसमें कुछ लड़कियाँ ऐसी भी थीं जो बड़े घरानों से थीं, उनकी चाल-ढाल भी अलग थी और रंग-ढंग भी। निदा अहिस्ता-अहिस्ता उन लड़कियों में घुलने मिलने लगी। दोस्तों के ग्रुप के साथ उसकी सोच भी बदलने लगी और उसकी खूबसूरती में किसी हद तक गुरूर की झलक भी आने लगी। वो ये जान चुकी थी कि लड़के उसकी किन अदाओं के दीवाने हैं।
उसकी एक फ्रेंड अक्सर कहा करती थी-“लड़की की चाल से अगर लड़के की खाल में आग लगती है तो उस आग को सींचो, उससे खुद को ना जलाओ…”
निदा के दोस्तों के ग्रुप की बातचीत के विषय बदलने लगे थे, अब वो लड़कियाँ ज्यादातर सेक्स को डिस्कस करती थीं और किस लड़की का कौन सा प्लस पाइंट है और किसका किसके साथ चक्कर है, या कौन किससे मिलती है और पॉर्न में क्या कुछ होता है? यहाँ तक कि परिवार की बातें भी एक दूसरे से डिस्कस होने लगीं। सोचकर साथ-साथ निदा के लक्षण भी बदलने लगे और वो अपनी बहन की काफी महंगी चीज़ें नुमाइश के लिये संकलन और कॉलेज लेकर जाने लगी। अब निदा को अच्छा सा मोबाइल भी चाहिए था और सोबिया की मेहरबानी की वजह से उसके हाथ में एच॰टी॰के॰ का नया मोबाइल भी आ गया। निदा की सोच हफ्तों में महीनों का सफर तय करने लगी।
|