RE: Chodan Kahani हवस का नंगा नाच
वो उठता है अपनी कुर्सी से...कुर्सी से हट ता हुआ खड़ा हो जाता है..अपनी बाहें फैलाता हुआ साना की ओर देखता है और कहता है..
'" देखिए मोम ..अच्छी तरेह देखिए मुझे ....क्या मैं आप को बच्चा लगता हूँ...कम ऑन मोम देखिए ना ...."
साना अपनी नज़रें सॅम की तरेफ करती है..अपने बेटे की जवानी का यह रूप उसे पहली बार दीखता है..उसके बेटे का खिलखिलाना आज उसे पहली बार दीखता है..उसके चेहरे पर अपनी मा के लिए उसका पास , उसके साथ होने का अहसास उसे पहली बार दीखता है ..पहली बार साना ने महसूस किया अपने बेटे का अहसास ..अपनी मा होने का अहसास ...
कितना अच्छा लग रहा था..उसका जवान बेटा उसके सामने खड़ा था अपनी जवानी की मस्ती के साथ..भरा पूरा बदन , लंबा 6' का क़द और उसके पापा की हू-ब-हू शक़ल ...मांसल बाहें ..चौड़ा सीना ...साना मचल उठी उसके सीने से लगने को..उसके सीने में समा जाने को....
साना उसकी ओर देखते हुए कहती है ...
" हां बेटा अब तो तू सही में कितना बड़ा हो गया है..बहोत बड़ा है मेरा बेटा ...बहोत उँचा ...हां बेटा अब तू बड़ा हो गया...पर मा के सामने तो बच्चा ही रहेगा ना ...." और यह कहते हुए खिलखिला उठ ती है ....
अपनी मों का खिलखिलाना देख सॅम झूम उठ ता है..आगे बढ़ता है .....साना को अपनी बाहों से जकड़ता हुआ कुर्सी से उठा लेता है ...अपने सामने कर लेता है ...उसके गाल चूमता है ..उसके दोनों हाथ चूमता है ...और साना भी उसके चौड़े सीने में अपना सर रख उसे अपनी बाहों में ले लेती है ....
अपने बेटे को सीने से लगाने का अहसास उसे आज पहली बार हुआ ...उफ़फ्फ़ यह कैसा अहसास था ... साना सीहर उठी ... सम भी सीहर उठा पहली बार अपनी मा के सीने से लग कर ...
दोनों एक दूसरे की गर्मी , एक दूसरे की धड़कानों का अहसास लिए जा रहे थे ,आँखें बंद किए इस अहसास को अपने में समेट लेने की कोशिश में थे...
सॅम अपनी मा से कहता है " मोम ... आप कितनी स्वीट हो...यू आर दा स्वीटेस्ट मोम..."
यह वो ही शब्द थे जिन्हें सून आज सुबेह साना कितनी जल भून गयी थी ..और अब यह वोही शब्द उसे शहद की तरेह मीठा और अमृत की तरेह उसे नयी जिंदगी दे रहा था ....
साना आज पूरी तरेह मा थी ...अपने सॅम की मा.... !!
एक ऐसा अहसास था उन दोनों में ....सिर्फ़ वो दोनों ही समझ सकते थे..महसूस कर सकते थे ..इस अहसास में कितनी गर्मी थी , कितनी तड़प थी , कितनी भूख थी, कितनी प्यास थी ...इतने दिनों तक दबा अहसास आज एक दम से सारे रुकावटों , सारे बंधनो को तोड़ता हुआ बहार आता जा रहा था ..
दोनों एक दूसरे से चीपके थे ...सॅम का अपनी मोम को जकड़ते हुए उपर उठाने से उसकी जांघों के बीच का उभार साना की जांघों के बीच की मुलायम , पर अब तक कितनी गीली और फूली फूली चूत से स्पर्श होता है .....इस स्पर्श से दोनों सीहर उठते हैं ....इस सीहरन में हवस का नामो-निशान नहीं था ..यह सीहरन , मिलन और एक दूसरे पर अपने प्यार का इज़हार करने की चराम सीमा थी..दोनों अब उस कगार पर खड़े थे ...अपने अपने प्यार का एक दूसरे से पूरी तरेह इज़हार करने की कगार पर थे ..और इस अहसास ने दोनों के शरीर , दिल और दिमाग़ को पूरी तरेह जगा दिया था..इतने दिनों तक सोए अरमानों , इच्छाओ को झकझोर दिया था ...अपने को ,अपने प्यार को एक दूसरे से बाँटने को मचल रहे थे ..
इसका नतीज़ा यही हो रहा था ...सॅम के इस बाँटने के अहसास ने उसके लंड को कड़क और बूरी तरह कड़क कर दिया था साना के इस अहसास ने अपना रास्ता ढूँढ लिया था , उसकी चूत से रस की तरेह लगातार रीस्ता हुआ बाहर आता जा रहा था ..
दोनों तड़प रहे थे ..सॅम को इस तड़प से बूरी तरेह कड़क लौडे में दर्द सी महसूस हुई..मानो फट पड़ेगा ....साना की चूत लावा उगलती जा रही थी .
सॅम से बर्दाश्त नही हो सका ..वो दर्द भरी आँखों से अपनी मोम को देखता है ..और मोम को बोलता है ...." अया ..! म-ओ-ओ-म ...?"
उसके इस इन लफ़्ज़ों में उसके अंदर की सारी तड़प , भूख और दर्द शामिल थे और इस दर्द को मिटाने के लिए आगे बढ़ने की इज़ाज़त की माँग थी ...
साना अपने बेटे का हाल समझती है..उसे भी तो अपने बेटे को पूरी तरेह अपने में समा लेने की चाहत थी , तड़प थी .
साना ,सॅम की तरेफ अपनी आँखें करते हुए उसकी आँखों में झाँकती है , सर हिलाती हुई अपनी हामी भर देती है और बोलती है.." हां..बेटा ..हां ..." और अपना सर उसके सीने में लगाए छूपा लेती है....
सॅम का पूरा शरीर गन गना जाता है, सीहर उठ ता है मोम की इस प्रतिक्रिया(रिक्षन) से , उसका लॉडा और भी कड़क हो जाता है ,,मानो साना की चूत में उसके पाजामा को भेदता हुआ अंदर चला जाएगा....
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