RE: Chodan Kahani हवस का नंगा नाच
कुछ देर बाद म्र्स. डी' सूज़ा हाथ में चाइ की ट्रे थामे डाइनिंग टेबल पर दोनों के सामने रख देती है .... उन्हें देख दोनों एक दूसरे से अलग होते हैं ..अपने अपने आँसू पोंछते हैं...एक दूसरे को देखते हैं ..पर दोनों चूप हैं ..किसी के पास शब्द नही..अल्फ़ाज़ नही ..इतने दिनों की भडास चन्द लफ़्ज़ों में कैसे उतारें..कैसे कहें ....ऐसे समय लफ़्ज़ों की भाषा बेमायने हो जाती हैं और मौन की भाषा , चूप रहने की भाषा ही सब से असरदार भाषा होती है..और दोनों मा-बेटे एक दूसरे को देखते इसी भाषा का बड़े ही असरदार ढंग से इस्तेमाल में ला रहे थे...
पर वातावरण में एक भारीपन था , एक अजीब ही तनाव सा था ..मानो इस तनाव से सब कुछ खींचता हुआ टूट जाएगा , फॅट जाएगा ...
म्र्स. डी' सूज़ा इस तनाव को कम करने की कोशिश करते हुए बोलती है ..
" कम ऑन ..साना आंड सम ..अरे बाबा पूरी जिंदगी पड़ी है...रो लेना ..जितना आँसू चाहे बहा लेना ...अभी ज़रा ब्रेक ले ले ..चल चाइ पी ले ... यह सेंटिमेंटल सीन बदलो भी ..ज़रा कॉमेडी ब्रेक लेते हैं ..क्यूँ ठीक है ना..??"
सूज़ी मोम की बातों से दोनों के चेहरे पे हल्की सी मुस्कुराहट आती है ...
साना समझ जाती है अपनी आंटी की बात ...अपने आँखों से आँसू पोंछती है , ट्रे से बिस्कुट और केक का प्लेट उठाती है और उसे सॅम की तरफ बढ़ाते हुए कहती है ..
" सॅम बेटा ..तू कॉलेज से आ कर कुछ खाया भी नही होगा ..भूखा होगा ..चल कुछ खा ले "
सॅम की जिंदगी में यह पहली बार हुआ था ... आज सब कुछ पहली बार हो रहा था उस बेचारे की जिंदगी में ....
वो प्लेट से एक बड़ा सा केक का टूकड़ा उठाता है मुँह की ओर अपना हाथ ले जाता है..पर फिर से मा की ओर देखता हुआ फूट पड़ता है ....
इस बार साना ने हिम्मत से काम लिया ..आखीर वो उसकी मा थी ..अपने बेटे का हाल समझती थी ... इतने दिनों से बेचारा इस तरेह के प्यार और दुलार का भूखा था ..आज अचानक उसे सब मिलता है..वो संभाल नही पा रहा था ..
साना बड़े प्यार से उसके हथेली को अपने हाथों से पकड़ उसके मुँह की ओर ले जाती है और मुँह के अंदर डालती हुई बोलती है...
" खा ले बेटा ..खा ले ..मैं जानती हूँ बेटा ..मैं जानती हूँ..मैं कितनी अभागन हूँ ..कितनी बेशरम हूँ...मैं अपने बेटे को इस हाल तक पहुचाने के पहले मर क्यूँ नही गयी... मुझे माफ़ कर दे अगर कर सकता है तो ..खा ले बेटा ..मुझ पर तरस खा के ही खा ले..खा ले .."
सॅम समझता है अपनी मोम का हाल ..वो समझ जाता है के साना किस हाल में है..उसे अपने आप को संभालना पड़ेगा ..अपनी मोम को संभालना होगा ..अपने प्यार को संभालना होगा ...सौज़ी मोम बोलती हैं ना प्यार करनेवाले देते हैं ..लेते नही ..मैं भी अपने प्यार को ..अपनी मोम को आज तक जो नही दे पाया ..आज तक जो उसकी मोम नही ले पाई ..सब कुछ दूँगा ..उसकी झोली भर दूँगा ..उसी पल वो ठान लेता है अपने मन में...अपने आप को संभालने की ठान लेता है ....अपने मोम को संभालने की ठान लेता है ..
उसकी आँखों में अब एक चमक थी ... अपने आँसू पोंछता है और इस तरेह बोलता है , जैसे कुछ हुआ नही ...
" क्या मोम आप भी ना...अरे मैं अब बड़ा हो गया हूँ ...मैं कोई दूध पीता बच्चा थोड़ी हूँ जो आप के हाथों से खाऊंगा .? मेरे हाथों को देखिए अब कितना दम है ..मैं आप को अपने हाथों से खीलाऊँगा ..आप भी तो भूखी हैं ..सुबेह नाश्ता भी नही किया .."
कहते हुए साना के हाथ से केक मुँह में लेता है और दूसरा बड़ा टूकड़ा अपने हाथों से उठाता हुआ साना के मुँह में डालता है ...साना यह टूकड़ा अपने मुँह में लेते हुए निहाल हो उठती है ..उसका प्यार अपने लिए देख गद गद हो उठ ती है ..उसकी आँखों से भी आँसू फूट पड़ने को तैयार हैं ..पर अपने आप को संभालती है और बोलती है ...
" हां बेटे मैं भूकी थी अब तक ..अब मेरी भूख मिट जाएगी ....हां बेटा ...मैं कितनी बेवक़ूफ़ थी ...बे-वज़ह अब तक भूखी रही ... हां बेटा...बहोत भूखी .."
साना की गहरी बात का मतलब सॅम अच्छी तरेह समझ जाता है ..सही में कितनी बेवक़ूफ़ थी उसकी मोम... पर उसे किसी भी हालत में अपनी मोम को अपने आप को इस तरेह कोसने की कोशिश , इस तरेह अपने गुनाहों की अपने आप को सज़ा देने की कोशिश से निकालना होगा ...हटाना होगा ..वरना यह हालत और भी बूरी होगी मोम के लिए ..और यह काम उसके अलावा और कोई नही कर सकता ..यह भी वो समझता था ..अच्छी तरेह .
सच है दूख , दर्द और पीड़ा इंसान को बहोत जल्द ही बहोत समझदार बना देते हैं .. और यही हुआ सॅम के साथ ...वो अपनी उम्र के लड़कों से कहीं ज़्यादा मेच्यूर और समझदार था......
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