RE: Chodan Kahani हवस का नंगा नाच
इधर बिना नाश्ता किए ..पेट खाली पर दिल और दिमाग़ में एक सैलाब लिए साना अपने ऑफीस में दाखिल होती है ..आज गुस्सा , खीज़ और भूख के मारे अपने मातहतों को ज़रा ज़रा सी बात पर डाँट देती , फटकार देती ...सब हैरान परेशान थे साना मॅ'म का यह रूप देख ..कभी भी वो अपने ऑफीस में ज़्यादा बात नही करती , बस सिर्फ़ काम से काम रखती थी , डांटना फटकारना और बे मतलब किसी से बातें करना , यह सब उस ने आज तक नही किया ...
वो खुद भी परेशान थी ...आज उसे क्या हो गया है....जब उसे समीर से कोई मतलब नही तो फिर उसके इस बर्ताव से , उसका आंटी से इस तरेह प्यार करने से इतना खीज़ और गुस्सा क्यूँ आया ..क्यूँ..? उसका आंटी को सौज़ी मोम बूलाने से उसकी छाती क्यूँ फॅट पड़ी ..क्यूँ..?? आज तक तो ऐसा नही हुआ ...उफफफफ्फ़ ..आअज क्या हो गया उसे...उस बेचारे को बेवज़ह डाँट दिया ....वो फिर चौंक पड़ी अपने को समीर के लिए बेचारा कहने पर ..आज तक उसने उसके लिए "बेचारा " नही सोचा ..हमेशा उसे अपने प्यार का कांटा ही समझा ऐसा काँटा जिस ने उसके दिल को भेद दिया था ..तार तार कर दिया था ...उसके प्यार को उसकी दुनिया से कुरेद कर निकाल फेंका था ..यह सब उसके इस दुनियाँ में आते ही तो हुआ..फिर आज वो मेरे लिए बेचारा कैसे हो गया....हे भगवान ..आज क्या हो गया ....
उसे लगा जैसे उसका सर फॅट जाएगा ..वो बहोत बेचैन थी...उसके दिल और दीमाग में उसे ऐसा महसूस हुआ मानो हथौड़े चल रहे हों .....वो ज़्यादे देर वहाँ बैठ ना सकी और फिर वो ऑफीस से बाहर निकल गयी......अपनी सेक्रेटरी से कहा' " मेरी तबीयत ठीक नही लग रही , मैं घर जा रही हूँ ... कोई ज़रूरी कॉल आए तो मुझे कॉल कर लेना ... "
घर पहूंचते ही सीधा बेड रूम के अंदर गयी ...... वहाँ एक कोने में बनी छोटे से बार काउंटर से स्कॉच की बॉटल निकाली...और सीधा मुँह से लेगाती हुई गतागत दो तीन घूँट उस ने गले के नीचे उतार लिए .....
तब तक म्र्स डी' सूज़ा आ गयी और दरवाज़ा खटखटाया ... साना ने उसकी ओर देखा और आँखों से इशारा करते हुए उसे अंदर आने को कहा ..
साना के हाथ में स्कॉच की बॉटल देखते ही म्र्स डी'सूज़ा समझ गयी मज़रा क्या है ...उस ने उसके हाथ से बॉटल ले ली और वापस बार काउंटर पर रख दिया ..साना को अब तक स्कॉच का शूरूर सा महसूस हो रहा था , और खाली पेट शूरूर जल्दी आती है ,,उसका बदन उसके वश में नही रहा था ...म्र्स. डी'सूज़ा ने उसे थामते हुए उसे पलंग पर लीटा दिया और कहा " बेटी तू यह क्या कर रही है..? तेरा दिल तो जल रहा है अब खाली पेट पिएगी,...तेरा जिगर भी जल के खाक हो जाएगा ....ओह गॉड यह क्या हो रहा है इस घर में ...सब जल मरने को तैय्यार हैं यहाँ ... रुक मैं कुछ खाने को लाती हूँ..आज तू ने गुस्से में नाश्ता भी नही किया .... "
म्र्स डी' सूज़ा भागते हुए किचन की ओर जाती है और पिज़्ज़ा और केक का बड़ा सा टूकड़ा एक प्लेट में लाती है और साना को खीलाती है ..
खाना पेट में जाते ही साना को कुछ अच्छा लगा , उसके चेहरे पर कुछ रंगत आई , म्र्स. डी' सूज़ा एक कुर्सी ले कर उसके बगल बैठ गयी ..उसके माथे पर प्यार से हाथ फेरते हुए कहती है ...
" साना बेटी ..तुझे क्या हो गया है .क्यूँ सब कुछ बर्बाद करने पर तूलि है तू..? कब तक तू अपने को इस शराब के नशे से बहलाती रहेगी ? ....प्यार का नशा तेरा कहाँ गया बेटी ....क्या तेरे अंदर प्यार मर गया ..? तू एक मा भी है , अपने शराब के नशे में भूल गयी .? तेरा इतना प्यारा बेटा , जो तेरे लिए जान तक देने को तैय्यार है.... तेरी एक प्यार भरी नज़र के लिए तरसता है , तड़प्ता है , बीलखता है ...इस प्यार की आस लिए उस ने अपना बचपन खो दिया , अब जवानी भी शायद उसकी ख़त्म हो जाएगी इसी आस में .....क्या किया है उस ने .....बता ना बेटी क्या गुनाह है उसका ...??उस बच्चे का टूटा दिल देख मेरा दिल फॅट जाता है ...कितना भोला है बेचारा.....अब देर मत कर बेटी वरना बहोत देर हो जाएगी ,,बहोत देर ..फिर तू सिर्फ़ पछताने के सीवा कुछ नही कर पाएगी .....फिर स्कॉच की बोतलों में इतनी शराब नही होगी के तुम अपने गम को शराब में डूबो सको....साना प्लीज़ होश में आ जाओ बेटी ....अभी भी देर नही हुआ ....होश में आ जाओ ..."
साना म्र्स. डी' सूज़ा की ओर एक टक देखती है ..उसकी बातों ने उसे हिला दिया था... वो रोने लगती है ..सिसकने लगती है और रोते हुए ही बोल उठ ती है ..
" आंटी ...आप जानती हैं ना मैं पापा से कितना प्यार करती थी ...इस बच्चे ने मेरा प्यार छीन लिया आंटी .मेरा सब कुछ ले लिया ...आंटी ...मैने अपना सब से कीमती जेवर खो दिया ....और आप कहती हैं इस ने क्या किया..???"
म्र्स. डी' सूज़ा उसके आँखों से आँसू पोंछती है ....फिर से प्यार से उसका माथा सहलाती है और कहती है .." मुझ से ज़्यादा और कौन जानता है यह सब बातें साना बेटी ..? पर जो तू ने खो दिया , अब वापस तो नही आ सकता ना ...बोल ना बेटी ? पर तेरा जो कीमती जेवर तेरे पास है ..तेरा बेटा समीर ..उसे तो मत खो .. एक बार तू खो चूकी है अपना प्यार , तू खुद जानती है कितना दर्द होता है..... तू दुबारा इस दर्द को झेलने पर क्यूँ आमादा है बेटी ....ऐसा मत कर ..दुबारा तू इसे झेल नही पाएगी साना ...नही झेल पाएगी .....सब कुछ जल जाएगा ..सब कुछ बर्बाद हो जाएगा .....बेटी अभी भी समय है .. लगा ले गले उस प्यार के भूखे को .देख तेरी छाती कैसे ठंडी हो जाएगी ....बढ़ा दे अपने हाथ .भर ले उस अभागे को अपनी बाहों में ... देर मत कर .."
" आंटी आप ने तो बोल दिया और मैने भी सून लिया ..पर मैं उसे जब भी देखती हूँ .मुझे पापा का चेहरा सामने दीखता है और फिर मैं यह भूल जाती हूँ के यह मेरा ही बेटा है..मुझे सिर्फ़ यह याद रहता है इस समीर के चेहरे ने मेरे प्यारे पापा के चेहरे को ढँक दिया ....छुपा दिया मेरे पापा को .." और फिर हिचकियाँ लेते हुए रोने लगी ....
म्र्स डी' सूज़ा उसे अपने सीने से लगा लेती है , उसके आँसू फिर से पोंछती है , और कहती है..
" ना रो बेटी ..ना रो..
बेटी यह भी तो हो सकता है ना कि तेरे पापा ने समीर का चेहरा ले लिया और तेरे पास फिर से आ गये.? तू देखती नही समीर की हर बात हरदयाल से कितनी मिलती जूलती है ..वोही क़द , वोही चेहरा ... वोही उँचाई ..सब कुछ तो वोही है बेटी ....तेरे पापा कहाँ गये? ..वो तो तेरे पास ही हैं ना ....समीर ने तेरे पापा को छुपाया नही बेटी वो फिर से उन्हें तेरे सामने ले आया है ... उसे पहचान .."
साना फिर से रो पड़ती है म्र्स. डी' सूज़ा की बातों से..फिर से हिचकियाँ बँध जाती है वो बीलख उठ ती है ..." हे भगवान ..मेरी समझ में कुछ नही आ रहा .....आंटी . मैं क्या करूँ ..मैं क्या करूँ ....हे भगवान ...."
साना म्र्स डी' सूज़ा से और भी चीपक जाती है , और भी हिचकियाँ ले ले रोती जाती है ...शायद उसके इतने दिनों से छुपाए आँसू , दिल का गुब्बार , भादास , दूख , गम सब कुछ आज आँसू बन कर निकलते जा रहे थे ...
म्र्स. डी' सूज़ा उसे पुचकार्ति है , उसकी पीठ सहलाती है और बोलती जाती है
" हां बेटी रो ले , रो ले जितना चाहे रो ले ..अपने आँसू मत रोक .इतने दिनों से तेरे अंदर भरे थे....हां बेटी निकाल दे .."
साना रोते रोते , आँसू बहाते बहाते म्र्स. डी' सूज़ा की गोद में पड़े पड़े ही सो जाती है ..ना जाने कब उसकी आँखें लग जाती हैं ...
म्र्स डी' सूज़ा उसे पलंग पर लीटा देती है ....एक चादर उस पर डाल देती है ..और दबे कदमों से बाहर निकल जाती है ...
उसकी आँखों से भी लगातार आँसू टपक रहे थे..पर यह आँसू आशा और खुशी के आँसू थे ..आज म्र्स डी' सूज़ा को विश्वास हो गया था .. उसे पूरी उम्मीद हो गयी थी साना और समीर का मिलन अब दूर नही...
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