RE: Chodan Kahani हवस का नंगा नाच
तीनों मस्ती की सीढ़ियों पर आगे और आगे बढ़ते जेया रहे थे..साना कराह रही थी , सिसकारियाँ ले रही थी..उसकी आँखें बंद थी ..
उसके दोनों दोस्तों ने उसे उठाया और सामने पड़े बड़े से सोफे पर लीटा दिया और अपनी अपनी पोज़िशन बदल ली.....चूत चाटनेवाला अब उसकी चूचियों से खेल रहा था और चूचियों से खेलनेवाला अब उसकी चूत पर टूट पड़ा था ..
साना अपनी टाँगे फैलाए ..घूटने उपर किए लेटी लेटी मज़े ले रही थी ..उसकी चूत से रस की बारिश हो रही थी...चूचियों की घुंडी कड़ी , तनी हुई और ऐसे उपर उठी थी मानो किसी बच्चे की नूनी.... उन्हें छूते ही साना के बदन में करेंट सा दौड़ जाता .....
साना बड़बड़ा रही थी.." उफफफफ्फ़....यार तुम दोनों क्या कर रहे हो..अरे कोई तो चोद ले..मेरी चूत बहोत खुज़ला रही है ..अब चोद भी दो ना ...कम ऑन ..."
उसकी चूत की तरफवाले लड़के ने अपना सर साना की चूत से हटाया , उसकी ओर देखा और कहा..
" हां साना ...तेरी चूत से तो नदी बह रही है यार ..चल तू भी क्या नाम लेगी ..ले आज तेरा बर्थ डे प्रेज़ेंट मैं ही देता हूँ..."
" हां जानू बस आ जा .....भर दे मेरी चूत अपने लंड से ...अया देर मत कर ..बस आ जा .." साना ने अपनी टाँगें और भी फैला दीं ....
साना की बातों से वो और भी जोश में आ गया , और उसकी टाँगें उठाता हुआ अपने कंधों पर ले लिया और अपना लंड उसकी चूत पे रखा और एक जोरदार धक्का मारा..फच से पुर का पूरा लॉडा साना की चूत के अंदर था ...
साना का पूरा बदन सीहर उठा , कांप उठा " हान हाअन्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ...बस ऐसे ही लगाओ धक्के , रूकना मत ..आआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह हां और ज़ोर ..और ज़ोर ...अबे मा के लौडे और ज़ोर लगा ना ..साले कुछ खाया पिया नहीं ..? मार ..मार मदर्चोद मार ना धक्के ..साला चुदाई कर रहा है कि चूत लंड से खुजा रहा है...मार मार ...मदर्चोद जब लंड में दम नहीं फिर मुझे चोदने की हिम्मत कैसे हुई...अबे गान्डू और ज़ोर लगा ....अयाया अयाया ...और ज़ोर ...""
साना कुछ भी बेक जा रही थी ...
उसकी बातें सून सून लड़का पूरे जोश में धक्के लगता लगाता खुद तो बूरी तरेह झाड़ गया साना की चूत में..पर साना अभी भी फारिग नही हुई थी ..उसकी चूत अभी भी गर्म थी ..आग बूझने का नाम नहीं था..
दूसरे लड़के ने भी अपने लौडे की करामात दीखाई ..पर साना की चूत के सामने उसके लौडे ने भी हार मान ली....
सब जानते थे वहाँ साना को चोदना और उसे झड़ाना उनमें से किसी के वश की बात नही थी ,पर सिर्फ़ साना जानती थी ....बस सिर्फ़ एक ही लंड था जिसकी मार से साना की चूत में हलचल मच जाती ..उसकी आग ठंडी हो जाती ..पर उस लंड का मालिक अभी तक वहाँ नही आया था ....
साना अपनी चूत फैलाए .. सिसकारियाँ लेते उसका बेसब्री से इंतेज़ार कर रही थी ...
उसके सभी दोस्त जा चूके थे ...
साना अकेली रह गयी थी ..उस विशाल हॉल के सोफे पर लेटी ..चूत से रस , वीर्य टपकाती ...पर फिर भी दहक्ते अंगार के तरेह गर्म ....
उसकी आँखें बंद थीं .....
तभी उसके कानों में किसी के कदमों की आहट हुई
साना ने आँखें खोलीं ..देखा तो सामने सोफे के करीब , उसके बिल्कुल सर के पास लाला हरदयाल खड़े थे ..उसके प्यारे पापा.... !
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