RE: Indian Sex Story बदसूरत
सुहानी बिस्तर पर लेटे लेटे फुट फुटकर रो रही थी....इतने दिनों से जो मन में दबा हुआ था आज सब आंसुओ के रूप में बाहर आ रहा था....वो उस दिन को याद करने लगी जब वो उस होटल में बैठ के समीर का इन्तजार कर रही थी...बार बार उसे फ़ोन कर रही थी। लेकिन वो नहीं आया..कितने अरमान लेके गयी थी वो वहा...लेकिन सब चकनाचूर हो गए थे...आज उसने अविनाश के अरमानो को उसके चाहत को उसके सपने ठुकरा के उसे राहत महसूस हो रही थी। आज उसने अविनाश को उस सिचुएशन में पहोंचा दिया था जिसमे वो उस दिन थी....लेकिन वो भूल गयी थी की समीर ने जो उसके साथ किया था उसे कोई हक़ नहीं बनता था की वही वो अविनाश के साथ करे....लेकिन ये भी सही था की वो अविनाश को और समीर को एक ही पलड़े में रख के सोच रही थी....अविनाश भी तो उससे वैसेही पेश आता था....आज उसने अविनाश को ऐसा झटका दिया था की वो अब जिंदगी में कभी किसी के साथ भी ऐसा व्यवहार नही करेगा....सुहानी रट हुए और ये सब सोचते हुए सो गयी थी.....
लेकिन इधर अविनाश के आँखों से नींद गायब थी....पहले तो उसे बहोत ग़ुस्सा आ रहा था...वो अपने कमरे में इधर से उधर ग़ुस्से में घूम रहा था और सिगरेट पे सिगरेट पि रहा था....उसे सुहानी की बाते याद आ रही थी की उसके मन में सिर्फ और सिर्फ हवस थी...लेकिन वो ये सोच रहा था की उसे बढ़ावा भी तो सुहानी ने ही दिया था...अब ये तो नार्मल था की कोई लड़की किसीको आकर्षित करे और मर्द उसकी और आकर्षित हो ही जाता है...उसमे उसकी गलती कहा है....पर वो इस बात को साफ़ साफ़ भूल गया था की उसने बचपन से लेके अब तक सुहानी के साथ क्या क्या किया था....
अविनाश:- मुझे उसे छोड़ना ही नही चाहिए था एक बार उसकी चूत में लंड डाल देता तो क्या कर लेती वो....
अविनाश एकदम से चौका....उसे ख़याल आया की वो क्या सोच रहा है....वो धड़ाम से बेड पे बैठ गया....
अविनाश:- मैं ये क्या सोच रहा हु?? इसका मतलब की सुहानी सच बोल रही थी मेरे मन में उसके लोए सिर्फ हवस थी....आज उसने अपने जिस्म के साथ इतना खेलने के बावजूद कुछ करने नही दिया तो मेरे मन में सिर्फ यही ख्याल आ रहा की उसे चोदना चाहिए था...मतलब की मैं सिर्फ उसके प्रति जोनप्यार जता रहा था वो सिर्फ और सिर्फ उसे चोदने के इरादे से...उफ्फ्फ कितना गिरा हुआ इंसान हु मैं....सही पहचान सुहानी ने मुझे...और आज मैंने खुदकु पपहचां लिया...
उसे वो सब याद आने लगा कैसे वो बहाने ढूंढता था उसके नजदीक जाने के...यहाँ तक की नीता हूस्पिटल में थी बीमार थी फिर भी वो सुहानी के साथ वो सब कर रहा था....
अविनाश:- सच में अगर मेरे मन में उसके लिए बेटी वाला प्यार आता तो मैं उसके साथ ऐसी हरकत करने के बारे में नही सोचता....हे भगवान्....मुझसे क्या हो गया....कितना नीच इंसान हु मैं....
अविनाश ये सब सोच के रोने लगा....उसे आज सही मायने में पछतावा हो रहा था....
अविनाश:- मैंने तो उसके बदन को छूने के लिए उन लम्हों का भी सहारा लिया जो सच में एक बाप बेटी के अनमोल होते है...अपने बेटी को गोद में उठाना उसे अपनी बाहो में सुलाना...और मैं वासना में अँधा...उफ्फ्फ्फ़ क्या हो गया मुझसे...सही किया सुहानी ने मेरे साथ...आज अगर वो ऐसा नहीं करती तो मुझे कभी अहसास नहीं होता की मैंने अपनी जिंदगी में कितनी गलतिया की है....आजतक किसी भी बाप ने अपनी बेटी के साथ ऐसा नही किया होगा....बड्डसुरत होना उसकी गलती कभी भी नही थी...लेकिन उसकी सजा मैंने उसे हर रोज दी है...क्या महसूस होता होगा उसे जब वो दुसरो के पापा को अपनी बेटी के साथ देखती होगी....उफ्फ्फ्फ़ ये मुझसे क्या हो गया ...मैं तो अब उससे माफ़ी मागने के लायक भी नही रहा....
अविनाश पछतावे की आग में जल रहा था....उसके आँखों से आंसू रुक ही नहीं रहे थे....
अगले दिन सुबह सुहानी बहोत देर तक सोती रही....अविनाश नीता और सोहन को हॉस्पिटल लेने अकेला ही चला गया था...उसमे अब हिम्मत नही थी की वो सुहानी का सामना कर सके....
सुहानी जब उठी तो उसने देखा नीता और सोहन आ चुके थे...अविनाश ऑफिस के लिए निकल चूका था....सुहानी नीता से मिली...उसके साथ थोड़ी बाते की और वो तैयारी कर के ऑफिस चली गयी....लेकिन उसके दिमाग में रात वाली घटना अब भी चल रही थी....
एक तरफ उसे सुकून मिला था की उसने अविनाश कको सबक सिखाया लेकिन दूसरी और उसे अब लग रहा था की उसने जो किया मतलब की अविनाश के साथ इतनी नजदीकियां बढ़ाना...ये गलत था...
सुहानी:- पापा आज मेरे सामने तक नही आये...न आये मुझे कोई फरक नही पड़ता...और अच्छा ही है ...लेकिन मैंने कुछ जादा ही कर दिया...मुझे उनके इतने नजदीक नहीं जाना चाहिए था...मैं करती भी क्या उनके छूने से मैं बहक जाती थी...मन में कितना भी क्यू न हो की ये सिर्फ उनको सबक सिखाने के लिए नाटक है लेकिन जब वो सारी चीजे आपके साथ होने लगती है तो थोडा बहक जाना स्वाभिविक है...छोडो ...मैं इतना क्यू सोच रही हु...पता नही पापा पे इसका असर हुआ है या नहीं...मुझे तो अब सोहन को सबक सिखाना है...उसे भी तो पता चले की मेरे साथ ऐसा बिहेव करना कितना महंगा पड़ता है....सुहानी के मन में ये ख्याल आते ही उसका मन फिर से ग़ुस्से से भर गया....
सुहानी का ऑफिस जब ख़त्म हुआ और वो जब घर जाने के लिए निकली...तो उसने देखा की अविनाश उसकी कार के पास आके रुक हुआ था.....उसे देख के सुहानी के कदम जगह पर रुक गए...उसे थोडा डर भी लगा...अविनाश ने सुहानी को देखा तो वो थोडा आगे बढ़ा...सुहानी उसको अपनी और आते देख इधर उधर देखने लगी...की कोई पहचान का तो नहीं है..पता नहीं अविनाश क्या करेगा...
अविनाश:- सुहानी...तुमसे थोड़ी बात करनी थी इसलिए यहाँ आ गया...
सुहानी ने एक बार उस्किन्तरफ ग़ुस्से से देखा।
सुहानी:- मुझे आपसे कोई बात नही करनी...और यहाँ कोई तमाशा मत कोजीए...
अविनाश:- बस 5 मिनट शांति से मेरी बात सुनलो..मैं दुबारा तुमसे कोई बात नही करूँगा..
सुहानी:- ठीक है सिर्फ 5 मिनट...या आईये हम साथ घर चलते है..बैठिये कार में...
अविनाश और सुहानी कार में बैठ गए...सुहानी उस्किन्तरफ देख नहीं रही थी।
अविनाश:- सुहानी मुझे पता है मैंने तुम्हारे साथ बहोत गन्दा सुलूक किया है...मैं माफ़ी के लायक तो बिलकुल भी नहीं...और तुमने जो किया वो सही किया....मुझे तुमसे कोई शिकायत नहीं...और ग़ुस्सा तो बिलकुल भी नही...बल्कि ग़ुस्सा मुझे खुद पे आ रहा है...लेकिन अब जो वक़्त बीत गया है मैं उसे वापस नही ला सकता...
सुहानी को ये एक्सपेक्ट नहीं था...उसे लगा की अविनाश बहोत ग़ुस्से में होगा...उसे लगा की जैसा अविनाश का स्वाभाव है उससे तो अंदाजा लगाना बड़ा मुश्किल था की अविनाश क्या करेगा लेकिन वो सब के लिए तैयार थी...लेकिन अविनाश को ऐसे देख के उसे थोडा अजीब लगा...
सुहानी:- इससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता...सुहानी ने थोडा रुडली जवाब दिया।
अविनाश:- जनता हु...मैं बस तुमसे एक ही रिक्वेस्ट करना चाहता हु की नीता को ये सब बाते पता ना चले...क्यू की अगर उसने देखा की हम दोनों फिरसे एक दूसरे से बात नही कर रहे तो पता नहीं वो क्या क्या सोचे...बस मैं ये चाहता हु की घर पर हम थोडा नार्मल ही रहे तो अच्छा रहेगा...
सुहानी:- पता नही...लेकिन मुझे नही लगता की मुझसे अब ये होगा...
अविनाश:- मुझे पता है..बहोत मुश्किल है...लेकिन सिर्फ 15 दिनों की बात है...मैंने अपने एक साथ में काम करने वाले दोस्त की ट्रान्सफर खुद ले ली है...15 दिनों में मैं यहाँ से चला जाऊँगा...
सुहानी:-क्या?? आपकी हिम्मत कैसे हुई?? खुद तो हमेशा मुझसे दूर रहे अब मम्मी को भी मुझसे दूर करना चाहते हो...
अविनाश:- इसके सिवा कोई दूसरा रास्ता नजर नही आया...मैं तुम्हारे सामने ऐसे नही रह सकता...मेरा गिल्ट कही मुझे मार ही ना डाले...प्लीज़ सुहानी...
सुहानी ने एक बार अविनाशबकि तरफ देखा उसने आज पहली बार सच में उसके चहरे पे गिल्ट देखा था...उसे उसकी बाते सच लगी...
सुहानी:- ठीक है मैं कोशिस करुँगी...
अविनाश:- सुहानी एक बात और...कभी तुम्हे लगे की तुम मुझे माफ़ कर सको तो...
सुहानी ने उसककी तरफ देखा तो अविनाश ने अपनी नजरे झुका ली।
सुहानी:- पता नहीं...मैं अब ये सब नही सोचती...
सुहानी मन में कहि थोड़ी पिघल गयी थी...उसे अविनाश ने आज जो भी बोला था वो सब सच और दिल से कहि बाते लग रही थी।
वो घर पहोंच गए थे। दोनों कार से निकल कर अपने कमरे में चले गए।
15 दिन युही बीत गए....अविनाश और सुहानी के बिच कुछ झगड़ा या कुछ हुआ है इस बात का अहसास सोहन और नीता को नही हुआ...सुहानी काम का बहाना बना के जादा से जादा टाइम अपने कमरे में रहती...अब सुहानी का ग़ुस्सा थोडा ठंडा हो चूका था...इसबीच उन दोनों में दिखावे के लिए बातचीत होती थी...अविनाश और सुहानी के लिए वो बहोत मुश्किल था...एक के मन में ग़ुस्सा था और दूसरे के मन में पछतावा....
अविनाश का ट्रान्सफर आर्डर आ चूका था...वो नीता को लेके दूसरे शहर चला गया...नीता भी साथ में चली गयी...सुहानी को नीता के बिना रहने की आदत नही थी...उसे बहोत बुरा लग रहा था...उसे लग रहा था की अविनाश को कह दे की ट्रान्सफर कैन्सल कर दे लेकिन वो ऐसा नही कर पायी।
इधर सोहन बहोत खुश था क्यू की उसे अब रोकने वाला कोई नही था...सुहानी को तो वो ऐसे भी नही गिनता था....लेकिन उसे नही पता था की आगे उसके साथ क्या होने वाला था....
देखते देखते 15 दिन और बीत गए...नीता और अविनाश दूसरे शहर सेटल हो गए थे....सुहानी को भी अब आदत हो गयी थी...लेकिन सोहन अब और आवारा हो गया था...कभी भी घर पे आना...या कभी बाहर ही रहना...
जब नीता उनसे मिलने आई तो सुहानी ने उसे सोहन के बारे में बताया....नीता और अविनाश ने उसपे बहोत ग़ुस्सा किया...सोहन ये दलह सुहानी से और भी खफा हो गया...सुहानी इस दौरान अपने एक नए प्रोजेक्ट पे काम कर रही थी...इसलिए उसे बहोत कम टाइम मिलता था बाकी कुछ सोचने का...
उसका प्रोजेक्ट अब पूरा हो चूका था....जिस दिन उसका प्रोजेक्ट पूरा हुआ उस दिन उसके बॉस ने एक पार्टी राखी थी। सुहानी उस पार्टी में गयी...उसने एक रेड कलर का टाइट फिटिंग वाला गाउन पहना था। सुहानी उस ड्रेस में बहोत सेक्सी लग रही थी। सब लोग पार्टी एन्जॉय कर रहे थे। सुहानी अपने कलीग से बाते करते हुए खड़ी थी। तभी उसके ऑफिस में काम करने वाला उसका एक जूनियर आया और सुहानी को प्रोजेक्ट पूरा होने की बधाई देने लगा....
जूनियर:- हेल्लो मॅम मैं करण...आपका जूनियर हु...पता नहीं आप मुझे जानती हो भी या नहीं...
सुहानी:- जानती हु ओफ्कोर्स....
करण:- वो मॅम आप से कभी बात नहीं होती...इसलिए...
सुहानी:- तो बात क्यू नही करते??
करण:- डर लगता है...आप बहोत स्ट्रिक्ट हो ना...
सुहानी:- हस्ते हुए...किसने कहा??
करण:- सभी कहते है...आप अपने काम में बिजी रहते हो ...किसीसे बात नही करते जादा...
सुहानी:- तो इसका मतलब मैं स्ट्रिक्ट हु?? एक्चुअली मुझसे कोई बिना काम के बात नही करता...इसमें मैं क्या कर सकती हु??
करण:- वो मॅम आप का वर्क के लिए पैशन देख के मैं बहोत इम्प्रेस हुआ हु आपसे...आप बहोत इंटलिजेंट और हार्ड वर्किंग हो...इंस्पिरेशन हो मेरे जैसे जूनियर के लिए...
सुहानी:- पहली बात...मुझे मॅम मत बोलो...एयर दूसरी बात मैं तुमसे सिर्फ 6 महीने पहले इस कंपनी में काम कर रही हु...
करण:- यही तो खास बात है मॅम...की इतने आईएम टाइम में आपको इतना बड़ा प्रोजेक्ट मिला और आ0ने उसे कम्पलीट भी कर लिया...
स7हानि:- बीएस करो मेरी तारीफ....
करण:- सॉरी...वो मैं थोडा नर्वस फील कर रहा था...सब ने कहा था की आप ...मेरा मतलब है की...
सुहानी:- ह्म्म्म्म अब तो समझ आ गया ना...
करण:- हा...मॅम क्या आप मेरे साथ डांस करेंगी??
सुहानी:- मुझे डांस नही आता...
करण:- कोई बात नही..मैं सिख दूंगा...आसान है..
सुहानी:- अरे भाई जाओ..खूबसूरत लडकिया है कितनी सारी उनके साथ डांस करो...
करण:- प्लीज़ मॅम...
करण सुहानी को बिनती करने लगा तो सुहानी को डांस करना ही पड़ा।
सुहानी पहली बार किसी के साथ डांस कर रही थी। सुहानी को करण ने कमर से पकड़ रखा था...सुहानी को बहोत दिनों बाद कोई मर्द छु रहा था...भले ही करण का इंटेंशन गलत नही था पर सुहानी एक प्यासी लड़की थी...जिसका जिस्म चुदाई के लिए तरस रहा था...करण का छूना उसे अविनाश के साथ हुए बातो को याद दिलाने लगा....उसने झट से करन को दूर किया...और कहा की उसे और डांस नही करना...पार्टी खत्म हई...सुहानी घर पे आयी...अब सोहन और सुहानी के पास अपनी अपनी चाबियां थी...सुहानी ने दरवाजा खोला और अंदर आ गयी...सोहन अपने कमरे में था...सुहानी अपने कमरे में गयी और चेंज करके बेड पे लेट गयी....
सुहानी सोचने लगी....
सुहानी:- आज पार्टी में करण के छूने से अजीब सी हलचल मच गयी...पापा के साथ वाले वो पल याद आ गए...चाहे भले ही वो मैंने नाटक किया था...पर बहोत बार बहक गयी थी मैं...ह्म्म्म लेकिन अब क्या?? पापा को तो अहसास दिला दिया...अब सोहन को कैसे फसाउ?? एक तो वो कॉलेज जाता है...उसकी गर्लफ्रेंड भी होगी...तो फिर अगर मैं उसे अ0न जिस्म दिखाउंगी भी तो उसे शायद ही कोई फरक पड़े या वो देखे भी ना...और वैसे भी वो रहता कहा है घर पे...मेरा और उसका टाइमिंग भी तो बहोत अलग है...जब मैं जाती हु वो भी जाता है...मैं जब आती हु वो अ0ने कमरे में रहता है...उसे कोई लेना देना नही है मुझसे...बस वो सिर्फ मेरा बनाया हुआ खाना खाता है...सुबह सिर्फ 10 मिनट के लिए मिलते है हम और वो भी सिर्फ खाना खाता है और निकल जाता है...रात को वो कब आता है पता नही...ममी पापा के डांट के बाद भी नही सुधरा...फिर भी कुछ तो करना होगा....सुहानी सोच में पड़ गयी थी...
सुहानी ये सोच रही थी की सोहन को अविनाश जैसे ही तड़पाएगी लेकिन सुहानी को भी पता था की ये इतना आसान नही था...अविनाश तो फिर भी सेक्स का प्यासा था...लेकिन सोहन जवान था..और सुहानी को ये भी पता नही था की उसकी कोई गर्लफ्रेंड है भी या नही...
लेकिन सुहानी ने तो ठान ली थी की वो सोहन को तड़पा तड़पा के अपनी बे8ज्जति का बदला लेगी....
सुहानी ने एक गलती तो कर दी थी....अब वो दुबारा वही गलती करने जा रही थी...लेकिन उसे नही पता था की इस बार उसे इस गलती की क्या कीमत चुकानी पड़ने वाली थी....
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