RE: Indian Sex Story बदसूरत
अविनाश को अब सुहानी ई जिस्म की गरमी से कुछ होने लगा था...उसकी चुचिया का दबाव उसे अपने छाती पे महसूस हो रहा था...वो फिर से बहकने लगा...
सुहानी:- हा..चलिए मैं कॉफ़ी बनाती हु...आप पिएंगे??
अविनाश:- नही...उसने सुहानी को अपनी बाहो से आजाद कर दिया।
सुहानी किचेन में चली गयी। भी उसके पीछे पीछे अविनाश भी चला गया
अविनाश को किचेन में देख के सुहानी बोली " आपको भी चाहिये क्या कॉफ़ी?""
अविनाश:- नही...
सुहानी:-फिर क्या चाहिये??
अविनाश:- मुझे तो दूध चाहिए...सुहानी ककी चुचियो को देखते हुए कहा।अविनाश अपने औकात पे आने लगा...
सुहानी:-(लो पापा फिर शुरू हो गए) दूध तो नहीं...वो सुबह गड़बड़ी में गरम करना भूल गयी तो ख़राब हो गया...
अविनाश:- ह्म्म्म कोई बात नहीं आज नहीं कल पि लूंगा...
सुहानी:- ठीक है...कल पि लेना...
अविनाश:- ह्म्म्म्म लेकिन मेरा मुड़ तो आज ही हो रहा है...
सुहानी:-आपका मुड़ तो कभी भी कुछ भी करने का हो जाता है...
अविनाश:- हा अब क्या करू...और एक बार मुड़ हो गया तो कण्ट्रोल नहीं होता...
सुहानी:- ह्म्म्म पता है...
अविनाश:- क्या पता है??
सुहानी थोडा हड़बड़ा गयी।
सुहानी:- कुछ नहीं...
अविनाश:- चलो दूध नहीं तो क्या हुआ...ये लड्डू ही खा लेता हु..
अविनाश सुहानी के पीछे खड़ा हुआ था...वो आगे बढ़ा और सुहानी को पीछे से चिपक गया और एक हाथ उसको कमर पप रखा और दूसरा हाथ ऊपर ले जा के लड्डू वाला डब्बा निकलने लगा। डब्बा निचे लिया और उसको खोल के एक लड्डू निकाल।लिया और डब्बा बंद करके वापस रखने के लिए फिरसे सुहानी के पिछेसे चिपक गया...इस बार थोडा जादा ही...सुहानी को अविनाश का ऐसे पीछेसे चिपकना अच्छा लग रहा था...भले ही वो दो दिन से थोड़ी अपसेट थी लेकिन अब उसके पास कोई वजह नहीं थी...और उस दिन वो इतना उत्तेजित हो गयी थी की उसका असर आज भी था...और आज वही सिचुएशन फिर से थी उस वक़्त लेटी हुई थी और आज खड़ी है...स7हानि कुछ नही बोली...अविनाश ने डब्बा रखा दिया और पीछे हट गया और लड्डू खाने लगा...सुहानी की कॉफी तैयार हो गयी थी...वो निचे झुकी और ड्रावर से कप लेने लगी...लेकिन जल्दी में वो भूल गयी की अविनाश बिलकुल उसके पीछे खड़ा था....उसकी गांड सीधा अविनाश के लंड से जा टकराई....जो थोडा थोडा खड़ा हो रहा था...सुहानी को समझ आ गया की वो पीछे अविनाश से टकरा गयी...अविनाश ने भी मौके का फायदा उठाया और अपना लंड सुहानी की गांड पे थोडा और दबा दिया....सुहानी के जिस्म जैसे करंट दौड़ गया...उसने कप लिया और सीधा खड़ी हो गयी...
अविनाश:- सुहानी अगर थोड़ी जादा है तो मुझे भी दे दो...मैं भी पी लूंगा थोड़ी...
सुहानी समझ गयी की वो फिर से कप निकलने के लिए झुकनि चाहिए इसलिए वो बोल रहे है...सुहानी मन ही मन मुस्कुरा उठी...उसने बड़े ही मादक अंदाज में पीछे मुड़ ककए अविनाश की आँखों में देखा और निचे झुक गयी....अविनाश तो तैयार था ही...उसने झट से अपना लंड सुहानी के गांड पे लगा दिया...सुहानी को अहसास हुआ की अबकी बार अविनाश का लंड पूरा खड़ा हो चूका था...सुहानी अपने आप ही थोडा पीछे हो गयी....अविनाश भी थोडा आगे की और अपना लंड दबाया...सुहानी ने कप लिया और खड़ी हो गयी...लेकिन अविनाश अब आगे बढ़ा और फिर से उसने खड़े खड़े ही अपना लंड सुहानी के गांड पे दबाया...
अविनाश:- बस थोडा ही देना...
सुहानी निचे देख के शरमा के मुस्कुरा रही थी...
सुहानी:- जी पापा...इतनी बस हो गयी या और चाहिए...इतने से हो जाएगा आपका??
अविनाश:- इतने से मेरा कुछ नही होता...पर काम चला लूंगा...अविनाश ने थोडा अपना लंड दबाते हुए कहा...
सुहानी समझ रही थी की अविनाश किस बारे में बात कर रहा था।
स7हानि:- हा आज इतने से काम चला लीजिये...सुहानी ने काम शब्द पे जोर दिया...सुहानी को भी मजा आने लगा था।
अविनाश:- हा...लेकिन दूध मिल जाता तो मजा आ जाता...सुहानी पलट के उसे कप दे रही थी और वो उसकी चुचियो को देख रहा था...सुहानी को समझ गया की वो किस दूध की बात कर रहा है...
सुहानी:- मिल जाएगा...थोडा सब्र कीजिये...सुहानी ने शरमाते हुए धीरे से कहा...सुहानी का ये अंदाज देख अविनाश को झटका सा लगा...वो समझ गया की सुहानी उसकी बातो का जवाब दे रही है।
अविनाश:- सब्र तो नहीं होता...बहोत दिन हो गए...दूध पिए..
सुहानी:- क्यू मम्मी नही पिलाती क्या?? सुहानी ने उसी अंदाज में कहा।
अविनाश:- नही ना...इसिलए तो तुमसे कह रहा हु...पिला दो ना..
सुहानी:- अब नहीं है तो कहा से पिलाऊँ?? सुहानी अविनाश के ऐसे डायरेक्ट बातो से बहोत जादा शरमा गयी थी...
अविनाश:-कोई बात नहीं तड़पाओ मुझे...
सुहानी:- आपकी कॉफी खत्म हो गयी?? जाइए मैं ये सब समेट के आती हु।
सुहानी ने बात को घुमा दिया। अविनाश ने कप सुहानी को दिया और खुद हॉल में जाके बैठ गया। सुहानी ने सब समेटा और अविनाश को बोल दिया की वो सोने जा रही है।
सुहानी अपने कमरे में चली गयी....उसने चेंज किया...उसने एक ढीली सी धोती पहनी और अंदर जानबुज के पैंटी नही पहनी और एक टाइट टॉप और ब्रा भी नहीं पहनी।
सुहानी:- आज घर पे कोई नहीं है...आज पापा जरूर मेरे रुम में आएंगे...और इसलिए ब्रा पॅंटी नहीं पहनती...मजे करने दो आज पापा को।
सुहानी को क्या हो गया था वो खुद समझ नहीं पा रही थी। अविनाश को मजे दिलाने के आड़ में वो खुद मजे करना चाहती थी। और हो भी क्यू ना जब से वो जवान हुई थी बस उसने किस्से सुने थे। खुद उस चीज का अनुभव तो वो अब ले रही थी उसका उतयेजित होना लाजमी था...
सुहानी ने लाइट बंद किया और बिस्तर पर लेट गयी...और अविनाश का इन्तजार करने लगी।
जैसा की उसने सोचा था थोड़ी देर बाद अविनाश ने दरवाजे पे नॉक किया। सुहानी उठी और उसने लाइट ओन किया और दरवाजा खोला।
सुहानी मुस्कुरा रही थी...अविनाश ने उसे देखा...उसको देखते ही पहली नजर उसकी चुचियो पे गयी...सुहानी के निप्प्ल्स टाइट हो चुके थे एक तो ठण्ड थी और ऊपर से जिस्म की आग दोनों की वजह से उसके निप्प्ल्स टाइट हो चुके थे...अविनाश थोड़ी देर के लिए उसके बड़े से निप्प्ल्स को देखता ही रहा।
सुहानी:- क्या हुआ पापा??कुछ चाहिए क्या??
अविनाश का ध्यान भंग हुआ।
अविनाश:- अ..न..नही...मैं..वो...वो नींद नहीं आ रही थी तो सोचा अगर तुम सोई नही तो थोड़ी बातचीत कर लू। तुम सो गयी थी क्या??
सुहानी ने अ0ने दोनों हाथ ऊपर किये और अंगड़ाई लेते हुए कहा"" नही बस सोने ही वाली थी...बहोत थक गयी हु दो दिन से आराम नही मिला।
उसे एस्तरह अंगड़ाई लेते देख अविनाश का लंड भी पैंट में अंगड़ाई लेने लगा था।
अविनाश:- ठीक है तुम सो जाओ...मैं टीवी देखता हु...अकेले नींद नहीं आती...
सुहानी:- ह्म्म्म्म हा मम्मी। नहीं है तो ...समझ सकती हु ...
अविनाश:- हा...इसलिए सोचा की क्यू ना आज तुम्हारे साथ ही सो जाउ...
सुहानी:- (हे। भगवान उफ्फ्फ उस दिन तो भी हॉस्पिटल में थे आज तो ....मर गयी) अ..वो...पापा...ओके...
सुहानी झिझक रही थी। क्यू की आज घर पर कोई नहीं था।
अविनाश:- आगे बढ़ा और बिस्तर पर जाके लेट गया।
सुहानी ने एक एक्स्ट्रा तकिया निकाला और अविनाश को दिया...बेड बहोत बड़ा था...सुहानी बेड के एक कोने पे अपना तकिया और ब्लैंकेट लेके सो गयी।*
|