RE: Indian Sex Story बदसूरत
उस रात सुहानी जब शांत हुई तब उसने बहोत सोचा और ये तय किया की अब वो अविनाश से थोडा दुरी बना के रहेगी क्यू की ये सब बहोत जादा हो रहा था। लेकिन जब एक बार ऐसा कुछ होता है ...एक बार कोई मर्द किसी औरत को छु लेता है तो दोनों ही एक दूसरे से जादा देर दूर नहीं रह सककते और अविनाश तो जैसे फिर से जवान हो गया था....उस रात जो भी हुआ था उससे उसकी हिम्मत और भी बढ़ गयी थी।
अगले दिन सुबह सुहानी नार्मल बिहेव कर रही थी...ये देख के अविनाश ने ये सोचा की या तो सुहानी को उसके इरादे पता नहीं चल रहे या फिर वो अनजान बन के मजे ले रही है....
दो तिन दिन ऐसेही बीते...सुहानी अविनाश से दुरी बनाये हुए थी...अविनाश को उसे छूने का मौका नही मिल रहा था...फिर भी वो कोई ना कोई बहाने से सुहानी के करीब चले ही जाता....सुहानी तिन दिन तक को कुछ नहीं लगा लेकिन चौथे दिन उसे कुछ अजीब सी बेचैनी होने लगी...वो कुछ मिस करने लगी थी।
अगले दिन रात को खाना खाने के बाद सुहानी सीधा अपने रूम में चली गयी....उसे थोडा काम था....सुहानी अपने काम में बिजी थी। इधर अविनाश को मौका नहीं मिलने के कारण वो थोडा बेचैन हो रहा था....सब लोग अपने कमरे में चले गए...अविनाश सिगरेट पिने के लिए पीछे की साइड गया...उसने देखा की सुहानी के रूम। का लाइट जल रहा है मतलब सुहानी अभी सोई नहीं थी।
वो वापस अपने कमरे में आया और नीता को देखा...वो सो रही थी...उसने नीता को हिलाया और आवाज दी...आज अविनाश को सेक्स करना था...लेकिन हमेशा की तरह नीता घोड़े बेच के सो रही थी....अविनाश का मन किया की उसे दो थप्पड़ लगाए और जगाये....लेकिन उसने खुद को संभाला....वो नाराजी में बेड पे लेट गया...जैसे ही वो लेटा उसे अलग सी खुशबु आयी....उसने देखा की नीता ने बालो में तेल लगा रखा है...तभी उसके दिमाग की बत्ती जली...उसने वाही साइड टेबल पे रखी तेल की बोतल उठाई और सीधा सुहानी के कमरे के पास गया और नॉक किया....सुहानी अभी भी काम कर रही थी....सुहानी दरवाजे पे नॉक सुनते ही चौकी...उसे लगा क्या हो गया...दरवाजे पे कोण है...वो उठी और दरवाजा खोला...सामने अविनाश को देख के वो थोडा डर गयी...
सुहानी:- क्या हुआ पापा??
अविनाश:- बेटा वो मेरा ना सर दर्द कर रहा है...दो तिन सिगरेट पि चूका हु पर ...
सुहानी:- पापा आप इतनी सिगरेट क्यू पिते हो??
अविनाश:- अरे बेटा अब क्या करू आदत कहा छूटती है...
सुहानी:- मेरे पास तो कोई दवाई नहीं...
अविनाश:- दवाई नहीं चाहिए...बस थोडा तेल मालिश कर दे सर में...ये तेरी मम्मी लेके आई है...उसका भी सर दर्द कर रहा था उसने मालिश की और सो गयी...अब उसे जगाने का मन नहीं हुआ...इधर पानी पिने आया तो देखा तेरे रूम का लाइट जल रहा है तो सोचा अगर तेरा काम हो गया होगा तो तुझे ही बोल दू...
ये सुन के सुहानी को मन में हँसी आ गयी...उसे थोडा अजीब तो लगा पर मन में कही वो खुश भी हुई की अविनाश उसके लिए कैसे तड़प रहा है....और क्या क्या बहाने बना रहा है...
सुहानी:- अ..वो..पापा..मैं..
अविनाश:- ओह्ह्ह कोई बात नहीं ...मैं खुद ही लगा लेता हु...थोडा तो आराम मिलेगा...तुम अपना काम करो...
अविनाश ने ऐसा बोला तो सुहानी पिघल गयी...उसे लगा सर को मालिश करने में क्या बुराई है...10 min में मालिश कर दूंगी...
सुहानी:- नहीं नहीं पापा...मैं वो ये सोच रही थी की...जाने दीजिये आप लाईये तेल....
अविनाश :- तुम्हे कोई ऐतराज तो नहीं...मतलब की तुम्हारा काम??
सुहानी:- काम हो ही गया है...बाकी सुबह कर लुंगी मैं यही सोच रही थी...वो मुझे नींद भी आ रही थी...
सुहानी ने तेल लिया और बाहर की और जाने लगी...लेकिन अविनाश बाहर की बजाय अंदर आ गया...सुहानी उसे बस देखती ही रही...उसे लगा की हॉल में जाके मालिश करना ठीक रहेगा लेकिन अविनाश तो सीधा उसके कमरे में आ गया था...
अविनाश:- यहाँ निचे बैठ जाता हु तुम बेड पे बैठ जाओ...
सुहानी पीछे मुड़ी और आदत की वजह से दरवाजा को धकेल दिया जिससे दरवाजा बंद हो गया...
सुहानी :- ठीक है पापा...
अविनाश ने देखा सुहानी ने आज एक टाइट टॉप पहना था...अंदर ब्रा नहीं पहनी थी...और निचे एक टाइट पजामा पहना था...अगर ब्रा नही पहनी थी तो पॅंटी भी नहीं पहनी होगी ये सोच के अविनाश के मन में लड्डू फूटने लगे...और सुहानी को इसी बात की टेंशन थी की आज उसने ब्रा पॅंटी नही पहनी थी....उसने देखा की उसके निप्पल कड़क होने लगे थे...जिस्कि वजह से उसके टॉप के पतले कपड़ो में से साफ़ साफ़ दिखाई दे रहा था की उसके निप्पल खड़े है...अविनाश निचे बैठ गया...सुहानी उसके सर के पीछे बेड पे बैठ गयी...सामने देखा तो आइना था...वो दोनों उसमे साफ़ साफ़ दिखाई दे रहे थे...अविनाश ने अपने पैर लंबे किये हुए थे और अपने दोनों हाथ अपने लंड को छुपाने के हिसाब से रखे हुए थे....सुहानी के दोनों पैरो को *के बिच बेड कको पीठ टिका बैठा हुआ था....सुहानी की जांघे उसके कंधो से टकरा रही थी। सुहानी ने कुछ तेल उसके सर पे डाला और कुछ अपने हाथ पे लिया और धीरे धीरे मालिश करने लगी...सुहानी के मुलायम हाथो का स्पर्श जैसे अविनाश के सर को बालो को हुआ उसका रोम रोम रोमांचित हो उठा...उसका लंड अंगड़ाई लेने लगा...जिसको उसने हाथो से थोडा दबा दिया...
अविनाश:- आहा हा ..ह्म्म्म कितना अच्छा लग रहा है...
सुहानी:- क्या पापा?
अविनाश:- तुम्हारे मुलायम हाथ....
सुहानी बस थोडा मुस्कुराई....सुहानी ने आईने में देखा अविनाश अपने लंड को दबा रहा है...उसकी हँसी निकल गयी।
सुहानी:- ह्म्म्म लगता है इनका तो खड़ा भी हो गया...
सुहानी धीरे धीरे मलिश करने लगी...अविनाश अपना सर थोडा थोडा पीछे लेके जा रहा था...
अविनाश :- सुहानी थोडा जोर लगा के करो...सर में तेल। नहीं लगाना है सिर्फ थोडा दबाना भी है...
सुहानी:- ओके पापा...
सुहानी अब थोडा जोर लगाने लगी और थोड़ी चम्पी करने लगी जिसकी वजह से बिना ब्रा की उसकी चुचिया उछल ने लगी...अविनाश ये नजारा आईने में देख रहा था....उसका लंड ये देख के और भी जोर मारने लगा....सुहानी का ध्यान जब आईने पे गया और देखा की अविनाश उसकी उछलती हुई चुचियो को आँखे फाड़ के देख रहा है तो वो शरमा गयी...एक अजीब सी लहर उसके दिल में उठी जो सीधा उसकी चूत पे जाके खत्म हुई...उसकी चूत में प्रीकम का पहला बून्द आ गया था...
जैसे ही उसने वो महसूस किया वो अपने आप ही थोडा आगे खिसक गयी...अविनाश का सर उसकी चूत से बस कुछ ही दुरी पे था...अविनाश को ये समझ आ गया की सुहानी थोडा आगे खिसक चुकी है...उसने आईने में देख के अंदाजा लगा लिया की उसका सर सुहानी की चूत से कितनी दुरी पे है। अविनाश ने सुहानी के हाथ पकड़ लिये और अपने फॉरहेड पे रख दिए।
अविनाश:- यहाँ पे दबा थोडा....बहोत दर्द कर रहा है।
अविनाश ने हाथ हटाने की वजह से उसका लंड का उभार सुहानी को ऊपर से साफ़ दिखाई देने लगा। सुहानी उसे आँखे फाड़ के देखने लगी। ये चीज अविनाश। ने आईने में देख ली....उसने दुबारा अपना हाथ लंड कको छुपाने के लिए नहीं रखा...सुहानी उसका खड़ा लंड देख के और भी उत्तेजित होने लगी थी। सुहानी थोडा जोर लगा के उसका सर दबा रही थी जिससे अविनाश जानबुज अपना सर पीछे ले जा रहा था....
अविनाश:- सुहानी थोडा आगे सरको ना...ये बेड मेरे गर्दन को चुभ रहा है....
सुहानी न चाहते हुए भी थोडा आगे सरक गयी....सुहानी अब बिलकुल बेड के कार्नर पे बैठी थी और पेअर फैले होने के कारण उसकी चूत आगे की और आ गयी थी।अविनाश ने झट से अपना सर पीछे किया और अपना सर का पिछला हिस्सा सुहानी की चूत पे रख दिया....
सुहानी की तो जैसे जान ही मुह में आ गयी...वो गरम होने लगी थी...अविनाश उसके चहरे के हाव भाव देख रहा था...उसे सुहानी की फूली हुई चूत का मुलायम अहसास साफ़ साफ़ हो रहा था। उसने अपना सर अड्जस्ट करने के बहाने से एक दो बार सुहानी की चूत पे दबा दिया। सुहानी को मजा आने लगा था...वो भले ही कितनी भी कोशिश करती अविनाश से दूर रहने की पर जब भी वो करीब आ जाता सुहानी को काबू रखना दिन बी दिन मुश्किल होते जा रहा था। अविनाश ने बहोत बढ़िया चाल चली थी...क्यू की अब सुहानी जब भी उसका सर दबाने के लिए जोर डालती अविनाश अपना सर पीछे ले जा के जोर से सुहानी की चूत पे दबा देता...सुहानी की हालत बहोत ख़राब हो चली थी...अब सुहानी भी अपनी गांड को थोडा सरका के अपनी चूत को अविनाश के सर के दबाने लगी थी...सुहानी फूली हुई मुलायम चूत के स्पर्श को पाकर अविनाश ने अपनी आँखे बंद कर ली थी...उसने फिरसे अपने हाथ अपने लंड पर रख लिए और थोडा थोडा उसे दबाने लगा।
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