RE: Indian Sex Story बदसूरत
सुहानी खाना खाने के बाद अपने रूम में आयी...आज उसके दिल को। बहोत सुकून मिल रहा था।
अब उसने वो बैग खोली जो वो सीधा अंदर लेके आयी थी। उसमे उसने एक से बढ़कर एक ब्रा पैंटी थे। वो एक एक करके उनको देलहने लगी। फिर पता नहीं उसे क्या सुझा...उसने अपने कपडे उतारे और एक एक ट्राय करने लगी। पहन के खुद को आईने में देखने लगी। सभी बहोत सेक्सी थे। उसकी जवानी को चार चाँद लगा रहे थे।
जब उसने g स्ट्रिंग वाली पैंटी पहन के खुद को आईने देखा तो हैरान रह गयी....क्यू की पीछे से उसके नंगी गांड और गांड के दरारों *में फंसी छोटी सी स्ट्रिंग एयर सामने से सिर्फ छोटी सी स्ट्रिप जो उसकी चूत को बड़ी मुश्किल से ढक पा रही थी। सुहानी ने धीरे से अपनी चूत को सहलाया...वो थोडा सा गीली हो चुकी थी।
अगर सुहानी को ऐसे कोई भी देख लेता तो उसका लंड वही पानी छोड़ देता।
फिर सुहानी ने एक ट्रांस्प्रंट ब्रा और पॅंटी पहनी....और खुद को देखने लगी....जाली वाली ब्रा में उसके बड़े बड़े बूब्स का आकार बहोत ही मोहक् लग रहा था...उसकी काले निप्पल क्खदे हो चुके थे...और गोल गोल चुचिया जैसे किसी फ़िल्म के हेरोइन की होती है बिलकुल वैसेही लग रही थी...निचे उसकी बिना बालो वाली सवाली सी चिकनी चूत और उस जाली में से दिखते। उसके चूत के पतले ओठ उफ्फ्फ्फ्फ़ और थोडा थोडा गिला होने ककए कारन बल्ब की रोशनी में किसी सितारे किबतरह चमक रही थी।
सुहानी:- क्या ऐसे मुझे ककोई देखेगा तो कंट्रोल कर पायेगा?
इसका जवाब बाहर की खिड़की से झांकता वो इंसान जरूर दे रहा था जो अपना लंड मसल रहा था। वो अविनाश था....जो सिगरेट पिने के लिए हमेशा पीछे की तरफ टहलते हुए सिगरेट पीते थे। आज भी वो वही करने आये थे मगर उन्होंने देखा की सुहानी के कमरे में कुछ हलचल हो रही है और खिड़की भी थोड़ी खुली हुई थी। तो वो कुतूहल में देखने लगे...सुहानी की पीठ खिड़की की तरफ होने से उसे तो दिखाई नहीं दे रहा था पर अविनाश सब कुछ देख रहा था।
जैसे ही उसने सुहानी को ब्रा पैंटी में खुद को आईने के सामने निहारते हुए देखा उन्होंने झट से कदम पीछे हटा लिए...और अपनी सिगरेट पिने लगे।
और कुछ देर उस और गए ही नहीं। लेकिन रह रह के उनकी आँखों के सामने वही नजारा आ रहा था। वो फिर से उस थोड़ी सी खुली खिदक्कि में से झाँकने लगे। अब सुहानी ने दूसरी ब्रा पैंटी पहनी हुई थी। उनके पाँव ववही जम गए...पिछेसे उसकी नंगी पतली कमर और पॅंटी में कसी हुई गांड देख के उनके लंड में हरकत होने लगी। और जब सुहानी ने ग स्ट्रिंग वाली ब्रा पॅंटी पहनी तो उसकी नंगी गांड और उसके दरार में घुसी हुई स्ट्रिंग को देख उनका हाथ अपने आप ही लंड पे चला गया। उनके सोचने समझने की शक्ति खत्म सी हो गयी थी। वो अपनी खुद की बेटी को ऐसे अधनंगी हालत में देख के लंड मसल रहे थे। सुहानी जब थोडा साइड हुई और अपनी चूत को सहला रही थी तब अविनाश की आँखे फटी की फटी रह गयी....उसकी चिकनी जांघे और सिर्फ चूत को कवर करती एक छोटीसी स्ट्रिप ....उफ्फ्फ्फ़ ये नजारा किसी को भी लंड मसलने के लिए मजबूर करने के लिए काफी था।
अविनाश की सिगरेट खत्म हो के उसे एकक चटका सा लगा...तब जाके वो होश में आया...
अविनाश:- अह्ह्ह ...ये में क्या कर रहा हु...अपनी बेटी को ऐसे देख के लंड मसल रहा हु...पागल हो गया हु मैं...शरम आणि चाहिए मुझे...वो खुद पे लानत भेज रहा था क्यू की वो बाप था....मगर उनके अंदर का मर्द सुहानी के सेक्सी बदन को देखने से खुद को रोक नहीं पा रहा था।
सुहानी थोडा साइड में जा के चेंज कर रही थी इसलिए वो उसे नंगा होते हुए नही देख पा रहे थे...अगले।पल सुहानी वो ट्रांस्प्रंट ब्रा पॅंटी पहन के खुद को आईने के सामने निहार रही थी। अविनाश का लंड अब पूरी तरह खड़ा हो चूका था...अविनाश ने देखा सुहानी के गोल गोल और बड़े बड़े। बूब्स के काले निप्पल कड़क हो चुके थे....उसकी नंगी भरी हुए गांड और वो पॅंटी में इस कदर कसी हुई थी की उनको जबरदस्ती उसमे ठूसा है...और जब सुहानी जब थोडा आगे पीछे हो रही थी तब उसे दोनों फाके आपस में घर्षण हो जाती ...ये देख के अविनाश फिर अपने होश खो चूका था। जालीदार पॅंटी में से सुहानी के चूत के पतले होठ देख के अविनाश के मुह में पानी आ गया....उसकी सावली चिकनी चूत को देख के अविनाश ने अपना लंड पपजमे के अंदर हाथ डाल के पकड़ लिया। थोड़ी देर सुहानी ऐसेही खुद को देखती रही....और फिर उसने कप पहन लिए और लाइट बंद कर दिया....अविनाश भी अब होश में आ चूका था वो भी पिछेसे ही अपने कमरे में दाखिल हो गया...उसने देखा नीता कोई किताब पढ़ रही थी...
नीता:-आज बहोत देर लगा दी...कुछ सोच रहे थे क्या?
अविनाश:- अ..वो..मैं...
नीता:- सुहानी के बारे में...
अविनाश:- अ..न..नहीं..
नीता:- देखिये..आज जो भी हुआ उसे दिल पे मत लीजिये...मैंने पहले भी कहा है आपसे वो थोडा उदास हो जाती है जब आप दोनों उससे थिक् से बात नहीं करते...उसे प्यार नहीं करते..
अविनाश हमेशा नीता की ऐसी बातो पे भड़क जाता था लेकिन आज वो कुछ और ही सोच रहा था।
अविनाश:-चलो सो जाओ..मुझे नींद आ रही है..
नीता ने लाइट ऑफ किया और सो गयी...अविनाश लेटे लेटे आँखे बंद करके कुछ सोच रहा था। लेकिन जब भी वो आँखे बंद करता उसके आँखों के सामने सुहानी का जिस्म तैरने लगता।
अविनाश:- उफ्फ्फ आज मैं ये क्या देख बैठा...मुझे ये सब नहीं देखना चाहिए था...और मैं कैसे लंड मसल रहा था...और ये साला लंड तो अभी भी खड़ा होने लगा है...लेकिन कुछ भी कहो सुहानी है बहोत सेक्सी...क्या चुचिया है स्स्स्स्स् और गांड तो एकदम पटाखा है....लेकिन वो ये सब क्यू खरीद के लायी है...कही उसका कोई बोयफ्रैंड तो नहीं बन गया?? और उसे रिझाने के लिए ये सब...नही नही..या हो भी सकता है...देखना पड़ेगा ...कहि ये अपनी इज्जत ना गवा बैठे...ककिसीसे चुदवा ना ले....
अविनाश को जलन सी हुई...लेकिन वो उसे केअर का कवर चढ़ा के खुद को तस्सली दे रहा था।
अविनाश:- मैं ये सब क्या सोच रहा हु?? बाप हु तो बेटी की चिंता रहेगी..लेकिन कल तक मुझे उसकी कोई चिंता क्यू नहीं थी...आज अचानक से....मैं ये सोच के ही क्यू जलन महसूस कर रहा हु की वो किसी और से चुदवा ने वाली है...ऐसा सेक्सी जिस्म चोद के तो कोई भी बाग़ बाग़ हो जाएगा...उसकी चिक्नी सावली चूत को चाट के पागल हो जाएगा....उसकी भरी हुई मांसल गांड पे लंड रगड़ने में कितना मजा आएगा...उसके काले गोल बड़े निप्पल को तो कोई भी घंटो तक चूसता रहेगा...उफ्फ्फ अह्ह्ह्ह और उसकी बड़ी बड़ी चुचियो को मुट्ठी में लेके दबाने को मिले तो जन्नत मिल जाए...ये..ये मुझे क्या हो रहा है...मैं ऐसे पागलो की तरह क्यू सोच रहा हु...वो तो मैं बस कल्पना कर रहा था...बस मैं ये सोच रहा था की वो जवान है उसे बस कोई धोका ना दे...
|