bahan sex kahani भैया का ख़याल मैं रखूँगी
02-02-2019, 01:21 AM,
RE: bahan sex kahani भैया का ख़याल मैं रखूँगी
वीरेंदर ने साइड पर पड़े रिब्बन्स उठाए और आशना के दोनो हाथ उसके सर के उपर करके एक साथ बाँध दिए. आशना के पैरों को पकड़ कर उसने दोनो को अलग अलग दिशा में बाँध दिया. आशना का दिल ज़ोरो से धड़क रहा था और वीरेंदर उसे सॉफ सुन सकता था. वीरेंदर ने अपने कपड़ों को उतारा और सिर्फ़ अंडरवेर में रह गया. आशना महसूस कर सकती थी वीरेंदर की हरकत को. उसकी योनि से अमृत छलकना जारी था जिस से जी-स्ट्रिंग का छोटा सा कपड़ा पूरा भीग चुका था. 

उस भीगे हुए कपड़े से आशना की योनि की आकृति सॉफ नज़र आ रही थी. आशना के बदन से मादकता झलक रही थी. वीरेंदर आशना के हुष्ण को देखकर अपने आप पर काबू पाने की असफल कोशिश कर रहा था. आशना का संगमरमरी बदन उसे अपनी ओर आकर्षित कर रहा था. उसका दिल चाह रहा था कि वो आशना पर झपट पड़े लेकिन वो अपने आप पर अभी तक सयम रखे हुए था. आशना उसके सामने बेबस बँधी पड़ी थी और सबसे बड़ी बात वो समर्पित भाव मे थी. 

वीरेंदर की इच्छा आशना के साथ वाइल्ड सेक्स करने की थी लेकिन वो आशना को इसका आभास नहीं होने देना चाहता था वहीं आशना के दिल की धड़कन बढ़ चुकी थी. उसे लग रहा था कि वीरेंदर कभी भी उसके जिस्म पर झपट सकता है. दोनो अपने ही विचारों के द्विंदयुद्ध मे खोए हुए थे. किसी की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं हो रही थी. 

वीरेंदर का लिंग आशना के साथ होने वाले वाइल्ड सेक्स को सोचकर अपने विकराल रूप मे आ चुका था और अंडरवेर के एलास्टिक को स्ट्रेच करके उपर की तरफ से बाहर निकला हुआ था. उसके लिंग मैं रह रह कर झटके लग रहे थे. वीरेंदर ने आगे झुक कर अपने बदन को आशना के कोमल जिस्म पर रखा तो दोनो सिहर उठे. नग्न जिस्म एक दूसरे से टकराए तो दिल मैं उमंगे-तरंगे बढ़ने लगी. 

वीरेंदर ने आशना के कान के निचले हिस्से को अपने मुँह मे लेकर उसे चूसना शुरू किया तो आशना सीत्कार उठी. यह सीत्कार दर्द से कहीं ज़्यादा लज़्ज़त की थी. वीरेंदर के हाथ आशना के जिस्म के हर हिस्से पर रैंग रहे थे. आशना के गले से रह रह कर मद भरी सिसकियाँ निकल रही थी. 

वीरेंदर ने आशना के कान में कहा: "गुड़िया देदे ना". 

आशना ने जब यह सुना तो उसे होश आया कि उसे तो वीरेंदर की हरकतों का विरोध करना है. जिस भावना को दिल में लिए वो बिस्तर तक आई थी, वीरेंदर के टच ने उस भावना को धूमिल करके उसे समर्पण भाव मे ला खड़ा किया था. अपनी अवस्था का ज्ञान होते ही उसने वीरेंदर के बदन को झटका दिया. वीरेंदर आशना मे आए इस बदलाव से हैरान रह गया. 

ठीक उसी वक्त वीरेंदर को भी अहसास हुआ कि आशना के मदमाते जिस्म को देख कर वो भी अपने दिल की हसरत भूल कर उसे पाने की चाहत मे डूब चुका था. अब दोनो ही अपने अपने जज़्बातों को दबाए एक दूसरे की हरकतों का विरोध करने के लिए तैयार थे. हालाँकि उनके जिस्म इसके खिलाफ थे मगर दिल अपनी हसरतों को पूरा करने के लिए मचल उठा था.


वीरेंदर ने एक बार फिर से आशना के कान मे कहा "दे दे ना". आशना ने अपने जज़्बातों पर काबू पाते हुए कहा "इतनी आसानी से मैं तुम्हारे हाथ नहीं आने वाली वीर, बहुत यतन करने पड़ेंगे मुझे हासिल करने के लिए" 

वीरेंदर: मेरे सामने बेबस बँधी पड़ी हो फिर भी मेरी हरकतों का विरोध कर रही हो. 

आशना- तुम्हारी आँखों मे जो अपने लिए भावना देख रही हूँ यह सब उसी का नतीजा है. छोड़ दो मुझे और अपने नापाक इरादों को अपने दिल मे ही रहने दो. 

वीरेंदर: इरादे तो आज पूरे करके रहूँगा, इसके लिए चाहे मुझे ज़बरदस्ती ही क्यूँ ना करनी पड़े. 

आशना(मासूमियत से): क्या आप अपनी गुड़िया के रेप करेंगे?

आशना ने जिस मासूमियत से वीरेंदर से यह सवाल किया उस से वीरेंदर के जोश मे इज़ाफ़ा हुआ और बोला: रेप ही क्यूँ ना करना पड़े लेकिन आज तुम्हारे इस स्वर्गिक बदन को भोगे बिना नहीं छोड़ूँगा. 

आशना: इतना आसान नहीं है मिस्टर. वीर. यह जो भी आप सोच रहे हो, कहने और करने मे बहुत फरक है. 

आज आशना, वीरेंदर को हद से ज़्यादा उत्तेजित करने के मोड़ मे थी. वीरेंदर पर आशना के इस वोरोध का असर सॉफ देखा जा सकता था. वीरेंदर ने आशना की पीठ पर हाथ ले जाकर उसकी ब्रा के हुक्स खोल दिए. ब्रा को आशना के बदन से आज़ाद करके वीरेंदर ने उसके उभारों पर होंठ रख दिए. आशना सिहर उठी लेकिन उसके विरोध करने की शक्ति ख़तम ना हुई. 

इस खेल मे उसे भी काफ़ी मज़ा आ रहा था.आशना ने बलपूर्वक अपने वक्षों से वीरेंदर के होंठ हटा दिए. हालाँकि आशना के हाथ पैर बँधे थे मगर फिर भी उसका विरोध देखने लायक था. वीरेंदर ने जलती हुई आँखों से उसे देखा. उसकी आँखों मे आक्रोश भरा था जैसे उस से उसका बेहतरीन खिलोना छीन लिया गया हो. आशना वीरेंदर की आँखों मे उठे जवालामुखी को देख कर सिहर उठी थी. उसे मालूम था वीरेंदर को वो जितना तडपाएगी वो उसे उतना ही बेदर्दी से भोगने वाला है. 

आज आशना ने सभी हदों को पार कर लेने की ठान ली थी. 
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