bahan sex kahani भैया का ख़याल मैं रखूँगी
02-02-2019, 12:59 AM,
RE: bahan sex kahani भैया का ख़याल मैं रखूँगी
आशना के जिस्म पर बचा एकमात्र कपड़ा भी अपनी पकड़ खो चुका था. इस एहसास ने दोनो प्रेमियों के दिल-ओ-दिमाग़ पर लगी संसारिक दुविधाओं को भी पलक झपक कर हवा में उड़ा दिया. वीरेंदर ने पैंटी के एक सिरे को पकड़ा तो आशना ने अपने नितंब हवा मे उठाकर इस बंधन का भी वही हश्र करने की मौन स्वीकृति दी जैसा कि बाकी बांधनो का हुआ था. कुछ ही क्षणों में आशना के अमृत से लथपथ पैंटी हवा में झूलती हुई बाकी के बांधनो के बीचे गिरी पड़ी गर्व से प्रेमी युगल को निहार रही थी. 

पहली बार किसी की आँखो के सामने पूर्ण रूप से नग्न होने का भी एक अलग ही एहसास होता है. चेहरे पर शरम के भाव आ जाते हैं और दिल चीख चीख कर कहता है "डरो मत, आगे बढ़ो". इस एहसास में हर शख़्श अपने साथी के चेहरे के हाव भाव ज़रूर निहारता है और हमेशा हमेशा के लिए उन्हे अपनी रो में उतार लेता है. यह एहसास वो मरते दम तक नहीं भूल पाता. इस पहले एहसास से हो तो लाख अंधेरे में भी अपने साथी के चेहरे पर आए नूर को महसूस किया जा सकता है.


वीरेंदर ने अपने आप को आशना के जिस्म से थोड़ा नीचे सरकाया और अपने होंठ आशना के दूध से भरे कलश पर रख दिए. आशना ने अपनी आँखो के साथ साथ अपनी जांघे भी कस कर बंद कर रखी थी. वीरेंदर ने अपनी टाँगों खोल कर आशना के जिस्म पर अपने लिए जगह बना रखी थी. इस अवस्था में वीरेंदर के लिंग का निचला भाग सीधा आशना की योनि के कटाव के उपर आ चुका था. आशना वीरेंदर के लिंग की दस्तक महसूस कर रही थी. 

लिंग की अकड़ से वो महसूस कर सकती थी कि वो काफ़ी परेशानी में है और किसी भी कीमत पर आज नहीं झुकेगा.आशना को अपनी योनि के ठीक पास लिंग का एहसास सपनो की दुनिया मे ले जाने को व्याकुल हो रहा था लेकिन आशना बार बार अपने सपनो को परे करते हुए हक़ीकत का लुफ्त लेने को व्याकुल हो रही थी. 

सच ही तो था आज की रात सपनो की रात नहीं बल्कि उन्हे पूरा करने की रात थी और हर लड़की होश संभालते ही इस रात की तमन्ना में जाने कितना वक्त बिता देती है. हर रोज़ एक नये सिरे से एक नया ख्वाब बुनती है और फिर अगले दिन उसी ख्वाब मे थोड़ी तमन्ना और थोड़ा रोमांच और जोड़ कर उसे फिर से एक नये सिरे से शुरू करती है.

आज उन सारे अरमानों को सच करने की रात थी. आशना अपने ख़यालों से बाहर निकली जब वीरेंदर ने उसके निपल पर हल्के से दाँत गढ़ा दिए. 

आशना: सस्स्स्सिईईईईईई, आआआः वीर, पागल कर दिया है आपने मुझे. 

वीरेंदर: पागल तो मैं हो गया हूँ आशना. तुम्हारा जिस्म जैसे अपने आप में चाँदनी का नूर लपेटे हुए मेरे दिल को ठंढक दे रहा है और इस ठंढक मे इतनी तपिश है कि तुम्हारे अंदर समा जाने की कामना पल पल प्रबल होती जा रही है. तुम्हारा एक एक अंग नायाब है. मेरी कल्पना से परे मेरी किस्मत से बढ़कर हो तुम. 

आशना मचलने के सिवा और कुछ ना कर पा रही थी. मन ही मन में वीरेंदर के मुँह से पानी तारीफ सुनकर उसकी कसमसाहट और बेकरारी बढ़ती चली जा रही थी. आशना उस कगार पर पहुँच चुकी थी जिस कगार पर जाने कितनी महबूबाओ ने अपने महबूब को बिना किसी विरोध के अपने आप को समर्पित कर दिया. 

आशना ने वीरेंदर के बालों में उंगलियाँ फसा कर सहलाना शुरू कर दिया. वीरेंदर थोड़ा सा और नीचे सरका और अपने होंठ आशना की नाभि पर रख दिए. आशना की पतली कमर और बलखाने लगी और आशना ने अपने बचाव में अपनी साँस रोक कर अपनी नाभि को नीचे की तरफ दबा दिया. ऐसा करने से आशना के उभार और भी उन्नत रूप इख्तियार कर गये.

वीरेंदर ने अपने हाथ आशना के उन्नत उभारों पर रख कर उन्हे धीरे धीरे सहलाना शुरू कर दिया. सहवास की आग में तड़प रही "गुड़िया" को यह कोमल एहसास मंज़ूर नही हुआ और उसने अपने हाथ वीरेंदर के हाथों पर कस कर उसे अपने दुग्ध कलशो के मर्दन का आग्रह किया. 

एक सच्चे प्रेमी की तरह वीरेंदर ने आशना के आग्रह को स्वीकार किया और अपनी गिरफ़्त उन वक्षों पर बढ़ा दी. आशना के हाथ हवा मे उठे और एक दम अपनी कमर के पास गिर कर बेड शीट पर कस गये. 

वीरेंदर लगातार अपनी जीभ को आशना की नाभि में चलाए जा रहा था. वीरेंदर के हाथों और जीभ के जादू से आशना की कमर एक बार फिर से धीरे धीरे गतिमान होने लगी. जैसे ही वीरेंदर को आशना के जिस्म में आने वाले तूफान का आभास हुआ वीरेंदर ने अपनी कोहनियों के बल होकर अपने हाथ आशना के हवा में उठ रहे नितंबो के नीचे रख दिए और अपने होंठो को ज़ोर से भींची हुई मखमली जाँघो के जोड़ पर रख दिया. 

आशना की कमर ऐसे चलने लगी जैसे उसमे कोई स्वचालित मोटर लगी हुई हो. वीरेंदर के अगले कदम का एहसास होते ही आशना ने वीरेंदर के चेहरे पर अपने हाथ रख दिए और वीरेंदर को अपने उपर खींचने का असफल प्रयास करने लगी. 

वीरेंदर: मत रोको मुझे गुड़िया, आज जी भर कर प्यार करने दो. 

आशना:आआहह, वीररर नहिन्न्ननणणन्, प्लीआसस्सीईई. 

वीरेंदर ने अपने होंठो को और कस कर दबा दिया और अपनी जीभ निकाल कर जाँघो के जोड़ से भिड़ा दिया. 
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