bahan sex kahani भैया का ख़याल मैं रखूँगी
02-01-2019, 04:35 PM,
#17
RE: bahan sex kahani भैया का ख़याल मैं रखूँगी
बिहारी तो पहले, पूरा दिन भर सर्वेंट क्वॉर्टर्स मे ही रहता. कभी किसी नोकरानी को तो कभी किसी नोकरानी को अपने कमरे मे बुलाकर बहाल कर रहा होता. वो घर मे सर्वेंट्स का हेड था तो कभी किसी की हिम्मत नहीं हुई उसकी शिकायत करने की. एक बार एक नोकरानी ने शिकायत करके उसे घर से निकालने की कोशिश भी की पर बिहारी ने उसके पति को पैसे देके उसी नोकरानी को बदचलन साबित करके घर से धक्के देके निकलवा दिया था. बाद मे पता लगा कि उसके पति ने भी उसे तलाक़ दे दिया था. इस डर से कोई भी उसके खिलाफ नहीं बोलता. सारे नोकरो के जाने के बाद बिहारी तो जैसे भूखे शेर की तरह हो गया था. वो रोज़ रात को अपना पानी निकाल कर सो जाता पर इस से उसकी आग और भड़क रही थी. लेकिन जल्द ही उसकी ज़िंदगी मे एक ऐसी औरत आई जो अपनी नज़र शर्मा परिवार की जायदाद पर रखती थी. एक बार वो हवेली मे आई तो बिहारी से उसकी मुलाकात हुई. उस औरत ने जल्द ही बिहारी की आँखों मे हवस देख ली और उसे फसा लिया. 

बस यहाँ से शुरू हुआ उनका वीरेंदर की जायदाद को हथियाने का एक चक्रव्यूह. वो औरत भी बिहारी जैसा दमदार मर्द पाकर खुश थी. दोनो अक्सर घर पर मिलने लगे जब वीरेंदर ऑफीस होता और धीरे धीरे उन्होने वीरेंदर की जायदाद हड़पने के प्लान पर अमल करना शुरू कर दिया. लेकिन आशना के यूँ अचानक आ जाने से उन्हे अपना प्लान असफल होता नज़र आ रहा था क्यूंकी वीरेंदर की वसीयत के मुताभिक अगर आशना घर वापिस लौट आती है तो 50% शेर उसका होगा और अगर वो लौट के ना आए तो सारा शेयर वीरेंदर की वाइफ और बच्चों को जाएगा (यह वसीयत वीरेंदर ने अपने परिवार की मौत के तुरंत बाद बनवा ली थी और तब तक उसे यही लगता था कि रूपाली उससे शादी करेगी). वसीयत मे एक यह क्लॉज़ भी था कि अगर किसी कारण वीरेंदर की मौत आशना के लौटने से पहले या वीरेंदर की शादी होने से पहले हो जाती है तो सारी ज़ायदाद एक ट्रस्ट को सौंप दी जाएगी. 

आशना के आ जाने से बिहारी और उस औरत की एक मुश्किल बढ़ गई थी और एक आसानी भी हो गई थी. मुश्किल यह थी कि अगर आशना वीरेंदर के सामने उसकी बेहन बनकर जाएगी तो 50% शेयर उसका हो जाएगा और तब उनका सारी जायदाद पर हाथ सॉफ करने का सपना अधूरा रह जाएगा पर आसानी यह हो गई कि आशना वीरेंदर के सामने उसकी बेहन बनकर नहीं जाना चाहती थी (जी हां, ठीक सोचा अपने, बिहारी जानता है कि आशना वीरेंदर की बेहन है. वो यह सब कैसे जानता है उसके लिए पढ़ते रहिए), जिस कारण उनके दिमाग़ में एक नया प्लान बना. वीरेंदर जैसे चालाक और समझदार आदमी को तो अपने बस मे करना उनके लिए नामुमकिन था पर आशना को इस झूठ के ज़रिए वो ब्लॅकमेल कर सकते थे. तो उन दोनो ने प्लान किया कि किसी तरह आशना वीरेंदर की सेक्षुयल नीड्स को पूरा करे या वो ऐसे हालत पैदा करें कि आशना मजबूर हो जाए अपने भैया का बिस्तर गरम करने के लिए तो फिर वो वीरेंदर का काम तमाम करके आशना को वीरेंदर की बीवी साबित करके उससे वसीयत बदलवा सकते हैं. इससे दो फ़ायदे होंगे, एक तो यह कि आशना कभी अपना मूह नहीं खोल पाएगी और दूसरा यह कि अगर आशना ना होती तो उन्हे किसी और लड़की की मदद लेनी पड़ती जो कि ख़तरनाक भी साबित हो सकता था.

तो यह था उनका नया प्लान, जो उन्होने आशना के आने के बाद बनाया, उनका पहले का प्लान भी काफ़ी ख़तरनाक और दमदार था. वीरेंदर के खाने में वो कभी कभी कुछ अफ़रोडियासिक का एक मिश्रण मिला दिया करते थे जिससे वीरेंदर की सेक्स करने की इच्छा भड़क उठे और वो फ्रस्टेट होके किसी भी औरत या लड़की को अपना शिकार बना डाले. इस से यह होता कि सेक्षुयल असॉल्ट के जुर्म में वीरेंदर जैल जाता और यह दोनो पीछे से सारा माल सॉफ कर जाते मगर इस में किस्मत उनका साथ नहीं दे रही थी क्यूंकी वीरेंदर ऑफीस से घर और घर से ऑफीस बस इन्ही दो जगह जाता था और दोनो ही जगह कोई भी लड़की काम नहीं करती थी. बिहारी ने कई बार वीरेंदर को किसी औरत या लड़की को नौकरानी रखने के लिया मनाना चाहा पर वीरेंदर ने हर बार मना कर दिया. वीरेंदर अपनी सेक्षुयल ज़रूरतें खुद भी पूरी करने में असमर्थ था, शुरू शुरू में एक बार उसने काफ़ी एग्ज़ाइटेड होकर अपने लिंग को हाथो से ठंडा करने की कोशिश भी की पर उसके लिंग की सील बरकरार होने से यह उसके लिए काफ़ी कष्टदायक रहा. उसके बाद तो वीरेंदर ने तोबा कर ली थी. जिस भी दिन बिहारी काका को उस दवाई की डोज दे देते, वो काफ़ी उत्तेजित रहता और यही वजह है कि कई बार उसे दोपहर का खाना खाते खाते एकदम बैचनी होने लगती और वो अपने कपड़े उतार फैंकता. बिहारी काका अक्सर उसे 10-15 दिन बाद एक डोज दोपहर के खाने में दे देते जब भी कभी वीरेंदर घर पर लंच करता. उन्होने दोपहर का ही वक्त इसलिए चुना था कि जब डेढ़ दो घंटे बाद इसका असर बिल्कुल ज़्यादा हो तो उस वक्त वीरेंदर के बाहर जाकर कोई ग़लती करने के चान्सस ज़्यादा रहते पर वीरेंदर पर तो रूपाली का धोखा इस कदर हावी हो चुका था के वो घंटो अपने कमरे में ही खोया खोया बैठा रहता और अपनी उत्तेजना को दबाने की कोशिश करता रहता.इसी फ्रस्टेशन के चलते ही कुछ दिन पहले उसे एक माइनर सा अटॅक आया था जिस कारण वो हॉस्पिटल पहुँचा. दवाइयों के सहारे कुछ दिन तक तो उसे ठीक रखा जा सकता था पर अब यह सिचुयेशन उसके लिए काफ़ी ख़तरनाक साबित हो रही थी. बिहारी जानता था अगर इससे पहले कुछ ना किया तो वीरेंदर की वसीयत के मुताबिक उसका सारा पैसा एक ट्रस्ट में चला जाएगा जिसे वो हरगिज़ मंजूर नहीं करता. उसी चाल के सिलसिले में उसने आशना को उसने अपने कमरे में बात करने के लिए बुलाया था.

आशना को वीरेंदर के कमरे से अपने कमरे मे आए हुए एक घंटे के करीब हो गया था. बिहारी सोच रहा था कि अब तक आशना ने खाना खा लिया होगा. बिहारी अपने कमरे के दरवाज़े पर खड़ा होकर उपर की तरफ ही देख रहा था कि उसे आशना के रूम का दरवाज़ा खुलने का आभास हुआ, वो फॉरन अपने कमरे में घुस गया और दरवाज़ा धीरे से बंद कर दिया. करीब पाँच मिनिट तक वेट करने के बाद भी जब आशना उसके रूम मे नहीं आई तो उसे हैरानी और परेशानी दोनो होने लगी. अब तो बिहारी को डर भी लगने लगा था क्यूंकी 11 बजने वाले थे और करीब 12 बजे उस औरत ने भी आना था.

बिहारी अजीब की कशमकश में था कि उसका दरवाज़ा धीरे से नॉक हुआ. बिहारी एक दम अपनी जगह से उठा और दरवाज़ा खोल दिया जो कि पहले से ही थोड़ा खुला था. 

बिहारी: नॉक करके क्यूँ शर्मिंदा करती हो बिटिया यह तुम्हारा ही कमरा, मेरा मतलब घर है जब चाहे किसी भी कमरे में आ- जा सकती हो. आशना को झटका लगा जब बिहारी ने उसे कहा कि यह उसका ही घर है. बिहारी को भी अपनी ग़लती का एहसास हो चुका था. उसने जल्दी से बात बदलते हुए कहा कि कुछ दिनो तक जब तक मालिक ठीक नहीं हो जाते तब तक तो तुम यहीं पर रुकेगी तो तब तक यह घर उसी का हुआ ना. बिहारी ने बड़ी चालाकी से अपनी बात पलट दी थी.


अंदर आते ही आशना की नज़र बिहारी के कमरे पर पड़ी, बड़ा ही सॉफ सुथरा और घर के बाकी कमरो की तरह काफ़ी आकर्षक कमरा था. सुख-सुविधाओ से सुसज्जित कमरे मे हर एक वस्तु मौजूद थी. हर एक चीज़ जो इंसान की ज़रूरत होती है वो सब उस कमरे मे मौजूद थी जो कि बिहारी का रुतबा इस घर मे बयान कर रही थी. आशना हैरान थी कि एक नौकर का कमरा भी इतना सुंदर हो सकता है. खैर वीरेंदर को इसका होश ही कहाँ था कि घर मे क्या हो रहा है, उसे तो बस काम और सिर्फ़ काम से मतलब था. 
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