RE: Desi Sex Kahani अनदेखे जीवन का सफ़र
ये भी अभी इतना ही बोला था कि ..बिस्वा उसके फेस पर पंच मारता है ऑर वो लड़का दूर जा गिरता है....
ये देख सभी गुंडे मारने के लिए दौड़ते है..
ये देख आशीष.तेज़ी से उन गुन्डो पर टूट पड़ता है 3 मिनिट के अंदर सभी लड़के ज़मीन चाट रहे थे...
ये देख नेहा आशीष से बहुत इंप्रेस होती है....नेहा आशीष को पहले दिन से ही पसंद करने लगी थी पर उसने कभी जाहिर नही होने दिया था ..
सभी लड़किया अंदर बैठी डरी हुई थी..
तभी वो लड़का चुपके से आशीष पर हमला करने ही वाला था कि वीर उसे पकड़ लेता है..ऑर उस पर थप्पड़ो की बरसात कर देता है .
कभी बिस्वा मारता कभी आशीष ऑर कभी वीर...
हर एक थप्पड़ मे उस बस को अपनी नानी याद आराही थी , उसको दिन मे तारे नज़र आने लगे थे..
वीर... पीछे से वार करता है और ज़ोर से एक थप्पड़ मारता है जिससे बस ज़मीन पे गिर जाता है ... तभी वहाँ पोलीस भी आ जाती है..
ढाबे का मालिक भाग कर आता है और पोलिसेवाले को सारी कहानी बता देता है ..
ढाबा मलिक--.साहब ले जाइए इन गुन्डो को..
इनस्पेक्टर..वीर से..आप कौन है..??
वीर - मैं धनवीर सिंग हूँ .. सिंग कंपनी का मालिक..
लेजाइए इन गुणडो को आज के बाद ये जैल से बाहर नही आने चाहिए..
इनस्पेक्टर..आप को कौन नही जानता सर..आप बेफिकर रहिए .ये कभी बाहर नही आ पाएगा..
फिर पोलीस उस बस और सारे गुन्डो को अरेस्ट करके ले जाती है....
सब लड़किया भाग कर वीर के गले लग जाती है ऑर परी बिस्वा के.....
आशीष..( मुँह फुलाते हुए )साला मैने फालतू मे फाइट की मुझे कोई गले नही लगा.
आशीष का इतना बोलना था कि सब हंस पड़ते है..सब लड़कियाँ अपनी बाहें फैला देती है..जिस से आशीष भाग कर आता है..ऑर सब उसे हग कर लेते है..
बिस्वा....भाई वैसे अपने आशीष ने.क्या काम किया आज .फाइट देखने मे मज़ा आ गया..
वीर...ऑर नही तो क्या..सुपर्ब..अब तो इसके लिए भी कोई छोरी ढूँढनी पड़ेगी..
वीर का इतना बोलना था कि तभी ,
नेहा....मैं हूँ ना लड़की ढूँढने की क्या ज़रूरत है..
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