RE: Desi Sex Kahani अनदेखे जीवन का सफ़र
फिर वीर घर आ जाता है
और घर आ कर जो देखता है उसे देख हैरान हो जाता है...
वीर घर आ कर देखता है कि प्रीत मां के साथ बैठी थी..ऑर माँ उसे डायमंड का हार पहना रही थी..
वीर को देख ..
माँ .आ मेरा बच्चा..
सब की नज़र वीर पर जाती है ऑर प्रीत वीर की तरफ देख शर्मा जाती है..
वीर..माँ ये क्या..
माँ..ये मैं अपनी बहू को मुँह दिखाई का तोहफा दे रही हूँ...मुझे तो बहुत प्यारी लगी मेरी बच्ची..
वीर तो जैसे शॉक मे था कि इतनी जल्दी ये सब क्या....हो रहा है..पर जो भी हो सही है..
संजू....वीर कहाँ रह गया था...इतना लेट क्यू आए हो..
वीर...कुछ नही जान टाइम लग गया..काम ही ऐसा था....
उधर...बिस्वा..वीर को बाहर बुलाता है..
वीर .बिस्वा बोल..भाई कल मॉर्निंग हमे जिन्न लोक जाना है सब तैयारी हो चुकी है
..ऑर हाँ आओ चाहे तो संजू ऑर प्रीत को साथ लेजा सकते है
अब तो ये सिरफ़ ऑर सिरफ़ तुम्हारी है....
वीर..ठीक है.कल जाने की तैयारी करो
फिर वीर वहाँ से अपने रूम मे आ जाता है...
वीर...मुझे तुम दोनो से कुछ बात करनी है..
संजू..हाँ करो जान क्या हुया..
वीर..मैने कहा था ना मैं एक बात बताउन्गा सही टाइम आने पर ऑर वो सही टाइम आज है.
बात ये है कि मैं कोई आम इंसान नही हूँ....
प्रीत..मैं समझी नही...
फिर वीर..शुरू से अंत तक सब सच बता देता है...जिसे सुन दोनो गर्ल्स ऑर वीर के खुद के भी आँसू आ जाते हैं ..
संजू ऑर प्रीत का दिल तड़प उठता है कि वीर ने कितने दुख देखे है अपनी लाइफ मे..
संजू...चलो जो होना था हो गया..खुशी तो इस बात की है..मेरी जान अब हमारे पास है..
ऑर हमारी जान बादशाह है..
प्रीत ..कब जाना है हमे वहाँ..
वीर...हम तीनो को कल सुबह जाना है...ऑर न प्लज़्ज़्ज़ उन्हे देख डरना मत.....
वीर...प्रीत तुम घर फ़ोन करदो कि मैं अपने डस्ट वीर के साथ घूमने जा रही हूँ..
प्रीत...तो क्या घरवाले मुझे जाने देंगे..
वीर..तुम करो तो सही..
फिर प्रीत अपने डॅड को फ़ोन करती है ऑर जाने के लिए कहती है...जिस से उसके डॅड फ़ौरन हाँ कर देते है.
जिसे सुन प्रीत को भी हैरानी होती है..
प्रीत ..तुमने कुछ किया क्या..
वीर....उन्हे गोदाम से लेकर प्रीत के घर तक सब बता देता है.
वीर...सॉरी प्रीत मैने डॅड को धमकाया ..मेरे पास कोई चारा नही था..
प्रीत....डोंट भी जान..अगर कोई ऑर होता तो उनको जानं से मार देता तुमने तो सिरफ़ धमकाया है...
एनीवे ..कुछ पकिंग करनी है.
वीर....नही वहाँ सब मिलजाएगा...डोंट वरी..
प्रीत...ठीक है चलो फिर ठीक है...
वीर...वैसे संजू हमारे रिश्तेदार कहाँ है.हमे मिलने क्यूँ नही आए कोई भी..
संजू...भाई सब रिश्तेदार मतलबी हैं किसी ने भी हमारी हेल्प नही की ..
पिता जी ने आपको ढूँढने के लिए सब पैसे लगा दिए..फिर किसीने हेल्प नही की
...
वीर..ओह्ह.ये बात है..एक बात बता..हमारे रिश्ते दारों के यहाँ लड़किया है.क्या...
संजू..जान से मार दूँगी तुम्हे अगर किसी ऑर की तरफ आख भी उठा के देखा तो..
प्रीत..हम से बुरा कोई नही होगा..तुम सिरफ़ हमारे हो सिर्फ़ हमारे..
वीर..मेरी जान क्यू परेशान हो रही हो..मैं तो उन्हे मज़ा चखाना चाहता हूँ.
हम कल जाने से पहले एक पार्टी रखेगे...एक दूसरे को मिलने की खुशी मे..
संजू...हाँ समझ गयी....लेकिन एक बात याद रखना तुम सिरफ़ हमारे हो..
वीर...सिरफ़ तुम्हारा ही हूँ दी..प्रीत का..बस उन्हे तो सबक सिखाना है.सज़ा देनी है जो उन्हो ने किया मेरी फॅमिली के साथ
तभी वीर बिस्वा को बुलाता है..
ओर बिस्वा एक दम से सामने आ जाता है..ये देख दोनो लड़किया शॉक ही जाती है..
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