RE: Desi Sex Kahani अनदेखे जीवन का सफ़र
अजय तो बुत्त बना बस देखे जा रहा था *.
ऑर प्रीत ..वीर को देख उसमेहि खो गयी उसको ऑर कुछ नज़र ही नही आरहा था
वीर वहाँ से चल कर अजय के पास आता है
वीर...देखली मेरी औकात ..मेरे सामने तुम्हारे पिता सेठ धनराज चन्द कुछ भी नही *समझा....
ऑर हाँ अब पंगा लेना हो तो अपनी औकात के हिसाब से लेना..
वरना तेरी औकात दिखा दूँगा तुझे
..
पूछ लेना अपने पिता से सिंग कंपनी'स का मालिक धनवीर सिंग कौन है.....समझा...
वीर संजू का हाथ पकड़ वहाँ से कॅंटीन मे आ जाता है..
जिसे देख सभी लड़कियों की चूत गीली होने लगती है..
तभी इनके पास *प्रीत आती है..
प्रीत..हाई आइ अम प्रीत..प्रीत की आँखेमे वीर ले लिए चाहत झलक रही थी
वीर...हाई आम वीर..
प्रीत...प्लज़्ज़्ज़ मुझे माफ़ कर दीजिए उस दिन के लिए वो सब मैने अपने बाई के कहने पर किया...न्ड जिस दिन इन्हो ने आपको मारने की कोशिस की है ..उस कान्ड मे मैं इनके साथ नही थी...
वीर .मुझे पता है...डोंट वरी...
प्रीत.सो फ्रेंड्स.
वीर...हाँ क्यू नही..फ्रेंड्स ऑर वीर उस से हाथ मिला लेता है..
वीर के स्पर्श से ही दिल मे घंटिया बज जाती है
फिर प्रीत संजू की तरफ हाथ करती है..
पर हाथ नही मिलाती जिसे देख वीर उसे समझाता है.ऐसे मे संजू भी हाथ मिला लेती है...
प्रीत...पर आप पहले क्यूँ नॉर्मेल रह रहे थे...
वीर..वो इसीलिए मुझे अपनी नॉर्मले लाइफ भी जीना था पर तेरा भाई बहुत औकात औकात कर रहा था तो दिखा दी उसे औकात..
देख प्रीत..मुझे पता है तू दिल की सॉफ है...पर अपने भाई को समझा देना मेरे से पंगा ना ले .वरना बहुत पछताएगा..
जानता हूँ तेरे डॅड के अंडरवर्ल्ड्स के साथ ताल्लुक है...
पर मैं उन सब से नही डरता...समझा देना अपने भाई को..
प्रीत ..कोई बात नही मैं समझा दूँगी *..तो ठीक है मैं चलती हूँ..
वीर : रूको तो सही अभी तो मिले है कहाँ चली
वीर की बात सुन प्रीत बैठ जाती है
उधर अजय...
अजय....राहुल इसका कोई तो जुगाड़ करना होगा *साला मेरी बेहन भी उसकी तरफ अट्रॅक्ट हो रही है...
राहुल..क्यू चिंता करता है..क्यू ना इसे *विक्रम बाई को बोल मरवा दें..
अजय...हाँ.ये सही रहेगा...बहुत पवरफुल कहता है ना..अब देख हम इसका क्या करते है...
इधर...
संजू...प्रीत तुम इतनी अच्छी हो फिर क्यूँ अजय का बुरे कामो मे साथ देती हो..
प्रीत..दी बात ये है कि....मैं आपको दी बुलाऊ क्या..
संजू..ह्म..
प्रीत...दी मैं सिरफ़ मस्ती करती हूँ.
वो भी जिस दिन वीर आया था उसी दिन उनके साथ खड़ी थी वहाँ..अदरवाइज़.मैं कभी भी ऐसे घटिया काम मे किसी का साथ नही देती..
उस दिन मैने वीर को बोल तो दिया कि मैं हम तेरे से दोस्ती नही करेगे..पर
घर जा कर मुझे बहुत अफ़सोस हुआ..कि मुझे ऐसा नही करना चाहिए था ..
वीर....इट्स ओके प्रीत..
संजू...वीर चलो ना *कहीं घूम के आते है *
तभी वहाँ बिस्वा ऑर आशीष.आते है...
दोनो आकर सब से मिलते है..
वीर..कहाँ थे बे दोनो..सुबह से गायब हो..
बिस्वा..भाई वो ऑफीस मे थे..थोड़ा काम कर रहे थे *
वीर .चल ठीक है .चलो घूमने चलते है...
फिर सभी निकलते है पार्किंग की ओर.
वीर...आशीष..तुम मेरी कार ले जाओ मैं तुम्हारी कार ले जाउन्गा .हम तीन है..
फिर वीर अपनी लॅमबर्गीनी अवेंटडॉर
आशीष को देता है ऑर उस से हमर ले लेता है.......
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