RE: Hindi Sex Kahaniya पहली फुहार
रतजगा आगे --
बाहर बारिश बहुत तेज हो गयी थी।
रात खत्म होने के कगार पे साढ़े तीन चार होने वाला था।
और तबतक एक 'लड़का ' आया , दुल्हन की तलाश में , और सब लोग अपनी अपनी हरकतें छोड़ के चुप चाप बैठ गए।
हाइट करीब मेरी ही रही होगी , गोरा रंग , तीखे नाक नक्श ,बड़ी बड़ी आँखे , भरे भरे गाल और पेंट शर्ट ,कोट पहने एक टोपी लगाए।
मैंने पहचाना नहीं , लेकिन टोपी भी उसकी लम्बे बाल जो मोड़ के खोंसे थे , मुश्किल से छुपा पा रही थी।
थी तो कोई गाँव की लड़की , लेकिन एकदम लड़का। यहाँ तक की मूंछे भी जबरदस्त और बार वो अपने मूंछो पे हाथ ,
चंदा और पूरबी भी उसे गौर से देख रही थीं , पहचानने की कोशिश कर रही थीं , तब तक वो कजरी के पास जा के बैठ 'गया ' और उसके साथ उसकी भाभी भी थीं।
" अरे ये लड़का शहर से आया , सरकारी नौकरी है, ऊपर क आमदनी भी , लड़की देखे के लिए , … " भाभी उसकी बोल रही थीं लेकिन बसंती ने बात काटी।
दुल्हन की तलाश
" अरे ये लड़का शहर से आया , सरकारी नौकरी है, ऊपर क आमदनी भी , लड़की देखे के लिए , … " भाभी उसकी बोल रही थीं लेकिन बसंती ने बात काटी।
" अरे ऊपर क ना , नीचे क बात बतावा , औजार केतना बड़ा हौ , खड़ा वडा होला की ना , कतो गंडुआ तो ना हौ। " वो लड़की वाले की ओर से हो गयी थी।
" अरे ठीक ९ महीना में सोहर होई। पक्का गारंटी। रात भर चूड़ी चुरुरमुरुर होई। " 'लड़के ' की भाभी ने बात सम्हालने की कोशिश की।
लेकिन लड़के ने कजरी को रिजेक्ट कर दिया।
उसकी आँखे गाँव की भौजाइयों , चाचियों ,मौसियों , बुआओ के बीच खिखिलाती , शोर मचाती दर्जनो लड़कियों के बीच कुछ तलाश कर रही थी।
इसी बीच , भाभियाँ भी , कोई उसे चिढ़ा रहां था , कोई अपनी किसी ननद का नाम सजेस्ट कर रहा था ,
पर वह सीधे मेरी भाभी के पास ,
इसी बीच चंदा और पूरबी जो मेरे साथ बैठी थीं , दोनों ने झट पहचान लिया , " अरे ई तो मंजुआ हो। एकदमै ,…
पता ये चला की वो जो भाभी उसके साथ थीं , शीला भाभी वो उनकी ममेरी बहन थी , और अपने को एकदम उस्ताद समझती थी , और चंदा और उसकी सहेलियों से उसकी ज्यादा नहीं पटती थी।
बात कई थी , वो पास के एक छोटे से शहर की थी , लेकिन गाँव की लड़कियों , लड़कों को एकदम गंवार समझती थी। 'ऐसे वैसे 'मजाक का एकदम से बुरा मानती तो थी , पलट के बोल देती थीं मुझे ऐसी गँवारू बातें पसंद नहीं। पिछली बार जब वो आई एक दो लड़कों ने ( जिसमें सुनील भी शामिल था ) थोड़ा लाइन मारने की कोशिश की , तो बस एकदम से अल्फफ , और दस बातें सुना दी , गंवार ,तमीज नहीं और भी ,…
लेकिन कुछ उसमें ख़ास बात थी भी , जिससे लड़कों का मन डोलता था ,और वो था उसका गदराया जोबन।
इस उम्र में भी खूब बड़ा बड़ा , उभरा ,मस्त एकदम जानमारु। और ऐसे टाइट कपडे पहन के चलती थी की , उभार कटाव सब पता चले. और साथ ही उसके चूतड़ , वो भी चूंचियो की तरह डबल साइज के। रंग तो एकदम गोरा था ही।
पर जिस दिन से उसने सुनील को उल्टा सीधा बोला , उस दिन से चंदा और बाकी सभी गाँव की लडकियां एकदम जली भुनी। ये सब बातें पिछले साल जाड़े की थी , जब वो यहाँ आई थी।
जब तक उसने भाभी से बात करना शुरू किया , चंदा और पूरबी ने मुझे अच्छी तरह हाल खुलासा समझा दिया।
और अब तो मैं भी उनके गोल की थी , और सुनील अजय तो अब मेरे भी,… भाभी भी 'उसके' पीछे पड़ी थीं ,
" कैसी लड़की चाहिए , देखने में , बाकी चीजों में , … "
" मुझे असल में ,एकदम शहर की , शहरी लड़की चाहिए , जो फैशनबल हो जींस स्कर्ट पहनती हो ,फरर फरर अंग्रेजी बोलती हो ,स्मार्ट हो " वो 'लड़का ' बोला ,
और साथ में उसके साथ अगुवाई कर रही , उसकी बहन और सबकी भाभी , शीला भाभी बोलीं।
" हमारा लड़का भी बहुत स्मार्ट है , सब काम अंग्रेजी में करता है ",
लेकिन मेरी भाभी से पार पाना आसान नहीं था , वो बोलीं ,
" अरे शहरी माल पसंद था तो शहर के मॉल में ढूंढती , इहाँ कहाँ ,गाँव जवार में , एह जगह तो गाँव वाली गँवारन ही मिलेंगी। और फिर स्कर्ट जींस का कौन मतलब , शादी के बाद कौन लड़का अपनी दुल्हन को कपडे पहनने देता है , चाहे जींस हो या लहंगा उतर तो सब जाता है। "
और सारी भाभियों ,लड़कियों के ठहाके गूँज गए।
और वो 'लड़का' उसकी निगाहें चारो ओर मुझे ही ढूंढ रही थी , लेकिन बसंती , चंदा ,गीता और पूरबी ने मुझे अच्छी तरह छुपा रखा था।
शहरी माल
और वो 'लड़का' उसकी निगाहें चारो ओर मुझे ही ढूंढ रही थी , लेकिन बसंती , चंदा ,गीता और पूरबी ने मुझे अच्छी तरह छुपा रखा था।
फिर तो एक के बाद एक सारी भाभियाँ ,
चंपा भाभी ने पूछा " कहो उ हो सब , काम भी अंग्रेजी में करते हो का। "
लेकिन फंसाया उसको बसंती ने , " बोली अच्छा एक शहर का माल दिखाती हूँ लेकिन एक बात है जो तुम्हारी साली सलहज है उनकी बात माननी होगी। "
और मैं उस के सामने आ गयी।
फिर चट मंगनी पट ब्याह।
शादी की सब रस्मे हुयी और मेरी सारी सहेलियों भाभियों ने जम के गालियां सुनाई , कोहबर की भी सब रस्में हुयी और उसमे भी खूब रगड़ाई ,…
" शादी के बाद सुहाग रात भी होगी वो भी सबके सामने " शीला भाभी ने छेड़ा ,तो जवाब मेरी ओर से बसंती ने दिया ,
" एकदम , लेकिन लड़की की ओर से मैं चेक करुँगी , सुहागरात मनाने वाला औजार , और अगर ६ इंच से सूत भर भी कम हुआ न तो पलट के दूल्हे की गांड मार लुंगी। " और एक बार फिर ठहाके गूँज गए।
थोड़ी देर में पहले तो ऊपर के कपडे उतरे और फिर बंसती ने चेक किया ,
औजार था , एक मोटी कैंडल पे कंडोम चढ़ाके बनाया , और ६ इंच पूरा , इसलिए बिचारे की गांड बच गयी , लेकिन शर्त मुताबिक़ , मेरी सहेलिया चंपा , गीता ,, कजरी सब ऐन मौके पे
थोड़ी देर तक तो मैंने 'उसे ' मजे ले ने दिए लेकिन फिर थोड़ी देर में मैं ऊपर ,
" हमारे यहां की रसम है की सुहाग रात में पहले दुलहन ऊपर रहती है , " चम्पा भाभी हंस के बोली ,
उस की मोमबत्ती अब दूर हट गयी , मैंने तो सोचा था की कम से कम तीन ऊँगली डाल के ( ये सलाह बसंती की थी ) लेकिन पहली ऊँगली में ही लग गया की माल अभी कोरा है , फिर तो मुझे सुनील और गाँव के बाकी लड़कों की याद आ गयी , बस मैंने बख्श दिया , लेकिन इतनी रगड़ाई की की ,
मंजू से सबके सामने मनवा लिया की न सिर्फ सुनील से बल्कि गाँव के हर लडके से वो खुल के चुदवायेगी, और फिर कभी गाँव में किसी का मजाक नहीं बनाएगी।
और उस बिचारी को बचाने आता भी कौन ,उसकी बहन ,शीला भाभी को मेरी भाभी , कामिनी भाभी ने दबोच लिया था और उनकी रगड़ाई तो मंजू से भी कस कस के हो रही थी।
और तब तक सबेरा हो गया था।
बारिश बंद हो चुकी थी।
खपड़ैल की छत से , पेड़ों की पत्तियों अभी भी टप टप पानी की बूंदे रुक रुक के गिर रही थीं।
हम लोग घर वापस आगये , पूरबी ने कहा था की वो कल मुझे नदी ले चलेगी नहाने , लेकिन थोड़ी देर में फिर बहुत तेज बारिश शुरू हो गयी।
कहीं भी निकलना मुश्किल था।
और मैं भी दो रात लगातार जग चुकी थी , एक रात अजय के साथ और कल रतजगे में।
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