RE: bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
रिया की फ्रेंड ने रोहन और रिया को एक दिन साथ मे देख लिया था. शुरुआत मे तो उसने ये बात छुपा के रखी लेकिन उसके पेट मे बात रुकी नही. एवेंच्युयली, रोहन को घर छोड़ कर जाना पड़ा. अब दोनो बहुत ही कम बात करते थे.
"थिंक अबाउट इट," रोहित बोला. "मैं तुझे उस कंडीशन मे नही देखना चाहता जिसमे मैं हूँ."
अरुण चुपचाप उसकी बात सुनता रहा. फिर कॅंटीन का बिल पे करके बिना कुछ कहे वहाँ से जाने लगा.
वो सीधे अपनी कार मे बैठा और रोड पर तेज़ी से जाने लगा. "फक इट," वो बार बार स्टियरिंग पर हाथ मारते हुए बोलता रहा.
आवाज़ तुरंत ही भीख माँगने लगी कि ये बातें ना सोचे.
अरुण के लिए उसकी दुनिया टूट रही थी.
उसके बाद 15 दिनो तक अरुण ने रोहित से बात नही की. वैसे भी उसने कॉलेज जाना कम कर दिया था. आख़िर उसने फिर डिसाइड कर ही लिया कि उसे ये बात ख़त्म करनी ही पड़ेगी.
"आइ थिंक यू'आर राइट," अरुण ने उससे कहा जब वो कॅंटीन मे था. "मैं उस टाइम मानने के लिए तय्यार नही था, लेकिन अब मैं देख सकता हूँ कि क्या हो सकता है. मैं कभी अपनी फॅमिली को तोड़ने का जिम्मा नही उठा पाउन्गा. मैने कभी ये बात नोटीस नही करी लेकिन जबसे ये सब शुरू हुआ तबसे जब भी कोई बहस होती है, चाहो छोटी से छोटी बात पर हो, सेक्स बीच मे आ जाता है, और वो लोग एक तरीके से एक दूसरे को मारने पर उतारू हो जाती हैं. मुझे खुद विस्वास नही हो रहा ये कहते हुए दट आइ नीड टू ब्रेकप विद ऑल ऑफ देम."
"तुझे समझ नही आ रहा. ऐसा कुछ नही होने वाला, किस चूतिए की बातों मे आ गया है तू. मैं कभी ऐसा नही होने दूँगा." आवाज़ ने कहा
"तुम्हारा डिसीजन नही है."
"मुझे क्या कोई भूत समझ रखा है जिसने तेरे मन पर कब्जा कर रखा है. मैं तेरा ही हिस्सा हूँ...जो तुझे बता रहा है कि तू ग़लत कर रहा है."
"हां तुम मेरे मन का हिस्सा हो जो ये मानना ही नही चाहता कि सच क्या है. ये इस बात की सच्चाई नही बदल देगा क़ि मैं धीरे धीरे अपनी फॅमिली को तोड़ता जा रहा हूँ."
उसके बाद वो कयि दिनो तक ढंग से नही सो सका. रातो को देर तक जागता रहता और सोचता रहता. एक शाम उसने अपनी सभी बहनों को हॉल मे बुलाया. उसकी शक्ल देख कर ही सब समझ गये कि कुछ सीरीयस बात है.
"लिसन," उसने अपने दिल के भारीपन को इग्नोर करते हुए कहा.
"मत कर भाई. प्लीज़. डॉन'ट डू दिस. अगर तूने किया तो मैं चला जाउन्गा."
उसने एक गहरी साँस ली और नीचे देखा तो आँख से एक आँसू बहता हुआ गाल पर आ गया. "तो मैने आख़िर रोहित से बात कर ही ली कि उसके और निशा के बीच क्या हुआ था?"
अरुण ने उन चारो को बताया कि क्या हुआ और आख़िर मे जब उसने उनकी तरफ देखा तो सभी की आँखो मे आँसू थे.
"डॉन'ट" सुप्रिया आँसू बहाते हुए बोली. "डॉन'ट से इट." सुप्रिया को लग रहा था कि कुछ होने जा रहा है.
"दी..."
बाकी तीनो सुप्रिया की ओर फिर अरुण की ओर देखकर सब चीज़े जोड़ रहे थे. अरुण ने आँख से आँसू पोछा.
"ये मेरे लिए आसान नही है," उसने अपने आँसुओ के बाँध को थामते हुए कहा. उसके शरीर का हर हिस्सा उसे ये काम करने से मना कर रहा था.
"ये बस तुम्हारा मन है जो नही चाहता कि तुम्हे दुख पहुचे, यू हॅव टू बी स्ट्रॉंग, यू हॅव टू बी स्ट्रॉंग, फॉर देम."
"रोहित सही कह रहा था. हम लोग ये हमेशा नही कर सकते."
सोनिया के पैरो के नीचे से जैसे ज़मीन खिसक गयी. उसके चेहरे को देख कर लग रहा था कि हज़ारो खंजर उस पर चल रहे हों.
"अरुण.." आरोही बोली, एक आँसू उसके गाल पर रास्ता बना रहा था.
"मुझे शिफ्ट होना चाहिए, और मुझे नही लगता हमें सेक्स जारी रखना चाहिए."
"मेरा तो काम ही ख़त्म हो गया है. बाइ. डू फक्किंग व्हाट यू वान्ट."
सुप्रिया सिर नीचे कर के रोने लगी सेम आरोही की तरह. स्नेहा बिल्कुल चुप होके रो रही थी और सोनिया को पकड़े हुए थे.
"फक यू," सुप्रिया गुस्से मे लाल होकर बोली.
"आपको क्या लगता है हम लोग ये कब करते रह पाते?" अरुण ने सबसे पूछा. "हमारे फ्यूचर का क्या. तुम लोगो ने उसका सोचा? बच्चे? शादी?"
आरोही ने उसकी ओर देखा. "जब वो चीज़े आई होती तो हम लोगो ने उनके सल्यूशन्स भी निकाल लिए होते, साथ मे."
अरुण सिर हिलाने लगा. "निशा ने रोहित से कहा कि वो चाहती है कि उन दोनो मे से कोई एक मर जाए. मैने उसको जिंदगी मे केवल एक बार रोते हुए देखा है और वो दिन था कल. उसकी जिंदगी तबाह हो गयी है. अभी चाहे जितनी भी तक़लीफ़ क्यूँ ना हो, मैं अपनी फॅमिली को उस मोड़ पर नही लाना चाहता. आइ कॅन'ट. आइ लव यू टू मच टू डू दट टू यू."
"हम लोग उनकी तरह नही हैं, अरुण." आरोही बोली.
"रियली?" अरुण ने पूछा.
"अरुण सही कह रहा है," स्नेहा बीच मे बोली.
"व्हाट?" आरोही एक दम पलटकर उसकी ओर देखने लगी. सोनिया तो उसके पास से ऐसे हटी जैसे उसमे काटे लगे हों. "दी मुझे विस्वास नही हो रहा कि आप ये बात कह रही हो."
"ही'ज राइट. इट मेक्स सेन्स. मेरा मतलब है ध्यान से देखो हमें, हम लोग अपने ही भाई के साथ सेक्स कर रहे हैं. और इतने सालो मे हम ने कितनी बार देखा है कि हम शेरिंग के मामले मे बिल्कुल बेकार हैं. हम लोग कर क्या रहे हैं? कभी सोचा कि सेक्स को लेकर कितनी लड़ाई हो चुकी हैं घर मे? कितनी बार उसने हम लोगो को जोड़ा लेकिन हम लोग हर बार छोटी से छोटी बात पर उसे तोड़ते रहे."
"आपके लिए कहना आसान है, दी, आप तो ---------- जा रही हो ना," आरोही बोली.
"फक यू, आरोही, मेरे लिए भी ये आसान नही है. मैं भी अरुण से उतना ही प्यार करती हूँ, जितना कि तुम, लेकिन मैं अपनी फॅमिली को उससे ज़्यादा चाहती हूँ. एक बार सोचो ये जो हम कर रहे हैं उससे हमारी पूरी फॅमिली बिखर सकती है और फिर कभी कोई भी इसे जोड़ नही पाएगा. और मेरी जाने की बात तो मैं सिर्फ़ 4 महीने के लिए जा रही थी. फिर तो मैं वापस ही आ रहीं हूँ ना. तो ये मुझे भी उतनी ही तक़लीफ़ दे रहा है जितना कि तुम्हे."
"ओह बुलशिट!" सुप्रिया गुस्से स्नेहा की ओर चलते हुए बोली. "मुझे विस्वास नही हो रहा, स्नेहा कि तू इसकी बात मान रही है. आरू ने ठीक कहा, तू तो चली जाएगी -----------. सिर्फ़ इसलिए कि तुझे तक़लीफ़ हो रही है उसका लंड छोड़ने मे तो इसका मतलब ये तो नही कि हम लोग भी ये दर्द उठाएँ."
स्नेहा कन्फ्यूज़ दिखने लगी. "मेरे जाने का इस चीज़ से क्या लेना देना है?" उसने चीख कर पूछा.
सुप्रिया ने उसे देखा और एक दम से उसके चेहरे पर झापड़ मारा और बाल पकड़कर धक्का दे दिया. "तूने ही उसके मन मे ये ख़याल डाल है ना?"
स्नेहा दर्द से बिलख रही थी. अरुण तुरंत ही आगे बढ़ा और उसे अपनी बाहों मे ले लिया और पास मे बैठकर सहलाने लगा.
"दी....." अरुण ज़ोर से सुप्रिया की ओर देख कर चीखा.
"आपको लगता है कि ये मेरे लिए आसान है?" स्नेहा चीखते हुए बोली. "जब तुम तीनो उसके बिस्तर मे घुसने की कोशिश कर रही थी तब वो किसके पास आता था? आख़िर मे अरुण किसे मिला? सबसे कम टाइम किसे मिला उसके साथ जबसे ये सब शुरू हुआ? मुझे! मेरे पास आता था वो बात करने. मेरा शरीर था जिसने उसे पागल किया हुआ था, टेबल पर, घर पर, पूल मे सब जगह. और सबसे बड़ी बात जब आपको चोद रहा होता है ना तो मेरे बारे मे सोचता है वो.." स्नेहा चिल्लाते हुए बोली.
"फक यू!" सुप्रिया भी पलट कर चिल्लाई.
"मैं इसी के बारे मे बात कर रहा था," अरुण थोड़ा तेज आवाज़ मे बोला. "दी," उसने स्नेहा के गालो को पकड़कर कहा,"आपको ये बात नही कहनी चाहिए. आप भी जानती हो कि ये सच नही है. जब ये तीनो मुझे सिड्यूस करने की कोशिश कर रही थी तब मैं आपके पास आया क्यूकी आप ऐसा नही कर रही थी. हां, आपकी बॉडी बहुत अच्छी है, सेक्सी है और मुझे उत्तेजित करती है लेकिन सेम केस सुप्रिया दी, आरू और सोनिया के साथ भी है."
स्नेहा अभी भी गुस्से से कांप रही थी. उसका पूरा चेहरा लाल था और बाल बिखरे पड़े थे. उसने गुस्से से सुप्रिया की ओर देखा तो दोनो एक दूसरे को खा जाने वाली नज़रो से देखने लगे.
अरुण सुप्रिया की ओर मुड़ा. "दी आपको ये नही करना चाहिए था. आंड आइ नो अब मुझसे इस वक़्त नफ़रत कर रही होगी. तो मैं अभी जा रहा हूँ, कुछ देर के लिए." अरुण खड़ा होकर बोला. "इसी वीक मैं बाहर जाके एक अपार्टमेंट देखने वाला हूँ. टेक केयर आंड प्लीज़ इफ़ एनी ऑफ यू एवर लव्ड मी प्लीज़ डोंट फाइट ओवर दिस."
"भाई, कह दो ना कि आप मज़ाक कर रहे हो. प्लीज़ डॉन'ट डू दिस टू मी. टू अस."
अरुण की आँखो से फिरसे आँसू निकलने लगे जब वो उसके पास आई. उसने अरुण के सीने मे मूह रखा और अपनी बाहें पीछे कर दी. अरुण ने भी उसे प्यार से हग किया और उसके बालों को सहलाने लगा.
"सोनिया, आइ लव यू सो मच, बट आइ कॅन'ट स्टे. मैं तुम मे से किसी को तक़लीफ़ मे नही देख सकता. अगर यही चलता रहा तो एक दिन तुम लोग एक दूसरे का मूह देखना तक पसंद नही करोगी. लेकिन मैं मर जाउन्गा. ट्राइ टू अंडरस्टॅंड. मैं समझ सकता हूँ कि तुम लोग इसके बाद मुझे देखना नही चाहोगे लेकिन कम से कम तुम लोग तो हो एक दूसरे के लिए."
सोनिया लगातार उसके सीने मे आँसू बहा रही थी और ना जाने के लिए भीख माँग रही थी. उसने नीचे देखा और उसके चेहरे को पास मे लाया. "प्लीज़, आइ लव यू ऑल, सो मच."
और वो सोनिया से दूर हट गया. सोनिया वही सोफे पर लेट के रोने लगी.
आरोही आगे बढ़ी और उसका सिर खुद की गोद मे रख लिया और उसके साथ हल्के हल्के रो रही थी.
सुप्रिया ने आँखो से आँसू पोछे और अरुण ने देखा कि आँसुओ की जगह उनमे अब गुस्सा था. वो आगे बढ़ी और तीन पर कस्के उसके चेहरे पर थप्पड़ मारे.
एक ठंडी आह भरके अरुण स्नेहा की ओर मुड़ा. वो भी रो रही थी. "आइ लव यू," स्नेहा ने धीरे से कहा.
अरुण ने उसे गले लगा लिया. "आइ लव यू टू," उसने जवाब मे कहा.
मुड़कर वो बाहर गया और अपनी कार मे बैठकर बाहर चला गया. सोनिया अभी भी आरोही की बाहों मे रो रही थी, सुप्रिया गुस्से से उसे जाते हुए देखती रही और स्नेहा अपने रूम मे चली गयी. वो कार को एश के घर ले गया. और उसे सब कुछ बताते हुए रोने लगा. एश ने उसे गले से लगा लिया और काफ़ी देर तक उसे रोने दिया जब तक उसका मन हल्का नही हो गया.
उस दिन शाम को वो रोहित के घर पर था और उसके कमरे मे बैठकर बियर पी रहा था. दोनो खामोशी से टीवी देख रहे थे. कोई मूवी चल रही थी.
"कुछ भी हो जाए, चाहे कितने भी दूर हो, कितना भी वक़्त लगे मैं तुम्हे हमेशा ढूंड लूँगा..हमेशा..." हीरो अपनी प्रेमिका को बाहों मे लिए हुए कह रहा था.
अरुण हल्के से हंस दिया और बाहर आके बालकनी मे खड़ा हो गया. वो हाथ मे एक बॅंड से खेल रहा था. उसमे सभी के इनिशियल्स थे हार्ट्स के साइन के साथ. चारो बहनों ने साथ मे मिलकर उस बॅंड को उसके लिए बनाया था, ये जताने के लिए कि वो चारो उसे हमेशा प्यार करेंगी. पिछले साल, उसके जन्मदिन पर चारो ने एक साथ उसे ये दिया था. रोहित भी आके उसके पास खड़ा हो गया और अपने दोस्त को धीरे धीरे आँसू बहाते हुए देखता रहा. दोनो काफ़ी देर तक खामोसी से सूरज को डूबते हुए देखते रहे फिर अंदर जाके काफ़ी देर तक टीवी देखते रहे. अरुण उस रात घर नही गया.
अगले तीन दिन बाद ही अरुण को ढंग का अपार्टमेंट मिल गया. घर पर ज़्यादा बातचीत नही हो रही थी. स्नेहा को छोड़कर कोई उससे बात नही कर रहा था. जब वो शिफ्ट हुआ तो सब अपने कमरे से उसे देखते रहे. कोई नीचे छोड़ने तक नही आया. वो पहले आरोही के कमरे मे गया तो उसने दरवाजा ही नही खोला, सोनिया भी वही थी. वो आजकल आरोही के साथ ही रह रही थी. उसने बाहर से ही दोनो को बाइ बोला और नीचे आकर सुप्रिया के कमरे को नॉक किया तो उसने भी कुछ नही कहा. उसे भी बाइ किया, लेकिन स्नेहा उसे बाहर तक छोड़ने आई.
5 दिन बाद ही स्नेहा गुडबाइ कहने आई.
"तो मैं जा रही हूँ, मेरी शाम की फ्लाइट है. मैने सोचा कि अपने छोटे भाई को गुडबाइ तो कह ही दूं,"
"थॅंक्स दी," अरुण ने दूसरो के बारे मे खुद को रोकते हुए कहा.
उन दोनो ने उसके अरेंज्मेंट्स के बारे मे बात की, कहाँ रहेगी जाके और क्या करेगी.
"वो सब अभी भी तुमसे काफ़ी गुस्सा हैं. सुप्रिया दी का गुस्सा अभी भी वैसा है लेकिन कुछ कुछ शांत हो रहा है. सोनिया हर वक़्त रोती रहती है, आरोही के कमरे मे. फिर भी वो भी ठीक हो रही है. काश मैं कह सकती कि तुम उनसे मिल आओ लेकिन अभी वक़्त लगेगा उन लोगो को तुमसे मिलने मे."
अरुण ने मुस्कुरा कर उसे गले लगा लिया. स्नेहा ने अपना चेहरा उपर किया और अपने होठ उसके होंठो पर रख दिए. 2 मिनिट तक अच्छे से उसके होंठो का स्वाद अपने मूह मे बसाने के बाद वो दूर हुई. "आइ'म रियली गोयिंग टू मिस मेकिंग लव वित यू," उसने दो आँसू बहाते हुए कहा. "मुझे याद है शुरुआत मे मुझे इसकी कितनी ज़रूरत होती थी.."
अरुण मुस्कुराते हुए नम आँखो से सिर हिलाने लगा. "कितनी बार मैने खुद को रोका आप पर बाथरूम मे हमला करने से."
स्नेहा ने एक सॅड स्माइल दिखाई. "आइ'म ग्लॅड यू वर माइ फर्स्ट."
अरुण ने उसे कस कर गले लगा लिया.
"जाने से पहले मेरे पास तुम्हारे लिए कुछ है."
उसने अपने पर्स से एक बुक निकाली. उसने मुस्कुराते हुए उसे दी. "ये कलेक्षन है उन पलों का जो मैने तुम्हारे साथ बिताए, ग्रॅफिक डीटेल मे. मैं पहले तो इसे तब देने वाली थी जब मैं जा रही होती और मेरी याद दिलाने के लिए, लेकिन यही सही वक़्त लग रहा है."
अरुण ने मुस्कुरा कर उसे चूम लिया. "सेफ रहना, और मुझे डेली कॉल करना. ओके. आंड थॅंक्स फॉर दिस नॉटी नॉवेल."
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