bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
01-25-2019, 12:58 AM,
RE: bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
तभी अरुण उठा और चेयर पास मे डाल कर आरोही को बिठा दिया और सोनिया को थोड़ा आगे करके आरोही का चेहरा उसकी चूत पर लगा दिया और खुद भी साथ मे चाटने लगा. स्नेहा उसकी गर्दन को चूमने लगी तो पूरे कमरे मे सोनिया की सिसकी गूंजने लगी.

"आहमम्म्म.उः..........आइ लव यू..आ.ल्ल्ल्ल्ल...अहः..." वो कह रही थी. कुछ ही देर मे सोनिया का शरीर काँपने लगा और उसकी चूत से पानी छूटने लगा जिसे अरुण और आरोही झट से पी गये फिर एक दूसरे को किस करके बचा खुचा भी चाट लिया. अरुण वहाँ से हटा और अपने कपड़े निकाल दिए और लंड को आरोही के चेहरे के पास ले गया. आरोही ने इशारा समझते ही तुरंत ही लंड को मूह मे भर लिया. कुछ देर चूसने के बाद अरुण ने लंड को उसके मूह से हटाया और सोनिया के दूधो पर रगड़ने लगा जहाँ स्नेहा और सुप्रिया दोनो उसके निपल सहित लंड को चूमने लगी. जब दोनो ने भी अच्छे से उसे तर कर दिया तो अरुण ने कुछ देर के लिए लंड को सोनिया के मूह मे रखा फिर नीचे आके लंड को उसकी चूत पर सेट करने लगा. स्नेहा भी उठी और अपनी चूत को सोनिया के मूह पर रख दिया. अरुण ने देर ना करते हुए लंड को अंदर डाला तो सिसकी लेने के लिए सोनिया का मूह खुला और स्नेहा की चूत उसके मूह मे आ गयी. वो बड़े चाव से उसकी चूत को चाटने लगी और स्नेहा की सिसकी कमरे मे गूँज रही थी. सुप्रिया कभी उसके दूधो को चूमती तो कभी उसके पेट को. अरुण उसकी चूत मे धक्के दे रहा था और आरोही लंड के साथ गान्ड को भी चूम रही थी.

पूरे कमरे मे सेक्स की महक समा गयी थी और उन सबकी सिसकियाँ गूँज़ रही थी. चार तरफ़ा हमले से सोनिया फिर झड़ने लगी तो उसकी जीभ स्नेहा की चूत पर और कस्के हमला करने लगी. स्नेहा चीखते हुए काँपने लगी और झड कर साइड मे हो गयी और धीरे धीरे सोनिया की गर्दन को चूमती रही. अरुण ने तब भी लंड की स्पीड को कम नही किया. उधर सुप्रिया स्नेहा के पास पहुचि और स्नेहा से अपनी चूत चटवाने लगी. 

अरुण ने आगे बढ़कर सोनिया का निपल मूह मे भर लिया और कुछ देर चूसने के बाद लंड को भी बाहर निकाल लिया. तब तक सुप्रिया भी चीखते सिसकते हुए झड़ने लगी. अरुण ने पहले हाथ देकर आरोही को पास किया और किस करते हुए उसे तीनो के पास बिठा दिया बेड पर खड़े होकर उनके सामने लंड कर दिया. आरोही तुरंत ही सुपाडे पर टूट पड़ी और सोनिया उसके बाकी हिस्से को चाटने लगी. सुप्रिया और स्नेहा दोनो उसके आंडो को मूह मे भरके चूसने लगी. 

"आअहह...अहह..यस..." अरुण सबको देख सिसक रहा था. चारो बारी बारी उसके लंड को चूसने मे लगी हुई थी. अरुण को लगा कि वो झड़ने वाला है तो वो और सिसकने लगा.

"ओम्म..." अरुण एक तेज आवाज़ के साथ झड़ने लगा. स्नेहा के हाथो ने लंड को पकड़ा और पहले सोनिया की तरफ किया फिर, बारी बारी सबके मूह पर वीर्य डाल दिया. जब लंड ने पिचकारी छोड़ना बंद कर दी. तो अरुण ने नीचे देखा तो सोनिया के गाल और होठ पर थोड़ा वीर्य था, आरोही के माथे पर, और सुप्रिया और स्नेहा के चिन पर थोड़ा थोड़ा वीर्य पड़ा हुआ था. आरोही ने पकड़कर लंड सोनिया के मूह मे रख दिया जिसने आख़िरी बूँद भी अच्छे से चाटी. फिर चारो हंसते हुए एक दूसरे के चेहरे को चाटने लगी. अरुण का दिल तो उन सबकी हरकते देख कूदने ही लगा. अच्छे तरीके से सबके चेहरे सॉफ होने पर उन लोगो ने अपने बीच अरुण के लिए जगह बना दी, जहाँ अरुण लेट गया. पाँचो कुछ देर तक एक दूसरे को ऐसे ही जगह जगह सहलाते हुए किस करते रहे, फिर सोनिया और स्नेहा ने अपना सिर उसके कंधो पर रख दिया और पीछे से सुप्रिया और आरोही उनसे चिपक गयी. अरुण अपनी चारो बहनों के साथ आराम से लेटे लेटे सोने लगा.

"हाहह,,दट वाज़ गुड..." आवाज़ ने खुश होते हुए कहा
..........................................................
अरुण उठकर अपने बिस्तर पर ही अंगड़ाई लेकर अपने बालो मे उंगली घुमाने लगा. उसे लग रहा था जैसे कि सीने पर हज़ारो वार एक साथ हो रहे थे. दिल टूटने पर ऐसा ही लगता है, सुप्रिया दी ने कहा था उससे. "जिसका बीज डालोगे उसका पेड़ काटोगे,"

वो उसकी बात सुनके बिल्कुल खुश नही हुई थी. कोई भी नही हुआ था. लेकिन वो जानता था कि वो क्या कर रहा है जो वो लोग नही समझ पा रहे थे. उसने एक ठंडी आह ली और बाथरूम की ओर चल दिया.

चलते चलते वो फिरसे पुरानी बातो के बारे मे सोचने लगा.

ऐसा भी नही था कि उसके पास कोई ऑर ऑप्षन्स थे. कोई ज़रिया ही नही था कि चीज़े उसी हिसाब से चलती रहती. उसका मन वहाँ पहुच गया जब उसे सही मे रियलाइज़ हुआ कि उसके पास अपनी बहनों के साथ टाइम सीमित ही था. माना कि सबको मरना ही है एक दिन, लेकिन ये बात अलग थी. ये ख़याल उसके मन मे आए और फिर वही बस गये. उसे लगा था कि जैसे किसी ने उसका हाथ पकड़कर उससे ये करवाया हो.

ये ख़याल 6 महीने पहले ही आए उसके मन मे, आरोही के आक्सिडेंट के 3 साल बाद. 

अरुण और उसकी बहनों को रोहित के घर पर उनके पेरेंट्स की अन्निवर्सरी के लिए जाना था. वो लोग पहुचे और तुरंत ही उन्हे लगा कि कुछ तो ग़लत हुआ है. रोहित और निशा के बीच चीज़े सही नही थी.

अरुण कार से उतर कर आरोही और स्नेहा के साथ चल रहा था. रोहित ने दरवाजा खोला और तभी गुस्से से निशा उसे धकेलते हुए चली गयी.

"गेट आउट ऑफ माइ वे," वो अपने भाई को गुस्से से देखते हुए बोली.

रोहित ने कुछ नही कहा और उन लोगो को अंदर आने को कहा. "सॉरी अबाउट हर," उसने धीमे से कहा.

खाना काफ़ी अच्छा था लेकिन टेबल पर उस दिन बीते सालो की तरह बातें उतने ढंग से नही हो रही थी. रोहित के पेरेंट्स को छोड़ कर हर किसी को कुछ अजीब लग रहा था. रोहित का तो खाने के दौरान चेहरा ही लटका रहा, जो कभी हर वक़्त हँसी और शरारत से भरपूर रहता था.

रोहित और निशा ने काफ़ी पहले सेक्स शुरू कर दिया था एक दूसरे के साथ, बाद मे अरुण को पता चला. अरुण ने आख़िर रोहित को बता ही दिया था कि उसने उन दोनो को कॅबिन मे एक साथ देख लिया था और उसने ये भी अड्मिट किया कि वो भी अपनी बहनों के साथ सेक्षुयल रिलेशन्षिप्स मे इन्वॉल्व्ड है.

जब रोहित ने निशा को ये बात बताई तो वो विफर पड़ी.

अरुण खुद को दोषी ठहराता रहा जो कुछ हुआ आगे. अगले दिन वो जब कॉलेज मे रोहित से मिला तो वो समझ गया कि कुछ ज़्यादा ही गड़बड़ है. काफ़ी मशक्कत के बाद रोहित ने उसे बात बताई. "निशा घर मे नही रहना चाहती, वो आज नया अपार्टमेंट देखने गयी है. मोम डॅड को उसने कन्विन्स कर लिया है कि वो घर पर नही रहना चाहती," रोहित बोला.

अरुण को बुरा लगा. लेकिन उसने ज़्यादा फोर्स नही किया, उसे पता था कि रोहित का जब मन होगा तब वो उसे सब कुछ बता देगा. वैसे भी रोहित को टाइम की ज़रूरत थी.

ग्रॅजुयेशन उसी साल कंप्लीट हो गयी थी. तो दोनो एमबीए करने लगे थे. आरोही भी उनके साथ ही थी. वो लोग उसके बाद खुद का बिज़्नेस स्टार्ट करने की सोच रहे थे जिसके लिए कॅपिटल इनकम रोहित के डॅड देने को तय्यार थे.

पिछली बातें याद करके एक कसक सी उठी अरुण के दिल मे. 
वो बाथरूम मे पहुचा और शवर चालू करके ठंडे पानी के नीचे खड़ा हो गया.

उसे इस प्राब्लम का बहुत पहले ही सल्यूशन ढूंड लेना चाहिए था. जब उसने फाइनली अपनी बहनों को बताया था कि वो क्या करने की सोच रहा है तो काफ़ी बवाल हुआ था. उसे ये सब पहले ही समझ जाना चाहिए था. उसे याद आने लगा कि क्या बात हुई थी रोहित से.

लग रहा था जैसे कि बहुत पहले की बात हो लेकिन अभी बस 2 महीने ही हुए थे उस बात को जिसने उसे इस मोड़ पर लाके खड़ा कर दिया था.

वो कॅंटीन मे बैठा हुआ था. रोहित आया और हाई बोलकर बैठ गया. वो आजकल उदास ही रहता था, हँसी मज़ाक, उछलना वग़ैरह सब बंद कर दिया था.

अरुण ने उसके लिए कोक ओर ऑर्डर करी तो वो मना करने लगा. 

"कम ऑन यार. कब तक?" अरुण ने पूछा. "6 महीने हो गये उस बात को.."

"तू नही समझेगा..और मुझे उस बारे मे बात करनी भी नही है."

"मैं नही समझूंगा? मैं भी एक तरीके से सेम पोज़िशन मे हूँ जिसमे तू है. देख तुझे किसी से तो बात करनी ही पड़ेगी और मुझसे बेटर कौन मिलेगा?"

रोहित कोक पीने लगा.

"कुछ तो बोल. चल निशा के बारे मे मत बोलना बस."

कुछ देर बाद रोहित बोला. उसने दो तीन बार कुछ बोलने की कोशिश की लेकिन फिर चुप होने लगा. अरुण ने भी उसे रोका नही.

"फाइन. लेकिन जो मैं कहने वाला हूँ, वो तुझे पसंद नही आने वाला."

"तू मुझे उससे अच्छे तरीके से जानता है. तू जानता है मैं कभी तुझे जज नही करूँगा. तू मेरे भाई की तरह है यार, अब बता."

रोहित ने सिर हिला दिया. "बात सिर्फ़ ये नही है कि निशा चली गयी. ये भी नही कि मैं उसे मिस नही करता. मुझे पता है कि जिस लड़की के साथ मैं सेक्स करता था वो चली गयी है, लेकिन वो मेरी बहेन भी थी. तू समझ रहा है ना, मेरी जिंदगी का वो हिस्सा मुझसे दूर हो गया है. मेरा मतलब है, कि अगर हम दोनो अलग हो जाते तो चलता लेकिन अब मैने अपनी बहेन को भी खो दिया है. वो आती है तो सिर्फ़ मोम डॅड से मिलने, मुझे कंप्लीट्ली इग्नोर कर रही है. मोम डॅड ने पूछा भी लेकिन उसने बात घुमा दी. आज पूरे चार महीने हो गये कि उसने मुझसे डाइरेक्ट्ली बात की हो. और सब मेरी ग़लती है. आंड आइ मिस माइ सिस्टर." रोहित का गला भर आया था.

अरुण ने उसके कंधे पर हाथ रखके दबा दिया.

"आइ मीन, वी वर सो क्लोज़ ऐज ब्रदर सिस्टर. मुझे लगा कि हम लोग हमेशा वैसे ही रहने वाले थे."

"तो एग्ज़ॅक्ट्ली हुआ क्या था?"

रोहित ने अपनी आँख से आँसू पोछे और एक सीप ली कोक की.

"जब तूने मुझे बताया कि तू भी..."

अरुण ने सिर हिला दिया.

"तो काफ़ी टाइम तक मैने उसे नही बताया. लेकिन वही एनिवर्सरी से एक दिन पहले हम लोग ऐसे ही बातें कर रहे थे सेक्स के बाद तो तेरी बात चली आंड आइ टोल्ड हर. और वो खुश नही थी कि तुम लोगो को हम दोनो के बारे मे पता चल गया है. मुझे तो ये भी मौका नही मिला बताने का कि तू भी अपनी सिस्टर्स के साथ इन्वॉल्व्ड है. वो मुझ पर चिल्लाने लगी और कमरे से निकलने के लिए कहने लगी. तक़लीफ़ मुझे तब हुई जब वो रोते हुए मेरे उपर चीज़े फेक रही थी."

अरुण उसकी बात खामोशी से सुन रहा था.

"मैने उसे शांत करने की कोशिश की, लेकिन उसने ज़बरदस्ती मुझे रूम से निकाल दिया और अंदर से लॉक कर लिया. एनिवर्सरी के अगले दिन मैने देखा कि उसने सब समान पॅक कर लिया था. उसने कहा कि उसने अपनी एक फ्रेंड से बात कर ली है और वो उसके साथ अपार्टमेंट मे रहने वाली है. वो अब इस घर मे मेरे साथ नही रह सकती. उसे थोड़े स्पेस की ज़रूरत है. मैने उसके पैर पकड़कर रोकने की कोशिश की आंड आइ सेड दट आइ'म सॉरी फॉर लेट्टिंग ऑल दिस हॅपन और मैं कुछ भी करूँगा ये सब कुछ ठीक करने के लिए. लेकिन उसने नही सुना और चली गयी."

रोहित की आँख से फिरसे 2 आँसू निकलकर गाल पर आ गये.

"मोम डॅड के पूछने पर उसने सिंप्ली कह दिया कि उसे घर मे नही रहना जब तक उसका मन नही करता. उन्होने भी ज़्यादा फोर्स नही किया. वो वेकेंड्स पर आती है लेकिन सिर्फ़ मोम डॅड से मिलने. शुरुआत मे मैने बात करने की कोशिश की लेकिन शी जस्ट टोल्ड मी टू कीप डिस्टेन्स. मैने फोन करने की कोशिश की तो वो फोन रिसीव ही नही करती थी. मैने ये तक कहा कि मैं घर छोड़ कर बाहर रह लूँगा वो घर आ जाए लेकिन कोई फ़ायदा नही."

"आख़िरकार उसने एक दिन मेरी कॉल रिसीव की आंड देन मी होल वर्ल्ड क्रंबल्ड अपॉन मी. उसने कहा कि वो कभी मुझसे बात नही करना चाहती. वो घर आती है तो सिर्फ़ मोम डॅड से मिलने. उसने कहा कि जो कुछ हम दोनो के बीच हुआ वो एक ग़लती थी. और अगर मैने उससे ज़्यादा बात करने की कोशिश की तो वो कभी घर वापस भी नही आएगी. दट वाज़ लास्ट टाइम आइ लिसंड हर टॉकिंग टू मी."

रोहित ने अपना चेहरा अपने हाथो मे छुपा लिया. अरुण ने भी उसके आँसू रोकने की कोशिश नही की. वो जानता था कि महीनो से ये दर्द अपने सीने मे दबाए बैठा है उसे निकलना ज़रूरी है.

कुछ सेकेंड्स बाद उसने अपना चेहरा पोछा.

"मैने उससे पूछा, प्लीज़ निशा मैं क्या कर सकता हूँ ठीक करने के लिए सब कुछ. वो कुछ देर खामोश रही फिर बोली कि वो जिंदगी भर पछताने वाली है ये सोच के कि उसने अपने ही भाई के साथ ये किया और अगर मोम डॅड की बात ना होती तो वो जिंदगी मे कभी मेरा चेहरा भी नही देखना चाहती. उसने कहा..(गल्प) कि कभी कभी वो सोचती है की हम दोनो मे से कोई एक मर जाता तो ज़्यादा बेटर रहता."

आख़िरी लाइन कहते ही रोहित के आँसुओ का बाँध फिर टूट गया. काफ़ी देर तक उसकी आँख से आँसू गिरते रहे.

अरुण तो चौंक गया ये सुनके. "ऐसा कैसे कह सकती है यार?"

"बिकॉज़ आइ फक्ड इट अप. मैने अपनी फॅमिली को तोड़ दिया यार. और मैं कभी खुद को माफ़ नही कर पाउन्गा कि मेरी वजह से निशा घर छोड़ के चली गयी है. आंड आइ कॅन'ट गेट माइ सिस्टर बॅक."

"रोहित.."

"अरुण, यू नीड टू बी केर्फुल," रोहित ने आँख पोछ कर उसकी तरफ देखते हुए कहा.

"मतलब?"

"तुझे क्या लगता है कि तू अपनी फॅमिली को कब तक जोड़े रख सकता है? मैने सिर्फ़ एक लड़की के चक्कर मे मेरी फॅमिली तोड़ दी और तू चार के साथ है. यू आर सिट्टिंग ऑन ए टाइम बॉम्ब दट इस गोयिंग टू एक्सप्लोड वन डे, फॉर श्योर."

अरुण अपना सिर हिला रहा था. "मेरी फॅमिली का इस चीज़ से कोई लेना देना नही है."

"तू समझ नही रहा है, भाई. हर चीज़ एक ना एक दिन ख़त्म होती है. एक ना एक दिन तेरी किसी बहेन को रियल रिलेशन्षिप की ज़रूरत पड़ने वाली है या फिर बच्चे. तू वो नही कर सकता. तू जानता है ना क्या दाँव पर लग जाएगा. और मैं जानता हूँ, अगर तेरी वजह से तेरी फॅमिली टूटी तो तू जिंदा नही रह पाएगा क्यूकी तेरा इस दुनिया मे उनको छोड़कर कोई भी नही है. यू नो आइ'म राइट. या तो तेरी वजह से तेरी फॅमिली टूटेगी अगर तूने कुछ नही किया या फिर रिया की तरह कोई बाहर वाला सब बर्बाद कर देगा."
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