RE: bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
सुबह की किरणें उसके कमरे मे पड़ी तो उसने घड़ी की ओर देखा.
"तो आज अनल?"
"नोप."
"तो क्या दिन भर खुद की गान्ड मारनी है."
"नही, मेरा मूड नही है."
"हहा फन्नी. अरे बता ना, अनल ट्राइ करे चलके?"
अरुण ने उसे इग्नोर कर दिया और नीचे चला गया. स्नेहा नीचे टेबल पर कुछ पढ़ रही थी और मिल्कशेक पी रही थी. उसने नीचे जाने से पहले सोनिया का रूम देखा तो दरवाजा खुला था और अंदर कोई नही था.
नीचे उसने स्नेहा से पूछा.
"सुबह सुबह ही कहीं गयी है, शायद रन्निंग के लिए."
अरुण एक लंबी साँस लेकर अपने लिए कुछ ढूढ़ने लगा.
"इसी को चोद दे." आवाज़ ने कहा
तब तक आरोही नीचे आ रही थी, हल्के हल्के. अरुण उसकी मदद करने पहुचा तो उसने मना कर दिया. "नही, मुझे खुद करने दे, जब तुम लोग नही होगे तो मुझे खुद ही करना पड़ेगा ना."
अरुण उसकी बात समझ कर उससे 3 सीढ़ियाँ नीचे रहता जिससे अगर वो लड़खड़ाई तो तुरंत ही पकड़ ले.
"तो आज कॉलेज की छुट्टी," अरुण उसे देख बोला.
"यस, चोदने के लिए पर्फेक्ट डे." आवाज़ ने खुश होते हुए कहा
आरोही फिर नीचे आकर हान्फते हुए चेयर पर बैठ गयी. सुप्रिया आके उन लोगो के लिए ब्रेकफास्ट बनाने लगी.
स्नेहा ने मिल्कशेक आरोही को दे दिया.
"तो सोनिया कहाँ है?" आरोही ने पूछा.
"दी ने बताया कि उठने से पहले ही कहीं गयी थी."
"हद होती है. तुम उसके साथ भी उतना ही टाइम स्पेंड करने वाले थे जितना कि हम लोगो के साथ." आरोही बोली.
"वो इसलिए नाराज़ है क्यूकी वो मेरे लिए परेशान थी और मैने उसे परेशान रहने दिया बेवजह." अरुण बोला.
"मुझे नही लगता कि यही रीज़न है." आरोही बोली.
"और क्या वजह हो सकती है?" अरुण ने पूछा.
"हां, मुझे भी तो पता चले," पीछे से आवाज़ आई. सामने दरवाजे पर सोनिया खड़ी हुई थी. देखकर लग रहा था कि जॉगिंग करके आई थी.
अरुण को कमरे मे तनाव महसूस होने लगा. "सोनिया, बाहर चलो और मेरी बात सुनो प्लीज़."
"नही मुझे भी जानना है कि मुझे इतना गुस्सा क्यूँ आ रहा है?"
आरोही कुछ देर उसे देखती रही.
"जैसे तुझे पता ही नही है," आरोही बोली.
"तुम दोनो, चुप अभी के अभी." सुप्रिया भी किचन से आकर बोली.
"नही बताओ मुझे," सोनिया चिल्लाते हुए बोली.
"आरू, सोनिया प्लीज़..." अरुण बोलने लगा.
"सिंपल है ना, तुम्हे बस वो अपने लिए ही चाहिए," आरोही हल्के से बोली और उसके शब्द हवा को चीरते हुए उनके कानो तक पहुचे.
"वाउ...और कुछ.."
"आक्सिडेंट से पहले भी तुम्हारे साथ ही हर वक़्त रहता था वो. एक रात भी अगर तुम्हारे साथ अगर नही होता तो तुम्हारी तो शक्ल उतर जाती. 'ओह भाई नही आया.'" आरोही गुस्से से बोली.
"ओह रियली..." सोनिया भी चिल्ला रही थी.
"क्या ये सच नही है कि तुम्हे हर रात उसके साथ सोने को नही मिलता था?" आरोही गुस्से से बोली.
"तो?"
"तो अगर हम लोगो को थोड़ा ज़्यादा वक़्त उसने दे दिया तो क्या दिक्कत है?" आरोही बोली.
"यू नो व्हाट, फक यू," सोनिया बिल्कुल पुरानी सोनिया बनते हुए बोली.
"लो आ गयी असली सोनिया औकात पे. सच कड़वा जो लग गया." आरोही बोली.
सोनिया ने भी गाली बकनी शुरू कर दी. अरुण कुछ देर खड़ा रहा. फिर एक गहरी साँस ली और उपर जाकर नीचे आया तो उसके हाथ मे कार की चाभी थी. सोनिया और आरोही अभी एक दूसरे से लड़ने मे लगे हुए थे.
"अरुण कहाँ जा रहे हो?" स्नेहा ने उनलोगो को रोकते हुए पूछा.
"बाहर," अरुण चिल्ला के बोला. "मैं परेशान हो गया इस घर मे लड़ाइयों की वजह बन कर." वो मुड़ा और तेज़ी से बाहर निकल गया.
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"खुश?" स्नेहा ने दोनो से पूछा.
"दी, आप बीच मे मत बोलो," सोनिया बोली.
"सोनिया डोंट बी सो मीन.."
"हां अब तो सब मेरी ही ग़लती है.."
आरोही हल्के से हंस दी. तो सोनिया उसे देखने लगी.
"और क्या ग़लती तो तुम्हारी ही है. युवर सो कॉल्ड आटिट्यूड ना होता तो उस वक़्त भी अरुण को चोट नही लगती, लेकिन नही सोनिया तो अपनी मर्ज़ी की करती है. वो क्यूँ किसी की बात सुनने लगी. उस वक़्त भी तुमने उसकी बात सुने बिना उसे थप्पड़ मारा था और आज भी यही कर रही हो..." आरोही बोले जा रही थी, तो सुप्रिया ने उसे रोक दिया.
"लिसन सोनिया, वो बस हम सब लोगो के साथ थोड़ा अकेला वक़्त चाहता था, जिससे हम सब को ईक्वल टाइम दे सके," सुप्रिया उसे समझते हुए बोली.
"तो आप सब लोगो को बता दिया मुझे छोड़कर. आइ गेस मुझे ये एक्सपेक्ट करना चाहिए था," सोनिया रूखे अंदाज से बोली.
"गेट ओवर यौर्सेल्फ्त, सोनिया. हम सब लोग उसे शेयर करते हैं, तुम मे ऐसा स्पेशल क्या है कि तुम्हे ही सारा वक़्त मिले?" आरोही चिल्ला कर बोली.
"मैने कभी नही कहा कि मैं स्पेशल हूँ. बस मुझे दुख इस बात का है कि उसने मुझे ये बात नही बताई. कम से कम वो मुझे ये तो बता ही सकता था कि वो ठीक है. मैं जो परेशान रही इतने दिन उसका क्या?"
आरोही अपने आँखें घूमने लगी.
"फक यू, आरोही." सोनिया चिल्लाते हुए रोने लगी. फिर मुड़कर तेज़ी से अपने रूम मे चली गयी.
"तुझे क्या हो गया है आरू?" स्नेहा ने सोनिया के पीछे जाते हुए आरोही को देखा.
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अरुण कार मे बैठा और स्टार्ट करके रोड पर चलाने लगा. उसके मन मे कोई खांस जगह नही थी, बस ऐसे ही गाड़ी चलाए जा रहा था.
"बिचस?" आवाज़ ने कहा
"शट उप,"
"काफ़ी सीरीयस फाइट थी और मेबी हो रही होगी." आवाज़ ने कहा
"मैने इससे भी भयंकर देखी है. अगर आरोही और सोनिया चाहे तो काफ़ी आगे बढ़ सकती है. तूने अभी कुछ नही देखा, हाथापाई तक हो जाती है."
"तो फिर तू ऐसे चला क्यूँ आया?" आवाज़ ने पूछा
"क्यूकी मेरी वजह से ही हो रहा है ये सब,"
"वैसे अपन लोग चल कहाँ रहे हैं?" आवाज़ ने बात बदलते हुए पूछा
"पता नही.."
"ओके..." आवाज़ ने जबाब दिया
"शिट," अरुण तेज़ी से चिल्लाया.
"टेक इट ईज़ी, ब्रो." आवाज़ ने उसे सांत्वना दी
अरुण ने एक गहरी साँस ली और गाड़ी पर ध्यान दिया. कुछ घंटे तक वो ऐसे ही इधर उधर घूमता रहा. "मुझे किसी से बात करनी पड़ेगी," उसने आख़िरकार कहा.
"मैं हमेशा यही हूँ भाई." आवाज़ ने कहा
"नो अफेन्स लेकिन एक असली इंसान से," उसने सोचा.
आवाज़ शायद ये बात समझ गयी और शांत हो गयी.
अरुण के मन मे एक आइडिया आया.
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एश नैल्पोलिश लगा रही थी जब उसका फोन वाइब्रट होने लगा. उसने फोन उठाकर जवाब दिया तो अरुण था दूसरी तरफ.
कुछ देर तक उसने बात की फिर कपड़े पहनने लगी.
20 मिनिट बाद अरुण उसके घर पर बैठा हुआ था और गुस्से और थकान से भरा हुआ लग रहा था.
"तो क्या हुआ?" एश ने पूछा.
"तुम्हारे डॅड तो नही है?" उसने पूछा.
"ऑफीस मे हैं,"
"थोड़ा पर्सनल मॅटर है." अरुण रिलॅक्स होकर बोला.
एश उसकी तरफ देख मुस्कुरा दी. "आइ'म लिसनिंग."
"कल आरोही का आक्सिडेंट हुआ."
"ओह माइ गॉड!" एश बोली.
अरुण ने उसे शांत रहने का इशारा किया. "शी'स ओके. एक दो कट्स हैं और पैर मे फ्रॅक्चर है बस."
"ओह माइ गॉड..व्हाट हॅपंड?"
"वो उसी लड़के ने हमला किया जिसने मेरी कार पर गोली चलाई थी."
"ओह नो!"
"पोलीस ने बताया कि उसकी गाड़ी आगे जाके पलट गयी और उसकी वही डेत हो गयी."
"वेल, आरोही से कहना कि उसे किसी चीज़ की ज़रूरत है तो मैं हूँ."
"आइ विल," अरुण बोलकर शांत हो गया.
एश ने टेन्षन को भाँप लिया.
"व्हाट?" उसने पूछा.
"मैं इसलिए नही आया."
"ओह, तो फिर?"
और नर्वस होकर अपनी चेयर मे इधर उधर हुआ.
"चाइ या कॉफी.." एश ने पूछा.
"कॉफी विल डू," अरुण ने कहा तो दोनो के लिए कॉफी बना के ले आई.
अरुण बोलने की बजाए कप के रिम पर उंगली घूमने लगा.
"अरुण, यू कॅन टेल मी एनितिंग. रिमेंबर, मैने तुम्हे हर चीज़ बताई है जो कुछ मैने किया. मुझे किसी चीज़ से प्राब्लम नही होगी."
"मैने कभी इन चीज़ो के बारे मे किसी से बात नही की है बस," उसने कहा.
"कोई नही, जब तुम्हे ठीक लगे तुम बोलना."
अरुण काफ़ी पलों तक खामोशी से बैठा रहा. फिर उसने अपना गला सॉफ किया और उसकी ओर देखा.
"तुम्हे तो पता ही है कि मेरे और मेरी सिस्टर्स के बीच क्या चल रहा है?"
एश मुस्कुरा दी. "यॅ, आइ फिगर्ड."
अरुण हल्का सा शरमा गया. "वेल, इट्स नाउ..फक्ड अप."
"व्हाट..कौन आरोही?"
"क्या?" अरुण कन्फ्यूज़ होकर बोला.
"प्रेग्नेंट! कौन?"
"ओह गॉड" अरुण सिर हिलाने लगा. "नही..नही. कोई प्रेग्नेंट नही है जहाँ तक मुझे पता है."
"ओह. सॉरी."
फिर दोनो हल्के से हंस पड़े. अरुण अपने बालो मे उंगलियाँ फिराने लगा.
"ओके, जब मैं और तुम साथ मे गये थे तब मुझे कुछ भी याद नही था पिछले साल का. लेकिन जब दूसरी बार हम दोनो किस कर रहे थे ये सब चीज़े एक दम से मेरे दिमाग़ मे आगयि." उसने कॉफी की सीप लेते हुए बताया.
"घर पहुच कर मैने सिर्फ़ सुप्रिया दी को बताया और किसी को नही."
एश उसे देखने लगी. "ओके..लेकिन पहले मैं कुछ पूछ सकती हूँ?"
अरुण ने सिर हिला दिया.
"तो हर किसी को पता है कि तुम हर किसी के साथ सेक्स करते हो?" उसने हां मे सिर हिला दिया. "वो लोग ईक्वली शेयर करते हैं तुम्हे या कोई शेड्यूल बना रखा है."
अरुण हंस दिया. "वेल," वो मुस्कुराते हुए बोला. "मैं डाइयग्रॅम से बता सकता हूँ."
एश भी हंसते हुए सिर हिलाने लगी. "ओवरव्यू ही काफ़ी रहेगा."
"वेल, सोनिया को लगभग हर रात मिलती है. शुरुआत मे तो बस वो मेरे पास इसलिए सोती थी क्यूकी उसे अकेले नींद नही आती थी और डरावने सपने आने लगे थे. आइ डॉन'ट रियली नो कि ये सब हो कैसे गया. खैर वो लोग शेयर करते हैं, लेकिन कोई रूल्स नही हैं. मैं कोशिश तो यही करता हूँ कि सबको बराबर का टाइम दे पाऊ लेकिन दिन मे 24 घंटे ही होते हैं."
"तो उन लोगो को शेरिंग से कोई प्राब्लम नही है?"
"मोस्ट्ली नही, आइ गेस. आइ मीन इट्स काइंड ऑफ अन ओपन रिलेशन्षिप. या फिर लाइक प्लुरल मॅरेज जबकि हम लोगो की शादी नही हुई है. मुझे तो पता भी नही है कि है क्या ये," वो हाथ खड़े करते हुए बोला.
"तो तुमने सुप्रिया दी को बताया और किसी को नही, फिर" एश बोली.
"मुझे पता है तुम्हे ये सुनने मे कैसा लग रहा होगा. बिलीव मी आइ हॅड गुड इंटेन्षन्स. काइंड ऑफ. देखो मैं बस सबके साथ बराबर का टाइम स्पेंड करना चाहता था एक एक करके सबके साथ."
"उसके बाद मैने आरोही को बताया फिर अभी परसो कॅबिन पर स्नेहा को. आक्सिडेंट तक मैने सोनिया को कुछ नही बताया था. वहाँ हॉस्पिटल मे मेरे मूह से निकल गयी और अब वो काफ़ी गुस्से मे है."
"अगर मैं होती तो मैं भी होती. बाकी लोगो ने तुमसे कहा नही था कि वो गुस्सा होगी?"
"कहा था एक दो बार," अरुण डरते हुए बोला.
एसा मुस्कुरा दी. "आब्वियस्ली तुम अल्फा हो इस रिलेशन्षिप मे,"
"मतलब?"
"वेल, सुप्रिया, स्नेहा और आरोही के साथ इंटिमेसी थोड़ी अलग होती होगी सोनिया से. मतलब सोनिया इस लाइक युवर बेबी आंड सिस्टर ऑल्सो."
"मैने कभी ऐसे सोचा नही."
"कोई नही तुम बात आगे बताओ पहले."
अरुण ने दोबारा सीप लिया. "तो ये बात पता चलते ही उसने हॉस्पिटल मे ही मेरे थप्पड़ मारा और जब इस सुबह मैं जगा तो वो घर पर नही थी. मैं नीचे आया और आरोही कुछ कह रही थी जो थोड़ी अच्छी बात नही थी..यही कि वो बस पूरा टाइम अपने लिए चाहती है."
"सही कहा कि ग़लत?"
अरुण कुछ देर सोचने लगा. "नही, लेकिन वो सब इसी तरह हैं"
एश दाँत दिखाने लगी. "पूअर गाइ,"
अरुण भी हल्के से हंस दिया. "आइ नो. आइ नो. लेकिन मैं सीरीयस हूँ. ये उतना बुरा भी नही है, सोनिया है थोड़े इस टाइप की. मुझे बस समझ नही आ रहा कि इसका सल्यूशन क्या है. मुझे तो अपने आप पर गुस्सा आती है कि मेरी वजह से मेरी फॅमिली मे इतनी प्रॉब्लम्स हो रही हैं."
"शायद तुम्हे अपनी बहनों के साथ सेक्स नही करना चाहिए था," एश हँसी रोकते हुए बोली.
"प्लीज़, यार एशू."
"और क्या चाहते हो? सोचो अगर तुम चार लड़कियो के साथ डेटिंग कर रहे हो और उन सबको बाकी तीनो के बारे मे पता हो, तो तुम्हे क्या लगता है कि क्या होगा? लड़कियों का दिमाग़ काफ़ी कॉंप्लेक्स ढंग से काम करता है, अरुण."
"यॅ, आइ नो नाउ."
"तो मैं कुछ सलाह दूं?"
अरुण ने सिर हिला दिया.
"जस्ट बी ऑनेस्ट. उन्हे बताओ की तुम्हारे दिल मे क्या है. प्रॉब्लम्स से दूर भागने से काम नही चलने वाला. बात करो, यही सल्यूशन है. और जहाँ तक मैं उम्मीद करती हूँ, तुम्हारी बहने कोई ना कोई रास्ता निकाल ही लेंगी. सोनिया गुस्से मे है और उसे होना भी चाहिए लेकिन वो मान जाएगी."
"पक्का?"
एश ने सिर हिला दिया. "आख़िर वो भी एक लड़की ही है और पागल तो है ना. जब तक तुम उसके बारे मे नही भूलते वो जल्दी ही वापस आ जाएगी."
अरुण को तुरंत ही रियलाइज़ हुआ कि बात करके कितना अच्छा फील हो रहा था.
"तो वो अल्फा से क्या मतलब था?"
"देखो जैसे बेडरूम मे या किसी पब्लिक प्लेस मे तुम्हारी बात मानते हैं वो लोग. फॉर एग्ज़ॅंपल, जब तुम लोग सेक्स कर रहे होते हो, तो तुम जो कहते होगे वही करती होंगी वो लोग?"
अरुण कुछ पल सोचने लगा. "यॅ, काफ़ी हद तक. सुप्रिया दी और सोनिया काफ़ी कुछ वैसी ही हैं. स्नेहा दी थोड़ी अग्रेसिव हो जाती हैं. आरोही उसका कोई भरोसा नही."
एश हँसने लगी ये बात सुनके.
"यही मेरे कहने का मतलब है. तुम उन्हे बताते हो तो वो कुछ करती है. मेरे केस मे थोड़ा अलग था, शॉन और मैं दोनो उतने एक्सपीरियेन्स्ड नही थे तो हम दोनो ईक्वल थे लेकिन धीरे धीरे मैं अल्फ़ा होती गयी."
अरुण सिर हिलाने लगा. "मैने कभी तुम्हे ऐज आ अल्फ़ा नही देखा."
"यप, वो प्यारी, स्वीट डरने वाली एश कभी हो भी नही सकती थी.." फिर दोनो हँसने लगे.
फिर अरुण खड़ा हो गया. "थॅंक्स फॉर लिसनिंग और हेल्प करने के लिए."
एश मुस्कुरकर आगे बढ़ी और उसके गले लग गयी. फिर दोनो अलग हुए और साथ मे बाहर चलने लगे.
"थॅंक्स अगेन, एशू," अरुण बाहर जाते हुए बोला.
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