RE: bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
खाना खाते वक़्त अरुण के चेहरे पर से हँसी उतर ही नही रही थी. वो जब किचिन मे आया तो स्नेहा के खाने की महक से ही उसकी भूख बढ़ गयी.
"नींद अच्छी आई?" स्नेहा ने उसके चेहरे पर हँसी देख कहा.
"यप." अरुण ने उसे हग करते हुए कहा.
फिर जाके टेबल पर बैठ गया. स्नेहा जब उसके सामने प्लेट रखने आई तो उसके कान मे बोलने लगी. "मुझे बहुत जल्द ही ये लंड चाहिए,"
अरुण ने सिर हिलाकर आँख मार दी. तब तक पीछे से तीनो भी आ गयी. सुप्रिया और आरोही मूह धोकर आई थी. खाते वक़्त सभी हँसी मज़ाक करते रहे.
खाना ख़ाके अरुण टीवी देखता रहा. सोनिया कुछ देर उसके साथ बैठी फिर उपर जाने लगी.
"गुड नाइट भाई," सोनिया ने उसके गाल पर किस करते हुए कहा.
अरुण एक पल के लिए भूल गया कि वो नाटक कर रहा है और उसके होठ सोनिया के होंठो की दिशा मे मूड गये लेकिन होंठो जुड़ते ही उसे ध्यान आया तो तुरंत ही वो पीछे हट गया और उसके माथे पर किस कर दिया. सोनिया कुछ देर उसे देखती रही फिर मुस्कुरा कर उपर चली गयी. अरुण काफ़ी देर तक सबके सोने के इंतजार मे टीवी देखता रहा.
कुछ घंटे बाद जब सभी अपने अपने रूम मे जा चुके थे, अरुण खड़ा हुआ. पूरे घर मे सन्नाटा था. वो उपर गया और आरोही के कमरे मे झकने लगा तो सोनिया आरोही के साथ सो रही थी, दोनो एक दूसरे से चिपके पड़े थे. अरुण हल्के से मुस्कुरा दिया और नीचे आ गया.
नीचे आकर वो स्नेहा के रूम मे गया. तो वो बिना चादर के बिस्तर पर सो रही थी. उसकी हमेशा से आदत थी, सोती वो चादर डाल के थी लेकिन नींद मे ही सब कुछ उपर से उठा देती थी. आज उपर से उसने कुछ भी पहना हुआ नही था. अरुण का लंड उसे नंगे सोते देखकर ही खड़ा होने लगा.
उसकी गोरी काया चाँद की रोशनी मे नीली लग रही थी और उसकी पर्फेक्ट बूब्स सामने थे. वो बिना आवाज़ के उसकी ओर बढ़ा. स्नेहा ने शायद वापस आते ही शेव कर ली थी क्यूकी उस की चूत बिल्कुल चिकनी चाँदनी मे चमक रही थी. अरुण आगे बढ़कर उसके बदन की भीनी खुसबू अपने अंदर समेटने लगा.
अरुण ने बेड के पास ही जल्दी से अपने शॉर्ट्स और टी-शर्ट निकाल दी. फिर उसके पैरो की तरफ से उसने अपना मूह बस उसकी चूत से 2 इंच की दूरी पर रखा और जीभ को उसकी चूत के पूरे हिस्से पर रख के गहरा चुंबन जड़ दिया.
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स्नेहा डिन्नर करके शवर लेने चले गयी और सोचने लगी की शायद अरुण आज रात उससे मिलने आएगा. उसने जल्दी से कपड़े निकले और नंगे ही शवर के नीचे खड़ी हो गयी. तभी दरवाजा खुला और आरोही अंदर आ गयी.
"ओहो, तो आज तो तय्यारी चल रही है." आरोही हंसते हुए बोली.
स्नेहा शरमा गयी. "टेन्षन मत लो दी मैं आप दोनो को डिस्टर्ब नही करने वाली."
"मुझे पता नही था कि उसने तुम्हे बता दिया है, आंड थॅंक्स" स्नेहा बोली.
"बताया नही दी बस मुझे पता चल गया. ट्विन आइंटूयीशन. हेल्प करूँ नहलाने मे?" आरोही आँख मार कर बोली.
स्नेहा हंस पड़ी. "अच्छा ऑफर है लेकिन अभी नही,"
आरोही बच्चे जैसी शक्ल बना के उसे देखने लगी लेकिन फिर तुरंत ही हँसने लगी. "रात मे ज़्यादा शोर मत करना."
स्नेहा उसकी बात सुन हंस दी. आधे घंटे बाद वो अपने रूम मे अरुण का इंतजार कर रही थी. उसने सोचा देर ना हो इसलिए बिना कपड़ो के ही बिस्तर पर लेट कर आने वाले पलों का इंतजार करने लगी.
पहले तो उसने टाइम काटने के लिए किताब उठाई लेकिन किताब मे उसका ध्यान ही नही लगा. उसने सोचा कि मास्टरबेट कर ले लेकिन फिर कुछ सोचकर वो विचार भी मन से निकाल दिया. आख़िरकार वो ज़्यादा देर तक खुद को जगा के नही रख पाई और उसकी नींद तब खुली जब उसे अपनी चूत पर कुछ गीला गीला चलता महसूस हुआ.
उसकी मस्ती मे आह निकल गयी, उसने मुड़कर देखा तो अरुण का हंसता चेहरा उसके पैरो के बीच पड़ा था.
"म्म्म्मममम," वो बोली.
अरुण ने और सिद्दत से जीभ चूत पर फिरा दी. अरुण ने अपना हाथ आगे करके उसकी चूत की फाकॉ को खोल दिया और अंदर तक जीभ डाल का उसका लुफ्त उठाने लगा. उसकी क्लाइटॉरिस पर पट जीभ रखके उसने तेज़ी से अंदर खिचा तो स्नेहा की कमर खुद उसकी मूह पर दबाती चली गयी.
अरुण ने उसकी चुतड़ों को अपने हाथो से पकड़ लिया और उसको उठाकर उपर नीचे करते हुए चूत को जीभ से चोदने लगा.
उसकी जीभ उसके जी स्पॉट को छूकर आती तो स्नेहा के शरीर मे करेंट दौड़ जाता.
कुछ ही देर मे स्नेहा झड़ने की कगार पर पहुचि तो उसने दोनो हाथो से अरुण के बालो को पकड़ लिया और कस के अपनी चूत पर दबाने लगी. उसके बदन मे करेंट की लहरें एक के बाद एक दौड़ने लगी और उसे मस्ती मे डुबोने लगी.
अरुण ने कुछ देर बाद उपर देखा और उसे देखकर हंस पड़ा. स्नेहा भी आनंद के सागर मे गोते खाते हुए उसे देख हँसने लगी. अरुण उपर आया तो स्नेहा ने जल्दी से उसका पूरा चेहरा चाट डाला और अपनी चूत के पानी का स्वाद चखने लगी. अरुण दोबारा हिला और इस बार उसके सीने पर बैठ गया लेकिन पूरा वजन नही डाला. उसने सीधे ही अपना लंड उसके होंठो पर रख दिया जिसे देख स्नेहा ने तुरंत ही अपने होठ खोल दिए. उसे लंड चूसने मे पिछले दिनो से कुछ ज़्यादा ही मज़ा आ रहा था. और जब इतने दिनो बाद ढंग से वो चीज़ मिली थी तो स्नेहा दीवानी होती जा रही थी. अरुण ने उसके सिर को पकड़ लिया और उठाकर अपना लंड गले के काफ़ी अंदर डाल दिया. स्नेहा भी उसके झटको का साथ देने की कोशिश करने लगी. उसके गले ने थूक की नदी बहाकर लंड को गीला कर दिया. और जब लंड उसके मूह से बाहर आया तो उसकी थूक के धागे लंड से होटो से चिपके हुए थे.
उसे फिरसे महसूस होने लगा कि कोई उसपर कब्जा कर रहा है और उसकी चूत मे चीटियाँ रेगने लगी. उसने एक बार गुर्रा के लंड को चूसा,.
अरुण मस्ती मे सिसक पड़ा. "दी थोड़ा रुकने दो, नही तो मैं झड जाउन्गा," अरुण ने उसके मूह से लंड छुड़ाते हुए कहा.
स्नेहा ने उसके चुतड़ों को पकड़ लिया और उसे दूर नही जाने दिया. "कोशिश भी मत करा. मुझे पता है एक बार झड़ने के बाद तुम्हारा लंड जल्दी ही खड़ा हो जाएगा. और अगर नही हुआ तो मैं चूस चूस्कर खड़ा कर दूँगी."
उसने अरुण की झुरजुरी महसूस की. उसने ये पढ़ा था कि सेक्स के वक़्त गंदी गंदी बातें करने पर मज़ा बढ़ता है लेकिन देख आज पहली बार रही थी. उसने महसूस किया कि अरुण की पकड़ उसके बालो पर और हो गयी और उसने ताक़त से लंड को गले मे उतार दिया.
"एक चीज़ ट्राइ करने दो, मैने अभी कुछ ही दिन पहले पढ़ा इसके बारे मे," स्नेहा ने एक नॉटी स्माइल के साथ कहा और उसे नीचे उतारकर खुद बेड पर लेट गयी और सिर को बेड से नीचे कर दिया.
"अब इधर आकर खड़े हो जाओ," उसके कहते ही अरुण पीछे आकर खड़ा हो गया. उसके लंड को होंठो से जुड़ते ही वो मुस्कुराने लगी. "मैने पढ़ा है कि ऐसे चूसने मे काफ़ी मज़ा आता है."
अरुण ने तुरंत ही ज़ोर लगाकर लंड को अंदर कर दिया. और अपनी कमर को धीरे धीरे चला कर उसके मूह को चोदने लगा. स्नेहा एक हाथ से अपनी चूत को सहलाते हुए उंगली करने लगी और एक हाथ से अपने दूध मसलने लगी. अरुण हर धक्के के साथ लंड को और गहराई मे उतार रहा था.
"इस बार मैं पूरा डालने वाला हूँ," अरुण ने लंड को बाहर निकालकर कहा.
"जल्दी," स्नेहा मस्ती से बोली.
अरुण ने एक ही झटके मे लेकिन थोड़ा कंट्रोल के साथ अपना बड़ा लंड उसके मूह तक तक पेल दिया. स्नेहा अपने गले को उसके लंड के हिसाब से अड्जस्ट करने लगी और अपनी उंगली को पूरा चूत मे डालने लगी. "ओह..दी,सीयी.." अरुण बोला और थोड़ा बाहर निकालने लगा तो स्नेहा ने उसके चूतड़ पर मार दिया और उसकी कमर को अपने उपर धक्के देने लगी. तुरंत ही उसके लंड से गर्म गाढ़ा रस निकलकर उसके गले के अंदर जाने लगा. अरुण के घुटने काँपने लगे. स्नेहा भी मस्ती से वही झड़ने लगी लेकिन उतनी तेज़ी से नही जितना कि अरुण.
जब तक वीर्य की आख़िरी बूँद उसने लंड से निकाल नही ली तब तक वो अरुण को वैसे ही पकड़े खड़ी रही फिर पास मे लिटा लिया. स्नेहा ने 2 3 बार मे पूरा का वीर्य निगला और उसके पेट को चूमने लगी. अरुण गुदगुदी के कारण हंस पड़ा. स्नेहा से अब रुका नही जा रहा था. उसने नीचे पहूचकर उसकी ओर देखा और लंड को हाथ से पकड़ लिया.
उसने लंड की साइड्स को चाटा और सुपाडे पर होठ रख के चूस लिया फिर दूसरे साइड भी वही किया. वो कुछ देर यही करती रही फिर पलटकर अपनी चूत उसके मूह पर रख दिया. उसने अरुण की जीभ को चूत पर महसूस करके एक सिसकी भरी और अपना ध्यान उसके लंड पर रखा. कुछ ही देर मे लंड अपने पूरे आकार मे आने लगा. लंड को खड़ा होते देख स्नेहा की आँखे चमक उठी और उसकी चूत और गीली होने लगी. उसने होंठो को गोल गोल घूमाकर तेज़ी से लंड को चूसना शुरू कर दिया. फिर जब उसे तसल्ली हो गयी कि लंड ढंग से खड़ा हो गया है तो जल्दी से पलट गयी.
अरुण ने उसे रुकने को कहा और पलटकर घुटनो के बल कर दिया. अरुण ने अपने दोनो हाथ उसके चुतड़ों पर रखे.
"आइ लव यू, दी," उसने कहा.
स्नेहा हंस पड़ी. "आइ लव यू टू, बेबी. अब जल्दी से ये लंड मेरी चूत मे डाल दो. मैं कब से इसे महसूस करने को तड़प रही थी. चोदो मुझे..."
अरुण ने हाथ साइड मे करके उसके दूध को आगे खीच दिया और लंड को चूत मे डालने लगा.
"अहयहह..फुक्कक...यवेस....." उसने अपनी कमर को उससे जोड़ते हुए कहा. अरुण ने निपल को उमेठते हुए और कस्के धक्का मारा तो स्नेहा तेज़ी से चीख पड़ी. स्नेहा को महसूस हुआ कि उसका लंड हर धक्के के साथ उसकी ताक़त खिच रहा हो.
"मेरे बाल..हा.म्म्म्मकम...खिचो..आहह," स्नेहा बोली. अरुण ने और गहराई मे लंड डाला और अपने हाथ उसकी पीठ पर घूमाते हुए उसके बाल पकड़ लिए और खिच दिए.
"और तेज, चोदो मुझे..आहमम्म्मम.." वो बोली तो अरुण ने पकड़ और मजबूत कर दी. हर धक्के के साथ स्नेहा की आवाज़ बढ़ रही थी. और बाल अरुण की गिरफ़्त मे होने से वो अपने मज़े के चरम पर पहुच रही थी. अरुण ने उसकी आवाज़ रोकने के लिए अपना दूसरा हाथ उसके मूह पर रखा तो वो उसकी उंगलियो को चूसने लगी.
दोनो की कमर एक दूसरे से टकरा कर थप ठप की आवाज़ें निकाल रही थी. अरुण की स्पीड हर धक्के के साथ बढ़ने लगी और स्नेहा मस्ती मे डूबती चली गयी. उसकी चूत फिरसे झड़ने लगी लेकिन अरुण ने के पल के लिए भी स्पीड को कम नही किया.
"ओह्ह.,..फक्क....अहहह....फक..फक.." वो लंड को बार बार अपनी दीवारो पर महसूस करके बोल उठी. उसका चेहरा पसीने से भीग गया था और बाल चिपक गये थे. अरुण की उंगलियाँ अभी भी उसके मूह पर थी जिसे वो किसी लॉलिपोप की तरह मूह मे रखे पड़ी थी.
कुछ देर बाद अरुण ने लंड को चूत से निकाला और सीधा करके उसकी जाँघो को और फैला दिया और फिरसे लंड को अंदर डाल दिया.
"आइ लव यू, दी..." उसने लंड को अंदर डालते हुए कहा.
"आइ लव यू टू," उसने कहा "और तेज चोदो अपनी दी को...अहहह.."
स्नेहा के दूध उसके सीने से टकरा रहे थे और लंड गहराई मे जाकर उसे मज़ा दे रहा था. कुछ ही धक्को के बाद स्नेहा फिर से झड़ने के करीब पहुच गयी.
"मेरे दूध पर झडोगे या मेरी चूत के अंदर आहह..?" उसने पूछा.
अरुण ने मुस्कुराते हुए तेज़ी से धक्का मारा और और अपने होठ उसके होंठो से जोड़ दिए. स्नेहा के मन से सारे विचार गायब होने लगे बस था तो मदहोशी और अपनी चूत मे उसके लंड का अहसांस. उसकी चूत कुलबुलाकर और पानी छोड़ने लगी. अरुण का लंड बार बार उसे मस्ती मे डुबो रहा था. स्नेहा ने महसूस किया कि उसका लंड भी शख्त हो गया है और अगले ही पल उसका गर्म गाढ़ा रस चूत के पानी मे मिलने लगा. उसकी चूत उस गर्मी के अहसांस से और पानी छोड़ते हुए दोबारा झड़ने लगी.
अरुण मस्ती मे गहरी सांसो के साथ लंबे लंबे स्ट्रोक मार रहा था. उसका लंड बस पिचकारी पर पिचकारी छोड़ रहा था. दोनो के बदन पसीने से लथपथ एक दूसरे से गुथे पड़े थे. और दोनो की जीभ एक दूसरे के मूह मे नाच रही थी.
स्नेहा का सिर घूमने लगा और आँखो के आगे धुन्ध छाने लगी इतनी बार झड़ने की वजह से. अरुण ने लंड निकालना शुरू किया तो स्नेहा ने उसके दोनो चुतड़ों पर हाथ रखके रोक दिया.
"वही छोड़ दो, बस मेरे उपर लेटे रहो ऐसे ही," स्नेहा साँस संभालते हुए बोली.
अरुण ने वही किया और आराम से उसके उपर लेट गया. स्नेहा के दूध उसके सीने के वजन से धँस गये थे. दोनो फिरसे किस करने लगे और अरुण ने अपने होठ उसकी गर्दन की ओर मोड़ दिए. पसीने का नमकीन स्वाद उसे और मज़ा दे रहा था.
कुछ देर बाद जब लंड उसकी चूत से निकला तो स्नेहा थोड़ी शांत हुई लेकिन उसे पकड़े रही और उसके चेहरे पर एक बड़ी मुस्कान आ गयी. अरुण ने उसके चेहरे पर मुस्कान देखी तो खुद को उसे किस करने से रोक नही पाया.
"तो कैसा लगा?" उसने पूछा.
अरुण उसके कंधे को चूम रहा था. "ग्रेट,"
"अरे बुद्धू, मतलब गले मे झड़ना ज़्यादा अच्छा लगा कि चूत मे?" अरुण उसके कंधे से दूधो की ओर बढ़ रहा था प्यारे किस करते हुए.
उसकी बात सुन हंस पड़ा. "आपको पता है सिर्फ़ यही सोचकर कि आप चुसोगी मेरा लंड खड़ा हो जाता है. और हां, मुझे काफ़ी मज़ा आया. लेकिन आपको तो दिक्कत नही हुई ना," अरुण उसके कान को चूम रहा था. स्नेहा उसके बालो को धीरे धीरे सहला रही थी.
"थोड़ी दिक्कत हुई थी लेकिन मज़ा भी उतना ही आया जब मैं उसी वक़्त झड़ी."
अरुण के मूह ने उसके निपल को अपने अंदर कर लिया और चूसने लगा.
"दट वाज़ गुड," वो दूसरे निपल की ओर बढ़ते हुए बोला.
"मैं कब्से वो ट्राइ करने की सोच रही थी. और आगे मैं काफ़ी प्रॅक्टीस करूँगी जिससे तुम्हे मज़ा दे पाऊ," उसने कहा तो अरुण उसके दूध पर जीभ फिराने लगा.
"तुम सुन भी रहे हो?" स्नेहा ने पूछा.
अरुण ने उसकी तरफ मुस्कुरकर देखा. "दी आप पहले से ही बहुत अच्छा कर रही हो. आपको और प्रॅक्टीस की ज़रूरत नही है."
"तुम्हारे साथ प्रॅक्टीस करती डफर," तब अरुण दोबारा उसके दूध को चूमने लगा था.
अरुण ने एक बड़ी स्माइल के साथ उसे देखने लगा. "हां प्रॅक्टीस से किसी को नुकसान भी क्या है."
स्नेहा ने हंसकर उसका चेहरा अपने पास खिचा और चूमने लगी. "वैसे सोनिया को कब बता रहे हो?"
"दी बता दूँगा. आइ नो वो थोड़ा गुस्सा होगी लेकिन मैं उसे मना लूँगा, अभी मैं सिर्फ़ आपके साथ टाइम स्पेंड करना चाहता हूँ."
"आइ गेस यू हॅव युवर रीज़न्स."
फिर दोनो कुछ देर तक किस करते रहे फिर अरुण बिस्तर से उठ गया. कपड़े पेहेन्कर उसने दोबारा किस किया और दरवाजा खोलकर चला गया.
स्नेहा हंसते हुए तकिये पर सर रखके सो गयी.
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