RE: bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
आरोही ने टॉपिक चेंज करना ही ठीक समझा. "अरे निशा, मैने तुझे और रोहित को परसों मूवी हॉल मे देखा था."
रोहित की आँखे चौड़ी हो गयी. "ऐसा क्या?"
"हां, लेकिन तुम लोग जल्दी ही चले गये थे. मूवी अच्छी नही लगी क्या?" उसने पूछा.
निशा ने गला सॉफ किया और रोहित की ओर देखा. "हां, बेकार मूवी थी. वेस्ट ऑफ टाइम."
"और उपर से तुमने देखा था कि हॉल मे लोग क्या क्या हरकते कर रहे थे?" रोहित बोला.
"यॅ, आइ वाज़ सो शॉक्ड!" आरोही मुस्कुरा कर बोली. "मतलब पब्लिक मे ये सब करना! गॉड."
निशा अब थोड़ी रिलॅक्स हुई. रोहित तभी दोबारा टॉपिक को चेंज करने के लिए जोक सुनाने लगा. ऐसे ही सभी अपने जोक्स, पुराने किस्से सुनाने लगे. रात गहरी होती गयी तो बाकी लोग अंदर चले गये और बाहर ये तीनो सोने लगे सिवाय अरुण के. कुछ देर बाद जब उसे कन्फर्म हो गया कि रोहित सो गया है तो वो चुपके से उठा और कॅबिन के अंदर चला गया. अंदर जाके वो कुछ देर खड़े होकर अपनी आँखो को अंधेरे का आदि बनाने लगा. खिड़कियाँ खुली थी तो चाँद की रोशनी अंदर आ रही थी. उसने पहले रूम धीरे से खोला तो अंदर सोनिया और सुप्रिया एक साथ सो रही थी. उसने दरवाजे को वापस बंद कर दिया. दूसरे मे पहुचा तो स्नेहा और निशा सो रहे थे. निशा अपने भाई की ही तरह बहुत तेज़ी से खर्राटे भर रही थी.
अरुण चुपके से रूम मे दाखिल हुआ और स्नेहा की साइड पर जाके बैठ गया जिधर स्नेहा क्यूट से फेस के साथ अपनी तकिये पर सो रही थी. उसने आराम से उसके मूह पर हाथ रखते हुए उसी वक़्त कान मे कहा. उसकी आवाज़ सुनते ही स्नेहा एक दम से कूद पड़ी लेकिन तभी शांत भी हो गयी.
"दी, मैं हूँ, अरुण, घबराओ मत. अब जितना शांति से हो सके उठो और मेरे साथ चलो."
वो अभी भी नींद मे थी लेकिन बैठकर उसकी ओर देखनी लगी. वो धीरे से उठी और पंजो के बल उसके साथ चलने लगी लेकिन बाहर निकलने से पहले ही अरुण ने उसे अंधेरे कोने मे दीवार से सटा दिया. उसके हाथ तुरंत ही उसके गाउन के बटन खोलने लगे.
आगे झुककर उसने अपना मुँह उसके कान के पास किया और बहुत ही धीमी आवाज़ से कहा,"अगर आपने ज़रा सी भी आवाज़ की तो निशा जाग जाएगी. अब मैं आपको बहुत ही जबरदस्त ऑर्गॅज़म महसूस करवाने वाला हूँ लेकिन आप बिल्कुल भी आवाज़ नही निकाल सकती."
स्नेहा तो उसकी बात सुनके ही चूत गीली करने लगी और उपर से पकड़े जाने का डर, इन सब के कारण उसके उपर वही सेक्स वाला नशा चढ़ने लगा. उसने अपने दाँत पीस लिए और हां मे सिर हिला दिया, वो ये बिल्कुल भूल ही गयी थी कि दोनो अंधेरे मे खड़े हैं तो अरुण को कुछ नही दिखेगा.
अरुण ने उसकी ब्रा से एक दूध आज़ाद किया और तुरंत ही सिर नीचे करके उसे मूह के अंदर कर लिया. स्नेहा ने होठ काटते हुए अपने मूह पर हाथ रख लिए. उसने दूसरा बटन खोला और अपना हाथ उसकी पैंटी के अंदर डाला तो स्नेहा बहुत ही धीमे से सिसक पड़ी. उससे कंट्रोल नही हुआ तो उसने अपने हाथ नीचे किए और अरुण के शॉर्ट्स से छेड़खानी करने लगी. उसके शॉर्ट्स गिरते ही उसका दूसरा दूध भी आज़ाद हो गया. अरुण ने देर ना करते हुए दूसरे वाले पर भी अपनी जीभ फेरी तो जीभ के छूते ही निपल खड़ा हो गया. अंडरवेर नीचे ही उसका लंड उपर नीचे झूलने लगा था.
अरुण ने उसको और अपने करीब कर लिया और धीमे से उसकी गर्दन चूमते हुए कान को चूमने लगा और नीचे बढ़कर कंधे पर अपने होंठो की छाप छोड़ता चला जा रहा था. स्नेहा जितना हो सकता था उतनी आवाज़ रोकने की कोशिश मे लगी हुई थी और धीरे धीरे उसके लंड को सहला रही थी.
अरुण ने उसके उपर के हर हिस्से अपने होंठो से चूमा और एक हाथ से उसके निपल को उमेठ दिया तो स्नेहा मचलने लगी. अरुण ने फिर एक बार किस किया और खड़े होकर अपना लंड सीधे उसकी चूत पर घिस दिया जिससे स्नेहा वही सिसक पड़ी. अपना चेहरा उसके करीब करके उसने एक उंगली उसके होंठो पर रखी और चुप रहने का इशारा करके उंगली को मूह मे डाल दिया, उंगली को चूस्ते ही लंड भी उसकी चूत के अंदर पहुच गया. स्नेहा की आँखें मस्ती मे बंद होने लगी. दीवार से लगे लगे ही अरुण धीमे धीमे लंबे धक्के मारता रहा. अरुण ने उसके दोनो चुतड़ों को पकड़कर सहारा दिया और दीवार से सटकर झटके पर झटके मारता रहा. उसके होंठो अरुण के होंठो को ढूढ़ते रहे और दोनो का मिलन होने पर उसके बदन मे चिंगारियाँ फूटने लगी.
अरुण ने उसकी जाँघ को पकड़कर अपनी कमर की ओर लपेट लिया और लंड को वैसे डाले डाले ही बिना आवाज़ के रूम से बाहर निकालकर लिविंग रूम मे काउच पर आ गया. उसके दूध अरुण के सीने पर दबे हुए थे और दाँत उसके कंधे पर काट रहे थे. लेकिन तभी एक दम से कॅबिन का दरवाजा खुला तो दोनो वही जम गये और नीचे होगये. एक साया अंदर आया घर के.
अपने आप को कंट्रोल ना कर पाने के कारण स्नेहा हल्के से उठी और दोबारा अपनी चूत को लंड पर पेल दिया. उस साए ने उनकी तरफ ध्यान ही नही दिया और फ्रिड्ज की तरफ जाके उससे पानी की बॉटल निकाल ली.
हल्की रोशनी मे जब स्नेहा ने देखा कि कौन है तो उसकी आँखें चौड़ी हो गयी. अरुण का लंड तो रुकने का नाम नही ले रहा था, उसने एक बार हल्का झटका और लगाया तो दोनो साथ मे ही झड़ने लगे. अरुण की कमर खूदबखुद धक्के लगाते हुए उसकी चूत मे कामरस उडेलने लगी.
एश ने बॉटल का कॅप खोलकर पानी पिया. फिर फ्रिड्ज बंद करके पहला रूम खोला और अंदर देखकर फिर बंद कर दिया. फिर वो दूसरे दरवाजे की ओर बढ़ी और अंदर चली गयी.
उसके अंदर जाते ही स्नेहा एक दम से अरुण के उपर से उतरी और उसके लंड को अंधेरे मे ही हाथ से ढूँढ कर मूह मे भरकर चूसने लगी. उन दोनो के मिले जुले रस का स्वाद उसे काफ़ी अच्छा लग रहा था. कुछ देर तक शांति से अच्छे से चूसने के बाद उसने अपने होठ अरुण के होंठो की ओर बढ़ाए.
"दट वाज़ अवेसम," उसने धीमे स्वर मे कहा. "एश के आने से और मज़ा आ गया."
अरुण हल्के से हंस दिया और अंधेरे मे ही सिर हिलाने लगा. "मुझे लगा आज तो पकड़े गये.."
स्नेहा ने उसे आख़िरी बार किस किया और अंधेरे मे ही बाइ बोलकर जाने लगी. "मैं वही जा रही हूँ सोने. बस मेरे हाथ कुछ हरकत ना कर दे."
अरुण हल्के से हँसने लगा. फिर स्नेहा ने अंदर जाके उसके शॉर्ट्स को बाहर फेक दिया और धीमे से दरवाजा बंद कर दिया.
अरुण बिना आवाज़ के कपड़े पेहेन्कर बाहर चला गया.
**************
स्नेहा ने अपनी पैंटी पहनी और गाउन के बटन लगाए और बिना ज़्यादा शोरगुल के निशा और एश के पास जाके लेट गयी. उसने हल्के से एश को हिलाया जो कुछ देर बाद मुड़कर उसे देखने लगी.
"मैं हूँ, स्नेहा, साइड मे बढ़ो ना."
एश बिना कुछ बोले साइड मे हो गयी और स्नेहा उसके पास ही लेट गयी. दोनो एक ही चादर मे हो गयी और एश उसके उपर हाथ रख के सोने लगी.
स्नेहा बाद मे उसी रात जागी तो एश के हाथ उसके दूध दबा रहे थे. "ओह जेसी," एश बोली और उसकी गर्दन को चूमने लगी.
स्नेहा ने पहले एक मिनिट तो कुछ नही कहा फिर हल्के से खांस दी और उसे हल्के से हिला दिया.
"हुह? क्या हुआ..ओह..ओह...दी..सॉरी..सॉरी!" एश धीरे से कहने लगी.
स्नेहा ने मुड़कर उसे गले लगा लिया. "इट'स ओके, एशू. सपना था..कोई बात नही..सो जा अब."
एश कुछ देर और माफी मांगती रही लेकिन फिर स्नेहा के समझाने से उसके साथ शांति से सोगयि.
|