RE: bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
स्नेहा की आँखो मे आँसू थे. "आइ'म सॉरी, एशू," उसने एश को गले लगा लिया. "मुझे नही पता था कि इतना कुछ हो गया वहाँ."
एश ने सिर हिला दिया. "इट'स ओके दी. मैने इस पार्ट को आक्सेप्ट कर लिया है. डर मुझे अरुण के रियेक्शन का लग रहा था. ही'स दा बेस्ट पर्सन आइ'हॅव एवर नोन. यहाँ तक कि रोहित भी उन लड़को से अच्छा है. मुझे उस पार्टी को छोड़कर बाकी किसी चीज़ का रिग्रेट नही है, क्यूकी बाकी सब मैने अपनी मर्ज़ी से किया था. जेसी अभी भी मेरे कॉंटॅक्ट मे है. मैने अभी तक उसे वो पार्टी के बारे मे नही बताया है. मेबी सम डे."
अरुण सिर्फ़ आग मे ही देखे जा रहा था. सोनिया खड़ी हुई और पीछे से एश को हग कर लिया. "आइ'म सॉरी, व्हाट हॅपंड टू यू. और हम लोग तुम्हे जड्ज भी नही कर सकते. मैं भी तुम्हारी ही तरह थी, लेकिन अभी कुछ महीने पहले मुझे भी रीयलाइज़ हुआ कि कुछ ग़लतियाँ मैने भी की. और एक बात बिल्कुल ठीक कही, भाई सही मे एक अच्छे इंसान हैं."
"यू आर आ गुड पर्सन टू, रोहित," आरोही बोली. "माना कि तुम परवर्ट, बेवकूफ़, ओवरेक्टर, कमीना हो लेकिन जब भी हम लोगो को तुम्हारी ज़रूरत पड़ी तुम थे वहाँ. यू आर आ गुड फ्रेंड."
रोहित चुप चाप सिर हिला रहा था. उसने एश की ओर देखा. "लुक, मैं जानता हूँ मैं थोड़ा ज़्यादा बोलता हूँ और थोड़ी गंदी बातें करता हूँ और हम लोगो की कभी नही बनी लेकिन अगर तुम कहोगी तो मैं अभी जाके वहाँ उस सुअर की हड्डी पसली एक कर सकता हूँ."
एश हंस दी. "पक्का?"
अरुण हंस पड़ा.
"अच्छा छोड़ो, नेक्स्ट कौन है?" एश ने कहा.
"इट्स युवर चाय्स," सुप्रिया बोली.
उसने सुप्रिया से ही पूछ लिया. "ट्रूथ ऑर डेर?"
सुप्रिया मूह बंद करके उसे देखने लगी. "ट्रूथ,"
एश ने कुछ देर सोचा. "आपने अब तक सबसे बड़ा पेनिस कितने इंच का देखा है?" उसने पूछा.
सुप्रिया के मूह से बीयर तुरंत ही आग मे चली गयी और सभी हँसने लगे. कुछ देर बाद जाके जब हँसी थमी तो सुप्रिया ने एक बार अरुण की ओर देखा फिर बोली. "9"
ऐसे ही गेम आगे बढ़ता रहा और ज़्यादातर लोगो सेक्स से रिलेटेड क्वेस्चन्स ही पूछते रहे. बाद मे रोहित ने सिर्फ़ डेर के लिए कहा तो एंड तक 2 तीन लोगो के कपड़े उतर ही गये. लेकिन उससे आगे कुछ नही बढ़ा.
जब रात काफ़ी हो गयी तो सभी लड़कियाँ, आरोही को छोड़कर कॅबिन के अंदर चली गयी और अरुण, रोहित, आरोही ने स्लीपिंग बॅग्स लिए और आग के पास ही खर्राटे भरने लगे.
सुबह की पहली किरण के साथ ही तीनो जाग गये. अरुण ऐसे ही घूम के जब वापस आया तो निशा रोहित के पास से भाग कर आ रही थी, अरुण ने उसे खुद से टकराने से रोकने के लिए हाथ आगे किए तो उसके दूध सीधे उसके हाथो से टकरा गये और दोनो गिर पड़े. निशा तेज़ी से चलते हुए पीछे मूड के कह रही थी,"मैने कहा अभी नही,"
"सॉरी अरुण,"
रोहित गुस्से से दूसरी तरफ चला गया.
"नो प्राब्लम," अरुण ने उठाते हुए कहा.
कुछ देर बाद रोहित फिर निशा के पास गया.
"हम लोगो को वो केर्टेकर का कॅबिन भी चेक करना है."
"तो जाओ ना," निशा बोली.
"डॅड ने तो तुमसे कहा था मैं तो सिर्फ़ हेल्प के लिए चल रहा हूँ."
निशा ने एक गहरी साँस ली और खड़ी हो गयी. "फाइन."
"मैं भी चलता हूँ," अरुण भी खड़े होते हुए बोला लेकिन तभी अंदर से सुप्रिया की आवाज़ आई उसे बुलाते हुए.
"तू जा, हम लोग जल्दी ही आते हैं," रोहित बोला और निशा के साथ पहाड़ी की तरफ चल दिया जहाँ घने पेड़ो के पीछे एक और छोटा सा कॅबिन था.
अरुण जब अंदर से बाहर आया तो उसने देखा कि आरोही नदी से नहा कर आई थी लेकिन जिस ओर निशा और रोहित गये थे उसी ओर जाकर एक पेड़ की पीछे छुप के खड़ी थी.
अरुण देखकर कन्फ्यूज़ हो गया. "कर क्या रही है ये?" उसने सोचा.
"टट्टी तो नही कर रही."
अरुण ने सिर हिला दिया और अंदर पानी पीने चला गया. जब दोबारा बाहर आया तो आरोही उसी की ओर दौड़ कर आ रही थी. जब उसने अरुण को देखा तो उसे जल्दी से अपनी ओर बुलाने लगी. उसे लगा कि कहीं चोट तो नही लग गयी किसी को तो वो दौड़ कर वहाँ पहुचा.
"तुम्हे ये देखना ही पड़ेगा..और तुम्हे विश्वास नही होगा कि मैने क्या देखा है,"
"क्या?" अरुण ने पूछा.
"साथ मे चलो लेकिन चुप रहना, ओके," आरोही उसके साथ चलते हुए बोली.
वो लोग चुपके से चलते रहे. जब थोड़ा आगे पहुचे तो पेड़ की पीछे एक फेन्स से घिरा हुआ कॅबिन था. वो दोनो कॅबिन के पीछे गये जहाँ एक खिड़की थी, खिड़की मे पर्दे पड़े थे लेकिन काफ़ी खुले हुए थे. आरोही ने इशारा किया तो अरुण ने अंदर देखा और कुछ ही देर बाद पलट कर उसे मूह खोल के देख रहा था.
"आइ नो," आरोही ने मूह चलाया.
अंदर बेड पर निशा झुकी हुई थी पूरी नंगी और रोहित उसके पीछे खड़े होकर लंड को अंदर बाहर कर रहा था. वो हर धक्के के साथ मस्ती मे आवाज़ें निकाल रही थी. "और तेज कुत्ते..और तेज चोद," उसने तेज़ी से कहा.
रोहित ने उसकी बात मान के और तेज़ी से धक्का मारा.
"क्या जितने लोगो को हम जानते हैं सब अपने भाई बहेन के साथ सेक्स कर रहे हैं? ओह माइ गॉड!"
अरुण फिर खड़ा हुआ और इस बार आरोही भी अंदर देखने लगी. रोहित ने नीचे से निशा के दोनो दूध पकड़ रखे थे और तेज़ी से चोद रहा था.
"तू उन सब लड़कियों को चोदना चाहता है ना..औहमम्म," निशा बोली.
"हां..." रोहित बोला.
"किस किसको चोदेगा...हार्डर..आह.?" निशा ने पूछा.
"स्नेहा दी को.." रोहित बोला.
"हां, स्नेहा दी के बड़े बड़े दूधो से खेलेगा है ना?"
"येस.."
अरुण और आरोही अपनी हँसी रोकने मे लगे हुए थे.
"और किसे चोदोगे? तुझे एश को भी चोदना है ना..उहह..उसके चिकने मूह मे ये जूस डालना..उःम्म्म.?"
रोहित जंगली की तरह अपनी स्पीड करके उसे चोदने मे लगा हुआ था.
"लेकिन ये लंड तो मेरा है..है ना...उःम्म्म्महह...अह्ह्ह्ह?" निशा ने चीखते हुए कहा.
"हां..."
"तो इससे सिर्फ़ मुझे चोदो और किसी को नही..अहहह..आहह..मैं आने वाली हूँ..आह...उम्म्म्म.." निशा काँपते हुए बोली.
निशा काँपते हुए हिलने लगी और बहुत तेज़ी से आहें भरने लगी. उसके झाड़ते ही रोहित ने लंड को उसकी चूत से निकाला और उसे सामने बैठ के उसके मूह मे लंड डाल दिया. निशा भी मस्ती से उसके लंड को चूसने और चाटने लगी. कुछ ही देर मे रोहित ने चीख के उसके मूह मे अपना वीर्य उडेलना शुरू कर दिया.
"आइ लव युवर फ्रेंड्स टू."
अच्छे तरीके से वीर्य को चाट के और लंड को सॉफ करके वो लोग लेट गये. तो अरुण और आरोही चुप चाप वहाँ से पलटके वापस चलने लगे.
सेफ डिस्टेन्स पर पहुच कर अरुण ने आरोही की ओर देखा. "तुम्हे क्या लगता है कितनी देर से वो लोग..."
"एक दूसरे को चोद रहे हैं?" आरोही ने बात पूरी करते हुए कहा. "आइ'हॅव नो आइडिया."
"उस रात तुमने रोहित को थियेटर मे देखा था ना?"
"हां और मुझे लगता है, निशा ही ब्लोवजोब दे रही थी..हिहह्ी." आरोही हंसते हुए बोली.
अरुण कुछ देर सोचता रहा. "लेकिन अब एश वाली प्राब्लम तो अनसॉल्व्ड रह गयी. अब जब वो निशा के साथ इंटिमेट है तो एश के साथ तो सवाल ही नही उठता."
"वैसे कल की स्टोरी सुन के मुझे लगता है एश को लड़के से ज़्यादा किसी लड़की की ज़रूरत है. गॉड नोज व्हाट'स इन दा फ्यूचर.."
अरुण ने भी सिर हिला दिया और उसके साथ चलता रहा.
कॅबिन के बाहर पहूचकर आरोही तो नदी के किनारे चली गयी जिधर सोनिया और एश जा रही थी. अरुण अंदर चला गया. स्नेहा किताब लेकर बैठी थी.
"हाई दी." अरुण बोला.
"हाई बेबी."
अरुण टवल उठकर बाथरूम की ओर जाने लगा. उनके कॅबिन मे शवर का इंतेज़ाम भी था. अरुण को बाथरूम मे जाते देख स्नेहा ने किताब रखी और उसके पीछे हो ली.
"मैं हेल्प कर देती हूँ." स्नेहा ने अपना निचला होठ काटते हुए कहा.
अरुण ने ये देखकर हां कह दी. वो दोनो एक साथ उस छोटे से बाथरूम मे घुस गये. मुड़कर अरुण ने हाथ उपर कर दिए और स्नेहा उसकी टी-शर्ट उतरने लगी. अरुण ने उसे देखा तो भूल ही गया कि वो नाटक कर रहा है याददाश्त खोने का. वो सिंपल सा टॉप और शॉर्ट्स पहने हुए थे. ज़्यादा रिवीलिंग नही था लेकिन उसका पूरा बदन कातिलाना लग रहा था.
"कसम से कितनी चुदासी लग रही है," आवाज़ ने कहा
"सही कहा."
स्नेहा ने बैठकर उसके शॉर्ट्स भी उतार दिया और बस बॉक्सर छोड़ दिया. अरुण शवर के नीचे खड़ा हो गया और पानी चालू कर के पसीने को पानी से सॉफ करने लगा. अरुण ने मुड़कर स्नेहा की ओर देखा तो उसकी आँखे लंड पर ही जमी हुई थी और अरुण के मुड़ते ही उसके चेहरे पर पहुच गयी. उसकी साँसें भारी हो गयी थी और उसकी जीभ बार बार बाहर आकर होंठों को गीला कर रही थी. अरुण ने आँखें बंद करी और सिर को पानी के नीचे कर दिया.
"कोई हेल्प चाहिए?" स्नेहा ने भारी आवाज़ से पूछा.
अरुण ने सिर हिला दिया. "हां पीठ पर हाथ पहुचने मे तक़लीफ़ होती है," उसने जवाब दिया.
"मुड़ो," स्नेहा ने नज़दीक आके कहा. स्नेहा उसके नंगे बदन को अपनी आँखो मे बसा रही थी और साबुन को उसकी पीठ पर लगाने लगी. अरुण ने अपने दोनो हाथ दीवार से लगा दिए थे.
पीछे स्नेहा को अपना ध्यान उसकी पीठ पर रखने मे बड़ी दिक्कत हो रही थी. स्नेहा किसी भूके की तरह उसे देख रही थी जैसे कि वो कोई खाने की चीज़ हो. वो अपनी इच्छाओं को दबाने के लिए कुछ पॅलो के लिए इधर उधर देखने की कोशिश करती लेकिन दोबारा उसकी आँखें घूमफिर के उसी पर आ जाती.
"पलटो," उसने कहा.
अरुण मन ही मन मुस्कुराता हुए पलटा. "थॅंक्स फॉर हेल्प दी," उसने धीरे से कहा.
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