RE: bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
उस वक़्त सुप्रिया और सोनिया कुछ ज़्यादा ही खाने मे इंट्रेस्टेड थी क्यूकी दोनो बस प्लेट की तरफ मूह करके सिर को हिला रही थी.
आरोही तुरंत ही किचन से टवल उठा के लाई और स्नेहा को पोछने लगी. उसके चेहरे, गर्दन को पोछने के बाद वो नीचे बढ़ी और टॉप को नीचे करते हुए दूध को सॉफ करने लगी. टॉप नीचे होते ही उसका गुलाबी निपल अरुण की नज़रो के सामने आ गया और उसका गला वहीं सुख गया. आरोही ने उस तरफ ध्यान ना देते हुए यही सीन दूसरे दूध के उपर भी ट्राइ किया.
"अगर तूने कुछ नही किया तो मैं कुछ कर डालूँगा." आवाज़ ने गुस्सा होते हुए कहा
अरुण ने एक गहरी साँस लेकर सिर को हिलाया और कसम खाई कि सिर्फ़ प्लेट की तरफ देखेगा. लेकिन 3 सेकेंड बाद ही उसके आँखें अपने आप ही स्नेहा की ओर उठ गयी. स्नेहा उठी और दूसरी टवल से टेबल पर पड़े पानी को झुककर सॉफ करने लगी.
"लो हद हो गयी. ये पक्का हमें पागल करके छोड़ेगी." आवाज़ ने सेक्सी अंदाज मे कहा
"सही कहा भाई." अरुण ने मन मे कहा
"यार यही वक़्त है, ये बदला छोड़ और चुदाई शुरू कर बस.." आवाज़ ने अधीर होते हुए कहा
अरुण ने उसकी बात को इग्नोर किया और नीचे प्लेट को देखने लगा. कुछ देर बाद जब सुप्रिया कॅमपिंग के बारे मे पूछने लगी तो उसने दिल ही दिल मे उसे थॅंक यू कहा.
"अगर तुम सब लोग रेडी हो तो कल ही चलते हैं, मैने रोहित से बात कर रखी है. याद है ना उसका कॅबिन है वहाँ झील के पास.."
"ये!" सुप्रिया खुस होकर बच्चो की तरह ताली बजाने लगी.
"अच्छा पहले ही बता दो कौन कॅबिन मे सोने वाला है कौन बाहर टेंट मे?" अरुण बोला.
वो कॅबिन रोहित के डॅड का का था, जो कि जंगल के थोड़ा अंदर एक झील के पास था. वो लोग पहले भी वहाँ गये थे कॅमपिंग के लिए और काफ़ी मज़े किए थे.
वो लोग जब भी जाते, अरुण, आरोही और रोहित हमेशा बाहर ही सोते जबकि निशा, स्नेहा, सोनिया, और सुप्रिया अंदर. बाकी तीनो पूछते भी थे कि जब अंदर ही सोना है तो इसे कॅमपिंग क्यूँ कहते हो. अरुण ने एश से भी पूछा था.
"मैं तो अंदर ही सोउंगी." सोनिया बोली.
"मैं बाहर कीड़े मकोड़ो मे नही सो पाउन्गी, बाबा," स्नेहा बैठी तो उसके दूध और चिपक गये टॉप से.
आरोही ने देखा कि अरुण की नज़रे से प्लेट से दूध की ओर बार बार जा रही है तो उसने उसकी तक़लीफ़ कम करने के लिए स्नेहा के रूम से दूसरी शर्ट ला दी.
"ये लो दी, ज़्यादा देर भीगना अच्छी बात नही." उसने आँख मारते हुए कहा.
"ओह..थॅंक यू, आरू." स्नेहा खड़े होकर बोली.
फिर अंदर गयी और पीठ टेबल की तरफ करके अपने टॉप को उपर कर दिया.
"मुझे नही चाहिए बदला, मुझे बस ये चाहिए.."
अरुण ने तुरंत ही नज़रे टेबल पर कर दी.
"मैं बाहर," आरोही बोली.
"ओके,"
"तू चोदने वाला है कि नही?" आवाज़ ने कहा
"नही, नाउ शट अप." अरुण ने अपने मन मे कहा
"मैं भी अंदर," सुप्रिया की आवाज़ आई.
अरुण मुस्कुरा कर खाना ख़त्म करने लगा तब तक स्नेहा शर्ट पहेन कर आई और अपना खाना खाने लगी. खाने के बाद अरुण सीधे अपने रूम मे चला गया. उसे ध्यान आया कि अगले दिन उसका टेस्ट था तो उसके लिए पढ़ने लगा. कुछ देर बाद उसे ध्यान आया कि उसके कुछ नोट्स आरोही के पास हैं तो रूम से बाहर निकला.
नीचे किचन मे हँसने की आवाज़ें आ रही थी जिसमे आरोही की आवाज़ भी शामिल थी. "दी, आपने तो उसकी जान ही निकाल दी. आइ'म श्योर उसे जल्दी ही सब याद आ जाएगा."
"तुम दोनो से हद है..सही मे." सुप्रिया हंसते हुए बोली.
स्नेहा ने अपने हाथ फोल्ड कर लिया. "उसकी ग़लती है. पता है कल सुबह उसने बाथरूम मे मेरी परवाह किए बगैर अपने शॉर्ट्स उतार दिए और उसका लंड..गल्प..मेरी आँखो के सामने था और मैं कुछ नही कर पाई. "
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अरुण काफ़ी देर तक अपने टेस्ट के लिए पढ़ता रहा. कुछ देर के लिए सुप्रिया और सोनिया आए थे लेकिन जब उन दोनो ने देखा कि वो पढ़ रहा है तो डिस्टर्ब नही किया.
रात के 11 बजे उसकी पलके जब अपने आप बंद होने लगी तो वो किताब रखे सोने लगा. पहले उसने सोचा कि मेसेज करके किसी को बुला ले लेकिन फिर ख़याल छोड़ कर सो गया.
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अरुण ने एक बार आरोही की ओर देखा. "ऑनेस्ट्ली, मुझे ये वाला अच्छा लग रहा है," उसने उंगली करते हुए कहा. उसे हमेशा दिक्कत होती थी जब भी उसकी कोई बहेन उससे पूछती कि वो किस कलर या कपड़ो मे अच्छी लगेगी. आरोही दो अलग अलग टॉप्स लिए उसके सामने खड़ी थी, माना कि दोनो के रंग अलग थे दोनो से उसकी खूबसूरती बढ़नी ही थी.
अरुण सुबह उठकर नाश्ता करने नीचे आया तो उसे देखकर आरोही ने जल्दी से अपना ब्रेकफास्ट ख़त्म किया और दौड़कर अपने रूम से टॉप्स उठा लाई थी.
"सीरियस्ली?" उसने गुस्से से पूछा.
"व्हाट? यार तुझ पर सब अच्छे लगेंगे,"
"मैं बताती हूँ, ब्लू वाला पहेन ज़्यादा सेक्सी लगेगी," सुप्रिया बोली.
"देखा इतना ईज़ी था बताना," आरही गुस्से से उसे देखते हुए बोली.
अरुण ने साँस छोड़कर सिर हिला दिया. "मैं ही क्यूँ इस चक्कर मे फँसता हूँ. तुम लोग हमेशा ये लेकर मेरे पास आते हो 'अरुण मुझ पर कौनसा अच्छा लगेगा?' और जब मैं अपना जवाब देता हूँ तो तुम लोग गुस्सा हो जाते हो,"
"रोना बंद करो और जल्दी से जवाब दो," आरोही बोली.
"पिंक वाला," उसने अपनी प्लेट की तरफ नज़र रखे रखे ही बोला.
आरोही हँसी और मूड कर अपने पहने हुए टॉप को उतार दिया, उसने ब्रा नही पहनी थी. उसने टेबल से पिंक वाला टॉप उठाया और सुप्रिया को आँख मार पहनने लगी.
"हे भगवान, आरू," अरुण अपनी आँखो पर हाथ रख कर बोला. "तू कुछ तो पहना कर अंदर."
"क्या?" आरोही ने पूछा.
"तुझे पता है मैं क्या कह रहा हूँ," अरुण ने भी सीधा बनाते हुए कहा.
"नही, मुझे नही पता."
"ओके ओके, ब्रा क्यू नही पहनती."
"क्यूकी माइ डियर ब्रदर, इस टॉप के साथ ब्रा नही पहनी जाती." आरोही हंसकर बोली.
"दी?" उसने घूमकर सबको दिखाकर पूछा और स्नेहा से राई माँगी.
"सेक्सी,," सभी बोले अरुण को छोड़कर.
"देखा, ये बॅकलेस है तो पीछे से ब्रा दिखेगी."
फिर वो दूध पीने लगी. "और वैसे भी मुझे नही लगता मुझे ब्रा की ज़रूरत है," उसने जल्दी से कहा.
"ओह, आरू, आइ लव युवर ब्रेस्ट्स," स्नेहा मुस्कुराते हुए बोली. "थोड़े छोटे हैं, लेकिन इतने क्यूट हैं.."
"क्या हो रहा है तेरे घर मे...तू बस पकड़ दोनो के दूध.." आवाज़ ने कहा
"ऑ, थॅंक्स दी..पक्का मेरे बूब्स छोटे नही हैं?"
अरुण आँख फाड़ के दोनो को देख रहा था और बातें सुन रहा था.
स्नेहा खड़ी होकर उसके पास आ गयी, तो आरोही हल्की सी झुकी और अपने दूध उसके दूध के सामने कर दिए.
"मेरे थोड़े बड़े हैं लेकिन तेरे बिल्कुल पर्की और क्यूट हैं!"
"कम ऑन, दी. आप जब चलती हो आपके इतने मस्त तरीके से कूदते हैं." वो कूदते हुए बोली. "देखा, मेरे नही कूदते."
स्नेहा भी कूदी तो उसके दूध उपर नीचे होने लगे और अरुण की नज़रे दूध के साथ उपर नीचे होती रही.
"हूँ, कूदते तो हैं." स्नेहा वही साइंटिस्ट स्नेहा बन के बोली.
"मैं..मैं..दूध..हो क्या..छ्च"
"तुम्हे कौन्से पसंद है अरुण?" आरोही ने कुछ पल बाद पूछा.
अरुण दूध पी रहा था और उसके मूह से एक दम से दूध छलक पड़ा. सोनिया और सुप्रिया भी हंस पड़े. "ना, मैं इस सवाल का जवाब नही देने वाला."
"अरे डफर, वो पूछ रही है कि किस टाइप के पसंद है छोटे पर्की या फिर बड़े और कूदने वाले."
अरुण दोनो की तरफ विस्वास ना करने वाली नज़रो से देखने लगा. "दोनो," वो अपने बोल को हॉल मे ले जाते हुए बोला.
"अगर इतने दिन रुकने का कोई फ़ायदा नही हुआ ना तो तू देखियो," आवाज़ ने गुस्सा होते हुए कहा
बाद मे आरोही और अरुण कार मे बैठे और कार रोड पर चलने लगी तब अरुण बोला.
"लगता है किसी को काफ़ी दिन से सज़ा नही मिली है?"
"ओह कम ऑन, बेब, मैं तो बस हम लोग सीक्रेट रख रही हूँ, जैसा तुमने कहा. अब अगर मैं स्नेहा दी और सोनिया की मदद नही करूँगी तुम्हे टॉर्चर करने मे तो उन्हे शक हो जाएगा."
"बात तो ठीक है," अरुण कुछ देर सोचकर बोला.
"आइ होप तुम्हे पसंद आया जो मैने पहना है."
"यप,"
"यअहह.."
"और मैने स्कर्ट के अंदर पैंटी नही पहनी है," उसने स्कर्ट को उपर करके अपनी नंगी चूत दिखाते हुए कहा.
"ओके ओके, बिहेव नाउ."
कॉलेज पहूचकर दोनो क्लास की ओर जा रहे थे कि सामने से एश आती दिखी.
"तो क्या क्या लेकर आउ?" उसने उछलते हुए पूछा.
"स्विम्मिंग स्टफ, पुराने शूस और चेंज के लिए कपड़े अगर बाहर सोना हो तो एक स्लीपिंग बॅग. बाकी सब का इंतेज़ाम है."
"ओह ग्रेट.." वो बोली.
"ठीक फिर, बाद मे मिलते हैं. बाइ एशू." उसने कहा तो एश ने भी हाथ हिला दिया.
पीछे से तभी उसे धक्का लगा.
"ध्यान से चल.." अरुण बोला तब तक रोहित पलटकर हँसने लगा.
"कुत्ते, अभी भी उसे दर्द होता है.." आरोही उस पर चिल्लाई.
"ओह कम ऑन..देख ना अच्छा खांसा तंदुरुस्त लग रहा है." रोहित बोला और साथ मे चलने लगा.
"वैसे आरू आज तू बड़ी हॉट लग रही है.." उसने उसके कंधे को पकड़कर कहा.
"सॅंडल मारू?" आरोही ने कहा.
"लड़ाई बाद मे कर लेना, ओके," अरुण बोला.
आरोही ने अपना बॅग रोहित के हाथ मे दे दिया और बाथरूम की ओर चली गयी.
रोहित ने उसका बॅग अपने कंधे पर डाल लिया. "तू सही मे काफ़ी लकी है."
"अच्छा वो कैसे?" अरुण बोला.
"तुझे 4 4 सेक्सी लड़कियो को ताड़ने का मौका जो मिलता है."
अरुण हंस दिया.
क्लास मे पहुच कर वो लोग टेस्ट देने लगे.
क्लासस ख़त्म होने के बाद अरुण आरोही के साथ घर की ओर चल रहा था तो आरोही अपनी सीट पर हिलते हुए बोली.
"मेरी चूत बहुत गीली हो गयी है, उम्म्म्म," आरोही स्कर्ट उठाकर वही एक उंगली चूत मे डाल कर बोली.
"आरू, घर पहुचने तक तो रुक जा," अरुण उसे देख बोला.
"भाई, तुम मुझे इतना एग्ज़ाइट कर देते हो कि की बताऊ..उहमम्म..." वो अपनी चूत को कसकर रगड़ते हुए बोली, उसकी आवाज़ कार मे गूँज़ रही थी और साँसें भारी होने लगी. उसने पीठ विंडो की तरफ करके खुद को टिका दिया और अरुण की ओर चूत दिखा के उंगली चलाने लगी.
अरुण बार बार अपनी नज़रे रोड पर करने की कोशिश मे लगा हुआ था.
"ओह...मैं आने वाली हूँ," उसने तेज़ी से कहा. अरुण का लंड पूरा खड़ा होकर जीन्स फाड़ने पर उतारू था. उसे देखते देखते ही आरोही तेज़ी से हिलते और चीखते हुए झड गयी फिर कुछ देर बाद सीधी होकर बैठ गयी और अरुण को अपनी उंगली चटाकर स्कर्ट सही कर दी.
अरुण ने उसके कंधे पर हाथ रख के उसे अपने से सटा लिया तो आरोही ने उसके कंधे पर सिर रख दिया. ऐसे ही दोनो घर पहुच गये.
कुछ घंटे बाद सब समान दोनो गाड़ियों मे रखा जा चुका था.
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