RE: bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
कुछ देर बाद जब वो नीचे आया तो सभी लोग अपने अपने पप्पीस के साथ खेल रहे थे और बात कर रहे थे.
"मैं तो कोई बढ़िया सा नाम रखूँगी इसका," सुप्रिया बोली.
"ऐसा क्या?" आरोही बोली.
"अभी तक नही डिसाइड किया," अरुण ने पास मे बैठते हुए पूछा.
"कहा," सुप्रिया बोली. "तुमने क्या सोचा."
"मॅक्स," अरुण बोला.
"मेरे वाले का आइनस्टाइन," स्नेहा बोली.
आरोही हँसने लगी. "सही ही दी, जैसा मालिक वैसा ही नाम."
अरुण भी हंसकर सिर हिलाने लगा. उसने सोनिया की ओर देखकर पूछा. "तुमने क्या सोचा?"
सोनिया ने मुस्कुराते हुए कंधे उचका दिए. "मैं तो हमेशा से किसी को "प्रिन्सेस" कहना चाहती थी, तो 'प्रिन्सेस' डिसाइडेड."
आरोही अपनी आँखें घुमाने लगी. "यू'आर सो प्रिडिक्टबल," तो सोनिया हंसते हुए अपने पप्पी को सहलाने लगी.
कुछ देर बाद, अरुण और आरोही साथ मे कॉलेज के लिए निकले, उनके पीछे सोनिया और स्नेहा.
कॉलेज पहुचे तो वो लोग क्लास की ओर जा ही रहे थे कि पीछे से किसी ने अरुण को बुलाया. अरुण पलटा तो एश उसकी ओर आ रही थी. मुस्कुराते हुए दोनो गले मिले.
"हे," अरुण बोला, और उसके मन मे चलने लगा कि अब उससे बात कैसे करे वो, जब उसे सब ध्यान आ गया है.
"हाउ आर यू?"
एश ने साथ मे चलते हुए पूछा.
"आइ'एम ओके. आइ जस्ट..काफ़ी कुछ एक साथ हो रहा है."
एश उसे गंभीर नज़र से देखने लगी. "मैं कुछ हेल्प कर सकती हूँ?"
"नाह, आइ जस्ट नीड टाइम." अरुण ने कहा.
"आइ अंडरस्टॅंड अरुण," एसा ने उसका हाथ दबाते हुए कहा. "आइ रियली डू. अगर हम लोग एक दूसरे के लिए कुछ और हो ना हो, दोस्त तो हैं."
अरुण ने सिर हिला दिया. "थॅंक्स, एशू."
अरुण एश को उसकी क्लास के बाहर छोड़ के आगे बढ़ गया. उसने मन मे ठान लिया कि कुछ भी हो वो पलट कर पीछे नही देखेगा. उसे तभी एश के बारे मे सोचकर बुरा लगने लगा लेकिन फिर उन विचारो को मन से निकल दिया. आख़िर उसके साथ इतना कुछ हुआ है, शी डिज़र्व गुड. उसने ठान लिया कि बैठकर वो अपनी बहनों से पहले इस बारे मे बात करेगा फिर एश को सब कुछ समझाएगा.
आरोही उससे आगे चल रही थी और क्लास के बाहर खड़ी होकर थोड़ा गुस्से से उसे देख रही थी.
"अब क्या हुआ?" अरुण ने पूछा.
"उसे अब क्या चाहिए?" आरोही गुर्राते हुए बोली.
"क्या वो सिंपल हाई भी नही बोल सकती?" अरुण ने भी इरिटेट होते हुए कहा.
आरोही ने कोई जवाब तो नही दिया लेकिन अरुण को महसूस हुआ कि उसकी गुस्से भरी नज़रे उसी को देख रही थी.
"तुम कभी कभी सच मे इंसानियत तक भूल जाती हो," अरुण गुस्से से बोला.
आरोही कुछ देर उसे देखती रही फिर उसके पास आके बैठ गयी और उसका हाथ पकड़ लिया. "सॉरी, मैं बस थोड़ा अपसेट हो गयी थी. मुझे नही पसंद कि कोई मेरे बाय्फ्रेंड को छीनने की कोशिश करे."
उसने जिस लहज़े मे ये बात कही, अरुण खुद को मुस्कुराने से रोक नही पाया.
"बाय्फ्रेंड? हुहम?" अरुण ने हंसते हुए पूछा.
आरोही भी शरमा गयी. तब तक क्लास मे प्रोफेसर आ गये.
कॉलेज के एंड मे जब अरुण अपनी कार के पास पहुचा तो आरोही पहले से ही वहाँ थी. "आइ'म सो फक्किंग हॉर्नी," आरोही ने उसके कान मे कहा और जल्दी से कार मे बैठ गयी.
कार स्टार्ट करके दोनो घर की ओर चल दिए.
"लिसन, आइ वॉंट टू अस्क सम्तिंग?" अरुण ने कहा.
"यू कॅन फक माइ आस.." आरोही तपाक से बोली.
अरुण तुरंत ही हंसते हुए कार को रोकने लगा. काफ़ी देर तक हँसने के बाद उसने खुद को संभाला. "हुह, नही..यार..मेरे कहने का ये मतलब नही था."
"अववव," आरोही मायूसी से बोली.
"मुझे सभी से ये बात पूछनी है, लेकिन मैं सोनिया और स्नेहा दी को अभी ये बताना नही चाहता कि मेरी यादास्त वापस आ गयी है.
"क्या?" आरोही अपने बॅग मे कुछ ढूढ़ते हुए ओली.
"अभी नही घर चलो, दी और तुमसे साथ मे डिसकस करते हैं."
"कोई सीरीयस बात है?"
"अरे नही. बस ऐसे ही."
घर पहुचे तो आरोही उछलते हुए घर के अंदर चली गयी और अरुण उसकी मटकती गान्ड को देखता रहा. वो घर के अंदर पहुचा ही था कि सोनिया और स्नेहा तय्यार होकर कही जा रही थी.
"हम लोग शॉपिंग करने जा रहे हैं, ओके." सोनिया बोली.
उन दोनो को बाइ बोलकर वो अंदर पहुचा तो सुप्रिया हॉल मे ही थी.
"दी, अभी कुछ देर मे आरू के रूम मे आ जाना. ज़रूरी बात है." अरुण ने कहा, तो सुप्रिया ने हां मे सिर हिला दिया.
अरुण आरोही के कमरे पहुचा तो वो अपने बॅग मे से बुक निकाल रही थी. अरुण चुपचाप उसके बेड पर बैठ गया और उसे देखने लगा.
तब तक सुप्रिया रूम मे आई और अरुण के पास बैठ गयी.
"ओके, कुछ चीज़े हैं अभी मेरे दिमाग़ मे," अरुण ने आरोही को इशारे से पास मे बैठने को कहा. "पहली, आरू को सब पता चल गया है," उसने सुप्रिया को बताया. "और मुझे ये बात उन दोनो से छुपानी है, तो तुम दोनो को हेल्प करनी पड़ेगी." "नो प्राब्लम, स्वीतू," सुप्रिया बोली.
"दूसरा, जब सबको पता चल जाएगा कि मैं ठीक हो गया हूँ, तो कुछ चेंजस करने पड़ेंगे. हम सब सोनिया को तो जानते ही हैं, उसे समझाना पड़ेगा कि तुम सबका मुझ पर बराबर का हक है."
आरोही और सुप्रिया दोनो प्यार से उसे देखने लगी.
"नेक्स्ट, मुझे एश के बारे मे अड्वाइज़ चाहिए."
"छोड़ दे उसे, और क्या." आवाज़ ने अपना तीर फैंका
अरुण ने उसे इग्नोर कर दिया. "आइ लाइक हर," उसने कहा तो दोनो के चेहरे उतर गये. "लेकिन, उतना नही जितना मैं तुम सबको चाहता हूँ. अगर मेरे अंदर तुम लोगो के लिए प्यार का समुद्र है तो उसके लिए छोटी सी बूँद. अगर मुझे सिर्फ़ तुम लोगो के प्यार के सहारे जीना पड़े तो मैं हंसते हंसते सब कुछ छोड़ दूँगा."
"क्या लड़कियों जैसा डाइलॉग है." आवाज़ ने कमेंट पास किया
"शट अप," अरुण ने सोचा. फिर बात जारी रखी. "लेकिन इसका ये मतलब भी नही कि मैं उसे बिल्कुल इग्नोर कर दूं. मैं बस उसे सॉफ सॉफ बताना चाहता हूँ कि मैं उसके साथ रिलेशन्षिप मे नही जा सकता. और मैं ये भी नही चाहता कि वो ये सोचे कि इसका रीज़न वो है जो कुछ उसने यूएस मे किया. और मेरे मन मे सिर्फ़ एक ही बात है कि "आइ'म डेटिंग माइ सिस्टर्स, इसलिए मैं तुम्हारे साथ नही हो सकता,". लेकिन मैं ये बात तो उसे बता नही सकता. और मैं उसके साथ दोस्ती भी नही तोड़ना चाहता."
दोनो अपना सिर हिला रही थी. "नो, तुम उसे हम लोगो के बारे मे नही बता सकते," आरोही बोली.
"गिव अस सम टाइम. हम लोग कुछ ना कुछ सोच लेंगे," सुप्रिया ने उसके गाल पर किस करके कहा. फिर बाहर जाने लगी तभी पलटी.
"रोहित सिंगल है ना? वो और एश डेट कर सकते हैं?" सुप्रिया बोली.
अरुण सिर हिलाने लगी. "नोप, एश रोहित की जानी दुश्मन थी. और अब भी उसे पसंद नही करती होगी शायद."
"क्या पता, हम लोगो को तो ये भी लगता था कि वो कभी ऐसे काम नही कर सकती जैसे कि उसने ********* मे किए." आरोही ने कहा.
"थिंक, शायद कुछ हो जाए." सुप्रिया ने उसकी बात का समर्थन करते हुए कहा.
"तुम लोग कह रहे हो तो पॉसिबिलिटी हो सकती है." अरुण ने जवाब दिया.
"आइडिया. हम लोग कॅमपिंग पर चलते हैं तो उन दोनो को भी इन्वाइट कर लेते हैं," आरोही बेड पर लेट गयी.
अरुण ने सिर हिला दिया और उठाने लगा.
"एक मिनिट. ******** मे उसके साथ हुआ क्या, एग्ज़ॅक्ट्ली?" सुप्रिया ने पूछा. फिर दरवाजे की तरफ बढ़ के उसे लॉक कर दिया और बेड पर आरोही के कान मे कुछ बोली.
"वेल," अरुण ने बोलना शुरू किया.
आरोही हंसते हुए सुप्रिया की ओर देखने लगी. "ओके,"
आरोही बैठ गयी और अरुण के लंड को पॅंट के उपर से ही सहलाने लगी.
"तुम बोलते रहो," सुप्रिया ने अरुण से कहा.
"वो.." अरुण अटकते हुए बोला.
"अब?" आरोही ने सुप्रिया की ओर देखा.
"जब हम दोनो अलग हुए तब वो वर्जिन ही थी."
"लंड को बाहर निकालकर उसे सहलाती रहो, मूह मे मत रखना," सुप्रिया बोली. आरोही ने वही किया जो उससे करने को कहा गया और उसके लंड को बाहर निकालकर उपर नीचे करने लगी.
"तुम बोलते रहो, स्वीतू," सुप्रिया बोली.
अरुण ने खांस कर अपना गला सॉफ किया और सिर हिला दिया. "वहाँ उसे एक लड़का मिला और.."
"तुम्हे जलन हुई इस बात से?" सुप्रिया ने पूछा.
अरुण एक सेकेंड के लिए सोचने लगा और बड़ी मुश्किल से अपने दिमाग़ को आरोही के हाथ से हटा पाया जो उसके लंड को सहलाने मे लगा हुआ था.
"कितना भी अजीब हो, लेकिन मज़ा आ रहा है."
"हां," अरुण ने जवाब दिया."
"आगे बोलो,"
"तो उसे लगा कि वो अछा लड़का है, और दोनो ने डेटिंग स्टार्ट कर दी. उसके काफ़ी कहने पर वो ..."
"सेक्स के लिए राज़ी हो गयी," सुप्रिय बीच मे बोली
अरुण ने सिर हिला दिया और एक बार आरोही की मस्ती भरी आँखो मे देखा.
"उसने कहा कि उसके साथ सेक्स करने मे उसे मज़ा आने लगा."
"उसे मज़ा आया उसका लंड लेके?" आवाज़ ने फिर से कमेंट पास किया
अरुण ने सिर को उपर नीचे कर दिया. "फिर धीरे धीरे उसने एश से और भी चीज़े करने को कहा."
"जैसे?"
"ब्लोवजोब, हॅंजब के अलावा उसने...अनल के लिए भी राज़ी कर लिया."
"क्या तुमने मन मे उसकी गान्ड को चुदते देखा?" सुप्रिया ने पूछा
अरुण दो पल के लिए खामोश हो गया.
सुप्रिया ने अपना सवाल दोबारा दोहराया. "क्या तुमने मन मे खुद को उसकी गान्ड मारते देखा जब उसने तुम्हे ये सब बताया?"
अरुण ने तुरंत ही हामी भर दी. "हां,"
"लंड को मूह मे रखो, आरू," सुप्रिया बोली. "हाथ से उपर नीचे भी करती रहो. तुम बोलते रहो," सुप्रिया अपना लोवर उतारते हुए बोली.
"उसके बाद, कुछ ना कुछ रोज अलग होता रहा."
"क्या उसने उसके स्पर्म को मूह मे भी लिया?"
"पता नही, लेकिन शायद लिया ही होगा," अरुण बोला. "एक दिन, वो घर पर एक और लड़की लाया और उसे थ्रीसम के लिए मना लिया."
"तुमने मन मे क्या सोचा जब उसने तुम्हे ये बात बताई?"
आरोही की सिसकी दोनो के कानो मे पड़ी जो लंड को चूस रही थी.
"गॉड," अरुण बोला. "मैने देखा कि वो आरू की चूत चाट रही है, डॉगी स्टाइल मे और मैं पीछे से उसे चोद रहा हूँ." आरोही फिर सिसक पड़ी और वो भी उसकी बताई तस्वीर सोचकर उत्तेजित होने लगी.
"और," सुप्रिया ने अपना टॉप निकालकर अपने निपल मरोड़ते हुए कहा.
"फिर उनका ये रोज का काम हो गया, रोज नयी लड़की के साथ सेक्स करना. कभी कभी तो वो जिम या क्लास से एक साथ काफ़ी लड़कियाँ ले आता और वो सब लोग मिलकर सेक्स करते. उसने बताया कि बाद मे वो उसके दोस्त के साथ सेक्स के लिए भी राज़ी हो गयी."
"तब तुमने क्या सोचा मन मे?" सुप्रिया ने पूछा
"मैने देखा कि 4 5 लड़के उसे साथ मे चोद रहे हैं."अरुण ने जबाब दिया
"और चूसो, आरू," सुप्रिया आरोही से बोली. "हाथ हटाओ, इतनी जल्दी उसे नही झड़ने देना है. क्या तुमने अपनी प्यारी पवित्र एशू को अंजाने लड़को से चुदते देखा?"
"काइंड ऑफ," अरुण ने सहमति दी.
"क्या तुम्हे मज़ा आया जब तुमने उसको आरू की चूत चाटते देखा?"
अरुण और आरोही दोनो एक साथ सिसक उठे.
"यॅ, मुझे बहुत मज़ा आया."
"कीप गोयिंग," सुप्रिय हल्की आवाज़ मे बोली, उसका हाथ अपने निपल से होता हुआ पैंटी पर पहुचा जिसे उसने तुरंत ही निकालकर फर्श पर फेक दिया और अपनी क्लाइटॉरिस को रगड़ते हुए सिसकारी लेने लगी.
"उसने बताया कि उसने क्लास जाना भी छोड़ दिया. वो बस हर वक़्त सेक्स करना पसंद करती और जो कुछ वो चाहता वो सब करती. उसने बताया कि ऐसा कुछ नही था जो उसने नही किया. अनल सेक्स, एक साथ कयि लोग, लड़की, लड़का सब कुछ एक खेल था.
सुप्रिया ने आरोही को फिर हटने को कहा. "अब इसके उपर चढ़ कर चोदो,"
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