bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
01-25-2019, 12:50 AM,
RE: bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
अरुण मस्ती और शर्म के बीच मे पिसा जा रहा था. उसे समझ ही नही आ रहा था कि क्या सही है क्या ग़लत. आरोही खड़े होते हुए भी हल्के हल्के उसके लंड को रगड़ती रही फिर उसके हाथ मे कपड़ा दे दिया.

"मेरी बारी," वो मुड़कर खड़ी हुई तो उसके चूतड़ लंड को छुने लगे. जब कुछ देर तक कुछ भी नही हुआ तो वो पलटी और अरुण को समझाने लगी. "साबुन, कपड़ा, पानी और फिर सफाई. मैने इतना किया कम से कम तुम फेवर रिटर्न तो कर ही सकते हो ना."

अरुण कुछ भी सोचना चाहता था बस ये नही कि अभी आरोही का हाथ उसके लंड पर था और उसका चेहरा बस उसके लंड से 2 इंच की दूरी पर ही था. उसने जल्दी से साबुन को कपड़े पर डाला और उसकी पीठ रगड़ने लगा. उसके चूतड़ पर कुछ ज़्यादा ही देर उसके हाथ चलते रहे तो आरोही खिलखिलाने लगी.

"मुझे लगता है कि वो सॉफ हो गये," ये बोलकर वो पलट गयी. 

अरुण को कुछ भी समझ नही आ रहा था. वो साबुन उठाने को आगे बढ़ा तो उसका लंड आरोही की चूत से हल्के से टकरा गया. अरुण वही जम गया.

"आज ही नहाना है." आरोही बोली.

तो अरुण खुद को इसी दुनिया मे लाया और उसके कंधे, हाथ और पेट को सॉफ करने लगा. उसने दूधो की तरफ उंगली तक नही की.

आरोही कुछ कहने को थी लेकिन फिर कुछ नही बोली. उससे खुद खुद पर काबू नही हो रहा था जब उसका लंड उसकी चूत के इतना करीब था. जब आरोही ने हाथ बढ़ाकर कपड़े को उसके हाथ से लिया तो अरुण ने आँखें बंद कर ली. साइड मे कपड़ा रखकर उसने बहेन अपने भाई के गले मे डाल दी और उसे अपने पास खीच लिया, जिससे उसका लंड उसके पैरो के बीच आ गया.

"आइ लव यू, अरुण," उसने अपने सिर को अरुण के कंधे पर रखते हुए कहा. दोनो के शरीर पर पानी बहता जा रहा था.

दोबारा अरुण के मन मे 2 पल के लिए एक तस्वीर आई और चली गयी. इस बार ये तस्वीर थोड़ी अलग थी इसमे वो एक कमरे मे बंद था जिसमे चारो ओर शीशे ही शीशे थे.

अरुण बड़ी मुश्किल से "मी टू," कह पाया कि आरोही अचानक से दूर हो गयी और पलटकर टवल लपेट कर बाहर चली गयी.

अरुण अपने खड़े लंड के साथ वही पानी के नीचे सोचने लगा कि अभी जस्ट हुआ क्या. काफ़ी देर बाद उसे लगा कि उसे नींद की ज़रूरत है तो बाथरूम से निकलकर अपने रूम मे चला गया.

शाम को जगकर उसने दोबारा शवर लिया और एश के साथ डेट के लिए तय्यार होने लगा. उसने ब्लू जीन के उपर लाइट ब्लू शर्ट पहनी और बाल सही करने लगा. वो पिछले कुछ दिनो के बारे मे सोचने लगा. उसकी बहने नॉर्मल से कुछ ज़्यादा ही उसका ख़याल रख रही थी. या तो वो पागल हो रहा था या फिर वो लोग उसके साथ जानबूझकर सेक्षुयल हो रही थी. लेकिन अगर ऐसा है तो क्यूँ?

अरुण एक ठंडी आह भरकर नीचे जाने लगा. वो लोग ये सब करके हाँसिल क्या करना चाहती थी? माना कि इसमे मज़ा आया लेकिन क्या सच मे उसके साथ कुछ करना चाहती थी या फिर सिर्फ़ उसे परेशान कर रही थी? फिर उसे ध्यान आया कि वो क्या सोचरहा है तो इन थॉट्स को मन से निकाल दिया.

वो वॉशरूम की तरफ मूड गया सुप्रिया को बाइ बोलने के लिए.

"हॅव फन," सुप्रिया ने बोल दिया.

"थॅंक्स, जल्दी आ जाउन्गा." वो बाहर जाते हुए बोला.

अरुण अपनी कार मे बैठा और रेडियो ऑन करके एश के घर की ओर चल दिया. दोबारा उसके मॅन मे एश की जगह अपनी बहनों के ख़याल आने लगे. वो सोचने लगा कैसे स्नेहा इतनी आसानी से उसके सामने नंगी हो गयी थी, सोनिया का प्यार, और सेक्सी आरोही.

ठंडी आह लेते हुए अरुण ने अपना ध्यान गाड़ी चलाने पर लगाया. वहाँ पहुचने पर डोरबेल बजाई तो एसा बाहर आई रेड टॉप मे. अरुण उससे गले मिला फिर उसे लेकर कार तक आया और दरवाजा खोलकर उसे अंदर बिठा दिया. फिर खुद पॅसेंजर सीट मे बैठकर रेस्टौरेंट की ओर चल दिया. इस बार रेस्टौरेंट एश की पसंद का था, और वो लोग डिन्नर के दौरान पुरानी बातें ही करते रहे, एश ने अपनी बात बता दी कि वो भी डेटिंग के लिए तय्यार है.

डिन्नर के बाद जब वो दोनो कार के पास पहुचे तो अरुण चौंक गया जब एश खुद ही किस के लिए आगे बढ़ी. उसके होठ बिल्कुल सॉफ्ट, गर्म थे लेकिन कुछ छूट रहा था. जब उसने उसे किस किया तो कुछ ग़लत लगा. जो कुछ था वो समझ से परे था जैसे उसका जमीर उसे इस बात की इज़ाज़त नही दे रहता. वो सोचने लगा कि पहले भी तो कितनी बार उसने एश को किस किया है लेकिन सिर्फ़ आज ही क्यूँ. अरुण ने हाथ उसकी पीठ पर रखकर उसे अपने पास खिचा और उसका सिर थोड़ा तिरछा करके उसकी जीभ को चूसने लगा.

"आइ रियली विश की मेरा फर्स्ट टाइम तुम्हारे साथ हुआ होता," एश ने किस टूटने के बाद उसकी आँखो मे देखते हुए कहा.

अरुण ने मुस्कुराते हुए सिर हिला दिया. "आइ नो. मी टू."

"अरुण, एक बात और कहना चाहूँगी. मैं अब वो मासूम पवित्र सी लड़की नही रही जिसे तुम पसंद करते थे लेकिन मैं कोई स्लट भी नही हूँ. अगर तुम्हे कोई प्राब्लम ना हो तो क्या हम लोग इसे धीरे धीरे आगे बढ़ा सकते हैं? मैं अभी तक अपने आप को फिज़िकली तय्यार नही कर पाई हूँ और ना ही पूरे तरीके से मेंटली. मैने कहा तो है कि मैं स्लट नही हूँ...लेकिन क्या पता..शायद मैं हो भी सकती हूँ. मीन्स सेक्षुयली, आइ डॉन'ट थिंक व्हाट आइ'ल्ल डू. आंड आइ'म सॉरी ये पागलो जैसे बातें तुम्हे सुनाने के लिए."

"तुम जितना धीरे चाहो हम लोग उतना ज़्यादा टाइम ले सकते हैं," अरुण ने जवाब दिया. "और तुम्हारी बाते पागलो वाली नही है. इन फॅक्ट, मुझे ख़ुसी है कि तुमने अपनी मन की बात मुझ से कही. और इस बात से एक बात तो कन्फर्म है कि जो कुछ हुआ हो लेकिन वो पहली वाली एशू अभी भी कही मौजूद है."

"विल यू किस मी अगेन?" उसने धीरे से पूछा.

मुस्कुराते हुए अरुण आगे बढ़ा और अपने होठ उसके होंठो से जोड़ दिए.

तुरंत ही उसके सिर मे एक तस्वीर उभर आई, वो एक कमरे मे बंद है. इस बार लेकिन ये तस्वीर गायब नही हुई. उसने इस बार ध्यान देने की कोशिश की लेकिन कोई फ़ायदा नही हुआ. वो तस्वीर बदली और इस बार वो खिड़की की तरफ बड़ी तेज़ी से दौड़ रहा था. जैसे ही वो खिड़की से टकराया उसके सिर मे दर्द की लहर उठाने लगी, उसने किस तोड़ कर अपने सिर को पकड़ लिया. "आउच," उसने आँखें बंद करते हुए कहा.

"अरुण, यू ओके?" एसा ने घबराते हुए पूछा.

अरुण ने सिर हिला दिया. "यॅ, बस थोड़ा सा दर्द हुआ सिर मे," उसने बताया. फिरसे उसके मन मे वही किस की तस्वीर आने लगी.

उसने दर्द को इग्नोर करते हुए दोबारा एश को किस किया फिर उसे कार मे बिठाकर दूसरी ओर से खुद बैठ गया. एश ने उसका हाथ पकड़कर अपना सिर उसके कंधे पर रख दिया. अरुण ने भी उसे अपनी बाहों मे ले लिया और दोनो फिर किस करने लगे.

उसे दिमाग़ मे दोबारा उस तस्वीर ने खिड़की पर हमला किया तो खिड़की मे एक क्रॅक आ गया. अरुण के सिर मे दोबारा एक तेज लहर दौड़ गया लेकिन इस बार उतनी तेज दर्द नही था. अरुण ने अपना हाथ उसके कंधे पर रख दिया. वो लोग कुछ देर तक किस करते रहे. अरुण का हाथ नीचे उसके दूधो की ओर जा ही रहा था कि उस तस्वीर ने कस के खिड़की पर अपना सिर मारा तो खिड़की टूटती चली गयी और वो आवाज़ अपनी क़ैद से आज़ाद हो गयी. पिछले साल की सारी यादें एक बाढ़ की तरह उसके मन मे आती चली गयी.

"ओह माइ गॉड....मेरी तो जान ही जाने वाली थी..!" आवाज़ ने चिल्ला कर उसके मन मे कहा.
अरुण मे मन मे जैसे हज़ार सूइयां एक साथ चुभने लगी. सभी यादें वापस आ गयी. सोनिया, सुप्रिया, आरोही, स्नेहा उसे सब कुछ याद आने लगा.

"ओह, माइ गॉड," उसके मूह से निकला. एश ने उसे थोड़ा घबरा कर देखा.

"अरुण, क्या हुआ?" वो थोड़ा डर गयी थी उसकी हालत देखकर.

"मुझे याद आ गया," उसने दाँत पीसते हुए कहा दर्द से.

एश उसके कंधे सहलाने लगी. "दट'स गुड. लेकिन ये दर्द.."

उसे याद आया कैसे वो सोनिया के साथ प्यार करता था, आरोही का सेक्स को लेकर पागलपन. सुप्रिया के साथ वॉशरूम मे मस्ती. शवर मे स्नेहा के साथ प्यार, उसे अब समझ मे आया कि पिछले दिनो से उसकी बहनें उसे ऐसे क्यूँ सता रही थी.

"आख़िर मैं ये सब कैसे भूल सकता हूँ?" उसने तेज़ी से पूछा.

"कॅन आइ हेल्प?" एसा ने पूछा.

अरुण ने गहरी साँस लेते हुए मना कर दिया. जब दर्द कुछ कम हुआ तो उसने उसकी ओर देखा. "वाउ," उसने कहा.

वो समझने की कोशिश करने लगा कि आख़िर अभी हुआ क्या और उसे ये सब याद कैसे आया. और जब अपनी बहनो के बारे मे सोचा तो उसे थोड़ा खराब भी लगा कि उन लोगो को कितनी तक़लीफ़ हो रही होगी.

"एशू, आइ'म रियली सॉरी लेकिन मुझे अभी थोड़े आराम की ज़रूरत है," उसने गाड़ी स्टार्ट करते हुए कहा.

"यॅ, तुम ठीक हो जाओ पहले."

"थॅंक यू फॉर दिस ग्रेट ईव्निंग," उसने कहा. "यू नो ना आइ कुड हॅव किस्ड यू ऑल नाइट लोंग. लेकिन अभी एक दम से मेरे दिमाग़ मे ये सब बातें आ गयी हैं...और मुझे थोड़ी बेचैनी हो रही है और उपर से ये सिर दर्द...आइ'म अनेबल टू थिंक स्ट्रेट राइट नाउ."

एश ने उसके होंठो को हल्के से चूम लिया. "नो प्राब्लम, हनी." उसने कहा.

अरुण को पता था कि एश उसकी चिंता करती है और वो भी करता था लेकिन उसकी बहनें और उसकी लाइफ मे अब एसा कैसे फिट हो सकती है?

अरुण ने मुस्कुरा कर उसका सिर चूम लिया और घर की ओर चल दिया. उसे जल्दी ही कुछ सोचना होगा. घर पहूचकर एश उसके करीब आ गई किस के लिए तो अरुण ने उसकी अपनी बाहों मे ले लिया.

"आइ'म रियली हॅपी टू बी बॅक वित यू," उसने कहा.

"आइ मिस्ड यू, एशू." अरुण ने कहा.

एश ने अपने होठ खुद ही उसके होंठो पर रख दिए तो अरुण से उसका दिल तोड़ा नही गया उसने भी हल्का सा किस कर दिया फिर वो दरवाजा खोलकर अंदर जाने लगी. "थॅंक यू फॉर डिन्नर, टेक्स्ट मी." उसने अंदर जाते हुए कहा.

"मैं तुझे कभी नही समझ पाउन्गा. मेरा मतलब है, कि हमें हफ़्तो से एक भी चूत नही मिली क्यूकी तूने तो मुझे क़ैद करके रखा था और जब पहला मौका मिला चोदने का तो तूने ऐसे ही जाने दिया."

"वेलकम बॅक, बडी. आंड शी'स माइ गुड फ्रेंड, मैं उसे धोखा नही दे सकता आंड सेकेंड शी'स नोट रेडी."

"ओके. तो अब जल्दी घर चल और किसी को, अरे किसी को क्यू सबको चोद चलके. अब बदला लेने का वक़्त है."

"बदला?" अरुण ने पूछा.

"और क्या, बदला..हाहः."

अरुण घर की ओर चल दिया.

"तुम्हे बदला क्यूँ चाहिए?"

"हमें," आवाज़ ने उसे सही किया. "हमें उस टॉर्चर के लिए बदला चाहिए जो कि उन्होने पिछली बार हमें दिया था और अभी इतने दिनो से दे रही थी. तुझे आज का शवर याद है? तेरी जुड़वा को तो अच्छी स्पॅंकिंग की ज़रूरत है. आइडिया, हम लोग अभी ये बात अपने तक ही रखेंगे की हमारी याददाश्त वापस आ गयी है फिर उन्हे अच्छा मज़ा चखाएँगे."

"तुम्हे एक बात बताऊ नॉर्मली तुम्हारी बातें एक ईडियट की बातों से कम नही होती," अरुण ने कुछ देर सोच कर कहा. "लेकिन इस बार..यू हॅव आ पॉइंट, मॅन."

"यॅ, तू ये बात नोट कर लियो."

"तो बॅक टू सिचुयेशन, हुआ क्या था तुम्हे और मेरी याददाश्त को?"

"आक्सिडेंट बेटा, आक्सिडेंट. तेरे दिमाग़ मे कोई चोट लग गयी थी. और मैं कोई साइंटिस्ट नही हूँ, मैं तो चुदाई के लिए परेशान एक आवाज़ हूँ, मुझे क्या पता. शायद तेरा दिमाग़ ठीक होने के लिए ये सब कर रहा था."

अरुण कुछ देर चुप रहा. "हो सकता है," तब तक वो घर पहुच चुका था.

"ओके, बडी, तूने हफ़्तो से मूठ भी नही मारी है और तेरा खून उबाल मार रहा है. सोनिया घर मे ही होगी कहीं, उसकी गीली चूत हम लोगो के लिए तय्यार. तो बस घुस पड़."

"यॅ." अरुण बोला.

"बस दूसरो को खबर मत होने देना कि तू वापस आ गया है."

"यस सर."

"थॅंक्स..आसू आ गये मेरे ये बात सुन के. अब जा और चोद डाल."

"लेकिन शुरू किससे करू?"

"सोचने दे. आइडिया. देख शुरुआत बड़ी वाली से कर. सोनिया को सबसे बाद मे बताना वैसे भी उसे तो तेरे साथ भरपूर टाइम मिलता ही है."

"ओके ऐज यू से."

अरुण जल्दी से कार से निकला और घर के अंदर घुस गया. सुप्रिया के रूम की ओर बढ़के उसने दरवाजा खोला तो अंदर वो सो रही थी. अरुण चुपचाप अंदर गया और दरवाजा लॉक करके जल्दी से अपने कपड़े उतारने लगा. 

सुप्रिया अंधेरे मे पलटी और एक पल के लिए डर गयी, तब तक अरुण की आवाज़ अंधेरे को चीरते हुए उसके कानो मे पड़ी. "इट'स मी लवर," उसने कहा.

"एम्म्म, गुड," उसने सोते हुए कहा. "तुमने तो डरा ही दिया था." वो एक पल के लिए रुकी फिर एक दम से बैठ कर उसकी ओर देखने लगी. "तुमने मुझे अभी क्या कहा?"

अरुण हंसते हुए उसके उपर कूद पड़ा अपने होठ उसके होंठो से जोड़ते हुए और उसकी टी-शर्ट को फाड़ने लगा.

"ओह..स्वीतू..तुम्हे याद आ गया!" सुप्रिया तेज़ी से बोली. अरुण हंस दिया और जो टी-शर्ट अभी फाडी उसे उठा लिया.

"आज जो कुछ मैं करने वाला हूँ, वो हम दोनो के बीच ही रहेगा और आपको शांत रहने की ज़रूरत है," उसने शर्ट को उसके मूह पर बाँधते हुए कहा.

"मुझे नही लाफद मैं कद क्ति उन्न." उसने हंसते हुए जवाब दिया.

"तभी तो मूह बंद किया है," अरुण ने कहा और उसकी गर्दन को चूमते हुए धीरे धीरे नीचे बढ़ने लगा. उसने उसके कंधे के हर हिस्से को चूमा और नीचे हाथ बढ़ाकर उसकी पैंटी को खिचने लगा.

"यू सी," उसने कहा."मैं उन तीनो से इतने दिनो के टॉर्चर का ढंग से बदला लेने वाला हूँ. और पिछले वाले टॉर्चर का भी," उसने एक निपल को काटते हुए कहा. सुप्रिया कपड़े के साथ ही आह भरने लगे.

"फक," उसके मूह से घुटि आवाज़ आई.

"अवव, यू मस्ट बी सो हॉर्नी, बेबी," उसने कहा. "डोंट वरी. आपका भाई है ना ख़याल रखने के लिए," उसने उसके पेट को चाट कर कहा, बिना जल्दबाज़ी के धीरे धीरे नीचे बढ़ रहा था. वो बस उसे अब तक का सबसे जबरदस्त ऑर्गॅज़म देना चाहता था.

धीरे धीरे नीचे बढ़ते हुए उसने उसकी कमर को चूमा फिर जाँघ पर बढ़ गया. सुप्रिया आने वाले पॅलो के इंतेज़ार मे कुलबुलाने लगी, और उसके सिर को अपनी चूत पर दबाने की कोशिश करने लगी.

"प्लीज़.." उसने आवाज़ दी.

अरुण ने मुस्कुराते हुए उस पर रहम किया और अपनी जीभ से पेट से लेकर चूत तक एक लकीर खीच दी और जीभ को पट करके चूत पर रख दिया. 

"ओह...अहः...म्म्म्मनम." सोनिया अपनी कमर को बहुत तेज़ी से हिलाते हुए बोली. अरुण ने हाथो से उसकी जाँघ को पकड़ लिया और जीभ को को अंदर करके छेद के अंदर डाल दिया फिर क्लाइटॉरिस पर जीभ रगड़ने लगा.

सुप्रिया का एक हाथ उसके सिर को चूत पर और दबाने लगा.

"एम्म...कम्म्मरन्नग," उसने आवाज़ सुनी और तुरंत ही सोनिया बहुत तेज़ी से हिलने लगी.

"ओह माइ गॉड," उसने धीमे से आवाज़ दी.

अरुण जल्दी से उसके उपर चढ़ गया और अपने लंड को छेद पर रख के हल्का सा लंड उसकी गीली चूत मे दे दिया.

"आअहम्म" उसने अरुण के लंड को अपने अंदर महसूस करके कहा. "आइ नीड...डाट."
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