RE: bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
अगले दिन कॉलेज से आने के बाद सभी नहा धो कर तय्यार हुए. हर साल उनके मम्मी पापा की आनिवर्सयरी पर घर मे पूजा होती थी जिसमे उनके सभी दोस्त आते थे. तो आज भी सभी आए थे. पूजा होने के बाद वो लोग खाने के लिए बैठे तो माहौल को हल्का करने के लिए रोहित ने अपनी बातें शुरू कर दी.
"मुझे अभी भी ध्यान है एक बार मैं सुप्रिया दी के कमरे मे झाँक रहा था और आंटी ने पकड़ लिया था. कसम से ऐसा लगा जैसे उस दिन तो आंटी मुझे सूली पर ही टाँग देंगी." रोहित बोला तो सभी हँसने लगे. ऐसे ही हंसते हुए पुरानी बातें याद करते हुए सभी खाना खाने लगे. खाने के बाद सभी बाइ बोलकर चले गये.
अरुण सोनिया के साथ अपने रूम मे चला आया. वो तो बिस्तर पर लेट गया लेकिन सोनिया सिर्फ़ स्पोर्ट्स ब्रा और पैंटी मे आके उसके साथ लेट गयी. उसे थोड़ा ऑड लगा अपनी बहेन के साथ ऐसे लेटना लेकिन आज वो थोड़ा ज़्यादा थक गया था और उसे लगा कि वो भी थक गयी होगी तो इस विचार को मन से निकाल दिया.
जल्दी ही फिर वो नींद की गहराइयों मे जाने लगा. अंधेरा उसे अपने अंदर समेटने लगा. उसे दिखा कि वो रोड के साइड मे खड़ा है और तभी एक ट्रक बहुत तेज़ी से दूसरी कार से टकराने वाली है. सोनिया उसके साथ ही खड़ी मुस्कुरा रही है. जैसे ही कार की टक्कर होने को हुई सोनिया ने आगे बढ़कर उसे अपने पास खीच लिया और उसके सिर को सहलाने लगी. दोनो फिर से साथ मे अंधेरे मे खोने लगे. इस बार जब अंधेरा छटा तो दोनो फूलो के बगीचे मे एक साथ लेटे हुए थे. सोनिया ने अपना सिर उठाया और बहुत ही प्यार से उसके होठों को चूम लिया, दोनो के शरीर मे करेंट दौड़ता चला गया. उसने मुस्कुराते हुए उसे लिटा दिया और खुद उसके उपर चढ़ गयी. उसे तुरंत ही आभास हुआ कि उन दोनो के कपड़े गायब हो चुके थे, और उसका खड़ा लंड उसकी चूत पर दस्तक दे रहा था.
सोनिया ने मुस्कुराते हुए अपने पैरो को चौड़ा किया और उसके लंड पर बैठकर अपनी आँखें बंद कर के सिसकी लेना शुरू कर दिया.
अरुण तुरंत ही कूद कर बिस्तर पर बैठ गया, उसका हाथ उसके तेज़ी से धड़कते दिल पर था और वो उस सपने को समझने की कोशिश कर रहा था. अभी अभी उसने अपनी बहेन के बारे मे सपना देखा, वो भी एक सेक्स ड्रीम! आख़िर हो क्या रहा है? उसने साइड मे देखा तो सोनिया उसे शांति से देख रही थी.
"यू ओके?" उसने धीरे से पूछा.
अरुण ने सिर हिला दिया और उसके दूसरी तरफ मूह करके लेट गया.
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स्नेहा किचन मे खाना बना रही थी जब उसके भाई बहेन नीचे सुस्ताते हुए आए.
अरुण की हिम्मत नही हो रही थी किसी की तरफ देखने की. वो बस कल रात के उस शर्मनाक सपने के बारे मे सोच रहा था. उसने एक हाथ अपने चेहरे पर फेर लिया.
सुप्रिया ने इशारे से सोनिया से पूछा तो उसने इशारे से ही बता दिया कि पता नही.
"सब ठीक तो है ना, अरुण?" सुप्रिया ने कुछ पल बाद पूछा.
अरुण ने उसकी तरफ देख कर चेहरे पर मुस्कान लाई. "कुछ नही दी..बस एक सपना,"
सुप्रिया ने ने उसके कंधे को धीरे से दबा दिया और आगे झुककर उसके गालो को चूमते हुए गले से लगा लिया.
ब्रेकफास्ट के बाद अरुण बाकी सब के साथ तय्यार होके कॉलेज के लिए निकल पड़ा. अरुण आरोही के साथ बैठा था और गाड़ी मे दोनो के बीच अजीब से खामोशी थी.
"आरू?" उसने अचानक पूछा. "क्या हम दोनो ने..कभी मेरे ये सपनो के बारे मे बात की है?"
आरोही क्यूरियस होकर उसे देखने लगी. "हां, कभी कभी. लेकिन अभी काफ़ी टाइम से तुम्हे वो सपने दिखने बंद हो गये थे, एक्सीडेंट से पहले तक आइ गेस. क्यूँ पूछा?"
अरुण ने कंधे उचका दिए, उसे खुद नही पता था कि वो इन सपनो के बारे मे उसे कैसे बताए. उसे ये भी पता था अगर वो दुनिया मे किसी से इस बारे मे बात कर सकता है तो सिर्फ़ आरोही से.
"कल थोड़ा अलग तरह का सपना था. और ये भी नही कहा जा सकता थे कि ये कोई डरावना सपना था. मैं बस ये नही चाहता कि तुम मेरे बारे मे कुछ ग़लत सोचो..तो.."
"अरुण, आइ लव यू, यार. और तुम्हारे सपना देखने से तो मैं कभी भी नाराज़ नही हो सकती. आंड सिन्स वी आर ट्विन्स तो हो सकता है कि हम दोनो एक जैसे ही सपने देखते हों"
उसकी बातें सुन अरुण को थोड़ा अच्छा लगा, "ओके, इट वाज़..काइंड ऑफ..डर्टी," उसने नीचे देखते हुए कहा.
आरोही आइब्रो उपर करके उसे देखने लगी. "नाइस," उसने हंसते हुए कहा. "माइ फॅवुरेट."
अरुण मुस्किल से अपने चेहरे पर मुस्कान ला पाया. "अरे पागल, वैसा नही..इट वाज़..स्टिल डिफरेंट."
तब तक वो लोग कॉलेज पहुच गये तो आरोही ने गाड़ी पार्क कर दी और उसकी ओर देखने लगी.
"ओके, हाउ डिफरेंट? क्या इस बार जोकर ने रेप कर दिया?"
अरुण हंस पड़ा. तभी उसका ध्यान घड़ी की तरफ गया तो क्लास का टाइम हो गया था. वो धीरे से कार से उतरा और बॅग को पकड़कर चलने लगा.
"बाद मे."
आरोही ने भी ये जताया कि वो उसके सपने के बारे मे जानने के लिए मरी नही जा रही थी और धड़कते दिल के साथ उसके पीछे पीछे धीरे धीरे चलने लगी.
वो लोग ऐसे ही कोर्स की बात कर रहे थे कि आरोही एक दम से किसी की ओर देख रही थी. अरुण ने उसकी नज़रो का पीछा किया तो उसे एक झटका लगा.
"एश" उसके मूह से निकला.
अरुण धीरे धीरे उसी की ओर चलने लगा. "एश"
एश मूडी और अरुण को देखकर तुरंत ही मुस्कुराने लगी. "अरुण! आरोही."
वो तुरंत ही आगे बढ़ी और दोनो को गले लगाने लगी. "हाउ आर यू नाउ?" उसने पीछे हटकर अरुण को देखते हुए पूछा.
अरुण के मन मे तुरंत ही बीती बातें आने लगी. उन दोनो ने जो अच्छा वक़्त साथ मे बिताया था. अब वो थोड़ी सी बड़ी लग रही थी लेकिन अब भी वो वही थी जिसे वो पहले जानता था.
"आइ'म ओके," उसने कह दिया.
"****** का क्या हुआ?" अरुण ने पूछा और तुरंत ही पछताने लगा कि उसने क्यू पूछा.
उसके मूह से शब्द निकलते ही एसा का चेहरा उतर गया. उसे देखकर सॉफ सॉफ पता चल रहा था कि वहाँ वो ठीक नही थी.
"अरे, कुछ टाइम तक तो ठीक था लेकिन फिर काफ़ी कुछ चीज़े हुई तो मैं वापस आ गयी. कभी फ़ुर्सत मे बताउन्गी."
"आइ'म हॅपी यू'आर बॅक." आरोही उछलते हुए बोली.
अरुण ने उसके हाथ पर मारा. "तुमने बताया क्यूँ नही कि ये मुझे हॉस्पिटल मे मिलने आई थी?"
आरोही उसको वापस मारने ही जा रही थी कि हाथ रोक लिया. "तुम बस ठीक हो जाओ फिर इसका बदला लूँगी. और मैने इसलिए नही बताया क्यूकी एक तो तुम सदमे मे थे उपर से वो मम्मी पापा की आनिवर्सयरी."
"कोई नही, अरुण," एश बोली. "मैं वैसे भी ज़्यादा देर तक नही रुकी थी."
अरुण याद करने लगा कि हॉस्पिटल मे उसे सपने मे एश के पर्फ्यूम की महक आई थी.
"तुम अब भी ******** यूज़ करती हो?"
एश मुस्कुरा दी. "इट ऑल्वेज़ डिड वियर्ड थिंग्स टू यू." वो खिलखिलाते हुए बोली.
"यॅ, जब तुम वो लगती हो देन इट'स हार्ड टू कॉन्सेंट्रेट. मैं तो उसके कारण बिल्कुल बेवकूफो की तरह हरकत करने लगता था."
आरोही हँसने लगी. "तो अब कौनसा कुछ अलग करते हो."
अरुण गुस्से से उसे देखने लगा.
"चलो अच्छा, क्लास के लिए देर हो जाएगी"
"हे, अपना नंबर दो सो वी कॅन टॉक लेटर," अरुण एश से बोला तो आरोही तुरंत ही खुद को समझाने लगी कि वो अभी सिर्फ़ बहेन है और कुछ नही.
एश ने उससे उसका फोन माँगा तो देखा की कॉंटॅक्ट लिस्ट मे अभी भी उसका पुराना नंबर था तो उसने मुस्कुराते हुए नंबर अपडेट कर दिया.
"टेक्स्ट मी," उसने दूसरी तरफ जाते हुए कहा.
"इट वाज़ गुड टू सी यू," अरुण ने चलते हुए कहा.
आरोही अपनी जलन को दबाने लगी. "अपनी आँखें और ज़बान संभाल के रखो, समझे." आरोही गुस्से से बोली.
अरुण ने उसे इग्नोर कर दिया तो आरोही गुस्से से उससे निकलने के चक्कर मे उससे टकरा गयी तो अरुण गिरते गिरते बचा. "क्या हुआ?" अरुण कराहते हुए बोला तो आरोही का चेहरा का गुस्सा तुरंत ही गायब हो गया.
"सॉरी, कुछ नही बस मैं नही चाहती कि तुम फिर से एश के चक्कर मे परेशान हो."
फिर दोनो क्लास मे चले गये. कॉलेज के बाद अरुण ने एश को एसएमएस किया कि घर पर आ जाए.
"आइ'ड लव टू, बट यू श्योर?" उधर से रिप्लाइ आया.
"ऑफ कोर्स, एक घंटे बाद घर पर मिलते हैं." अरुण ने टाइप कर दिया.
"ओके, सी यू देन."
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