RE: bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
हेड लाइट्स से आँखें चौंधिया देने वाली रोशनी चमकी, और तेज़ी से घूमती हुई एक पेल से टकरा गयी...एक धमाका हुआ और अंदर से चीखने की आवाज़ आई. उसके चारो ऑर आग फैलने लगी लेकिन वो खुद को ज़रा सा भी हिलाने मे असमर्थ था, उसकी आँखो के सामने आग उसके पैरो को अपने अंदर समेटने लगी.
अरुण एक दम से बेड पर सीधा बैठकर उस आग को बुझाने की कोशिश करते हुए चीखने लगा जो थी ही नही.
"भाई, शांत हो जाओ..भाई..अरून्न्ञन्...सपना है..भाई..अरुंण...बेबी...प्लीज़."
अरुण ने चारो तरफ देखा तो आग कहीं नही थी और कार का नामोनिशान नही था. वो बहुत तेज़ी से सासें ले रहा था और कोई उसे पकड़े हुए था.
उसने उसकी ओर देखा और अपनी आँखें बंद कर ली, एक आसू उनमे से निकलकर गालों पर आ गया.
"थॅंक गॉड.." उसने कहा.
सोनिया के नाज़ुक हाथ उसे अब भी सहला रहे थे. "ष्ह्ह..बेबी.." वो बार बार कह रही थी.
अपने बुरे सपने पर गुस्सा होकर उसने उसके हाथो को हटाया और पैरो को ज़मीन पर रखकर खड़ा होने की कोशिश की तो दर्द की बड़ी तेज सिहरन उसके जिस्म मे दौड़ गयी.
"फक!" वो तेज़ी से चीखा. "थक गया हूँ मैं इन सपनो से!" उसने इस बार थोड़ा धीमे कहा लेकिन अंदर उसे लगा कि ऐसा सपना उसे काफ़ी टाइम बाद दिखा.
पीछे से सोनिया ने उसकी पीठ सहलानी शुरू कर दी.
"आइ'म सॉरी सोनिया," उसने कहा.
सोनिया ने अपना दूसरा हाथ उसकी कमर मे डाल दिया और सिर पीठ पर रख दिया. "इट'स ओके," वो बस उसके होठों को अपनी ओर करके चूमना चाह रही थी. ये सब उसके लिए
अब बहुत ज़्यादा हो रहा था. लेकिन उसे खुद पर काबू भी रखना था जिससे वो उसके पास वापस आ जाए.
अरुण ने अपनी कमर पर रखे उसके हाथ को पकड़कर धीरे से दबा दिया और फिर खड़े होने की कोशिश की तो पता चला कि अभी भी काफ़ी दर्द बाकी था.
"भाई, लेट मी हेल्प," सोनिया ने धीरे से कहा और उतर कर सामने खड़ी हो गयी और खड़े होने मे मदद करने के लिए हाथो के नीचे हाथ डाल कर उठाने की कोशिश करने लगी.
अरुण वही बेड पर बैठे हुए उसे मसक्कत करते हुए देखता रहा.
"ज़ोर लगाओ मेरे पहेलवन!" अरुण ने सीरीयस टोन मे कहा.
"अगर थोड़ी हेल्प कर दोगे तो कुछ बिगड़ नही जाएगा, आलसी." सोनिया ने मुस्कुराते हुए कहा.
अरुण हंस दिया और उसे जहाँ सबसे ज़्यादा गुदगुदी लगती थी वही पर उंगली से गुदगुदाने लगा, जिससे वो छटपटाने लगी ऑर चीखने लगी.."नो...नही...प्लीज़..स्टॉप," उसने कंधे पर मार कर कहा. तो अरुण करहकर उसे देखने लगा.
"अववव, बेबी ब्रदर..." उसने आगे बढ़कर उसका माथा चूमते हुए कहा. "यू डिज़र्व्ड दट."
फिर अरुण ने उसे अपना हाथ दिया और उसकी मदद से खड़ा हो गया.
"कहाँ जाना है?" वो दरवाजे की तरफ चलते हुए बोली.
"शवर आंड बाथरूम." उसने कहा.
"ओके, लेकिन मैं अब नहलाने वाली नही हूँ" सोनिया हंसते हुए बोली.
"हो हो," अरुण उसका सहारा लेकर चलते हुए बोला.
बाथरूम पहूचकर उसने अरुण को स्टूल पर बिठाया और अरुण टीशर्ट को सिर से उपर निकालने लगा तो फिर कराहने लगा.
"लेट मी हेल्प,"
"नही मैं कर लूँगा."
"सॅंडल से मारू या हाथो से?"
अरुण तो शांत हो गया तो वो आगे बढ़ी और जैसे ही उसकी उंगलियाँ उसकी कमर से छुई तो अरुण के मन मे चिंगारी फूटने लगी.
"मत सोचना, मत सोचना..." वो खुद से कहने लगा.
सोनिया दोनो तरफ से पकड़कर टीशर्ट उतार रही थी लेकिन तभी उसे एक आइडिया आया और उसने पहले एक हाथ को बाहर निकाल दिया फिर दोबारा उसकी पसलियों को छूते हुए दूसरे हाथ को भी निकालने लगी. ये करते वक़्त उसने देखा कि अरुण ने आँखें बंद कर रखी हैं.
टीशर्ट उतार कर उसकी जीभ खुद ही उसके होठों को भीगा गयी जब उसने फिरसे उसकी नंगी बॉडी देखी.
"लो हो गया," वो वापस जाते हुए बोली.
"थॅंक्स," अरुण बोला और अपने शॉर्ट्स को उतारने लगा तब तक सोनिया आगे रुक गयी.
"क्या हुआ?" उसने पूछा.
"डॉन'ट वरी, मैं मुड़ने नही वाली. मैं बस पूछ रही हूँ कि कुछ और चाहिए क्या?"
अरुण ने मना कर दिया और उसके जाने के बाद वो धीरे धीरे शवर के नीचे पहुचा और गर्म पानी के नीचे खड़ा हो गया.
"मैं कपड़े लेकर आती हूँ," सोनिया की आवाज़ आई.
"ओके," उसने कहा और दर्द होते हुए भी साबुन लगाने लगा.
वो शवर से बाहर निकला तो बाहर सोनिया आँखें बंद किए खड़ी थी और उसके हाथ मे टवल थी. टवल लपेटकर उसने आँखें खोलने को कह दिया.
सोनिया दूसरी टवल से उसे पोछने लगी. फिर उसके बॉक्सर्स जो वो अभी रूम से लेकर आई थी वो लेकर सामने बैठ गयी.
अरुण खुद को रोक नही पाया उसे इस पोज़िशन मे देखकर इमॅजिन करने से.
"छोटी बहेन है, छोटी बहेन है...नही नही.."
बॉक्सर्स पहनाते समय सोनिया की इच्छा तो बहुत हुई की धोखे से लंड को छू ले लेकिन उसने खुद पर काबू रखा और ढंग से उसे बॉक्सर्स पहना दिए और कुछ देर बाद दोनो साथ मे उपर जाने लगे.
"कल मम्मी पापा की वेड्डिंग आनिवर्सयरी है" सुप्रिया उसे ऑम्लेट देते हुए बोली.
"ओके." अरुण ने कहा. "कल वैसे वेडनेसडे है ना?"
आरोही ने हां कह दी.
फिर कुछ देर बाद आरोही उसकी तरफ देखने लगी. "और मेरे चोटिल शेर, कुछ याद आया?"
अरुण ने हल्के गुस्से से उसे देखा फिर हंस दिया.
"नही अभी कुछ भी नही."
"वैसे आज चाहो तो अपने लोग तुम्हारी गाड़ी लेने चल सकते हैं?" आरोही बोली.
तभी एक दम से अरुण के मन मे एक तस्वीर सामने आ गयी, जिसमे आरोही उसके सामने झुक कर उसकी पॅंट को नीचे कर रही थी और लंड को मूह मे रख के चूसने लगी.
अरुण तुरंत ही सिर हिलाकर उस पिक्चर को मन से निकालने की कोशिश करने लगा. "हो क्या रहा है मेरे साथ?"
"नही लेनी?"
"नही नही, लेनी है ना." अरुण ने तुरंत ही कहा.
उसके बाद ऐसे ही हल्की फुल्की बातचीत होती रही टेबल पर. उसके बाद अरुण सोफे पर जाके बैठ गया. वो अभी जस्ट बैठ ही पाया था कि एक और तस्वीर उसके मन मे उभर आई, वो सोनिया और आरोही एक साथ सोफे पर लेटे हुए थे. और वो और आरोही कंबल के अंदर एक दूसरे के गुप्तांगो के साथ खेल रहे थे. सीन केवल 2 सेकेंड्स के लिए आया तो अरुण ने उसे ऐसे ही बेकार ख़याल समझ कर इग्नोर कर दिया.
कुछ देर टीवी देखने के बाद वो अपने रूम मे चला गया. पूरा दिन ऐसे ही नॉर्मली गुज़र गया. शाम को कुछ देर के लिए रोहित आया फिर वो भी चला गया. उसके बाद रात मे वो सोने चला गया. कल काफ़ी इंपॉर्टेंट दिन था उनके लिए. और थोड़ा टफ भी.
जल्दी ही उसे नींद ने अपने आगोश मे ले लिया, जब सोनिया उसके पास आके लेटी तो उसे थोड़ा बहुत ही होश था. उसने उसकी महक को ढंग से अपने अंदर समेटा और हल्की आवाज़ के साथ और गहरी नींद मे चला गया.
सोनिया ने उसके हाथ को पलटकर अपनी तरफ घुमाया तो उसने नींद मे ही उसे अपनी बाहों मे भर लिया और कस के खुद से चिपका लिया. सोनिया ने बड़ी मुश्किल से खुद को आगे बढ़ने से रोका. उसकी इच्छा तो हो रही थी कि बस इसी वक़्त उसके कपड़े उतार कर उसके साथ एक हो जाए. अरुण की टीशर्ट पर उसका एक आसू धीरे से गिरा और वो उसके सीने मे सिर रखे रखे सो गयी.
अरुण अचानक से चीखते चिल्लाते हुए उठा रात मे.
सोनिया तुरंत ही उसे दिलासा देने लगी. "ष्ह्ह बेबी, श्ह्ह." ऐसा लग रहा था कि उनका ये डेली का काम हो गया था. धीरे धीरे अरुण शांत हुआ और उसके साथ ही सो गया.
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