bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
01-25-2019, 12:48 AM,
#91
RE: bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
आरोह नीचे आई तो स्नेहा को अपनी टीशर्ट नीचे करते हुए देख हँसने लगी. 

उधर सुप्रिया अरुण को टेबल तक ले आई थी. स्नेहा ने आरोही को देख आँख मार दी और खाने को टेबल पर लगाने लगी.

"इस पर कब तक बैठना पड़ेगा?" अरुण ने व्हील्चैर की तरफ इशारा करते हुए पूछा.

उसकी बहनें उसको जवाब दिए बगैर उसको पानी खाना देने लगी. सोनिया ने तो पहला नीवाला अपने हाथ से उसे खिलाया. जब सभी ने अपना काम कर दिया तो अरुण खाने पर ऐसे टूटा जैसे जन्मो का भूखा हो.

"आराम से," सुप्रिया बोली.

अरुण उसकी ओर देख कर मुस्कुरा दिया और स्नेहा की ओर देखा तो उसका खाना गले मे ही अटक गया. स्नेहा आगे झुककर सलाद उठा रही थी तो उसकी लूस टीशर्ट मे से बिना ब्रा के दूध सॉफ सॉफ झलक रहे थे. अरुण सॉफ सॉफ उसके निपल और पेट देख रहा था. उसने बड़ी मुश्किल से अपनी नज़रें नीचे प्लेट पर जमाई.

सभी बहने एक दूसरे को देखकर मुस्कुरा दी.

खाते वक़्त सभी काफ़ी खामोश थे, जिससे अरुण को काफ़ी परेशानी हो रही थी. "अच्छा अब तुम लोग मुझे बता क्यूँ नही देते क्या क्या चेंज हुआ है इस साल. सोनिया और मेरी इतनी तो कभी भी नही बनी."
"यू'आर माइ ब्रदर," सोनिया दुखी आवाज़ से बोली.

"शिट," उसने सोचा. "सोनिया, मेरा वो मतलब नही थी. मुझे बस कुछ याद नही आ रहा कि इससे पहले हम दोनो ने बिना लड़े कभी बात भी करी हो,"

सोनिया ने सिर हिलाकर उसकी बात का साथ दिया. "थिंग्स हॅव चेंज्ड."

"अभी कुछ महीने पहले.." आरोही बोलने को हुई तो सोनिया ने उसका हाथ दबा कर रोक दिया.

"मैं खुद बताउन्गी," उसने कहा. "आइ' ओके, दी," उसने सबको दिलासा देते हुए कहा.

फिर एक घूँट पानी का लेकर वो बोलने लगी.

"अभी कुछ महीने पहीले, हमारी लड़ाई हुई लेकिन शाम को मैं, आप और आरू दी साथ मे क्लब गये थे. वहाँ वो कमिने विकी की बात मानकर मैने..(गल्प)..आपको चाँटा मारा था. सॉरी. आप गुस्से मे बाहर चले गये उसके बाद मुझे उस विकी ने कोई ड्रिंक दी ये कहकर कि कोक थी. उसमे कुछ मिला हुआ था जिसकी वजह से मुझे कुछ होश नही रहा. मैं जानबूझकर आरू से छुप रही थी, क्यूकी मुझे पता था ये मुझे बाहर जाने को कहेगी. मैं बाथरूम की ओर जा रही थी कि एक लड़का मुझे अपने साथ दूसरी तरफ ले जाने लगा," सोनिया की आवाज़ काँपने लगी थी.

"सोनिया.." आरोही बोली.

सोनिया ने हिम्मत करके अपने चेहरे पर मुस्कान लाई लेकिन एक आसू उसके गाल से नीचे आ रहा था.

"वो लोग मुझे एक रूम मे ले गये. जहाँ उसने मेरे साथ ज़बरदस्ती करने की कोशिश की."

अरुण चुप था लेकिन उसका चेहरा गुस्से से भरा हुआ था. उसका मूह गुस्से से बंद था और उसका हाथ खुल वा बंद हो रहे थे. 

"अरुण, जस्ट लिसन. कुछ नही हुआ.." सुप्रिया बोली.

"आरू ने आपको फोन किया तो आप तुरंत ही वापस आ गये. आप ढूढ़ते हुए उस रूम मे पहुचे और उस लड़के को बहुत मारा. मुझे तो होश भी नही था पर जैसा कि आपने और आरू दी ने बताया कि मेरी स्कर्ट कमर से उपर थी और बस वो पैंटी उतारने ही वाला था जब तक आप आ गये." सोनिया के चेहरे पर आसू लगातार बहने लगे.

"थॅंक गॉड, बस ये बताओ कि मैने उसे अच्छे से मारा." अरुण थोड़ा रिलॅक्स होते हुए बोला.

"यॅ, काफ़ी मारा. लेकिन फिर भी वो नीचे आया और जब आप मुझे और आरू दी को लेकर बाहर निकलने ही वाले थे कि उसके दोस्तों ने पीछे से आपके सिर पर मारा और आप बेहोश हो गये. तब तक जैसा कि दी ने बताया उन लोगो ने आपको काफ़ी मारा लेकिन सेक्यूरिटी ने सब कुछ ख़त्म करवा दिया. अगले दिन जब आपकी आँख खुली तो आप सुप्रिया दी केबेड पर थे. आपको काफ़ी चोट आई थी तो हम लोग आपका ख़याल रखते रहे. जब आरू दी ने मुझे सब बताया तो मैं आपसे दूर नही होना चाहती थी. मेरे लिए जैसे ये कल की ही बात हो. एक दिन मैं आप पर गुस्सा थी क्यूकी आप मेरी लाइफ कंट्रोल कर रहे थे और अगले दिन मैं बस आपके पास रहना चाहती थी."

अरुण काफ़ी देर तक चुप रहकर उसकी कही हुई बातों के बारे मे सोचता रहा. फिर उसने सोनिया की ओर देखा. "तुम अब ठीक हो?"

उसने मुस्कुरा कर सिर हिला दिया. "यही बात तो हम लोग बताने वाले थे. उसके बाद पहली रात तो मुझ नींद ही नही आई. मैं सोने की कोशिश करती तो मेरे मन मे उसी के बुरे सपने आने लगते. मैं जब रात मे पानी पीने आई तो आप भी वही थे. आप मेरे बारे मे काफ़ी परेशान थे और मैं यही सोच रही थी कि मेरी वजह से क्या से क्या हो गया होता. उसी टाइम मुझे समझ मे आया दट आइ लव यू और मैं कभी आपसे नही झगड़ सकती. यू ओपंड युवर आर्म्स टू मे आंड आइ फेल इंटो यू. आपने मुझे जब अपने पास सुलाया तब जाके मुझे नींद आई." सोनिया ने अपने आसू पोछते हुए कहा.

"आपके साथ मुझे वो सुकून मिला जो कहीं और नही. इट'स लाइक कोई भी बुरी चीज़ मेरे पास फटक तक नही सकती. तबसे मैं आपके साथ ही सोती आई हूँ."

अरुण ने सिर हिलाकर उसकी बात समझी. "तो उस लड़के का क्या हुआ?"

"मैं बताती हूँ," आरोही ने सोनिया को शांत हो जाने का इशारा करते हुए कहा. "अभी कुछ दिन पहले तुम और मैं कुछ दोस्तों के साथ एक डबल डेट पर थे. वहाँ तुमने उस लड़के को देखा तो कुछ झड़प हुई थी. उसके बाद अभी आक्सिडेंट वाली रात हम सब क्लब गये थे और वो दोबारा हमे दिखा. हम सब बाहर जा ही रहे थे कि उसने मुझे पकड़कर दीवार से सटा दिया.."

"आरू, तूने हम लोगो ये क्यू नही बताया?" सुप्रिया चौंकते हुए बोली.

"दी, वो कुछ नही कर पाया. और वैसे भी मैने उसे कस के मारा था."

"फिर भी." सुप्रिया चिंतित स्वर मे बोली.

"एनीवेस, तो डबल डेट पर तो तुमने उसकी अच्छी धुनाई की थी. और क्लब मे बाहर लड़ाई होने वाली थी तो मैने उसके थोबदे को कस के एक मारा उसके बाद वो चला गया. 

बारिश हो रही थी तो हम लोग घर जाने लगे, वही रास्ते मे उसने अपनी कार के साइड मे कार करके गोली टाइयर मे मार दी जिसकी वजह से कार पलट गयी."

"और उसका क्या हुआ?" अरुण ने पूछा.

"पोलीस ने उसे अरेस्ट कर लिया है. वो हम सबको मारने की धमकी दे रहा है तो उसे जमानत तो मिलने से रही." उसने बताया.

अरुण ने एक चैन की सास ली.

"लुक, अभी तुम्हे सब बातें समझने मे टाइम लगेगा. और तब तक तुम घर पर ही रहोगे तो ज़्यादा अच्छा रहेगा." आरोही बोली.

"और मेरी स्टडीस?" अरुण ने पूछा.

"अगर तुम्हारी इच्छा है तो तुम ये सेमेस्टर जाय्न कर सकते हो लेकिन अगर नही इच्छा है तो आइ'म श्योर डीन तुम्हारी प्राब्लम समझ जाएँगे." सुप्रिया बोली.

अरुण सोचते हुए अपने बाल खुजाने लगा. "दिन भर तो यहाँ बोर हो जाउन्गा. और शायद स्कूल से और बातें याद आ जाएँ." अरुण बोला फिर कुछ सोचकर आरोही की ओर देखने लगा. "सिर्फ़ तुमने ही उसे मारा?"

"यहा, आंड इट वाज़ सो गॉड." आरोही हंसते हुए बोली.

अरुण भी हंसा और कुर्सी को पीछे किया तो दर्द से कराह गया. तुरंत ही चारो उसे सुनाने लगी और कुछ देर बाद चारो ने उसे उसके बेड मे आराम से लिटा दिया. उसके बाद उसे लेक्चर पिलाना चालू किया.

"दी, प्लीज़, आइ'म गुड, ओके." उसने बार बार कहा.

"ओके." सुप्रिया बोली. "मैं नीचे बर्तन सॉफ करने जा रही हूँ. अगर तुम्हे कुछ चाहिए तो हम मे से किसी को भी आवाज़ दे देना." सुप्रिया आगे झुककर बोली. अरुण मुस्कुरा दिया लेकिन तुरंत ही खांसने लगा क्यूकी सुप्रिया के झुकने से उसके दूध अरुण की आँखो के सामने झूलने लगे जो एप्रन के कारण और मस्त दिख रहे थे. अरुण ने नज़रे हटाने की नाकाम कोशिश की तब तक सुप्रिया उसका सिर चूम चुकी थी.

"बहेन है, बहेन है,...." उसने खुद को बताया.

सुप्रिया फिर बाहर चली गयी तो स्नेहा आगे आई.

"हे भगवान, आज पक्का मैं पागल हो जाउन्गा." वो सोचने लगा.

सुप्रिया की तरह ही स्नेहा के दूध भी उसकी आँखो के आगे झूल रहे थे. इस बार भी अरुण की नज़रे वही गढ़ी रही.
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