RE: bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
अरुण कुछ घंटो तक सोने के बाद उस शाम जागा. आँखें झपकाते हुए उसने तो देखा तो उसकी बहनें जा चुकी थी सिर्फ़ स्नेहा पास मे बैठी बुक पढ़ रही थी.
"हे, बेबी, कुछ चाहिए?" उसने प्यार से पूछा.
अरुण ने धीरे से सिर हिलका तकिया पर रख लिया. कुछ देर तक वो ऐसे ही इधर उधर देखता रहा.
"कितने दिन एग्ज़ॅक्ट्ली हुए हैं?" उसने पूछा.
स्नेहा ने बुक साइड मे रख दी और उसके पास आ गयी. "तुम पहले तो 2 दिन आइसीयू मे ही रहे. फिर जब तुम्हे होश आया तो एक दिन बाद डॉक्टर ने तुम्हे रेग्युलर रूम मे शिफ्ट कर दिया. उसके बाद तुमने आज आँखें खोली."
अरुण ने दोबारा आँखें बंद कर ली. कमरे मे खामोसी थी. याददाश्त खोने की खबर उसके लिए किसी झटके से कम नही थी लेकिन स्नेहा की मीठी आवाज़ उसे काफ़ी आराम पहुचा रही थी. उसके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान उभर आई.
"क्या हुआ?" स्नेहा ने पूछा.
उसने स्नेहा की ओर देखा. "आपकी आवाज़ बड़ी अच्छी लग रही है," उसने कहा.
स्नेहा मुस्कुरा कर उसे देखने लगी. "थॅंक्स बेबी," उसने और प्यार से कहा तो अरुण के मान मे जो अंधेरा था वो धीरे धीरे उसकी मीठी रोशनी मे घुलने लगा.
"टीवी?" स्नेहा ने टीवी की ओर इशारा करते हुए कहा.
अरुण ने सिर हिलाकर मना कर दिया. "नही, आप बस मुझसे करती रहो, मुझे बड़ा अच्छा लगता है जब आप बात करती हो."
स्नेहा मुस्कुराते हुए बात करने लगी की कैसे बचपन मे दोनो साथ मे चेस खेलते थे और वो ज़्यादातर जानबूझकर हार जाती थी. वो उसकी पढ़ने मे हेल्प करती थी, और अरुण की शैतानियों पर मारती भी थी. कुछ घंटो बाद डॉक्टर आया और कुछ नुरलॉजिकल टेस्ट किए अरुण के.
अगले दिन अरुण को हॉस्पिटल से डिसचार्ज कर दिया गया. व्हीलचेयर मे बैठे हुए अरुण को आरोही ले जाने लगी. पीछे से रोहित सबके साथ समान ले आने लगा.
रोहित ने आरोही की हेल्प की उसे अपनी कार मे बैठने मे. रोहित दूसरी तरफ गया तब तक स्नेहा आ गयी और उसकी सीट बेल्ट लगाने लगी. अरुण की नज़रे दोबारा स्नेहा के क्लीवेज पर टिक गयी और बेल्ट लगाते टाइम स्नेहा का बया दूध उसके हाथ से रगड़ गया.
अरुण को तुरंत ही एक झटका लगा, उसके मन मे एक सीन आने लगा, स्नेहा का निपल उसकी जीभ के चारो ओर घूम रहा था. उसने अपने सिर को हिलाकर उस तस्वीर को दूर किया और फिरसे उसे अपने दर्द का आभास होने लगा.
आरोही पीछे बैठ गयी और रोहित कार को धीरे से चलाने लगा.
"तो तुझे कुछ भी याद नही है इस साल का? क्लास, वाकेशन, कुछ भी?" रोहित ने पूछा.
अरुण ने धीरे से सिर हिला दिया. "नही यार. मैने कोशिश की लेकिन कोई फ़ायदा नही. वैसे कुछ स्पेशल हुआ क्या इस साल?" अरुण ने मिरर मे आरोही से पूछा.
आरोही पानी पी रही थी कि उसके सवाल के जवाब मे मूह से एक दम पानी निकल पड़ा. खाँसते हुए वो हल्के से हंस दी.
"यू ओके?" अरुण ने हंसते हुए पूछा.
आरोही उसे एकटक देखने लगी. "तुम्हे पक्का कुछ भी याद नही?"
अरुण ने अपना हाथ उपर कर दिए. "नही, आरू. तुम तो मानो."
"तो फिर शाम को हर डीटेल दी जाएगी," आरोही बोली.
अरुण सोचने लगा कि आरोही ने उसी वक़्त क्यू नही बताई उसे सब बाते. वो विंडो से बाहर देखने लगा और खुद से पूछने लगा कि उसे कुछ याद क्यूँ नही आ रहा था?
जब वो लोग घर के बाहर पहुचे तो अरुण को देखकर बड़ा अजीब लगा कि उसकी कार के बिना घर कितना सुना लग रहा था. वो उसकी पसींदीदा कार जो थी.
आरोही ने उसके चेहरे के भाव पढ़ लिए और उसके कंधे पर हाथ रख दिया. "डॉन'ट वरी ब्रो, हम लोग दूसरी ले लेंगे और इस बार चाय्स मेरी होगी."
अरुण मुस्कुरा दिया और फिर रोहित की मदद से उतर कर व्हील्चैर पर बैठ गया.
गेट खुलते ही अरुण जब अंदर गया तो चारो तरफ देखने लगा.
"कुछ याद आया?" सोनिया ने बड़ी आशा के साथ पूछा.
सिर हिलाते हुए अरुण ने कंधे उचका दिए. "वेल, मतलब मुझे ये तो याद ही है कि मैं यही रहता हूँ लेकिन बस पिछली छुट्टियों के बाद का कुछ याद नही आ रहा."
"कोई नही. मैं कुछ खाने को बनाती हूँ" सुप्रिया किचन की ओर जाते हुए बोली.
"मैं तुम्हे आराम से बैठा देती हूँ," आरोही उसे हॉल मे सोफे के पास ले जाते हुए बोली. सोफे पर बैठा कर उसने टीवी का रिमोट उसके हाथ मे दे दिया.
"पानी?" उसने पूछा.
अरुण ने हां कह दी तो वो किचन मे चली गयी. रोहित भी ये बोलकर चला गया कि कुछ ज़रूरी काम है और कुछ ज़रूरत हो तो उसे कॉल करे.
आरोही बॉटल लेकर वापस आई तो अरुण ने थॅंक्स कह दिया.
"अरुण." आरोही उसके पास खड़े हुए बोली.
"हां?" अरुण ने उपर देखते हुए कहा.
वो नीचे झुकी और उसे अपनी बाहों मे आराम से समेट लिया. "आइ लव यू," उसने प्यार भरे लहज़े मे कहा जितना कि अरुण को आशा नही थी. आरोही के होठ उसके होंठो के पास जा ही रहे थे कि उसने खुद को रोका और उसके गाल पर किस कर दिया.
"आइ लव यू टू," अरुण ने प्यार से उसे गले लगाते हुए कह दिया.
आरोही किचन की तरफ जाने लगी तो उसने देखा कि सोनिया चुपचाप अरुण के रूम मे जा रही थी तो वो भी उसके पीछे पीछे उपर जाने लगी.
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किचन मे सुप्रिया और स्नेहा खाना बनाने मे जुटे हुए थे. सुप्रिया ने स्नेहा की ओर देखा.
"तो अब क्या करना है," उसने पूछा.
मुड़ते हुए स्नेहा ने उसकी ओर देखा और कुछ सोचने लगी. "उम्म्म, अच्छा ये बताओ जब हम लोग उसके साथ इंटिमेट नही थे तो अरुण किस चीज़ से एग्ज़ाइट होता था?"
सुप्रिया हंसते हुए कुछ मिनिट सोचती रही. "मेरा एप्रन, तुम्हारा क्लीवेज, आरोही की आस, और सोनिया जब स्पोर्ट्स ब्रा मे होती थी," उसने कुछ देर बाद जवाब दिया.
स्नेहा हंसते हुए सब्जी काटती रही. "मुझे पक्का पता है एप्रन के अंदर आप थी इसलिए उसे इतना अच्छा लगता था. तो हम लोग इसी से स्टार्ट करते हैं. अगर हो सके तो हम लोग ब्रा पहनना बंद कर देंगे घर मे," स्नेहा बोली.
सुप्रिया ये सुनकर हँसने लगी और वॉशरूम मे जाकर अपनी ब्रा को उतार दिया और एप्रन पहन कर वापस आ गयी. जब वो वापस आई तो स्नेहा उसे देखकर हंस दी और खुद भी वॉशरूम जाकर अपनी ब्रा को उतार दिया और टीशर्ट को खिचकर और नीचे कर दिया.
"हे भगवान, स्वीटी. तू तो उसे आज ही सबकुछ याद दिला देगी!" सुप्रिया उसकी टीशर्ट मे से बाहर झलकते क्लीवेज देखकर बोली.
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उपर, सोनिया अरुण के बेड पर बैठी आसू बहा रही थी. आरोही ने धीरे से दरवाजा खोला और उसके पास आकर बैठ गयी. सोनिया ने अपना सिर उसके कंधे पर रख दिया.
काफ़ी देर तक दोनो ऐसे ही बैठे रहे.
"आरू, पता है बात ये नही है कि मेरे और अपने बारे मे भूल गया है. वो सब कुछ भूल गये हैं. कैसे वो मुझे देखते थे, कैसे मेरे बालो से खेलते थे सब कुछ."
"आइ नो, गुड़िया," आरोही ने कहा और धीर धीरे उसके बालो से खेलती रही. "तुम्हे पता है शुरुआत मे मुझे तुमसे काफ़ी जलन होती थी क्यूकी तुम्हे अरुण के साथ इतना टाइम स्पेंड करने को मिलता था जबकि मुझे पता था कि तुम्हे उसकी ज़रूरत थी."
सोनिया हल्के से मुस्कुरा दी और आसू पोछने लगी. "आइ'म सॉरी," उसने कहा. "अगर...नही जब भाई की यादस्त वापस आ जाएगी तो प्रॉमिस मैं ईक्वली शेयर करूँगी."
"एक बात बताऊ? किकी थिंग्स?" आरोही मुस्कुराते हुए बोली.
सोनिया पीछे हटकर उसे देखने लगी.
"मैं अरुण के साथ ये ऑर्डर वाला गेम खेल रही थी काफ़ी दिनो से. जैसे जो कुछ वो मुझसे करने को कहता मैं करती, चाहे कुछ भी हो."
"हीही, सच्ची?" सोनिया हल्के से हंसते हुए बोली.
"और क्या. तुम्हे पता उस दिन कार मे उसी ने तो मुझे मेरी पैंटी माँगी थी." वो याद करते हुए बोली तो थोड़ी मायूस हो गयी.
सोनिया उसकी गले लग गयी. "चिंता मत कर, गुड़िया वो जल्दी ही ठीक हो जाएगा. और एक बात, अगर तुझे कोई प्राब्लम ना हो तो मेरे साथ सो जाना. हम दोनो जुड़वा हैं तो शायद तुझे वही फीलिंग मेरे साथ भी आए." आरोही उसका सिर सहलाते हुए बोली.
"ये हो सकता है," सोनिया गले लगे ही बोली.
आरोही ने उसकी ओर देखा और उसके दोनो गालो पर किस कर लिया फिर अंगूठे से उसकी चिन पकड़कर उसके होंठो को भी चूम लिया. सोनिया ने आरोही के कोमल होठ अपने होंठो पर महसूस किए तो वही करेंट दौड़ गया उसके शरीर मे जो अरुण को किस करते वक़्त होता था. कुछ देर तक किस करने के बाद आरोही ने उसे सीने से लगा लिया. "आइ लव यू गुड़िया," उसने कहा.
आक्सिडेंट से पहले सोनिया और आरोही दोनो काफ़ी करीब थे, लेकिन आक्सिडेंट के बाद तो जैसे सोनिया दुश्मन हो गयी थी आरोही की. शायद यही वजह थी कि कुछ सालो की दूरियाँ आज मिट रही थी.
"थॅंक्स, दी," सोनिया ने उसके गले मे बाहें डालते हुए कहा फिर दोनो साथ मे रूम से बाहर चल दिए.
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