RE: bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
एक घंटे बाद अरुण आज किचन मे अपनी बहनों के लिए ब्रेकफास्ट तय्यार कर रहा था. सभी एक एक करके नीचे आए और सभी ने उसके होंठो को किस करके गुड मॉर्निंग कहा और अपने भाई के हाथो बने नाश्ते का लुत्फ़ उठाने लगीं.
अरुण ने सभी के चेहरे पर चमक देखी तो काफ़ी खुश हुआ कि इसका रीज़न वो था.
सुप्रिया ने उसके चेहरे पर इतनी बड़ी स्माइल और आँखों मे चमक देखी तो पूछ बैठी,"सो, आइ गेस मैं और सोनिया ही लकी नही थी आज," उसने आरोही और स्नेहा की ओर देखते हुए पूछा.
कोई भी अपनी हँसी नही रोक पाया और पूरा घर उन सबकी खिलखिलाहट से भर गया.
"मुझे तो अपनी जीभ की करामात से जगाया," आरोही हंसते हुए बोली.
"मुझे शवर मे, दोबारा," स्नेहा ने भी कहा.
"मुझे तो रोज की तरह," सोनिया ने सुप्रिया को आँख मारते हुए कहा.
सभी अपने अपने मोमेंट्स बताकर हंसते रहे.
"लेकिन अरुण का क्लाइमॅक्स तो हुआ नही, आइ थिंक, तो इसके पास और कोई प्लान है?" स्नेहा बोली तो सभी अरुण की ओर देखने लगी.
"अरुण, तुम्हे पता है ना तुम्हे अपनी हाथों से मेहनत करने की ज़रूरत नही है," आरोही हंसते हुए बोली. "तुम हम लोगो से इस काम के लिए कह सकते हो."
अरुण भी हंस पड़ा. "डॉन'ट वरी, आइ'म फाइन." उसने बात जारी करते हुए कहा. "थोड़ी ज़्यादा एनर्जी नुकसान तो नही पहुचाएगी ना," उसने अपनी प्लेट सिंक मे डालते हुए कहा.
आज स्नेहा, सोनिया, आरोही और अरुण के लिए पहला दिन था कॉलेज का तो सभी तय्यार होकर कुछ देर बाद कॉलेज के लिए निकल पड़े.
कॉलेज मे टाइम काटना अरुण के लिए काफ़ी भारी पड़ा. वापस आते टाइम वो और आरोही एक साथ थे. रास्ते मे उसे शरारत सूझी तो अरुण बोला," आरू, अपनी ब्रा और पैंटी अभी मुझे दो." आरोही ने 2 पल उसे देखा फिर मुस्कुराते हुए अपने टॉप से ब्रा निकाल दी और स्कर्ट के नीचे से पैंटी निकालकर उसे दे दी. अरुण ने पैंटी को अपनी नाक के पास ले जाकर सूँघा फिर साइड मे रखकर पूरे रास्ते उसकी चूत को सहलाता रहा. घर आकर देखा तो सोनिया और स्नेहा की गाड़ी पहले से ही थी.
जब दोनो अंदर पहुचे तो अंदर कोई नही था, उसने खिड़की से देखा तो सभी बॅकयार्ड मे थे. और तीनो की तीनो नंगी लेटी हुई थी. अरुण का सिर घूमने लगा.
आरोही तो ताली बजाते हुए जल्दी से बाहर पहुचि और भागते हुए ही अपने टॉप को फिर अपनी स्कर्ट को उतार कर स्नेहा के पास लेट गयी.
"नो अंडरवेर?" सुप्रिया ने उसकी हालत देखी तो पूछा.
आरोही हंसते हुए अरुण की तरफ उंगली करने लगी. "हिज़ आइडिया," उसने कहा फिर उन्हे कार वाली हरकत बताने लगी.
अरुण हंसकर वापस जाने लगा लेकिन तभी रुक गया.
"पगला गया है क्या, दूध उधर हैं..वापस जा." आवाज़ ने जैसे अरुण को ऑर्डर दिया
उसकी बात मान कर अरुण वापस मुड़ा और उनके सामने वाली चेयर पर लेट कर उन्हे निहारने लगा.
"क्यू अब वापस नही जाना?" स्नेहा ने पूछा.
"इससे बढ़िया नज़ारा थोड़ी ना मिलेगा कही?" अरुण ने कहा और फिर वही लेट कर उनसे बातें करता रहा.
ऐसे ही काफ़ी देर तक सभी पूल मे मस्ती करते रहे.
अरुण का फोन बजा तो उसने मेसेज पढ़ा. मेसेज रोहित का था.
"निशा क्लब जा रही है. तो तू भी आजा, और अपनी बहनों को भी लाना, लेकिन सिर्फ़ सेक्सी वालियों को." अरुण ने रोहित का मेसेज पढ़ कर सभी को सुना दिया.
कुछ ही देर मे चारो देवियाँ पूल से बाहर निकालकर अंदर जाने लगी. अरुण मूह खोले चारो की भीगी गान्ड को निहारने लगा.
"वेट," अरुण ने कहा तो सभी उसकी ओर देखने लगे.
अरुण ने इशारे से उन्हे वापस चेयर पर बैठने के लिए कहा तो सभी बैठ कर उसे देखने लगे.
"चलो ये तो ठीक है कि हम लोग अपने घर मे इतना ओपन हैं, लेकिन हमे बाहर पब्लिक मे अलग तरीके से बिहेव करना पड़ेगा." अरुण ने अपनी बात रखी.
स्नेहा उसकी बात समझकर अपनी सिर उपर नीचे कर रही थी जिसके कारण उसके दूध भी हल्के हल्के हिल रहे थे. "यॅ, मैं भी इसी बारे मे सोच रही थी. साइन्स के अकॉरडिंग कोई सही से अब्ज़र्व करके बता सकता है कि 2 लोग आपस मे सेक्स करते हैं कि नही. तो आज हम सबको थोड़ा संभालना पड़ेगा."
सभी उसकी बात समझने लगे.
"ओके सो वी आर गोयिंग टू क्लब, बट सोनिया, यू ओके वित दिस?" आरोही ने सोनिया से पूछा.
अरुण भी उसकी ओर देखने लगा. उसके चेहरे पर हल्की सी स्माइल थी और आँखो मे थोड़ा डर. अरुण समझ गया कि वो जाना तो चाहती थी लेकिन थोड़ा नर्वस थी.
"हे," उसने पूल से बाहर आकर उसके हाथ थाम लिया. "अगर तुम नही चलना चाहती तो मैं रुक जाउन्गा यहाँ तुम्हारे साथ."
सोनिया उसकी ओर मुस्कुरा कर देखने लगी और अपनी सिर ना मे हिला दिया. "नही, मुझे कभी कभी ना कभी तो ये फेस करना ही पड़ेगा, वैसे भी वहाँ आप लोग साथ मे होगे मुझे कोई प्राब्लम नही होगी."
अरुण ने उसका सिर चूम लिया.
"लेकिन अरुण के थोड़ी दिक्कत होने वाली है?" सुप्रिया बोली.
अरुण सवालिया नज़रो से उसकी ओर देखने लगा.
"कैसे?" अरुण ने आख़िरकार पूछा.
सुप्रिया आकर उसके सामने बैठ गयी. "सोचो. हम लोग पब्लिक मे होंगे वो भी एक क्लब मे. और वहाँ हम लोग तुम्हारे साथ भी नही हो सकते इन दट वे. और वहाँ दूसरे लड़के भी होंगे, और वो हम लोगो से बात भी करने की कोशिश करेंगे."
अरुण के मन मे कभी ये बात आई ही नही थी.
"मैं ये नही कह रही कि हम लोग उन लोगो के साथ चिपक जाएँगे, लेकिन हम लोग सबको इग्नोर भी नही कर सकते ना, रोहित और निशा को शक हो गया तो."
अरुण के मन मे बस एक ही आवाज़ उठ रही थी.
"नूऊऊ...नूऊऊ...नूऊऊ" आवाज़ ने अपनी नाराज़गी जाहिर की
"शट्ट अप्प." अरुण ने सोचा.
"और सोचो, किसी ने आरोही से कुछ बात करी और तुम उस पर अपसेट हो गये. एक तो तुम दोनो को कोई एक ही नज़र मे बता देगा कि दोनो जुड़वा भाई बहेन हो, तो वो लोग पक्का सोचेंगे कि एक भाई को इतनी क्या दिक्कत हो सकती है ज़रा सी बात करने पर." स्नेहा बोली.
आरोही अपना सिर हिला रही थी. "दी, मुझे नही लगता कोई इतना सोचेगा, बहुत से भाई अपनी बहनो को लेकर काफ़ी प्रोटेक्टिव होते हैं."
"हां, लेकिन ये भी मत भूलो हम लोग अरुण के साथ इंटिमेट हो चुके हैं तो पक्का अरुण कुछ ज़्यादा ही रिएक्ट करेगा जैसे कि कोई अपनी गर्लफ्रेंड के साथ करता है और दूसरे लोग ये बात समझ सकते हैं."
"और उपर से हम सब लगते भी थोड़े एक जैसे हैं तो कोई भी बता सकता हैं वी आर रिलेटेड." सोनिया बोली.
अरुण अपना सिर हाथो मे पकड़ कर बैठ गया. सभी उसके रियेक्शन का इंतेज़ार करने लगे.
"अरुण कुछ तो बोलो," सुप्रिया बोली.
अरुण ने उनकी तरफ देखा फिर कुछ देर चुप रहा.
"लुक, ऐसा नही है कि मुझे पता नही है कि हम लोग हमेशा ऐसे नही रह सकते," उसने अपनी बात शुरू की.
"आइ डू," आरोही बोली तो बाकी सब हंस दिए.
अरुण फिर बोला. "मेरा मतलब है, रियलिस्टिकली, आइ नो कि हम लोग सिर्फ़ घर मे रह कर हर वक़्त सेक्स नही कर सकते, ये अलग बात है आइ'ड लव दट. आइ मीन आज स्कूल मे ही मुझे बस तुम सबकी याद आती रही. और मुझे लगता है कि मुझे थोड़े सेल्फ़ कंट्रोल की ज़रूरत है. तो आइ गेस, मैं अपने आप को कंट्रोल कर सकता हूँ अगर तुम लोग दूसरे लड़को से बात करोगी तो."
"बुलशिट!" आवाज़ ने गुस्सा होते हुए कहा
बाकी सब मुस्कुरा कर उसे साथ मे गले लगाने लगे और आइ लव यू कहने लगे.
"वैसे किस टाइम जाना है?" आरोही ने पूछा.
"टाइम?" अरुण ने मेसेज टाइप किया.
"निशा कह रही है, अपनी बहनों से पूछो." रोहित का जवाब आया.
उन लोगो के साथ यही होता था. जब भी ये लोग एक साथ बाहर जाते थे तो अरुण की बहने ही सब कुछ डिसाइड करती थी. तो सबको वैसे ही आदत पड़ी हुई थी.
"ओके," अरुण ने वापस रिप्लाइ किया.
"रोहित और निशा कह रहे थे कि जब तुम लोगो की मर्ज़ी हो," अरुण ने अंदर जाते हुए सभी से कहा. "और जब तुम लोग कपड़े पहेन लो तब."
स्नेहा जाके वैसे ही सोफे पर बैठ गयी, आज उसका मन नही था किचन मे जाने का. अरुण ने यही मौका सही देखा उससे कुछ पूछने का. वो आगे बढ़कर उसके पास बैठ गया तो स्नेहा ने अपना सिर उसके कंधे पर रख कर चॅनेल बदलने लगी.
अरुण ने कुछ देर उसे ऐसे ही टीवी देखने दी.
"सो, दी..उम..मुझे कुछ पूछा था," उसने कहा.
स्नेहा ने उसकी ओर देखा. "तो पूछो?"
"अभी कुछ दिन पहले आप ने कहा था कि आप कि मन मे भी कोई आवाज़ है जो आपके ये सब करने को कहती है?"
स्नेहा हँसने लगी. "हां, मैने कहा था."
अरुण सीरीयस नज़र से उसकी ओर देखने लगा.
"तो क्या ये मेरी तरह आपसे बात वग़ैरह करती है?" उसने पूछा.
स्नेहा रुककर छत की ओर देखकर सोचने लगी.
"एग्ज़ॅक्ट्ली नही, हां कभी कभी मुझसे कुछ काम करने के लिए कहती है, यूष्यूयली जब मैं एग्ज़ाइटेड होती हूँ. लेकिन ऐसा भी नही है कि कोई दूसरी लड़की हो मेरे दिमाग़ मे."
अरुण ने आइब्राउस सिकोड ली, कन्फ्यूज़ हो कर. "लेकिन आप तो कह रही हो कि ये आपसे सेक्स रिलेटेड चीज़े करने को कहती है."
स्नेहा हां मे सिर हिलाने लगी. "हां, लेकिन इट'स नोट रियल, ये सिर्फ़ मेरे दिमाग़ मे है. जैसे उस दिन जब तुम मेरी कार ठीक कर रहे थे और मैं तुम्हारी हेल्प कर रही थी तब भी ये मुझे कह रही थी कि मैं तुम्हे किस करूँ. आइ थिंक बाकी सब के मन मे ऐसा कुछ होगा. और मुझे लगता है तुम्हारे साथ भी यही केस है. बस तुम इस बारे मे कुछ ज़्यादा ही सोचते हो."
अरुण कुछ देर उसकी बात के बारे मे सोचता रहा फिर अपने कमरे मे जाने लगा.
"शिट यार, मेरी सेट्टिंग का प्लान गया." आवाज़ ने कहा
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