bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
01-25-2019, 12:45 AM,
#75
RE: bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
स्नेहा अंधेरे मे हंसते हुए उसकी इस मासूम सी कोशिश पर हँसने लगी. स्नेहा ने फिर से उसकी चूत पर हवा छोड़ी तो आरोही अपनी चूत को उपर उठाने लगी. स्नेहा ने फिर भी रहम नही किया और फिर से सिर्फ़ गर्म फूँक ही मार दी उसकी चूत पर और चूत के पास वाली खाल पर दाँत गढ़ा दिए.

"दी, प्लीज़..अहह." आरोही भीक माँगते हुए बोली,"आइ'म सो हॉर्नी...प्लीज़."

स्नेहा उसकी बात सुन हंस दी और इस बार जब आरोही ने अपनी चूत उपर करी तो छोटा सा प्यारा किस उसने चूत के बीचो बीच कर दिया. फिर अपनी जीभ को निकालकर लकीर पर फिराने लगी. पीछे उसकी टाँगें अब आरोही के मूह के दोनो तरफ थी तो आरोही ने भी देर ना करते हुए उसकी चूत को पूरा का पूरा मूह मे भर लिया तो स्नेहा ने अपनी टाँगें भिच ली. स्नेहा ने देर नही करी और जल्दी से जीभ से क्लाइटॉरिस ढूंड कर उस पर टूट पड़ी.

"दी, प्लीज़ ढीला करो,"आरोही अपने सिर को इधर उधर हिलाने की कोशिश करते हुए बोली.

"नोप," स्नेहा ने मना करके दोबारा अपनी जीभ को छेद मे घुसा दिया. उसने अपने हाथ को नीचे किया और आरोही के मूह मे 2 उंगलियाँ डाल कर गीली करी फिर उनही उंगलियों को उसकी चूत मे डाल दिया और जीभ से क्लाइटॉरिस को छेड़ने लगी.

"ओह्ह...गॉड,..प्लीज़," आरोही अपनी कमर बड़ी तेज़ी से हिलाए जा रही थी और स्नेहा की क़ैद से आज़ाद होने की कोशिश मे लगी थी. आख़िरकार उसका एक हाथ टीशर्ट से निकला तो उसने दूसरा हाथ भी छुड़ा लिया और अपनी ताक़त दिखाते हुए स्नेहा की कमर पकड़कर अपना मूह उसकी चूत मे घुसेड दिया.

"ओह..गोदडड़..." अब स्नेहा की बारी थी चीखने की जैसे ही आरोही की लसलसाती जीभ उसकी चूत मे अपना खेल दिखाने लगी और उसके बदन मे बिजली दौड़ने लगी. उसने दोनो उंगलियों को बाहर निकाला और अपनी बहेन के रस को चाट कर दोबारा अंदर डाल दिया और उसको ऑर्गॅज़म के करीब पहुचने लगी.

आरोही की जीभ अब थकने लगी तो उसने अपनी उंगलियों को खुद ही गीला किया और उन्हे काम पर लगा दिया.

***********************

"ओह्ह..गॉड..कितने हुए?" सोनिया ने पूछा जैसे ही उसके शरीर मे दोबारा एक और ऑर्गॅज़म की लहर दौड़ गयी.

"मैने गिना नही," अरुण बोला, उसका लंड अभी भी खड़ा हुआ था. "आइ थिंक, फाइव मेबी."

"मुझे खुद नही पता, इट वाज़ अमेज़िंग..हाहः..सो गुड." आवाज़ ने अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा

अरुण मुस्कुरा दिया लेकिन तुरंत ही उसे नीचे से हल्की सी सिसकी सुनाई दी. दोनो कुछ देर के लिए रुक गये और नीचे से आने वाली आवाज़ें सुनने लगे. एक और सिसकी के बाद सोनिया हँसी और दोबारा अपनी कमर हिलाने लगी.

"कोई नही है, बस हमारी दोनो बहने हैं, जिन्होंने शायद हमारी आवाज़ सुन ली और खुद पर काबू नही कर पाईं."

"वाउ," अरुण बोला,"हम लोग इतनी ज़्यादा तेज आवाज़ें कर रहे थे?"

सोनिया ने बस सिर हिला दिया और उसके धक्को का मज़ा लेने लगी.

"भाई, आपको पता नही है. आप इनसे काफ़ी तेज आवाज़ें निकालते हो. और सेम हैं सुप्रिया दी. इनफॅक्ट, आवाज़ से ही पता चल रहा है कि आरोही और स्नेहा दी हैं ना कि सुप्रिया दी के साथ कोई और. जब आप और सुप्रिया दी साथ मे होते हो तो जैसे भूकंप आ जाता है घर मे."

अरुण हंस दिया और अपने घुटनो के बल बैठ कर उसकी कमर को आगे खिच लिया और कस्के धक्के मारने लगा.

"आइ लव यू, भाई..अहहह" सोनिया बोली.

"आइ लव यू, टू." अरुण एक तेज धक्का मारते हुए बोला. एक और तेज सिसकी उन्हे सुनाई दी नीचे से.

**********

"डॅम इट!" सुप्रिया अपनी बिस्तर पर लेटी हुई उपर गुस्से से देखते हुए बोली.

अरुण ने उठाते हुए अंगड़ाई ली, खिड़की से आती सूरज की रोशनी उसके पास पड़े साए पर बिखर गयी. सोनिया के बदन पर अभी भी नाइटी थी, और उसके दूध अरुण के सीने मे धन्से थे. हाथ कंधे पर था और मूह गर्दन के नीचे. उसका लंड खड़ा हुआ था और उसकी चूत पर दस्तक दे रहा था. अरुण ने मुस्कुराते हुए हल्के से अपनी कमर हिलाई और अपनी आँखें बंद करके उसकी चूत का मज़ा लंड के उपर लेने लगा.

"घुसेड दे दोबारा.." आवाज़ ने अरुण को उकसाते हुए कहा

"सीरियस्ली, तुम कभी शांत नही होते क्या?" अरुण ने अपने मन मे कहा

"शांत? पी रखी है क्या? शांत जैसी कोई चीज़ नही होती." आवाज़ ने अरुण की हँसी उड़ाते हुए कहा

अरुण ने उसकी बातों को इग्नोर किया और हाथ को चादर के अंदर से निकालकर उसके चूतड़ पर रख दिया. अरुण ने उसकी आवाज़ की बात मानते हुए लंड को अंदर डालना शुरू कर दिया.

"यॅ. दट'स माइ बॉय."

इस हरकत से सोनिया जागने लगी तो उसने उसका माथा चूम लिया फिर नीचे बढ़ते हुए उसके होठों को भी चूमने लगा. थोड़ी सी हलचल के बाद ही उसका लंड फिरसे उसके अंदर था.

सोनिया ने आँखें खोलकर उसे देखा तो अरुण बहुत बड़ी स्माइल के साथ हंस रहा था, जिसे देख कर सोनिया भी हंस पड़ी और उठने की जगह अपनी कमर को गोल गोल घुमाने लगी.

"एम्म्म, गुड मॉर्निंग," उसने कहा और किस करने लगी.

"मैने सोचा सुबह की शुरुआत अच्छे काम से करूँ." उसने गर्दन को चूमते हुए कहा.

"ओह, थॅंक्स फॉर 'अच्छा काम'." सोनिया सिसकी लेते हुए बोली.

अरुण ने उसका इशारा मिलते ही अपने धक्को की स्पीड तेज करदी. सोनिया भी उसका साथ देते हुए तेज़ी से अपनी कमर हिलाने लगी. कुछ ही देर मे उसका पूरा शरीर काँपते हुए अरुण के उपर गिर पड़ा.

लगभग 20 सेकेंड्स तक उसके मूह से बस अरुण का नाम निकलता रहा फिर जाके वो शांत हुई.

"यू डिड्न'ट कम, डिड यू?" उसने सीने पर अपनी चिन रखते हुए पूछा. तो अरुण ने ना मे सिर हिला दिया.

"नो वरीस, आइ कॅन हेल्प दट." सोनिया हंसते हुए नीचे बढ़ने लगी. तो अरुण ने उसे रोक दिया.

"चूसने से भी तुझे दिक्कत है?"आवाज़ ने कहा

"हश" उसने सोचा.

"आइ थिंक मुझे अभी कुछ एनर्जी की ज़रूरत पड़ेगी, उपर से, सुप्रिया दी ने पक्का रात मे हम सबकी आवाज़ें सुनी होंगी, आंड इफ़ आइ'म राइट तो वो पक्का थोड़ा गुस्से मे होंगी."

सोनिया हंसते हुए आँखें बंद करके पिछली रात के कारनामे याद करने लगी.

"यू आर राइट," ये कहकर वो उपर से हट गयी और नीचे जाने लगी.

"लो हद हो गयी, चूतियापे की." आवाज़ ने गुस्सा होते हुए कहा

सोनिया नीचे बाथरूम की ओर जा रही थी तो खुद को रोक नही पाई और स्नेहा के रूम की ओर बढ़ गयी. उसने धीरे से गेट खोलकर देखा तो दोनो सुकून से सो रही थी.

आरोही स्नेहा की बाहों मे लेटी हुई सो रही थी. आरोही का मूह स्नेहा के निपल पर थी और किसी बच्चे की तरह कुछ कुछ देर मे वो अपनी जीभ से उसे चाट लेती. आरोही के चेहरे पर एक क्यूट सी स्माइल थी जिसे देख कर सोनिया के चेहरे पर भी एक मुस्कान आ गयी. उसने धीरे से दरवाजा बंद किया और बाथरूम मे चली गयी.

**********

जल्दी से शवर लेने के बाद अरुण कूदते हुए नीचे आया तो सोनिया टेबल पर बैठी मॅगज़ीन पढ़ रही थी और किचन मे सुप्रिया नाश्ता बना रही थी लेकिन उसके चेहरे पर गुस्से के भाव थे.

"आइ थिंक आज अच्छा दिन है, अपने सौदे को पूरा करने का." आवाज़ ने अरुण से कहा

"वेट आ सेकेंड, कैसा सौदा? ओह शिट." अरुण को शर्त की बात ध्यान आई तो उसने हाथ अपने माथे पर मार लिया.

"हः, मुझे पता था तू भूल गया होगा." आवाज़ ने अरुण से कहा

उसने फिर बिना बात करे सीधे पीछे से सुप्रिया को हग कर लिया और मुड़कर उसके होंठो पर किस करने लगा. सुप्रिया ने वापस किस तो किया लेकिन उसकी ओर नही देखा और किस के बाद दोबारा मूड कर अपना काम करने लगी. अरुण ने भी उसे छोड़ा नही और पीछे से उसकी गर्दन को चूमने लगा. 

"व्हाट आर यू डूयिंग?" सुप्रिया ने पूछा.

"मैं? मैं तो बस अपनी दी से थोड़ा प्यार कर रहा हूँ." उसने शर्ट के उपर से उसके दूध को दबाते हुए कहा.

"अपनी लवर के सामने ये करना प्यार नही होता, और दूसरी बात, आइ डोंट थिंक कि तुम्हारे पास मेरे लिए अब बिल्कुल भी ताक़त बची होगी, क्यूकी रात भर तुम्हारी आवाज़ से तो यही लग रहा था कि रात मे बहुत मेहनत की गयी है."

अरुण ने हंसकर उसे छोड़ दिया फिर कस के एक हाथ उसके चूतड़ पर मार दिया.

सुप्रिया मूड कर उसे गुस्से से देखने लगी. "आज मुझसे पंगे मत लो, अरुण. बहुत पछताओगे."

अरुण अपनी हँसी रोक नही पाया और पेट पकड़कर हँसने लगा.

सोनिया भी बाहर बैठी उनकी बातें सुन हँसी रोक रही थी. लेकिन फिर बात को संभालते हुए वो गेट पर आई. "दी, स्नेहा और आरोही दी की आवाज़ें भी थी. भाई अकेला नही था आवाज़ निकालने वाला."

"ओह, तब तो सब कुछ ठीक हो जाता है ना," उसने गुस्से मे पीछे मुड़ते हुए कहा.

"कम ऑन दी," अरुण अपने सिर को उसके कंधे पर रखते हुए बोला.

सुप्रिया ने उसे कनखियों से देखा और अपनी आइब्रोज से हटने का इशारा कर दिया.

"अगर आप इसी तरह करती रही, तो मुझे अभी आपको वॉशरूम मे ले जाकर मनमानी करनी पड़ेगी." अरुण बोला.

"ट्राइ इट आंड आइ विल फक यू अप." सुप्रिया उसे बेलन दिखाते हुए बोली.

अरुण ने दो पल उसे देखा और एक दम से उसे पकड़कर अपने से सटा लिया और किस करने लगा. कुछ देर तो सुप्रिया उसके सीने पर मारती रही लेकिन फिर वो भी साथ देते हुए किस करने लगी.

कुछ देर बाद उसने किस को तोड़ा और उसे देखते हुए वही खड़ा रहा. सुप्रिया भी मूड कर अपना काम करने लगी लेकिन मुड़ते वक़्त उसके चेहरे पर हल्की सी स्माइल थी.

उसने अपना मूह उसके कान के पास किया और कहा.."आइ प्रॉमिस दी, आइ'ल्ल मेक इट अप टू यू लेटर."

"यू बेटर." उसने मुस्कुराते हुए कहा.

"सी, फक हर नाउ. उसे खुद तेरी ज़रूरत है."

"नोट नाउ..डमबॉस्स."

सोनिया वही खड़े खड़े हँसने लगी और फिर जाके टेबल पर बैठ गयी. तब तक बाकी दोनो भी आकर टेबल पर बैठ गयी. सुप्रिया ने अरुण की हेल्प से टेबल पर नाश्ता लगा दिया.

"तो क्या आज पार्टी होगी?" सोनिया अपने चमकती आँखों से बोली.

सुप्रिया ने तीनो की शक्ल देखी तो तीनो के चेहरे चमक रहे थे यानी कि रात को सबने मस्ती की सिवाए उसके.

"स्योर, मैं भी चाहता हूँ ये रिया वाला किस्सा जल्दी ख़तम हो. क्या लाना है?"

"ओह, तुममे चलने की ताक़त भी बची है..वाउ!" सुप्रिया थोड़ा रुखेपन से बोली.

स्नेहा और आरोही दोनो हंस दी लेकिन अरुण बस मुस्कुराते हुए उसे देखता रहा.

सोनिया बोली,"दी आप और भाई क्यूँ नही चले जाते मार्केट साथ मे..आपको जो पसंद हो वो ले आना."

"मुझे कहीं नही जाना, किसी के साथ."

"दी, प्लीज़ ना, इतना भी क्या गुस्सा. और भाई ने कहा तो है कि ही विल टेक केयर ऑफ यू, लेटर." सोनिया हंसते हुए बोली. फिर बाकी सब के ज़ोर देने पर मान गयी. फिर सब साथ मे हँसी मज़ाक करते हुए नाश्ता करते हुए आगे का दिन प्लान करने लगे.

**********

आरोही ने अपना फोन बंद करते हुए सबको थंब्स अप का इशारा किया. "वो लोग आ जाएँगे, और किसी को भी बुलाना है?"

"और लोग होंगे तो सही रहेगा. और अगर अरुण अपने फ्रेंड्स को इन्वाइट कर ले तो हम लोग उनके साथ फ्लर्ट करके अरुण को जेलस भी फील करवा सकते हैं?" स्नेहा आँखें तरेरते हुए बोली.

"रियली? फ्लर्ट?" आरोही उसकी ओर देख के बोली.

"ऑलराइट? तेरी गुलामी आज से ही शुरू होती है?" आवाज़ ने खुश होते हुए कहा

अरुण कुछ देर सोचता रहा. "ओके? अभी से लेकर शाम तक. मंजूर?"

"यप."

"लेकिन एक रूल है. तुम मुझे फॅमिली से बाहर किसी को चोदने के लिए नही कह सकते."

"फक! तू तो हर चीज़ से मज़ा निकाल देता है. ओके फाइन! तू बस गुलाम बनाने के लिए तय्यार हो जा." आवाज़ ने अधीर होते हुए कहा

अरुण फिर अपनी सिस्टर्स की बातों पर ध्यान देने लगा जिन्होने अपने एक या दो फ्रेंड्स को बुलाने का डिसाइड किया था.

अरुण ने सोचा रोहित को भी बुला ले. वो वापस आ गया था वाकेशन से.

"पार्टी मेरे घर मे. यू इन?" उसने मेसेज किया.

"ओह यॅ." उधर से जवाब आया.

"2 3 बजे तक आ जाना, ओके." अरुण ने टाइप किया.

"रोजर दट. अरे निशा पूछ रही कि वो भी आ जाए क्या?" उसने अपनी बहेन की ओर इशारा करते हुए टेक्स्ट किया.

"व्हाई नोट..अब जल्दी आ जाना.बाइ." अरुण ने रिप्लाइ किया.

अरुण सोचने लगा कि बाकी सबको इस काम मे कितनी देर लगने वाली है. बस आरोही ही सबसे जल्दी ये मेसेज और कॉल वेल कम निपटाती थी. वो बिल्कुल उसी की तरह बात करती थी, शॉर्ट, स्वीट, तो थे पॉइंट. लेकिन बाकी तीनो तो पहले पूछेंगी कहाँ हो, क्या चल रहा है, इधर उधर की बातें फिर मुद्दे पर आना.

अरुण और आरोही दोनो ने बाकी तीनो की तरफ देखा तो तीनो फोन पर चिपकी बैठी चटर पटर कर रही थी, तो दोनो एक दूसरे को देख कर हँसने लगे.

काफ़ी देर बाद सबके फोन बंद हुए.

"आकांक्षा आ रही है." स्नेहा ने बताया.

"नैना भी" सोनिया बोली.

"मैने श्रुति को बुलाया है." सुप्रिया बोली.

"रोहित और निशा भी आ रहे हैं." अरुण बोला. "तो हो गये..11?" उसने पूछा.

"ट्वेल्व."

"तेरी गिनती नही होती, भाई." अरुण ने सोचा.

"ओह यॅ. राइट." आवाज़ ने कहा

"आइ थिंक..लेट'स सी..., अरुण, मैं, सुप्रिया दी, स्नेहा दी, सोनिया, आकांक्षा, नैना, श्रुति, रिया, रोहन, रोहित, निशा," आरोही उंगलियों पर गिनते हुए बोली. "ट्वेल्व डफर, खुद को गिना ही नही."

अरुण हंस पड़ा और सुप्रिया की तरफ देखने लगा. "चलें स्वीटी पिए." उसने पूछा.

सुप्रिया ने बनावटी गुस्से से उसे देखा फिर अपने रूम मे चेंज करने चली गयी. फिर बाहर आकर वो अरुण के साथ कार मे बैठ गयी. कार मे बैठते वो झुकी तो उसके दूध सॉफ सॉफ दिखने लगे.

"नो ब्रा, तूने देखा?" 

"हां भाई, देखा. काम डाउन."

आवाज़ को इग्नोर करते हुए उसने माल की तरफ कार मोड़ दी.

"यू ओके?" उसने चुप्पी तोड़ते हुए पूछा.

"आइ'म फाइन. आ लिट्ल.."

"तुमसे नही पूछा, यार."

"आइ'ल्ल बी फाइन, स्वीतू," सुप्रिया पहले की तरह खुश होते हुए बोलने की कोशिश करने लगी.

"आप रात मे आरोही या स्नेहा दी के पास जा सकती थी."

"आइ नो, मैं बस किसी को डिस्टर्ब नही करना चाहती थी." उसने विंडो से बाहर देखते हुए जवाब दिया.

"मुझे नही लगता किसी को प्राब्लम हुई होती." उसने मुस्कुरा कर कहा.

कुछ मिनिट बाद कार माल पहुच गयी.

"हाथ पकड़ ले." आवाज़ ने कहा

"सब देख रहे हैं, स्टुपिड."

"माइ डे, माइ रूल्स. अब पकड़." आवाज़ ने कहा

"शिट," अरुण ये सोचकर परेशान हो रहा था कि सुप्रिया इस बात से क्या मतलब निकालेगी.

वो अपनी साइड से उतरकर पॅसेंजर साइड आया तो सुप्रिया नीचे उतर कर अपनी ड्रेस सही कर रही थी. अरुण ने अपना हाथ आगे बढ़ाकर उसका हाथ थाम लिया. सुप्रिया ने चौंक कर उसकी ओर देखा.

"पागल हो गये हो क्या?" उसने पूछा, लेकिन हाथ पीछे नही किया.

"नोप." उसने सीधे शब्दो मे कहा. "आइ जस्ट वांटेड टू होल्ड युवर हॅंड्ज़." उसने कहा.

सुप्रिया मुस्कुरा दी और उसके साथ धीरे धीरे चलने लगी.

अंदर पहुच कर वो लोग ट्रॉली निकालने लगे.

"ओके. नेक्स्ट स्टेप. फ्लर्टिंग."

अरुण ने एक ठंडी आह भरी और ट्रॉली लेकर सुप्रिया को दे दी. फिर खुद उसके साइड मे आकर उसकी कमर मे हाथ डाले डाले चलने लगा.

पास वालो के लिए वो दोनो एक कपल थे जो अपने प्यार के संसार मे खोए हुए थे. काफ़ी सारे कपल्स अंदर बहस कर रहे थे, लेकिन ये दोनो बस एक दूसरे के प्यार के तले चले जा रहे थे.

सुप्रिया उसे देखकर मुस्कुराने लगी और उसके साथ चलती रही.

"अपना हाथ चुपके से उसकी पैंटी मे डाल, कुछ कर भाई."

"अगर मुझे जैल होती है, मैं कभी तेरी बात नही सुनने वाला," अरुण ने सोचा, लेकिन फिर क्यूकी शर्त थी तो जो कहा गया वो करने लगा.
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