RE: bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
सुप्रिया की चूत उसके और अरुण के गाढ़े गर्म रस से भर गयी. उसकी चूत के साइड से हल्के हल्के मिला हुआ रस रिसने लगा तो स्नेहा ने देर ना करते हुए उसे चाटना शुरू कर दिया. तीनो पसीने से तरबतर होकर मस्ती मे हाफ़ रहे थे, स्नेहा भी हाफ़ रही थी लेकिन उसने अपनी जीभ को वहाँ से नही हटाया.
कुछ देर बाद जब अरुण के लंड ने झटके खाने बंद कर दिए तो उसने बाहर निकाला लेकिन बैठने से पहले स्नेहा ने उसे चाट कर अच्छे से सॉफ कर दिया. अरुण वही साइड मे बैठ गया, लेकिन उसके बाद अच्छे से चूत से निकलते रस को पी गयी. इस चक्कर मे उसके होठों के आस पास वीर्य चिपक गया था और कुछ बूंदे उसकी चिन से नीचे टपक रही थी. जब उसने सुप्रिया को छोड़ा तो सुप्रिया वही पलटकर ज़मीन पर लेटकर हाँफने लगी.
"क्या हो गया है तुझे, स्नेहा?" सुप्रिया ने उखड़ी सासो को संभालते हुए पूछा.
स्नेहा हंसते हुए अपने होठों के चारो तरफ जीभ चलाने लगी.
"मुझे लगता है मेरे अंदर थोड़ी आप, थोड़ा अरुण और थोड़ी ज़्यादा आरोही घुस गयी है," वो हंसते हुए कहकर सुप्रिया के पास लेट गयी.
"दट वाज़ फक्किंग हॉट."
"दट वाज़ फक्किंग हॉट." अरुण ने बात को दोहराते हुए कहा. स्नेहा उधर सुप्रिया के दूध को चूसने मे लग गयी.
"ओह माइ गॉड, स्नेहा..आहह" सुप्रिया उसकी हरकत का जवाब देते हुए अपने सीने को उपर उठाने लगी.
"म्म्म्मममम," स्नेहा की आवाज़ आई.
आख़िर मे, कुछ और मिनटों तक तेज आवाज़ के साथ उसके दूध चूसने के बाद स्नेहा उसे गले लग कर लेट गयी.
"मुझे अभी भी ये सब सपने की तरह लग रहा है." सुप्रिया ने कहा. "तुम बिल्कुल...अरुण की तरह हो गयी जब हम लोग उसे परेशान कर रहे थे, लेकिन अरुण तब भी कम था."
स्नेहा उसकी बात सुनके शरमा के हँसी . "मैने पहले ही बताया ना दी, जब मैं एग्ज़ाइट होती हूँ, तो मुझ पर जैसे कोई और कब्जा कर लेता है?"
"कब्जा?" अरुण ने पूछा. "कौन? भूत चुड़ैल जैसा कुछ?"
"नही," स्नेहा उन लोगो के साथ खड़ी होती हुई बोली. "जैसे कोई है मेरे सिर मे जो मुझे ये सब परवरटेड हरकते करने को कहता है.." स्नेहा की नज़र अरुण के अवाक चेहरे पर पड़ी तो उसे उसकी बातें ध्यान आ गयी.
तब तक सुप्रिया अपने कपड़े पहेन चुकी थी. "मैं तो चली खाना देखने, उसके बाद मैं घोड़े बेच के सोने वाली हूँ. तुम लोगो ने इतना थका दिया..हुहह.."
"उः, ओह," अरुण सोचने लगा कि कही स्नेहा के सिर मे भी तो उसी की तरह आवाज़ नही है.
"पूछ उसकी आवाज़ हॉट है क्या. तो मैं भी अपनी सेट्टिंग कर लूँ." अरुण के दिमागमे आवाज़ ने एग्ज़ॅटेड
अरुण ने उसकी बात इग्नोर कर दी. वो इस बात पर अपना दिमाग़ नही खपाने वाला था.
वो बाहर निकलकर बातरूम की तरफ चल पड़ा.
अभी वो कपड़े उतार ही पाया था कि स्नेहा अंदर आ गयी और अपने नंगे बदन को टवल के पीछे से निकाल कर उसे दिखाने लगी.
"मैं आ जाउ तो दिक्कत तो नही होगी ना?" वो हंसते हुए उसके पास आ गयी.
अरुण उसके सुंदर शरीर से नज़रे ही नही हटा पा रहा था. उसकी नज़रे दूधो की गोलाई का मुयायना करते हुए कोमल मखमली पेट से नीचे चिकनी चूत पर टिक गयी. उसके शरीर मे ऐसा कुछ भी नही था जिससे अरुण को प्यार नही हो रहा था. स्नेहा सीधे जाके शवर के नीचे खड़ी हो गयी और अपने बाल धोने लगी. पानी की धार उसके बालो को भिगाती हुई दूधो पर आने लगी.
"ये जगह हम दोनो के लिए सही नही है," अरुण ने मज़ाक के लहजे मे कहा.
स्नेहा ने पलटकर उसकी ओर देखा और आँख मार दी. "नही, इतनी अच्छी तो है. हम लोगो ने काफ़ी मज़े किए हैं यहाँ पर."
फिर पानी से निकलकर वो सीधा अरुण पर गिर गयी और किस करने लगी. उसे पकड़कर वो शवर के नीचे ले गयी और पानी के नीचे दोनो किस का आनंद लेने लगे. ऐसे ही 10 मिनिट तक किस करते हुए दोनो साथ मे नहाते रहे फिर शवर बंद करके एक दूसरे को तौलिए से सुखाने लगे. अरुण कुछ ज़्यादा ही देर तक मुलायम टवल से उसके दूधों पर रगड़ता रहा.
"बेबी, मुझे लगता है कि अब सुख गये वो," वो हंसते हुए बोली तो अरुण मुस्कुराने लगा.
"मैं बस चेक कर रहा था," अरुण ने हंसते हुए कहा.
जैसे ही अरुण और स्नेहा बाथरूम से निकले, आरोही सीढ़ियों की तरफ से आ रही थी. उसने दोनो को देखा तो अजीब सा मूह बना लिया और दोनो के बीच से धक्का मारते हुए बाथरूम मे घुस गयी. पीछे से तेज़ी से दरवाजा बंद करने की आवाज़ आई.
"इसे क्या हुआ?" अरुण ने स्नेहा की ओर देखते हुए पूछा.
स्नेहा ने ना मे अपना सिर हिला दिया. "ट्विन तुम हो, और पूछ मुझसे रहे हो?"
"माना कि जुड़वा हूँ, लेकिन शी ईज़ आ वुमन, दी." अरुण ने हंसकर कहा.
स्नेहा का मूह उसकी बात सुन के खुल गया और उसने 2 चपत उसके कंधे पर मज़ाक मे लगा दी. फिर मुड़कर अपने रूम मे चली गयी. अरुण जाते हुए भी उसे देखता रहा. रूम के दरवाजे पर पहुच कर स्नेहा ने अरुण की तरफ देखते हुए अपनी टवल गिरा दी और 2 पल अपने दूधो के दर्शन दे के दरवाजा बंद कर लिया.
"10 आउट ऑफ 10." आवाज़ ने कहा
अरुण मूह खुले हुए उसे देखता रह गया. और फिर अपने रूम तक इन्ही यादो पे मुस्कुराते हुए पहुचा.
पूरी दोपहर और शाम तक अरुण अपने रूम मे सोता और पढ़ता रहा. रात हल्की हो गयी थी तो आरोही ने नॉक करके दरवाजा खोल दिया और सिर निकालके उसे बुलाने लगी.
"डिन्नर टाइम, अरुण." और मुड़कर वापस जाने लगी.
"आरू, रुकना एक मिनिट," वो उठ के उसके पास जाते हुए बोला. अरुण एक टीशर्ट और बॉक्सर्स मे ही था और जब उसने देखा की आरोही ने भी वही पहना था तो हल्के से हंस दिया.
आरोही को उसकी हँसी की वजह पसंद नही आई तो वो अजीब नज़रो से उसे देखती रही.
"शी लुक्स इरिटेटेड, ड्यूड. थोड़ा संभाल के." अरुण के दिमाग़ में आवाज़ ने जैसे अरुण को चेतावनी दी
"ओह माइ गॉड, यू आर शरलॉक होम्ज़. वाउ!" अरुण ने मज़ाक उड़ाते हुए कहा
"इतना अकड़ दिखाने की ज़रूरत नही है. इसे देख पहले क्या हुआ?" आवाज़ ने अरुण के दिमाग़ मे कहा
"कुछ हुआ है क्या?" अरुण ने उसे सीधे सीधे पूछ लिया.
आरोही को उसका ये सवाल सुनके बहुत गुस्सा आया और वो अपने हाथ बाँधकर सामने खड़ी हो गयी.
"कुछ हुआ है? आर यू फक्किंग सीरीयस?"
अरुण कुछ देर के लिए चुप हो गया, उसे लग रहा था कि कही इसके हाथ पैर ना चलने लगे.
"मैं..उः..म्म.."
"अब ज़ुबान भी नही खुलेगी मेरे सामने. एक तो मुझे पता नही कब्से टाइम नही दिया है. तुम्हे खुद भी ध्यान नही होगा कि हम दोनो आख़िरी बार कब साथ मे थे. फॉर युवर इन्फर्मेशन हम दोनो जुड़वा हैं. जुड़वा का मतलब जानते हो, एक ही कोख मे पैदा हुआ एक साथ. लेकिन तुम्हारे बस तो सुप्रिया और स्नेहा दी के लिए तो हमेशा ही वक़्त होता है. और वो बेचारी सोनिया, वो तो तुम्हारे बिना एक रात भी नही गुज़ार सकती. मुझे थोड़ी ना तुम्हारी ज़रूरत है. दुनिया भर के साथ टाइम स्पेंड करते रहो, मेरे लिए तो कभी वक़्त होता ही नही है तुम्हारे पास."
अरुण उसकी बात चुपचाप सुनता रहा.
"आरू, यार, कम ऑन.." वो बोल ही रहा था कि आरोही ने उसे हाथ से चुप रहने का इशारा किया और मूड कर वापस जाने लगी.
अरुण के ये देखकर गुस्सा आ गयी, उसने तेज़ी से रूम का दरवाजा खोला और उसका हाथ पकड़ लिया.
"आरू, प्लीज़, यार बात तो सुन." अरुण उसे मनाते हुए कहा
"फक यू," आरोही गुस्से से उससे हाथ छुड़ाते हुए बोली.
अरुण का गुस्सा अब और ज़्यादा बढ़ गया. उसने एक बार दोबारा हाथ को पकड़ा और अपनी तरफ झटके से खीच लिया.
"जस्ट लीव मी अल.." वो उस पर चिल्लाते हुए हाथ मारने लगी. एक हाथ अरुण के चेहरे पर लग भी गया, लेकिन वो उसकी परवाह किए वगैर उसे खीच कर दरवाजे से सटा चुका था. आरोही के दोनो हाथ साइड मे दीवार से अरुण ने टिका दिए और होठ उसके होंठो से पूरी ताक़त से जोड़ रखे थे.
कुछ देर तक आरोही उससे छूटने की कोशिश मे हाथ पैर चलाती रही, लेकिन फिर ज़िद छोड़कर उसने भी किस मे साथ देना शुरू कर दिया. उस पर किस के कारण खुमारी चढ़ने लगी. अरुण आगे बढ़कर बिल्कुल उससे सट गया और उसके हाथ छोड़कर उसके सिर को पकड़ लिया और उसके होठ चूस्ता रहा. आरोही हल्की सी सिसकी के साथ उसके बालों मे अपने हाथ घुमाती हुई उसकी महेक, उसके अहसास को अपने अंदर समेटने लगी. उसने उसके निचले होठ को काट कर अपने होठ गर्दन पर घुमा दिए. आरोही अपने दूध उसके सीने मे धँसाने लगी. अरुण ने अपने हाथ सिर से हटाकर उसकी दोनो कलाई पकड़ ली और उपर करके दूसरे हाथ से दूध को कस के दबाने लगा. अपने मूह से वो उसके गले पर काटने लगा तो आरोही की सिसकी निकलती रही. उसकी उंगलियाँ ब्रा के अंदर पहुचि और बेरहमी से उसने निपल को उमेठ दिया.
आरोही एक आह के साथ उससे छूटने की कोशिश करने लगी तो अरुण उसे पीछे खिचने लगा.
"हम..नही..," उसने कहने की कोशिश करी लेकिन तब तक अरुण ने ब्रा के उपर से ही दूध को चूस लिया था.."डिन्नर.." उसके शब्द उसकी सिसकियों मे तब्दील हो गये.
"मैं पूछ नही रहा था," अरुण ने धीरे से कहा, और पलटकर उसे अपने से सटा लिया, दोबारा उसका हाथ टीशर्ट के अंदर जाकर दूधों को दबाने लगा और गर्दन के दूसरी तरफ अपने होठों का कमाल दिखाए जा रहा था.
"गॉड, अरुण..," वो बस यही बोल पाई तब तक अरुण उसे पकड़कर बेड की तरफ घूम गया. उसने टीशर्ट के अंदर से हाथ निकालकर उसके बाल पकड़ लिए और शॉर्ट्स के अंदर हाथ डाल के कस्के गान्ड को भींच लिया अपने हाथ मे. ऐसे ही बाल पकड़े हुए वो उसको बेड पर ले गया और बाल छोड़कर पलट दिया. जल्दी से अपने बॉक्सर उतार के उसने उसकी भी टीशर्ट और शॉर्ट्स एक ही झटके मे उसके बदन से अलग कर दिए.
वो उसे पेट के बल लिटा के उसके उपर चढ़ा और अपना मूह कान के पास ले जाकर कान को धीरे धीरे काटने और चूसने लगा.
"हिलने..की..सोचना भी मत..." उसने एक रूखी आवाज़ मे कहा.
आरोही ने अपने गले मे थूक निगला. "और अगर...हिली..आह..तो?" आरोही भी ज़िद करते हुए बोली.
"तो फिर सज़ा मिलेगी." अरुण ने कहा और थोड़ा धीरे से उसके चूतड़ पर हाथ मार दिया.
"ओह्ह्ह्ह...!" दर्द से चीखने की जगह आरोही को इसमे मज़ा आ रहा था, लेकिन फिर भी उसने चेहरे पर वही गुस्सा बनाए रखी.
"अब बात मनोगी?" अरुण ने उसके कंधे को किस करते हुए पूछा और साथ मे उसकी ब्रा के हुक खोल के उसे उतार दिया.
"हां," उसने धीरे से अपनी आँखें बंद करते हुए कहा.
अरुण अपना हाथ दूसरे चूतड़ पर ले गया और धीरे से सहला दिया.."क्या कहा?"
"उः..हां..भाई..हां," उसने जल्दी से बोला.
जब अरुण को यकीन हो गया कि वो नही हिलेगी, तो उसने उसे घुटने के बल कर दिया और पीछे से उसके पैरो को सहलाते हुए कमर तक पहुचा, फिर उपर गर्दन से लेकर पेट तक अपने हाथो से उसके स्किन मे चिंगारियाँ फोड़ता रही. अपनी उंगलियों को नचाते हुए उसने उसके दूधो का मुययना करा फिर पीछे से ही गर्दन से लेकर पूरी पीठ और चूतड़ पर हल्के हल्के किस करता रहा.
नीचे पहूचकर उसने घुटने के उपर से उसे किस किया फिर पैर को उठाकर उसका अंगूठा अपने मूह मे रख लिया तो आरोही की सिसकी उसके कानो मे मीठा रस घोलने लगी, ऐसे ही दूसरे पैर के साथ छेड़खानी करने के बाद वो दोनो पैरो के उपर बढ़कर जांघों को चूमने लगा.
जाँघो को अच्छे तरीके से अपना प्यार देकर वो उसकी गान्ड की तरफ बढ़ा और चूतड़ो को काटने और चूमने लगा. हर किस के साथ आरोही की मस्ती बढ़ती ही जा रही थी.
फिर उसने अपने मूह के उसकी चूत की तरफ मोड़ा और ढेर सारा थूक गान्ड पर गिरा के उसको गान्ड से लेकर चूत तक फैला दिया. दोनो हाथो से उसने चूतड़ो को इधर उधर फैला दिया और पूरी मस्ती के साथ गान्ड को चूसने लगा. गान्ड पर जीभ पड़ते ही आरोही की एक तेज सिसकी निकल गयी तो अरुण मुस्कुरा कर बार बार उसी जगह पर अपनी जीभ से खेलकर उसे मज़ा देता रहा. उसने दोनो अंगूठो को गान्ड के पास रखके फैलाया और अंदर तक अपनी जीभ डालने की कोशिश करने लगा. उसकी गर्म, गीली लसलसाती जीभ गान्ड के अंदर पहुचते ही आरोही की मस्ती अपने हदें पार करके उसे शरीर मे करेंट दौड़ाने लगी.
काफ़ी देर तक वो अपने मूह से उसे मज़े देता रहा फिर आगे आकर उसके बाल पकड़ लिए.
"मूह खोलो.." उसने धीरे से कहा.
"नही," आरोही ने कहा लेकिन उसके चेहरे पर हल्की सी स्माइल थी.
"ऊवू, शी लाइक्स इट रफ. दिखा दे कि ये सिर्फ़ तेरी है." अरुण के दिमाग़ मे आवाज़ ने उसे उकसाते हुए कहा
अरुण उसकी हरकत देख हल्के से हंस दिया और दोबारा चूतड़ पर मार कर बोला.."मूह खोलो.." इस बार उसकी आवाज़ मे एक आदेश था.
"जी भाई..," आरोही ने ये कहकर अपना मूह पूरा खोल दिया. अरुण ने दोनो हाथो से उसका सिर पकड़ा और लंड को उसके मूह मे धकेलेने लगा. अंदर जाते टाइम आरोही के दाँत लंड से रगड़ खा रहे थे तो अरुण ने दोबारा उसके चूतड़ पर चपत लगाई तो तुरंत ही दाँत की जगह जीभ अपना कमाल दिखाने लगी.
अरुण ने एक हाथ से उसके बालो को कस के पकड़ा और लंड को अंदर ही अंदर ले जाने लगा, जब तक वो गले के एंड तक नही पहुच गया. वो तब भी थोड़ा ज़ोर लगाकर अंदर डालने की कोशिश करने लगा. कुछ पल बाद उसने लंड को बाहर निकालकर आरोही को सास लेने का मौका दिया. आरोही ने अपना सिर उठाया तो उसने दोबारा लंड को अंदर डाल दिया, इस बार लंड गले मे नीचे हल्का सा चला गया, तो आरोही सिर हिलाकर घुटन को कम करने लगी. अंत मे लंड पूरे तरीके से मुँह मेचला गया, दोनो की आँखें एक दूसरे को देख रही थी. आरोही अपने भाई का पूरा का पूरा लंड मूह मे रखे उसकी तरफ देख रही थी. उसने जल्दी से लंड को बाहर निकाला तो आरोही तेज़ी से सास लेने लगी लेकिन अरुण ने एक दो सासो के बाद उसके मूह को पकड़कर अपने मूह से सटा दिया और कस्के एक बार किस करने के बाद दोबारा अपने लंड की ओर ले जाने लगा.
|