RE: bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
स्नेहा कुछ देर उसकी बात के बारे मे सोचती रही फिर उसके गाल पे किस कर दिया. "थॅंक्स दी." और जाके स्टोव पर खाना बनाने लगी. कुछ देर बाद वो सुप्रिया की ओर मूडी. "दी कुछ देर मे खाना पक जाएगा." फिर सुप्रिया की ओर आँख मार वो वॉशरूम मे चली गयी.
सुप्रिया ने चौंक कर उसकी ओर देखा फिर उसकी इस हरकत के बारे मे सोचने लगी. सोचते सोचते उसके चेहरे पर एक बड़ी स्माइल आ गयी. उसने एक बार हॉल मे देखा तो तीनो टीवी पर को मूवी देखने मे मग्न थे तो वो बिना आवाज़ के वॉशरूम की तरफ चल पड़ी.
स्नेहा वॉशिंग मशीन के पास खड़ी होके कुछ सोच रही थी. उसकी पीठ दरवाजे के तरफ थी.
"स्वीटी, सब ठीक तो है..." सुप्रिया उसके कंधे पर हाथ रख के इतना ही बोल पाई कि स्नेहा तेज़ी से पलटी और अपने होठ अपनी बड़ी बहेन के होंठो से जोड़ दिए. सुप्रिया का हाथ खुद ब खुद उसके गाल पे चला गया और दोनो पूरी सिद्दत के साथ एक दूसरे को किस करने लगे.
"दी, देखा पता नही मुझे क्या हो जाता है?" स्नेहा ने पूछा.
सुप्रिया ने हां मे सिर हिला दिया और दोबारा उसका सिर पकड़कर अपने पास खीच लिए. सुप्रिया ने अपनी ज़ुबान बाहर निकालकर सीधे उसके मूह मे डाल दी. स्नेहा के हाथ अपनी बहेन के पेट को सहलाते हुए दूधों की तरफ बढ़ने लगे. उसकी उंगलियों के बीच निपल आते ही सुप्रिया सिसक पड़ी और उसने भी अपना हाथ स्नेहा के दूध पर रख के दबा दिया.
कुछ देर एक दूसरे के दूध सहलाते रहने और किस करने के बाद स्नेहा का हाथ सुप्रिया की पैंटी मे जाकर उसकी चूत के साथ खेलने लगा. जैसे जैसे उसकी उंगलियाँ चूत के अंदर जाने लगी सुप्रिया का हाथ भी उसकी चूत पर पहुच कर क्लाइटॉरिस को रगड़ने लगा. दोनो खड़े खड़े एक दूसरे की चूत को रगड़ते हुए झड़ने की कोशिश करने लगी.
कुछ ही मिनटों मे उनके हाथ बड़ी तेज़ी से चलने लगे और दोनो खड़े खड़े ही झड़ने का मज़ा लेने लगी. जैसी ही दोनो की चूत ने झड कर रस छोड़ना शुरू किया उन्हे दरवाजे के पास से आवाज़ सुनाई दी तो दोनो ने सिर घुमा लिया. दोनो एक दूसरे को खड़े होने के लिए सहारा देकर दरवाजे की ओर देखने लगी.
"इज़्न'ट दट माइ जॉब?" अरुण ने एक स्माइल के साथ वहाँ खड़े खड़े पूछा.
गहरी सासें लेते हुए स्नेहा ने अपना सिर सुप्रिया के कंधे पर रख दिया. "तुम्हारी बारी भी आएगी." सुप्रिया ने कहा.
ये सुनकर अरुण स्माइल के साथ उनकी तरफ बढ़ने लगा.
"आराम से," सुप्रिया ने अपना हाथ आगे करके उसे रोकते हुए कहा. "मुझे अभी काफ़ी काम करना है, और मुझे नही लगता कि स्नेहा अभी तय्यार होगी."
"अवववव, यार.."
"याअर.." अरुण ने भी बुरा सा मूह बनाते हुए कहा.
सुप्रिया ने हंस कर स्नेहा की ओर देखा तो उसके चेहरे पर एक नॉटी स्माइल थी.
"यू नो बेबी, यहाँ पर हम दो हैं और दी अकेली. हम लोग चाहे तो दी से कुछ भी करवा सकते हैं." स्नेहा ने अरुण को आँख मार के कहा.
"ओह माइ गॉड. इसमे कसम से कोई पोर्न्स्टार घुस गयी है. आइ आम जस्ट लविंग हर, ड्यूड." अरुण के दिमाग़ में आवाज़ ने कहा
सुप्रिया का मूह ये सुनकर खुला का खुला रह गया. उसे यकीन ही नही हुआ कि ये बात उसने स्नेहा के मूह से सुनी है. स्नेहा तो बिल्कुल आरोही की तरह होती जा रही थी, उससे ज़्यादा ही.
"तू सच मे आरोही बनती जा रही है."
सुप्रिया ने लेकिन उसे फिर दूर किया तो स्नेहा ने एक बार उसे पास मे खीच कर होठों को कस के चूम लिया. फिर सुप्रिया अरुण के पास से उसके लंड को छूकर निकल गयी.
"बाद मे मेरे लिए भी थोड़ा टाइम निकाल लेना," सुप्रिया हंसते हुए उससे बोली.
स्नेहा ने थकि हुई हालत मे वही पड़े हुए स्टूल पर बैठ कर सिर वॉशिंग मशीन पर रख के अरुण को बड़ी ही प्यासी नज़रो से देखने लगी. उसने लंड की तरफ देख के भीगी हुई जीभ होठों पर घुमा दी.
"एक बात बोलू, मुझे उसे इतने अच्छे तरीके से चूसना नही आता, मुझे इतनी प्रॅक्टीस का टाइम नही मिला ना." फिर ज़मीन पर घुटनो और पंजो के बल बैठ कर उसकी तरफ बढ़ने लगी.
"ओह....माइ...गॉड..." अरुण के दिमाग़ मे आवाज़ ने खुश होते हुए कहा
"तो क्या मैं तुम्हारे साथ प्रॅक्टीस कर सकती हूँ, बेबी? तुम मुझे अच्छे से सिखा देना?" स्नेहा छोटे बच्चे की तरह उसकी तरफ देखते हुए बोली.
"कल रात तो लग रहा था कि आपने काफ़ी प्रॅक्टीस करी हो?" अरुण ने आइब्रो उचका के उसे देखा फिर दोनो हल्के से हँसने लगे. स्नेहा लगातार उसकी तरफ देखते हुए आगे बढ़ी और झट से उसकी पॅंट खीच कर नीचे कर दी और हाथ से पकड़कर बॉक्सर्स के उपर से ही लंड को चाट लिया.
अरुण को वही पर चक्कर आने लगे उसके इस अंदाज़ को देख कर.
"ड्यूड, संभाल कर, अभी इसे चोदना भी है." आवाज़ ने अरुण के दिमाग़ मे कहा
"गॉड, दी, क्या हो गया है आपको?" अरुण ने कहा
स्नेहा बस हद दी और अपनी जीभ बॉक्सर्स के छेद मे डाल कर लंड को बाहर निकालने की कोशिश करने लगी.
"इन्हे नीचे उतारो जल्दी," स्नेहा ने ऑर्डर दिया तो अगले ही पल बॉक्सर्स ज़मीन पर पड़े हुए थे, और अरुण जल्दी से उन्हे पैरो से निकलने मे भी कामयाब हो गया.
स्नेहा को उसकी जल्दी देख कर हँसी आ गयी, उसके मन मे आया कि क्यू ना उसे ऐसी ही हालत मे छोड़कर चली जाए लेकिन फिर उसने सोचने पर पाया कि वो खुद ही उसे छोड़कर नही जा पाएगी, जब उसके सामने उसके भाई का सुंदर, मूसल लंड हो. वो पता नही उसके अंदर किस चीज़ को जगा देखा जिसके आगे उसे बस हर वक़्त वो सुख पाने की ही तलब लगी रहती थी. जैसे की एक नशा हो उस चीज़ मे.
तभी दरवाजे पर थोड़ी हलचल हुई और सुप्रिया मुस्कुराते हुए अंदर देखने लगी. इधर स्नेहा ने लंड को मूह मे रखा, अपनी जीभ से वो लंड के सुपाडे को चाटने लगी.
"आह्ह्ह्ह...सो गुड."
अरुण और आवाज़ तो उस मस्ती के संगम मे गोते खा रहे थे तो अरुण को कुछ सुनाई ही नही दिया जब तक सुप्रिया बिल्कुल उसके सामने आकर नही खड़ी हो गयी.
"मुझे लगा, आ...ओह्ह..आपकी इच्छा नही थी..अभी." अरुण बोलने लगा. स्नेहा अपनी जीभ को गोल गोल घूमाकर उसके छेद को चाट रही थी.
"डोंट स्पीक राइट नाउ. मज़ा लेने दे, भाई."
"मुझसे रहा नही गया तो मैने आरू और सोनी को मार्केट भेज दिया है कम से," उसने बैठकर स्नेहा के मूह से लंड को बाहर निकालकर अपने मूह मे रखते हुए कहा.
"अववव..फक..अगेन थ्रीसम. व्हाट आ लाइफ!"
स्नेहा ने सुप्रिया का साथ देते हुए उसकी टीशर्ट को उपर उठाकर उतार दिया. उसके तुरंत बाद सुप्रिया ने लंड को पकड़कर मूह मे भर लिया और उसके नमकीन स्वाद का मज़ा लेने लगी. तब तक स्नेहा ने खड़े होकर अपने टॉप और शॉर्ट्स को पैंटी सहित उतार दिया और सुप्रिया के नीचे वाले कपड़े उतारने मे भी मदद की.
"दी, मैने आज से पहले कभी चूत को नही चाटा. क्या मैं आपकी चूत चाट सकती हूँ?" स्नेहा ने उसके चूतड़ को किस करते हुए पूछा.
"ओह, स्वीटी, यस...जो इचा हो वो करो अपनी दी के साथ. आइ लव यू बोत..आह" इतना कह कर सुप्रिया ने दोबारा उसके लंड को मूह मे भर लिया. स्नेहा ने अपनी पोज़िशन सही करके मूह को डाइरेक्ट सुप्रिया की चूत के नीचे कर दिया.
"वाउ," अरुण बोला, "दी तो आरू से भी आगे निकलने वाली हैं."
"ओह माइ गॉड, येस्स्स्स्स्स," सुप्रिया ने स्नेहा की जीभ अपनी चूत पर पड़ते ही चिल्ला के कहा. स्नेहा की कोमल जीभ लहराती हुई चूत के होठों को खोलकर अंदर की तरफ घुस रही थी. क्लाइटॉरिस पर जीभ की नोक लगते ही मस्ती की लहर सुप्रिया के बदन मे दौड़ गयी.
"ओह्ह्ह्ह..एस्स...स्वीटी."
"गो गर्ल, गो..."
स्नेहा अपने हाथो से सुप्रिया को अपने मूह पर खिचने लगी, तो सुप्रिया उसकी बात समझते हुए चूत को और ज़्यादा मूह पर दबाने लगी. अरुण ने भी ये देखते हुए मस्त होकर सुप्रिया का सिर पकड़ लिया और अपनी लंड पर दबाने लगा.
"फक हर..यॅ..फक हर माउत."
स्नेहा ने जीभ को छेद के अंदर डाला फिर उसकी चूत के होठों को मूह मे भरकर खिच लिया. उसने नज़रे उपर उठा के देखा तो अरुण का हाथ उसकी बड़ी बहेन के बालों मे था और लंड उसके होठों के अंदर बाहर हो रहा था. उसने फिर नज़रे चूत पर डाली और चूत से बहते रस को जीभ से चाटने लगी.
सुप्रिया उसकी जीभ के कारण लंड पर ध्यान ही नही दे पा रही थी, वो बस तेज़ी से कमर हिलाकर स्नेहा के मूह का पूरा मज़ा लेने मे लग हुई थी.
अरुण ने उसके सिर को रोकने के लिए दोनो हाथो से सिर को पकड़ लिया और धीरे धीरे स्पीड बढ़ाते हुए मूह को चोदने लगा, हर धक्के के साथ लंड उसके गले के अंदर तक उतार जाता.
"आहह..यअहह.."
सुप्रिया उसके लंड के उपर ही सिसक पड़ी जैसे ही स्नेहा की जीभ ने उसके सेन्सिटिव स्पॉट को छुआ. वो भी अरुण का साथ देते हुए हर बार पूरा का पूरा लंड मूह के अंदर लेने लगी.
"बेबी, इधर और दी को चोदो ना," स्नेहा ने सुप्रिया की चूत से मूह हटाकर कहा.
"आहह...ये बनेगी..रन..नही हमारी बहेन है, जस्ट सेक्सी, किन्कि गर्ल. मुहहह.." अरुण के दिमाग़ मे आवाज़ ने खुश होते हुए कहा
अरुण आवाज़ की बात सुनके खुश हो गया कि उसने स्नेहा के लिए वो वर्ड यूज़ नही किया. फिर बिना एक पल की देरी किए लंड को सुप्रिया के मूह से निकाल लिया और उसके पीछे आ गया.
सुप्रिया आगे की तरफ झुक के हथेली के बल हो गयी, स्नेहा अभी भी उसकी चूत को चाट चाट कर गीला करने मे लगी हुई थी. अरुण स्नेहा के सीने के दोनो तरफ पैर करके खड़ा हो गया और चूत को देखने लगा.
"किसका इंतेज़ार है?" स्नेहा ने चूत मे एक बार जीभ चला कर पूछा.
"प्लीज़..." सुप्रिया से अब इंतजार नही हो रहा था.
"डू इट...डू इट..फक हर. चोद डाल.." आवाज़ ने अपनी खुशी प्रकट की
अरुण ने लंड को आगे बढ़ाकर चूत पर रखा. उसका लंड स्नेहा की चिन पर रगड़ रहा था.
सुप्रिया ने अपनी टाँगे और चौड़ी कर दी तो स्नेहा ने उसे सहारा देते हुए उसकी चूत को आगे की तरफ खीच कर लंड के पास ले जाने लगी. अरुण ने लंड को उसकी गान्ड से लेकर चूत तक दो तीन बार रगड़ा फिर जब उससे खुद कंट्रोल नही हुआ तो एक ही झटके मे लंड को अंदर घुसेड दिया. लंड के अंदर घुसते ही सुप्रिया लंड और स्नेहा की जीभ से मस्त होकर अपनी गर्दन पीछे करने लगी. अरुण दो पल के लिए रुक कर सुप्रिया को संभालने का मौका दिया. फिर हल्के हल्के धक्के देकर लंड को उसके अंदर बाहर करने लगा, हर इंच के साथ सुप्रिया के शरीर मे करेंट दौड़ने लगा, उधर इस मस्ती को स्नेहा की जीभ और बढ़ा रही थी.
अरुण को पता था कि इस तरीके से वो जल्दी ही झड जाएगा लेकिन फिर भी वो पहले सुप्रिया को झड़ने देना चाहता था. उसे अपने लंड के नीचे स्नेहा की जीभ महसूस हो रही थी, जैसे ही पूरा लंड चूत मे जाता तो स्नेहा उसके खुट्टे को मूह मे भरकर चूस लेती फिर जीभ से उसके लंड को भिगोते हुए बाहर आने देती.
"ओह्ह..यस..अरुण..फक मी...चोदो मुझे.." सुप्रिया अपनी भाई बहेन के प्यार मे डूबने लगी.
हर झटके के साथ अरुण और ज़ोर लगाने लगा. "ओह्ह..डियर..अहहा..स्वीट..." सुप्रिया का सिर उपर नीचे हो रहा था, और उसके बाल पूरे बिखर कर पसीने मे भीगे हुए थे.
"आइ'एम कमिंग...आइ'म कमिंग...अहहहह....ओह्ह्ह्ह.यस..." सुप्रिया इतनी ज़ोर चीख के झड़ने लगी कि अगर हॉल मे कोई होता तो आसानी से उसकी चीख सुन लेता. स्नेहा भी तुरंत ही उसकी क्लाइटॉरिस को मूह मे भर के चूसना काटना शुरू कर दिया, इधर अरुण धक्के पर धक्के लगाए जा रहा था. पूरे घर मे सुप्रिया की दर्द और मस्ती भरी चीखे गूँज रही थी.
"आहह..ओह...अहहूंम्म्म..उम्म्म्म...आहह...यस...फकक्क्क्क्क...."
कुछ ही झटको मे अरुण के लंड मे भी उबाल आने लगा तो वो लंड को चूत से निकालने लगा. लेकिन स्नेहा ने तुरंत ही लंड को पकड़कर वापस चूत मे डाल दिया तो अरुण ने तुरंत ही अपना माल सुप्रिया की चूत मे डाल दिया.
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