RE: bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
अरुण ने आगे बढ़कर कार का दरवाजा खोल दिया. "मुझे भी." फिर उसे बैठकर बाइ बोल दिया और अंदर आ गया. अंदर आते हुए उसने सामने चार चेहरे उसकी ओर देखते हुए दिखाई दिए. अंदर आकर सब सोफे पर बैठ गये.
"आइ वॉंट टू अस्क सम्तिंग. तो तुम लोगो को ये सब कुछ ठीक लगेगा. मतलब तुम लोगो को जलन नही होगी क्या? तुम लोगो के चेहरे देख कर तो ऐसा लग नही रहा?"
सोनिया ने बिना किसी एक्सप्रेशन के उसकी ओर देखा. "देखेंगे."
स्नेहा ये बोलकर कि उसे थोड़ा अकेला वक़्त चाहिए अपने रूम मे चली गयी. अरुण लगातार उसे रूम तक जाते हुए देखता रहा. उसे पता था कि उसे बात करनी चाहिए, लेकिन वो स्नेहा को अपने आप ये चीज़े समझने का वक़्त देना चाहता था.
सुप्रिया किचन मे चली गयी. आरोही और सोनिया आपस मे कुछ खुसुर पुसुर करके एक साथ उपर जाने लगी लेकिन सोनिया बीच रास्ते से वापस आकर उसके पास खड़ी हो गयी.
"तो आज रात आपके बिस्तर मे मेरे लिए जगह होगी?" उसने पूछा.
"आब्सोल्यूट्ली," अरुण ने उसके गाल को चूमकर कहा.
"आंड आइ'म सॉरी फॉर रिया."
सोनिया कुछ कहना चाहती थी लेकिन फिर वापस चली गयी.
अरुण स्नेहा के रूम की ओर जाने लगा. दरवाजा बंद था तो उसने धीरे से नॉक किया. "दी?"
"कम इन," उसने अंदर से ही कह दिया.
अरुण ने दरवाजा खोल कर अंदर देखा. तो स्नेहा अपने बेड पर बैठकर नखुनो को देख रही थी, जो काम आज से पहले कभी करते हुए नही देखा उसने.
"तो..उः.." अरुण को समझ मे नही आ रहा था कि क्या कहे और कैसे कहे.
लेकिन उसे आगे सोचने की ज़रूरत भी नही पड़ी, स्नेहा एक दम से खड़ी हुई और उसकी तरफ भागकर आई. भागकर सीधे उसकी बाहों मे समा गयी. अरुण दीवार से सट गया तो स्नेहा की जीभ सीधे उसके होठों पर दस्तक देने लगी और उसकी जीभ को ढूँढ कर उसके साथ खेलने लगी.
उस पल को पूरे तरीके से समझने के बाद अरुण ने धीरे से उसे दूर किया और उसे लेजा कर सीधे बेड पर लेट गया.
"मुझे लगा, आप नाराज़ हो मुझसे," अरूणने कहा.
"थी तो, लेकिन इस वक़्त आइ रियली नीड यू तो मुझसे कंट्रोल नही हुआ," वो उसकी शर्ट के बटन खोलते हुए बोली.
"होली शिट, शी ईज़ आसम." अरुण के दिमाग़ मे आवाज़ गूँजी
"दी, वेट.." अरुण कहने लगा तब तक स्नेहा अपने टॉप को भी निकाल चुकी थी. उसने नीचे ब्रा नही पहनी थी तो टॉप निकलते ही उसके सुडौल दूध बाहर निकल आए. अरुण उनको देखकर अपनी बात भूल ही गया.
स्नेहा ने उसे पलटकर पीठ के बल लिटा दिया और अपने लोवर को निकालकर उसकी पॅंट की जिप खोलदी और जल्दी से लंड को बाहर निकालने लगी. अरुण ने भी देर ना करते हुए एक बार जी भर के उसके निपल को चूसा फिर खड़े होकर अपनी पॅंट सहित बॉक्सर्स को उतार दिया.
स्नेहा ने जैसे ही उसके खड़े हुए लंड को देखा उसकी आँखों मे एक अलग चमक उतर आई. उसने हाथ आगे करके उसके पेट पर धक्का देते हुए उसे बेड पर गिरा दिया और भूकी आँखो से लंड को देखने लगी. फिर अपने दोनो हाथों से उसे पकड़कर उपर नीचे करने लगी. अरुण स्नेहा की इस हरकत को देखकर चौंके बिना नही रह सका, वो घुटनो के बल नंगी बैठी थी, दोनो दूध हवा मे लटक रहे थे, और आँखों मे एक चमक.
"वाउ..ये ...तो.."
"हां.."
"मुझे लगा आप तो मुझसे बात भी नही करने वाली हो," अरुण अपनी बात पर बड़ी मुश्किल से ध्यान देते हुए कहने लगा.
"चूतिए चुप रह..जस्ट फक हर. आइ लव युवर फॅमिली, मॅन." अरुण के दिमाग़ मे आवाज़ ने अरुण को समझाते हुए कहा
"मैं बस थोड़ी जेलस थी. जब वो कमीनी रिया आई थी तब भी मुझे इतनी तेज इच्छा हो रही थी कि उसके सामने ही तुम पर कूद कर खा जाउ. मन तो कर रहा था कि उसे धक्का देकर हमारे कमरे से निकाल दूं और तुम्हारे साथ प्यार करने लगू."
ये बोलते बोलते वो थोड़ा आगे झुके सुपाडे को धीरे से लिक्क करने लगी. जैसे जैसे उसका सिर लंड की जड़ की तरफ बढ़ने लगा वैसे वैसे अरुण की आँखें बंद होती चली गयी. वो धीरे धीरे उसके भूरे बालों मे हाथ फिराने लगा और उनको चेहरे से हटाने लगा. स्नेहा उसकी ओर देखकर मुस्कुराते हुए लंड को अपने थूक से भिगोकर चूसने लगी.
अरुण से और ज़्यादा सहन नही हुआ, उसने जल्दी से हाथ आगे बढ़ाकर उसके सिर को पकड़लिया फिर उसे जल्दी से पलट कर बेड पर गिरा दिया. स्नेहा पूरे वक़्त खिलखिलाती रही, और हंसते हुए अपनी कमर हिलाते हुए अपने पैर खोलकर अपनी चूत के दर्शन करवाने लगी.
"मैं बता रहा हूँ, ये स्नेहा नही है."
अरुण उसे देखकर मुस्कुरा दिया और उसके चूतड़ पकड़कर दबाने लगा. आगे झुककर उसने लंड को स्नेहा की चूत पर रखा तो स्नेहा की आह निकल गयी. वो अपने सिर को तकिये मे दबाने लगी. अरुण धीरे धीरे उसके छेद पर लंड को रगड़ता रहा तो स्नेहा और ज़्यादा सिसकी के साथ मचलने लगी.
"अगर तुमने अभी स्टार्ट नही किया तो मैं तुम पर कूद कर तुम्हे खा जाउन्गी..प्लीज़..जल्दी." स्नेहा ने आँखें बंद करे करे ही कहा.
"मैं भी मैं भी. जल्दी चोद ना." अरुण के दिमाग़ मे आवाज़ ने मचलते हुए कहा
अरुण उसकी बात सुनकर हँसने लगा तो वो गुस्से से उसे देखने लगी, उसकी आँखें उससे मिलते ही उसने सुपाडे को अंदर डाल दिया फिर थोड़ा सिर बाहर निकालकर एक ही बार मे आधे से ज़्यादा लंड अंदर तक घुसा दिया तो स्नेहा की सास भारी हो गयी. उसका सिर आगे की तरफ होकर पीठ घूमती चली गयी. "ओह.....आहह.." उसकी तुरंत ही चीख निकल गयी. अरुण के सिर मे पटाखे फूटने लगे, जब उसकी मखमली छूट का अहसास उसे अपने लंड के चारो तरफ हुआ. हर धक्के के साथ स्नेहा की तेज सिसकी निकलती और वो उसके जवाब मे अपनी कमर को धक्का देकर उसकी ओर उछालती. दोनो की कमर एक दूसरे से टकराती ठप ठप की आवाज़ निकाल रही थी. उसने हाथ आगे बढ़कर उसे एक दूध को पकड़ कर मसल दिया तो स्नेहा की आँखें मस्ती मे बंद हो गयी और उसकी सिसकियों की आवाज़ और ज़्यादा बढ़ गयी.
हर धक्के के साथ स्नेहा की बॉडी मे करेंट की लहर दौड़ जाती तो वो और तेज़ी के साथ अपनी कमर चलाने लगती. "ओह्ह्ह...येस्स्स..." स्नेहा की ऑर्गॅज़म के साथ ही चीखे गूंजने लगी. अरुण भी मस्ती मे उसके अंदर ही अपने वीर्य को चोदते हुए झड़ने लगा. हर झटके के साथ वो उसकी चूत मे अपना गर्म वीर्य उडेलने लगा. इधर स्नेहा के शरीर मे तो ऑर्गॅज़म की लहर के बाद और लहरे उठ रही थी, काफ़ी टाइम तक अपनी कमर को हिलाने के बाद वो काँपते हुए बिस्तर पर गिर पड़ी. उसका पूरा चेहरा पसीने से भीग चुका था, सास उखड़ी हुई थी, होठों और गाल पर बहुत लाली छाइ हुई थी, और पूरा शरीर हल्के हल्के झटके के साथ कांप रहा था.
"ओह..गॉड, आइ लव यू," वो अरुण को अपनी ओर खिचते हुए बोली.
अरुण ने उसकी छाती मे अपना मूह घुसाते हुए उसके दूध को पकड़कर चूस लिया.
"दोबारा करें?" उसने अरुण के लंड की तरफ देखा तो उसकी चूत से बाहर निकलकर किसी मुर्दे की तरह लटक रहा था, फिर एक आस लेकर उसकी आँखो मे देखने लगी. लेकिन जब उसकी नज़र अरुण के चेहरे पर पड़ी तो वो तेज़ी से हँसने लगी. अरुण के चेहरे पर परेशानी के भाव थे.
"दी, मुझे और लोगो को भी खुश रखना है. है ना? " फिर उसके निपल को मूह मे खीच कर काटने लगा.
"एम्म्म...अरुंण...मुझे नही पता कि मैं तुम्हे दूसरो के साथ शेयर कर पाउन्गी..या मेरी करने की इच्छा भी है," उसने उसे अपने उपर खिचते हुए कहा. "आइ मीन, चलो अपने घर मे तो ठीक है, लेकिन मैं उस कमीनी रिया के साथ तुम्हे बिल्कुल नही देख सकती." अरुण ने आज पहली बार स्नेहा के मूह से कमीनी जैसा वर्ड सुना था. आरोही और सोनिया तो हमेशा से ही गाली वग़ैरह देते आए हैं, लेकिन उसे तो लगता था कि स्नेहा इन सब चीज़ो से बिल्कुल दूर है. और आज तो 2 बार उसके मूह से ये शब्द सुन के उसे बड़ा अजीब लग रहा था.
"दी, आइ नो. मैं भी तो उसे पसंद नही करता उपर से मेरे लिए आप सब ही काफ़ी हो. लाइक आइ सेड, आइ डोंट नीड एनिवन एल्स एक्सेप्ट यू फोर. आंड बाइ दा वे आपको कल से हो क्या गया है, आज आपने पहली बार किसी को कमीनी कहा और आपका ये रूप?"
स्नेहा उसकी बात सुनकर तेज़ी से हँसने लगी.
|