RE: bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
इधर अरुण ने भी अपना गाढ़ा, गर्म वीर्य उसकी चूत की गहराइयों मे छोड़ना स्टार्ट कर दिया. स्नेहा को पता था कि ये ख़तरनाक हो सकता है लेकिन इस वक़्त उसे किसी की परवाह नही थी. वो बस अरुण के हर हिस्से को अपनी रूह मे समा लेना चाहती थी.
अंततः जब अरुण ने अपना रस उसके अंदर उडेल दिया तब वो धीरे से उसके उपर लेटकर उसकी गर्दन को चाटने लगा. उसका लंड अब भी धीरे धीरे कुछ एक बूंदे उसके गर्म मचलती चूत मे छोड़ रहा था.
"आइ लव यू, दी." अरुण उसको किस करते हुए बोला.
स्नेहा एक के बाद एक बार झड़े जा रही थी. ऐसा लग रहा था कि उसके ऑर्गॅज़म्स का एंड ही नही होगा.
"ओह, गॉड, अरुण..बेबी..आइ ओह्ह्ह्ह..लव यू टू...आऊहहमम्म.." वो किस करते हुए बोलने की कोशिश करने लगी. फिर अरुण को चौंकते हुए उसने अरुण को पलट दिया और लंड को चूत मे डाले डाले उसके उपर बैठ गयी.
"कॅन यू...उहह...गो अगेन?" उसने अरुण से पूछा, उसका शरीर अभी भी उसके लंड के लिए बेताब था, और उसका मन उसके साथ के लिए. उसे इसके अलावा कुछ सूझ ही नही रहा था इस वक़्त.
"यआः....वी कॅन गो अगेन..चल बेटे शुरू हो जा." अरुण के दिमाग़ में उस आवाज़ ने खुश होते हुए कहा
अरुण समझ गया कि जिंदगी मे पहले बार मल्टिपल ऑर्गॅज़म के कारण वो इस समय सही से सोच नही पा रही है. वो बस अपनी नीड्स के बस मे होती जा रही थी. वो चाहता भी था कि उसकी इच्छा पूरी करे लेकिन सच्चाई तो बतानी ही थी.."पता नही दी.."
"कोई नही, तो पता कर लेंगे." स्नेहा बोली,"वाउ, हुहह.." वो हँसती हुई बोली. चाँदनी की चमक मे उसका चेहरा खिला हुआ था. एक खांस चमक थी उसके चेहरे पर जो चाँद को भी छुपने पर विवश कर रही थी. उसका शरीर उसके लंड के उपर अब भी हल्के हल्के कांप रहा था. अरुण बस एक टक उसकी आँखों मे देखते हुए उसके हाथो को चूमे रहा था. कुछ ही देर मे अरुण का लंड दोबारा अपने विकराल रूप मे आने लगा तो स्नेहा और तेज़ी से अपनी कमर को चलाने लगी.. कुछ देर तक ऐसे ही एक दूसरे की आँखो मे खोए रहने के बाद अरुण बोला.."दी यू आर सो ब्यूटिफुल.."
"ओह गॉड, यस यस.." स्नेहा उसके उपर धीरे धीरे कूदते हुए बोली..."मैं जिंदगी भर ऐसे ही रह सकती हूँ, अगर तुम मेरे साथ हो...ओह गुड...उःम्म्म...एस....अरुण....आइ लव यू, बेबी...उम्म्म्म...दिस इस ग्रेट...इट्स आउट ऑफ दिस वर्ल्ड..ओमम्म", उसने कहा फिर पूरे तरीके से उसे किस करने लगी, कमर हिलाते हिलाते वो सिसकी ले रही थी. पूरे कमरे मे चट चट और स्नेहा की सिसकियों के अलावा कुछ नही था.
"यॅ, बेबी, राइड इट...यॅ....हुन्ह."
"ओह्ह...फक मी.." अरुण ने बोला तो आवाज़ से था लेकिन चुदाई की मस्ती मे उसे भी ध्यान नही रहा कि वो ये बात काफ़ी तेज़ी से बोल गया था..
"ओह..बेबी, तुम ..टेन्षन मत लो...तुम्हारी दी है ना..आहह" वो उखड़ती सास को काबू मे करते हुए बोली.."तुम बस ऐसे ही लेटे रहो..ओह माइ गॉड...कुछ देर और..ओमम्म्म....आहह..." ये कहकर स्नेहा ने अपनी स्पीड और तेज कर दी.."ओह बेबी......उःम्म्म्ममम..आहंम...लव यू...ओह्ह्ह्ह...ओह्ह्ह..." उसके झटके इतने तेज हो गये कि अरुण को चिंता होने लगी कि कही वो खुद को चोट ना पहुचा ले.."
"ओह माइ गॉड, ये तो सबसे बेस्ट है. शी ईज़ दा वाइल्डेस्ट.. अभी तक तीनो मे से किसी की हिम्मत नही हुई कि पहली चुदाई के तुरंत बाद दूसरी पारी स्टार्ट करें लेकिन ये तो दूसरी के लिए तय्यार भी हो गयी और उपर से खुद हमे चोद रही है. आज से ये मेरी फॅवुरेट. लव यू, चशमिस...मुआहह...." आवाज़ ने अरुण के दिमाग़ मे खुश होते हुए कहा
अरुण को समझ नही आ रहा था कि स्नेहा को क्या हो गया है, लेकिन आख़िरकार स्नेहा अपने फाइनल क्लाइमॅक्स के करीब दिख रही थी. और वो पहले ही झड चुका था तो इस बार जल्दी तो झड़ने वाला था नही.
अरुण के लंड को पूरा का पूरा अंदर लेने के लिए, स्नेहा उसके लंड के उपर बिल्कुल सीधे होकर कुदे जा रही थी.
"ओह गॉड,, अरुण...यू आर सो गुड...यू फील सो गुड..इतना अच्छा लग रहा...है...ओह्ह्ह्म" उसके क्लाइमॅक्स के नज़दीक आते ही वो थोड़ा तेज़ी से चीखने लगी..
तो अरुण ने भी इस बात की परवाह किए बिना कि कोई सुन लेगा उसकी कमर को पकड़ा और उसको पूरा मज़ा देने के इरादे से पूरा का पूरा लंड उसकी चूत मे पेलने लगा. स्नेहा की चूत ने पूरे तरीके से उसके लंड को जकड रखा था. ऐसे ही कुछ ही धक्को से स्नेहा का शरीर कमान की तरह मुड़ता चला गया, कूदने के कारण उसके दूध कुछ ज़्यादा ही मस्ती से उछल रहे थे.."ओह गॉड, अरून्न्ञणन्.....उःम्म्म्ममयस..." वो बड़ी तेज़ी से अरुण का नाम लेते हुए झड़ने लगी. उसका पूरा का पूरा शरीर बड़ी तेज़ी के साथ काँपते हुए अरुण के उपर गिर पड़ा लेकिन उसके बाद भी दो झटके और लगे तो उसकी गर्दन पीछे होती चली गयी.
ऐसे ही कुछ झटको के बाद आख़िरकार वो अरुण की छाती पर बेसूध होकर गिर पड़ी और अपनी सासो को समेटने लगी. अरुण ने उसको आराम देने के लिए अपने धक्के बंद कर दिए थे और उसकी पीठ को बड़े प्यार से सहला कर उसकी सासो को संभाल रहा था. दोनो के शरीर बुरे तरीके से पसीने से भीग चुके थे. स्नेहा के बाल पसीने से भीगकर उसके कंधो चेहरे और अरुण से चिपके हुए थे. उनके नीचे बिछी चादर पसीने और खून से सन चुकी थी. स्नेहा वैसे ही लेटे लेटे उसके गले मे बाहें डाले हुई थी और बहुत तेज़ी से सासें भर रही थी. उसकी आँखो से थोड़े आसू निकलकर अरुण के सीने पर गिर रहे थे.
अरुण जानता था ये वक़्त स्नेहा के लिए अनमोल है तो वो बस उसके सिर को चूमते हुए उसकी पीठ को सहलाए जा रहा था. कुछ देर बाद जब स्नेहा कुछ होश मे आई तो अरुण ने उसका चेहरा उठाकर नीचे से उपर तक उसके गालो को आसू समेत चाट लिया और उसके गर्म धधकते होठों को चूम लिया. स्नेहा फिर उसके आगोश मे लेट कर उस पल के मज़े लेने लगी. फिर अरुण ने लंड को धीरे से उसकी चूत से बाहर निकाला और पास पड़े कपड़े से उसकी चूत को और अपने लंड पर से खून सॉफ कर दिया. वो भी काफ़ी थक गया था, लेकिन वो पानी लेने जाने वाला था कि स्नेहा ने उसका हाथ थाम लिया तो अरुण ने उसकी आँखों मे एक गुहार देखी तो उसे सीने से चिपकाए वही लेट गया.
अभी कुछ ही पल हुए थे स्नेहा की सासो को नॉर्मल हुए कि उन्हे सीढ़ियों पर किसी के कदमो की आहट सुनाई दी जो उसके कमरे की तरफ ही बढ़ रही थी. दोनो ने एक दम एक दूसरे की आँखों मे देखा तो अरुण ने जल्दी से उसे उसका टॉप पहनाया, स्नेहा अपनी थकि हुई हालत मे जैसे तैसे टॉप पहनने लगी, अरुण ने जल्दी से उसे पकड़कर बेड के नीचे लिटा दिया. मरता क्या ना करता, फिर जल्दी से जाकर अपने कंप्यूटर के सामने बैठ गया, आवाज़ हर पल के साथ बढ़ती ही जा रही थी, कि उसकी नज़र बेड पर पड़ी. पूरी बेडशीट खून और पसीने से भीगी तो उसे जल्दी से उस पर चादर डाल थी ऐसे तैसे और कंप्यूटर के सामने बैठकर माउस पकड़ लिया. अरुण के कंप्यूटर मे अगर ब्राउज़र खोलो तो उसने फर्स्ट वेबसाइट पॉर्न वाली ही लगा रखी तो ब्राउज़र खोलते ही पॉर्न साइट ओपन होने लगी.
तब तक दरवाजे पर एक नॉक हुई तो अरुण के मूह से अपने आप ही निकल गया, "कौन?"
"चूतिए हो क्या?? जवाब देने की क्या ज़रूरत थी." अरुण के दिमाग़ में उस आवाज़ ने अरुण को डाँटते हुए कहा
अरुण को अपनी ग़लती का अहसास हुआ तो दाँतों तले जीभ दबा दी. तब तक दरवाजा हल्का सा खुला तो रिया का चेहरा अंदर झक रहा था.
रिया ने एक बार रूम को कन्फ्यूज़ होकर देखा फिर उसकी तरफ अजीब नज़रो से देखा.."क्या मैं ..अंदर आ जाउ?"
अरुण ने जब अपनी तरफ देखा तो उसके पैरो तले ज़मीन खिसक गयी. बचने के चक्कर मे वो अपने शॉर्ट्स पहनना भूल ही गया था. एक तो पूरा नंगा उपर से पॉर्न साइट खुलने से उसका लंड पूरा का पूरा खड़ा, मॉनिटर की रोशनी मे उसका लंड आराम से दिखाई दे रहा था..
अरुण जल्दी से उठा और पास मे पड़ी दूसरी चादर को लपेट कर कुर्सी पर बैठ गया.
"रिया...काफ़ी रात हो गयी है.." उसने कहा. वो कनखियों से बेड के नीचे देखने लगा तो उसे दिखा कि स्नेहा अपने पैर और अंदर समेट रही थी.
"आइ'म सॉरी अरुण, मुझे पता नही था..कि.तुम..." वो बोलने लगी.
अरुण को पता था कि उसे शरमाने की आक्टिंग करनी चाहिए लेकिन उसके मन मे एक रिलीफ भी था की रिया को लग रहा था कि वो मूठ मारने जा रहा था. वो प्रार्थना करने लगा कि वो बस यही सोचे और कुछ नही. तभी उसके मन मे एक आइडिया आया.
"नो..नो..बडी..मेरे भाई....डोंट से इट. वो चढ़ जाएगी. और तू अभी इसे नही चोद सकता, नीचे अभी ताजी चुदि हुई चूत है. और ये पक्का बाकियों को बता देगी. एक चूत के चक्कर मे सब चूत हाथ से चली जाएगी और तू पिटेगा वो अलग." अरुण के दिमाग़ मे आवाज़ ने अरुण को सावधान करते हुए कहा
"आइ'म सॉरी, मैं तुम्हे बाहर ऐसे ही छोड़कर आ गया था," अरुण बोलने लगा."मतलब हॉट टब मे. मैं उसके बारे मे सोच ही रहा था कि मुझे ऐसा नही करना चाहिए था. लेकिन मैं कुछ ज़्यादा ही एग्ज़ाइट हो गया था तो मुझे रिलीफ की ज़रूरत थी."
"तू मरने वाला है.." आवाज़ ने अरुण को फिर चेताया
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