RE: bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
अरुण का गला सुख गया कि आरोही पर ज़्यादा तो नही चढ़ गयी. वो प्रार्थना करने लगा कि प्लीज़ स्नेहा दी कॉकटेल पी ले लेकिन जब उसने स्नेहा की तरफ देखा तो वो झूम कर उठ रही थी. शायद उस पर भी रात की खुमारी चढ़ने लगी थी. उसने जल्दी से सोनिया की तरफ मदद की गुहार लगाते हुए देखा, लेकिन उसने बस स्माइल कर दिया. स्नेहा मुस्कुराते हुए उसके पास बढ़ी चली आ रही थी. उधर रिया कोशिश कर रही थी लंड वापस शॉर्ट्स मे चला जाए. अरुण ने जल्दी से उसका हाथ हटाकर खुद लंड को शॉर्ट्स के अंदर कर दिया तब तक स्नेहा उसकी गोद मे बैठ चुकी थी.
स्नेहा अपने होठ काटते हुए उसके खड़े लंड को अपनी चूत पर महसूस करते हुए उसके सीने पर सिर रख के मज़े लेने लगी. रिया अरुण की हालत समझकर बड़ी तेज़ी से हँसे जा रही थी. उसे लगा कि अब अरुण को अच्छा सबक मिला है.
स्नेहा का सिर अरुण के कंधे पर था तो उसने धीरे से उसके कान मे कह दिया. "सॉरी, बेबी." फिर वो आगे बढ़ी तो लंड उसकी चूत से रगड़ा तो वो अपने होठ काटने लगी और ड्रिंक उठाकर आधा ग्लास खाली कर दिया.
कुछ राउंड्स तक स्नेहा उसके लंड पर हिलते हुए बैठी रही तब आरोही ने उसे वापस बुला लिया. ऐसे ही कुछ देर बाद बारी आई आकांक्षा की.
आकांक्षा अब तक जान चुकी थी कि रिया हमेशा से ही अरुण को पसंद करती आई है तो उसने उसकी हेल्प करने की सोची.
"रिया, आइ डेर कि अब तुम मेरे भाई की गोद मे बैठो."
रिया ये सुनकर हँसने लगी. उसके मन मे लड्डू फूटने लगे. लेकिन बाकी चारो बहनों को काटो तो खून नही. अब सिचुयेशन भी ऐसी कि कोई मना भी नही कर सकता.
रिया तो जल्दी से खड़ी हुई, एग्ज़ाइट्मेंट मे उसके निपल्स और ज़्यादा ही खड़े होते जा रहे थे. वो जल्दी से अरुण की गोद मे बैठ गयी और अरुण उसके हाथ को अपने शॉर्ट्स के अंदर लंड पर महसूस करने लगा. वो हंसते हुए उसे उपर नीचे करने लगी. अरुण बेचारा इस हालत मे कुछ कर भी नही सकता था.
"अरे चोद इसे भोसड़ी के.." अरुण के दिमाग़ मे आवाज़ ने झल्लाते हुए कहा
उधर रिया उसके लंड को अपनी चूत पर रगड़े जा रही थी तो अरुण को कंट्रोल करना मुश्किल हो रहा था. उसके हाथ खुद ब खुद उसकी कमर पर चले गये. कुछ देर मे ही रिया कुछ ज़्यादा ही काँपने लगी तो अरुण को समझ आया कि ये तो झड़ने लगी है.
"ओह यॅ..." रिया के मुँह से निकला
अरुण के लिए ये सब कुछ कुछ ज़्यादा ही हो गया तो उसने जल्दी से उसे साइड मे किया और खड़ा हो गया. खड़े होते ही उसे अपनी ग़लती का आभास हुआ क्यूकी, उसके शॉर्ट्स मे बड़ा सा तंबू बना पड़ा था जो छुप तो सकता नही था. अरुण जल्दी से टब से बाहर निकला और बिना पीछे मुड़े तेज कदमो से घर के अंदर जाकर बाथरूम मे ठंडे पानी के नीचे खड़ा हो गया.
"यू फक्किंग ईडियट! अब ये क्या किया तूने.." अरुण के दिमाग़ मे आवाज़ ने गुस्सा करते हुए कहा
बाहर से आती ठहाको की आवाज़ उसे सब कुछ बता रही थी. सभी लड़कियाँ शॉक हो गयी थी अरुण के शॉर्ट्स को देख कर और एक तरीके से वो रिया को दोषी भी नही ठहरा सकती थी.
सब हंस रहे थे लेकिन आरोही, सुप्रिया, स्नेहा और सोनिया सभी के दिल मे एक जलन की भावना उभर आई थी, लेकिन बेचारी हँसने के अलावा कर भी क्या सकती थी.
उधर कुछ देर ठंडे पानी मे अपने सिर को शांत करने के बाद अरुण अपने रूम मे आकर लेट गया. कुछ देर बाद सभी के अंदर आने की आवाज़ सुनाई पड़ी तो उसने घड़ी देखी तो आधी रात होने ही वाली थी.
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अरुण तब तक लेटा रहा जब तक हर आवाज़ शांत नही हो गयी, फिर धीरे से बिना आवाज़ के अपने कमरे से निकल कर नीचे चला गया. उसने हॉल मे नज़र डाली तो वहाँ कोई नही था. सुप्रिया के रूम मे वो और श्रुति खर्राटे भर रही थी. उपर आकर आरोही के रूम मे देखा तो 3 लोग और सो रहे थे तो उसने शांति से दरवाजा बंद कर दिया.
फिर वो सोनिया के रूम मे गया तो वहाँ भी 3 लोग शांति से सो रहे थे. अंत मे वो स्नेहा के रूम मे गया तो वहाँ आकांक्षा सो रही थी उसके साथ. वो कुछ देर स्नेहा की सोती हुई सूरत निहारता रहा फिर वापस अपने रूम मे आकर चैन से बैठ गया की सभी लड़कियाँ सेफ हैं.
"11, हॉट, सेक्सी और हॉर्नी लड़कियाँ तेरे घर के हर कोने मे हैं सिर्फ़ हमारे ही कमरे मे कोई नही है, क्यू? ऐसी पार्टी का क्या फ़ायदा??" आवाज़ ने अरुण के दिमाग़ में दुखी स्वर मे कहा
अरुण उसको इग्नोर करके सोने की कोशिश करने लगा. अभी कुछ ही देर हुई थी कि उसे हॉल से कुछ आवाज़ें सुनाई दी जो कि कदमो की आहट मे तब्दील हो गयी. फिर उसके रूम का दरवाजा धीरे से खुला.
"वेट. बिल्कुल हिलना मत. भगवान ने हमें दूसरा मौका दिया है शायद. डोंट फक दिस अप, मॅन." इस बार अरुण को चेतावनी देते हुए आवाज़ ने कहा
अरुण पीठ के बल लेटा था लेकिन अंधेरे मे उसे शकल नही दिखाई दे रही थी. उसकी तरफ बढ़ते उस साए ने एक दम से उसके उपर छलाँग लगा दी. उसका वजन रिया से तो ज़्यादा ही था, तो ये रिया तो हो नही सकती.
उसके उपर बैठी लड़की, सॉफ्ट थी और गर्म भी, फिर उसके होठ अरुण के होंठो को ढूढ़ते हुए उसके गालो को छूने लगे. अरुण ने अपना हाथ उसकी पीठ से लेकर नीचे तक ले गया. उसके चूतड़ सॉफ्ट थे, तो ये आरोही या आरोही की कोई भी दोस्त नही हो सकती क्यूकी वो सब अथलेटिक थी तो उनके चूतड़ थोड़े मस्क्युलर थे.
अरुण के हाथ उसके बालो से खेलने लगे उधर उस साए ने अरुण के होठों को ढूँढ लिया था. उसके दूध अरुण की छाती मे गढ़े जा रहे थे. उसकी जीभ बिल्कुल सॉफ्ट, गर्म थी, जैसे कि उससे कुछ माँग रही हो.
अरुण ने उसकी कमर मे हाथ डाल कर उसे और ज़्यादा करीब खिचा तो उसकी आह निकल गयी जो अरुण ने अपने मूह मे समेट ली. फिर उस साए ने होठ छुड़ा के अपने होठ उसकी गर्दन पर रख दिए.
वो हल्के से उसके उपर से उठी तो अरुण भी उसका टॉप उतारने मे मदद करने लगा. टॉप उतरते ही उसके दूध अपनी क़ैद से आज़ाद होकर अरुण की क़ैद मे आ गये. अरुण ने तुरंत ही बिना एक पल गवाए उन्हे अपने मूह मे रख लिया और धीरे धीरे मज़े से चूसने लगा.
उस रहस्यमई लड़की ने हाथ पीछे करके उसके झटके खाते लंड को अपने हाथ मे ले लिया. जैसे ही वो उसके लंड को उपर से नीचे करने लगी अरुण और ज़्यादा शिद्दत के साथ निपल्स को चूसने लगा. कुछ ही देर मे उसका लंड अपनी क़ैद से आज़ाद था.
उस लड़की की मदद से अरुण ने जल्दी से अपना अंडरवेर उतार दिया फिर सोचने लगा कि कौन हो सकता है. "सुप्रिया दी?" यही हो सकती है. शायद उनकी आँख खुल गयी होगी जब वो उनके रूम मे गया था.
"आइ...डोंट थिंक सो. फिर भी क्या फ़र्क पड़ता है, चूत तो है ना बस." आवाज़ ने खुश होते हुए कहा
वो साया पीछे बढ़कर उसके लंड को मूह मे भरकर चूसने लगा. उसकी जीभ गोल गोल घूम कर रस से भिगो रही थी.
जीभ के साथ साथ दो हाथ उसके लंड को उपर नीचे करने मे लगे हुए थे. जब उस साए का मूह उसके लंड के उपर नीचे हो रहा था तो चाँद की चाँदनी मे अरुण की नज़र उस पर पड़ी. अरुण चौंक गया कि ये तो सुप्रिया है ही नही..
"मैने पहले ही कहा था ये हमारी सेक्सी सुप्रिया दी नही है. लेकिन है तो ये भी एक अप्सरा ही." अरुण को समझाते हुए आवाज़ ने कहा
"स्नेहा दी!" अरुण ने हल्के से कहा तो उसने उसे आँख मार दी, फिर वापस उसके लंड को मूह मे भर लिया. अरुण से अब रहा नही गया उसने जल्दी से उसका चेहरा पकड़ कर अपने पास खीच लिया फिर एग्ज़ाइट होकर उसकी गर्दन को चूमता हुआ पूरे चेहरे को चूम डाला. अरुण को आभास हुआ कि वो उसे अपनी चूत की तरफ खीच रही है. वो बड़ी तेज़ी से अपनी चूत को उसके लंड पर रगड़ने मे लगी हुई थी.
किस तोड़ कर अरुण ने उसके चेहरे को अपने हाथो मे लिया.."दी, आप सच मे ये चाहती हो?"
स्नेहा ने स्माइल देते हुए हां मे सिर हिला दिया.
फिर अरुण ने उसे पीठ के बल लिटा दिया और उसके उपर चढ़ कर लंड को चूत पर रगड़ने लगा. लेकिन अभी लंड को बाहर ही रखा और किस करके उस बाल सहलाने लगा.."दी, आर यू रियली रेडी फॉर दिस?"
स्नेहा उसके बालों को सहलाते हुए तेज़ी से किस करने लगी. फिर किस तोड़कर बोली,"ओह अरुण, मैने जिंदगी मे कभी किसी चीज़ के लिए इतनी तड़प महसूस नही की," उसने मदहोशी वाली आवाज़ मे कहकर उसे दोबारा किस कर लिया.."मैं बस तुम्हारी होना चाहती हूँ, सिर्फ़ तुम्हारी..जस्ट...बस.."
"आइ नो, दी" अरुण ने उसके होठों को धीरे से चूमकर कहा.."आइ प्रॉमिस, आपको बिल्कुल भी तक़लीफ़ नही पहुचाउन्गा. आइ लव यू.."
अरुण फिर धीरे धीरे लंड को उसकी गीली सुरंग मे डालने लगा. अभी सुपाडा पूरा अंदर भी नही हुआ था कि उसे रुकावट महसूस होने लगी. स्नेहा की आँखें इस अहसास और दर्द से बंद हो गयी थी. जैसे ही उसका सुपाडा थोड़ा सा अंदर गया तो दर्द की एक ठंडी लहर उसके शरीर मे दौड़ गयी. उसके हाथ अरुण की गर्दन पर कसते चले गये.
अरुण आराम से वही ऐसे ही लेटे हुए उसे धीरे धीरे किस करता रहा.
"ओके, थोड़ा और" स्नेहा उसे आगे बढ़ाते हुए कुछ देर मे कहा.
अरुण ने लंड को थोड़ा पीछे किया और फिर थोड़ी फोर्स के साथ अंदर धक्का दिया तो लंड उस दीवार को चीरता हुआ अंदर चला गया. अरुण बस वही पर रुक गया और तेज़ी से उसे किस करने लगा. स्नेहा की सिसकियाँ अरुण के मूह मे घुटने लगी. उसकी आँखो मे आसू आ गये तो अरुण ने उन्हे अपने होंठो से चूस लिया. फिर धीरे धीरे उसके होठों को चूसना जारी रखा. उसका एक हाथ उसकी पीठ को पकड़कर अपने से चिपकाए हुए था और दूसरे उसके दूध को धीरे धीरे मसल रहा था. थोड़ी ही देर मे दर्द की सिकियाँ मस्ती की सिसकियों मे तब्दील हो गयी. और स्नेहा उसे कस के पकड़कर किस करते हुए कमर हिलाने लगी. अब उसकी आँखो मे आसू की जगह एक प्यास थी जो अरुण ने एक ही बार मे समझ ली. अरुण धीरे धीरे उतना ही लंड अंदर बाहर करने लगा...तो कुछ ही देर मे उसका दर्द मज़े मे बदल गया. स्नेहा हर झटके के साथ आनंद की लहरो मे गोता लगाए जा रही थी. अब जाके उसे समझ आया कि आख़िर ऐसा क्या मजा था इस खेल मे. और वो काफ़ी खुश थी कि अरुण ही वो इंसान था जिसके साथ उसने जिंदगी का सबसे पहला सुख प्राप्त किया था. अरुण पूरे तरीके से उसके मज़े का ध्यान रखते हुए अपनी लय को कम या ज़्यादा कर देता. कुछ ही देर मे स्नेहा को अपने अंदर एक और ऑर्गॅज़म बनता हुआ महसूस हुआ, जैसा कि सुबह महसूस हुआ था लेकिन इस बार उसकी तीव्रता कुछ ज्याद ही थी. ऑर्गॅज़म के चलते उसके नाख़ून अरुण की पीठ मे स्वतः ही गढ़ते चले गये और वो अपने दाँतों से उसके होठों को काटने लगी. मस्ती मे उसके पैर खुद ब खुद खुलते चले गये और वो कस के अरुण को अपने अंदर समेटने मे लग गयी. वो बस उस वक़्त अरुण के साथ मिलकर एक होना चाहती थी बस.
अरुण को जब अहसास हुआ कि उसकी चूत मे कुछ ज़्यादा ही तेज लहरे उठ रही थी तो उसने अपने झटको की स्पीड को धीमा कर दिया और उनका टाइम बढ़ा दिया. हर धीमे और लंबे झटके के साथ स्नेहा की जान अरुण मे समाती जा रही थी. उसकी हर साँस हर हिस्से पर अरुण का नाम छपता जा रहा था. उसके मन मे बस अरुण ही अरुण गूंजने लगा. अरुण के मन मे भी बस स्नेहा ही स्नेहा गूंजने लगे. हर झटके के साथ स्नेहा की आँखो की चमक बढ़ती जा रही थी जो अरुण को खुश करने के लिए काफ़ी थी. अरुण बड़े प्यार से उसे देखते हुए किस करने लगा और उधर दोनो की कमर एक दूसरे से टकराकर थप थप की आवाज़ें करने लगी.
"ओह गॉड, यस, बेबी...माइ लव...ओह्ह...यस...", वो सिसकी लेते हुए झड़ने लगी. ये फीलिंग्स ना तो बाहर निकली, ना ही गयी बस इनके साथ स्नेहा का हर सेन्स उसका पूरा अस्तित्व जुड़ता चला गया. वो अरुण के साथ पाई हुई इस फीलिंग को अपने पास से जाने ही नही देना चाहती थी.
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