RE: bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
आरोही सुप्रिया की ओर मुड़कर कहने लगी.."दी, आज रात कैसा रहेगा. हम लोग सभी को इन्वाइट करते हैं. जितने अभी यहीं हैं सब आ जाएँगे, कुछ बढ़िया सी मूवीस देखेंगे और गेम्स वग़ैरह भी खेलेंगे. मज़ा आएगा."
"हां, पार्टी ही ठीक है. अब बार बार ट्रिप पर तो जा नही सकते ना, हालाँकि मज़ा कितना भी आए ट्रिप पर." सुप्रिया ने अरुण को देखते हुए कहा.
"क्यू दी, ट्रिप पर दोबारा क्यूँ नही जा सकते?" सोनिया हँसते हुए पूछने लगी.
"क्यूकी हम लोगो को तुम्हारे जितना मज़ा थोड़ी ना आया था, स्वीटी" सुप्रिया ने कहा तो सोनिया का मूह खुला रह गया. उसने टेबल के नीचे से उसकी जाँघ पर हाथ मार दिया.
इतना सब काफ़ी था अरुण के लिए, तो वो जल्दी से उपर चला गया और रूम मे पहुच कर डोर को लॉक कर दिया.
"ये क्या चूतियापा है बे?" अरुण के दिमाग़ मे उस आवाज़ ने कहा
"वहाँ बैठे बैठे अपनी और झंड करवानी थी क्या और उपर से अपन लोग यहाँ से भी उनकी बातें सुन सकते हैं. और फॉर युवर इन्फर्मेशन उन लोगों बिल्कुल हिंट नही दी कि वो पार्टी मे मुझे बुलाने वाली है. तो जितना शांत रहो उतना बेटर है."
"मैं सही बता रहा हूँ, अगर तेरा ये शांत रहने वाला आइडिया फैल हुआ तो तू देखना," आवाज़ ने अरुण को चेतावनी देते हुए कहा
नीचे, सभी ने अपने फ्रेंड्स की लिस्ट बना ली, फिर मूवीस और समान की भी. अरुण ने सोचा यहाँ रूम मे बैठने से बढ़िया उन लोगो के लिए बॅकयार्ड ही सही कर दिया जाए.
शायद तब वो उसे घर से जाने के लिए ना कहे.
"आए भोसड़ी के? मेरे दिन का क्या? तू तो साले बॅकयार्ड मे गान्ड मराता रहेगा मेरी गुलामी का क्या?" आवाज़ ने अरुण पर चिल्लाते हुए कहा
"अरे यार कभी तो दिमाग़ का यूज़ कर लिया कर? अगर अभी उनकी हेल्प कर दी और अगर रात मे रुकने को मिल गया तो सोच कितना मज़ा आएगा. लड़कियाँ वैसे भी पार्टी मे ज़्यादा ही हॉट हो जाती हैं" अरुण ने अपने मन मे सोचा
"हूऊओन, कह तो तू सही रहा है. लेकिन तुझे अब मेरी बात और ज़्यादा सुनना पड़ेगी. तूने देखा ना सुबह स्नेहा के साथ मेरी बात मानने का क्या फ़ायदा हुआ." अरुण के दिमाग़ मे आवाज़ ने कहा
अरुण मुस्कुरा दिया और जवाब को टाल गया. उसने पुरानी टी शर्ट पहनी और बॅकयार्ड मे जाकर हॉट टब, पूल वग़ैरह सही करने मे जुट गया.
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वहाँ लड़कियों ने अपने सभी फ्रेंड्स को कॉल, एसएमएस करना शुरू कर दिया. आरोही की तीन फ्रेंड्स थी जो आने वाली थी, विदुषी, रिया और सृष्टि. सोनिया ने पायल के साथ साथ नैना को भी बुला लिया. सुप्रिया ने सिर्फ़ श्रुति को बुलाया था और स्नेहा की फ्रेंड आकाँशा आ रही थी. सोनिया और सुप्रिया कार लेकर शॉपिंग के लिए चली गयीं.
स्नेहा और आरोही घर की सफाई मे जुट गयी, हालाकी ज़्यादा ज़रूरत नही थी लेकिन फिर भी.
स्नेहा हर 10 12 मिनिट मे एक बार आरोही को देखती लेकिन फिर वापस काम पर जुट जाती. आरोही ने भी ये बात नोटीस की, वो समझ गयी कि स्नेहा के दिमाग़ मे कुछ चल रहा है लेकिन क्या?
"दी कोई प्राब्लम है क्या?" आख़िर आरोही ने पूछ ही लिया.
"क्या?" स्नेहा ने अंजान बनाने की कोसिस करी.
"दीईईए, आप जानती हो ना मैं आपकी हर बात समझ लेती हूँ," आरोही बड़े प्यार से उसे सोफे पर बिठाते हुए बोली,"कुछ ना कुछ तो आपको परेशान कर रहा है. बोलो ना?"
सोफे पर बैठते हुए स्नेहा गहरी सास लेने लगी. वो सोचते सोचते अपने बालों को उंगली मे घूमाते हुए सोचने लगी. आरोही कुछ देर उसकी तरफ ध्यान से देखती रही फिर बोली.."दी अगर कोई हेल्प चाहिए तो आप मेरे से माँग सकती हो..आइ'एम ऑल्वेज़ हियर फॉर युवर हेल्प."
स्नेहा आरोही की तरफ देख कर सोचने लगी कि कितनी समानता है अरुण और आरोही मे. जुड़वा होने का एफेक्ट है शायद. दोनो कितनी केयर करते हैं उसकी और बोलने का ढंग भी सेम है दोनो का.
"मैने.....तुम्हे और अरुण को गोआ मे देख लिया था." स्नेहा जल्दी से ये बात कह गयी फिर ध्यान से आरोही की तरफ देखने लगी.
आरोही कुछ देर चुप्पी साधे रही फिर बोलने लगी.."आइ नो, दी..मैने आपको और सुप्रिया दी को खिड़की से देख लिया था."
दोनो के बीच अब कुछ मिनटों की खामोशी छा गयी. जब ये खामोशी आरोही से सहन नही हुई तो उसने पूछ ही लिया,"तो आप गुस्सा तो नही हुई ना?"
स्नेहा ने धीरे से अपने कंधे उचका दिए. फिर अपनी छोटी बहेन की आँखो मे देखने लगी. "वेल, गुस्सा नही. लेकिन उसके कई एफेक्ट ज़रूर पड़े मुझ पर अगर सच कहूँ तो."
आरोही उसकी तरफ क्यूर्षसिटी के साथ देखने लगी.
स्नेहा ने जब उसके चेहरे के भाव पढ़े तो उसे समझने लगी,"उस पल के बाद मेरे मन मे क्वेस्चन्स आने लगे कि आख़िर तुम तीनो अपने ही भाई के प्रति सेक्षुयली अट्रॅक्टेड क्यूँ हो जबकि तुम्हे बाहर अछा ख़ासा अटेन्षन मिलता होगा. ये बात मैं गोआ से आने के बाद काफ़ी दिन तक सोचती रही. और अब छुट्टियाँ भी ख़त्म होने वाली हैं लेकिन मेरे पास पूरा आन्सर नही है. मैने अरुण से इस बारे मे बात की तो कुछ जवाब मिले लेकिन जब तक मैं खुद उस सिचुयेशन मे नही पहुच जाती मैं पूरे तरीके से सल्यूशन नही ढूंड पाउन्गी. और आज सुबह तो शायद कुछ ज़्यादा ही हो गया. अरुण और मैं.....हम बाथरूम मे थे..और..हम दोनो...ऐसा कुछ करने का इरादा नही था..आइ स्वेर...लेकिन." स्नेहा ये कहते कहते चुप हो गयी. उसके मूह से शब्द तो जैसे गायब ही हो गये.
आरोही की आँखें लास्ट की बातें सुन के चौड़ी होती चली गयी, लेकिन उसने अभी कुछ कहना ठीक नही समझा. उसने सोचा जब तक स्नेहा अपनी बात पूरी नही कर लेती तब तक वो कुछ नही बोलेगी. वो ध्यान से उसकी ओर देखती रही.
"कुछ दिनो से मैं उसके बारे मे अलग..ढंग से सोचने लगी हूँ. और उसकी बातों से खुद के बारे मे भी मेरा नज़रिया बदला है. मतलब इससे पहले मैने कभी खुद को एक अट्रॅक्टिव पर्सन के तौर पर नही देखा, लेकिन जबसे अरुण के साथ मैने ये चीज़े शेयर करी और जो कुछ उसने मेरे बारे मे कहा..तो मुझे कुछ कुछ होने लगा है."
आरोही उसकी बात समझ कर मुस्कुराने लगी. "उसके साथ हम सबको ऐसा ही फील होता है दी." आरोही ने उसका हाथ पकड़कर कहा.
तो स्नेहा थोड़ा रिलॅक्स हुई और उसकी ओर देखकर मुस्कुराने लगी. "आज जब मैं शवर से बाहर निकली तो वो एक दम से बाथरूम मे आ गया. और मुझे लगता है कि ये उसने जानबूझकर किया. और फिर एक चीज़ से दूसरी चीज़ होती चली गयी और हम दोनो बाथरूम के गेट से सट कर किस करने लगे. आरोही, रियली आज मैने महसूस किया कि वो फीलिंग क्या होती है. और उसका..वो..वो...बिल्कुल मुझसे रगड़ कर निकल गया और मुझे....."
"क्या आप अब..." आरोही आँखें फाड़ के उससे पूछने लगी.
स्नेहा तुरंत ही तेज़ी से अपना सिर हिलाने लगी. "नही नही, मैं अभी भी वर्जिन हूँ. लेकिन मुझे उसके साथ ये करना..मुझे लग रहा है कि मैने उसका इस्तेमाल किया...मतलब आज जिंदगी मे पहली बार मैने ऑर्गॅज़म फील किया." स्नेहा एक तक आरोही की आँखों मे देखकर अपने दिल की बात कहने लगी.."जिंदगी मे पहली बार मुझे इतना अचःआ महसूस हुआ. आइ रियली कॅंट एक्सप्लेन दिस फीलिंग. उस वक़्त ऐसा लगा जैसे आइ'म आउट ऑफ दिस वर्ल्ड. आंड आइ डोंट वॉंट दिस फीलिंग टू गो अवे."
आरोही मुस्कुराते हुए अपना सिर हिलाने लगी. उसे उसकी हर बात समझ मे आने लगी.."तो फिर प्राब्लम क्या है? आप इतना परेशान क्यूँ हो?"
स्नेहा उसे सवालिया नज़रो से देखने लगी. "प्राब्लम? प्राब्लम ये है कि मैं अपने भाई के साथ अपनी वर्जिनिटी खोने ही वाली थी. उसका..तुम समझ रही हो ना..वो लगभग मेरे अंदर ही थी..उसकी सग़ी बहेन के अंदर. मुझे नही पता तुम लोगो को कैसा लगता है. और मैं ये भी नही कह रही कि ये ग़लत है या सही. मैं बस कन्फ्यूज़्ड हूँ.
कभी कभी तो मेरा मन करता है कि उसके कपड़े फाड़ कर तुरंत ही उसके साथ प्यार करने लगूँ, और कभी लगता है क्या की आख़िर दिक्कत क्या है हम लोगो मे जो हम लोग ये हरकत रहे हैं." स्नेहा ने कहा
"दीईईए, आप कुछ ज़्यादा ही सोच रही हो" आरोही उसको समझाते हुए कहने लगी.."और इसमे सही ग़लत कुछ भी नही है. इट'स जस्ट अट्रॅक्षन. आप बस उसकी तरफ अट्रॅक्ट हो गयी हो. आप खुद बताओ क्या आपको अरुण इन सब चीज़ो से पहले अट्रॅक्टिव लगता था?" आरोही ने पूछा
स्नेहा कुछ पल इस बारे मे सोचती रही,"मैने इससे पहले कभी इस बारे मे सोचा ही नही."
"ओके कोई नही. मैं अपनी बात बताती हूँ, मुझे हमेशा से लगा कि अरुण काफ़ी हॅंडसम है. आइ मीन, हम दोनो जुड़वा हैं तो मेरे कुछ ट्रेट्स तो उसमे होने ही चाहिए ना." आरोही थोड़ा मज़ाक मे बोली.
स्नेहा उसकी बात सुन के हंस पड़ी. और बोली "एक तो आज सुबह से नही परसों रात से उसका ख्याल मेरे दिमाग़ से निकल ही नही रहा है. तुम समझ रही हो ना?"
"ट्रस्ट मी, दी. ई अंडरस्टॅंड. हम सबका यही हाल है." आरोही हँसते हुए उसे बताने लगी.
फिर दोनो उठ कर साथ मे दूसरे हिस्से की सफाई करने लगी. काफ़ी देर की चुप्पी के बाद स्नेहा बोल पड़ी.."तो तुम्हे उसमे सबसे अच्छा क्या लगता है?"
आरोही रुक कर उसे ऐसे देखने लगी जैसे उसने बेवकूफो वाला सवाल पूछ लिया हो. "वेल, वैसे तो बेस्ट पार्ट है उसका लंड,"
लंड सुन के स्नेहा का मूह खुलता ही चला गया लेकिन जब आरोही ने उसे घूर कर देखा तो उसने तुरंत ही बंद कर लिया.."मीन्स उसका पेनिस. उसके बाद आइ लाइक हिज़ चेस्ट आंड स्टमक..इट्स सो हॉट..यम्मी टमी." आरोही अपने होठों पर जीभ घूमाते हुए बोली.
स्नेहा शरमाते हुए हँसने लगी.
"अरे गंदी लड़की, मैने ये नही पूछा था कि उसकी बॉडी मे क्या अच्छा लगता है. मैं पूछ रही हूँ कि उसके 'साथ' मे क्या अच्छा लगता है. मीन्स व्हेन यू आर 'वित हिम'?
"ओह..तो ऐसा बोलो ना, कि उसके साथ सेक्स करते हुए क्या अच्छा लगता है?" आरोही अपनी हसी कंट्रोल करते हुए बोली.."इट'स ओके. आप ऐसी बात मुझसे कर सकती हो."
स्नेहा भी हल्के से हंस दी.
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