RE: bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
कुछ देर बाद आख़िरकार मूवी ख़त्म हो गयी तो सुप्रिया और स्नेहा सीधे किचन मे चली गयी. और बाकी सबको डाइनिंग टेबल पर आने को कह गयी. अरुण सोफे पर से उठ कर खड़ा होके अंगड़ाई लेने लगा. तो आरोही ने छोटी बहेन की तरह उसकी ओर हाथ बढ़ा दिया.."भाई उठा दो.." तो अरुण ने हँस कर उसका हाथ पकड़ा और उठाकर उसे गले लगा लिया फिर उसके गाल पर किस करके उसके कान मे धीरे से कह दिया.."यू आर आ वेरी बॅड गर्ल." तो वो हँसने लगी फिर बाथरूम की ओर चली गयी.
अरुण ने सोनिया की ओर देखा तो उसने भी अपना हाथ उसके सामने किया लेकिन अरुण ने हाथ नही पकड़ा बल्कि किचन की ओर एक बार देखा फिर सीधा उसके उपर चढ़ कर किस करने लगा. फिर दोनो उठे तो सोनिया सीधे अपने रूम मे चली गयी. कुछ देर बाद सब डाइनिंग टेबल पर आके खाना खाने लगे. डिन्नर के दौरान सब मूवी के बारे मे बात करते रहे और इधर उधर की गॉसिप. लेकिन अरुण जब भी स्नेहा की ओर देखता तो स्नेहा उसे ही देख रही होती लेकिन उसके देखते ही नज़रे नीचे कर लेती. अरुण को समझ नही आ रहा था कि बात कब करे. खैर खाना खाने के बाद सोनिया उससे चिपक गयी और उसका हाथ पकड़कर सबको गुड नाइट बोल दिया फिर उसे लेकर रूम मे चली गयी.
रूम का दरवाजा बंद होते ही दोनो के कपड़े ही एक झटके मे उतरते चले गये. कपड़े उतरते ही सोनिया कूदकर अरुण के गले लग गयी और उसकी कमर मे टाँगे फँसा कर उसे किस करने लगी. अरुण उसे पकड़े पकड़े बेड तक गया और लिटा कर किस करने लगा.
"ओह गॉड, भाई,,आइ वॉंट यू सो बॅड," वो उसके कान को काटते हुए बोली.."मुझे नही पता आप हम सब को कैसे संभालोगे लेकिन आइ'म ग्लॅड कि आप सब कुछ सही कर रहे हो. अगर आज रात आप मुझे नही मिलते तो मुझे खुद ही कुछ करना पड़ता. नाउ फक मी. आइ नीड यू सो मच."
"क्या बोली ये??" दिमाग़ की उस आवाज़ ने चौंकते हुए कहा
सोनिया के मूह से मास्टरबेशन की बात सुनके अरुण और उत्तेजित हो गया, वो किस करते हुए सीधे अपने लंड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा. सोनिया की चूत आज कुछ ज़्यादा ही गीली थी. एक तो वो अरुण और आरोही की चुदाई को देखकर उत्तेजित हुई थी उपर से आरोही की हरकतों ने उसकी उत्तेजना को चरम तक पहुचने मे कोई कसर नही छोड़ी थी.
जैसे ही उसकी चूत और उसके लंड का मिलन हुआ आरोही की आनंद भरी चीख निकल गयी. अरुण ने बड़े प्यार से धीरे धीरे धक्के लगाना शुरू कर दिया. उसे उसकी चूत किसी रेशम के कपड़े की तरह महसूस हो रही थी. सोनिया उससे चिपकी हुई उसके कंधो और गर्दन पर दाँत गढ़ाए जा रही थी.
"ओहोमम्म्मम"
"आइ'वे मिस्ड यू," अरुण ने एक तेज धक्का मारते हुए कहा तो उसकी एक और आह निकल गयी.
दो दिन की प्यास की वजह से सोनिया जल्दी ही झड़ने के करीब पहुच गयी. कुछ ही पॅलो मे उसका शरीर काँपते हुए मस्ती के लहरो मे खो गया.
"कीप गोयिंग, भाई. मैं आज आपके प्यार को अपने अंदर महसूस करना चाहती हूँ. कम फॉर मी...ओह्ह्ह" सोनिया उसके किस करते हुए उसे बढ़ावा देने लगी. अरुण ने हां मे सिर हिला दिया फिर तेज़ी से धक्के देता रहा. अरुण हर धक्के के साथ अपने ऑर्गॅज़म के करीब पहुचने लगा. उसने अपने हाथ आगे करके उसके दोनो दूधों को मसलना स्टार्ट कर दिया. कुछ ही देर मे उसके लंड ने अपने स्पर्म को उसकी छोटी बहेन की चूत मे उडेलना स्टार्ट कर दिया. हर झटके के साथ दोनो की आह एक दूसरे के मूह मे घुट कर रह जाती.
जब दोनो थोड़े शांत हुए तो साइड मे लेट गये.
"हुहह...आइ लव यू." अरुण बोला तो वो हँसने लगी.
"आइ लव यू, टू. लेकिन अगली बार मैं जानना चाहूँगी कि आपके जूस का टेस्ट कैसा है." वो उसके निपल को काटते हुए बोली.
तो अरुण ने हंस कर उसे अपने करीब कर लिया. फिर उसने दोनो के उपर चादर डाल ली और स्पूनिंग पोज़िशन मे आकर सो गये.
अरुण उस रात बिल्कुल पिछली रात की तरह सोया. वो उठा तो सोनिया उसे किस करके बाथरूम चली गयी.
अरुण का ध्यान जब घड़ी की तरफ गया तो उसके मूह से "ओह शिट" निकल गया. घड़ी मे 9 बज रहा था.
"मैं तुझे कब से जगाने की कोसिस कर रहा हूँ, आज तू वही करेगा जो मैं कहूँगा तो अब जल्दी से तय्यार हो जा. और ज़्यादा टाइम ना वेस्ट कर मेरा." अरुण के दिमाग़ मे उस आवाज़ ने कहा
"सॉरी यार, कल के कारण थोड़ा ज़्यादा थक गया था." अरुण ने अपने मन मे जबाब दिया
"हां हां, 3 टाइम चालू किया 1 बार ख़तम. अब मुद्दे पर आ." दिमाग़ मे आवाज़ ने झुंझलाते हुए कहा
अरुण हँसते हुए कपड़े पहनने लगा.
"अब सबसे पहले अपने चेहरे पर एक कस के थप्पड़ मार." अरुण के दिमाग़ मे उस आवाज़ ने कहा
अरुण ने सिर झटक दिया. "सीरियस्ली? अब दिन भर यही करना पड़ेगा?" अरुण ने अपने मान मे पूछा
"माइ डे, माइ रूल्स, अब थप्पड़ मार जल्दी." दिमाग़ मे उस आवाज़ ने अरुण से फिर कहा
अरुण ने सिर हिला दिया, फिर कस्के अपने गाल पर एक थप्पड़ मारा.
"ये था उस शर्त के चक्कर मे मुझे डालने के लिए." अरुण के दिमाग़ मे उस आवाज़ ने कहा
बहुत लंबा दिन होने वाला है ये- अरुण सोचते हुए बाथरूम की ओर जाने लगा. बाथरूम के बाहर पहुचा ही था कि उसे अंदर पानी चलने की आवाज़ आ रही थी.
"कीहोल से झाँक." दिमाग़ मे आवाज़ ने कहा अरुण से
अरुण ने चुपचाप कहा माना और अंदर झाँका.
"स्नेहा दी," अरुण ने धीरे से बोला और उपर जाने के लिए मुड़ने लगा.
"रुक, देखता रह." दिमाग़ मे उस आवाज़ ने अरुण से कहा
अरुण दोबारा बिना कुछ कहे एक आँख से अंदर का नज़ारा देखने लगा. स्नेहा की पीठ उसकी ओर थी. वो अभी अभी नहा कर आई थी. उसके बदन पर टवल लपेटी हुई थी और दूसरी टवल से वो अपने बाल सूखा रही थी. ज़्यादा हिलने के कारण टवल हिलने लगी और हिलते हिलते गिर पड़ी. टवल गिरने से उसके बड़े बड़े बूब्स अपनी क़ैद से आज़ाद होकर बाहर आ गये. ये नज़ारा अरुण का लंड खड़ा करने के लिए काफ़ी था. स्नेहा के दूध जैसा उसने सोचा था बिल्कुल वैसे ही थे, बिल्कुल पर्फेक्ट, गोल और सुडौल, पर्की बिल्कुल भी ढीलापन नही. उसके निपल डार्क गुलाबी थे और ठंडे पानी के कारण खड़े हुए थे. स्नेहा ने झुक कर ज़मीन से टवल उठाई और वापस लपेट ली. फिर ब्रश से अपने बाल सुलझाने लगी जिसके कारण उसके दूध मस्त होकर हिलने लगे.
"एक बार नॉक कर, फिर बिना जवाब का इंतजार करे अंदर घुस जा." अरुण के दिमागमे उस आवाज़ ने ऑर्डर दिया
"अंदर जाकर कोई चुदाई थोड़ी स्टार्ट करनी है." अरुण उसे तर्क करते हुए बोला.
"जस्ट ट्रस्ट मी, चूत." दिमाग़ की आवाज़ ने अरुण को विश्वास दिलाते हुए कहा
अरुण ने एक ठंडी सास ली फिर एक बार नॉक करके तुरंत ही दरवाजा खोलकर अंदर घुस गया. दरवाजे की आवाज़ सुनते ही स्नेहा ने ब्रश छोड़कर लपेटी हुई टवल को पकड़ लिया और पीछे मुड़कर देखने लगी.
"ये क्या हरकत है अरुण, नॉक भी नही कर सकते?" स्नेहा थोड़े गुस्से मे उसे देखकर बोली.
"सॉरी, दी," अरुण सॉरी बोलकर वापस जाने के लिए पीछे मुड़ने लगा.
"रुक भोसड़ी के." अरुण के दिमाग़ मे उस आवाज़ ने गुस्से से कहा
"हे भगवान कहाँ फसा दिया. बको.." अरुण ने झुंझलाते हुए अपने मन मे कहा
"वापस मूड, और बिना एक भी शब्द बोले, उसके पास जा के सीधा किस करने लग जा." अरुण के दिमाग़ मे उस आवाज़ ने फिर ऑर्डर दिया
अरुण ने 2 पलों के लिए अपना सिर नीचे कर लिया, फिर वापस सिर को उठा कर वही किया जो आवाज़ ने करने को कहा. वो एक दम से स्नेहा की तरफ बढ़ा और उसके सिर को पकड़कर अपने पास खिचा जिससे स्नेहा की हल्की सी चीख निकल गयी. लेकिन अरुण इस बात की परवाह करे बिना अपने होठों को उसके होठों के पास ले जाने लगा. अरुण के किस करते ही स्नेहा भी उसे वापस करने लगी यहाँ तक की जीभ अंदर डालने की शुरुआत भी उसी ने की.
अरुण उसे अपने करीब खिचते हुए पूरी शिद्दत के साथ किस करने लगा. उसका एक हाथ उसके बालो को सहला रहा था और दूसरा हाथ उसकी कमर को पकड़कर अपने पास खिचने लगा. स्नेहा उसकी बाहों मे कसमसाते हुए पिघलने लगी, उसकी जीभ अरुण के मूह मे अपना काम कर रही थी.
"अब आराम से अपने हाथ से उसकी टवल गिरा दे लेकिन ऐसा दिखाना जैसे अपने आप गिरी हो." अरुण के दिमाग़ मे उस आवाज़ ने अरुण को समझाया
"अब ये मैं कैसे करूँ?" अरुण ने सोचा.
लेकिन फिर उसने धीरे से पीठ पर टवल को हल्का सा झटका दिया. एक तो वैसे भी टवल बहुत हल्के से अटकी थी, अरुण के हल्का सा छेड़ते ही आसानी से ज़मीन पर गिरती चली गयी. स्नेहा को इस बात का आभास ही नही हुआ, वो तो पूरी मस्ती मे उसे किस करे जा रही थी. जब अरुण के हाथ उसकी नंगी पीठ से होते हुए नंगे चूतड़ को दबाने लगे तो वो अपने आप ही अपने नंगे दूधो को उसके सीने से रगड़ने लगी.
अरुण 2 पल के लिए रुका, तो सारा जादू वहीं पर टूट गया. स्नेहा जल्दी से नीचे झुक कर टवल को उठाने लगी. स्नेहा ने झुकते हुए जब उपर नज़र की तो उसे अरुण के खड़े मूसल के सॉफ सॉफ दर्शन होने लगे. उसके शॉर्ट्स मे अच्छा ख़ासा टेंट बना हुआ था.
स्नेहा चौड़ी आँखो से उसे देखते हुए खड़ी हो गयी.
"क्या ये मेरी वजह से ऐसा है?" स्नेहा ने उसके लंड की ओर इशारा करते हुए पूछा.
अरुण पहले तो थोड़ा शरमा गया लेकिन फिर सिचुयेशन समझ कर हां मे सिर हिला दिया.
"मैं पहले भी कहा था, और अब भी कहता हूँ, आप बहुत सुंदर हो. और आप को ऐसा क्यूँ लगता है कि आप मुझे उत्तेजित नही करती?"
स्नेहा ने अंजान बनते हुए कंधे उचका दिए और नर्वस होकर अपने होंठो को काटते हुए चुप्पी साधे रखी. ऐसे ही काफ़ी देर दोनो के बीच खामोशी छाइ रही.
"तो क्या,,..उम.." स्नेहा हक़लाने लगी.
अरुण उसे बड़े ध्यान से देखते हुए सोचने लगा कि क्या चाहिए हो सकता है इन्हे.
"क्या म्म..मैं इ.से देख सकती हूँ?" स्नेहा ने हिम्मत करके अपने दिल की बात कह दी लेकिन तुरंत ही उसका पूरा चेहरा शर्म से लाल पड़ गया.
अरुण के चेहरे पर एक स्माइल आ गयी लेकिन उसने तुरंत ही उसे छुपा लिया. "सच, दी? आप देखना चाहती हो?"
स्नेहा ने हां मे कुछ ज़्यादा जल्दी ही सिर हिला दिया, लेकिन अपनी हरकत पता चलते ही वापस सिर नीचा करके अपने होठों पर जीभ फेरने लगी.
अरुण ने उसकी ओर देखते हुए अपने शॉर्ट्स को नीचे कर दिया तो उसका खड़ा लंड बिल्कुल सीधा खड़ा होकर उसे सलामी देने लगा. स्नेहा लगातार उसे देखकर उसकी सुंदरता को निहारने लगी. काफ़ी देर बाद, तब तक अरुण भी काफ़ी एंबॅरस फील करने लगा था, उसने वापस अरुण की आँखों मे देखा.
"क..क्या मैं......इसे छू सकती हूँ?" उसने पूछा.
अरुण ने मुस्कुराते हुए हाँ मे सिर हिला दिया.
"मैं पहले ही कहा था, जस्ट ट्रस्ट मी." अरुण के दिमाग़ मे आवाज़ ने खुश होते हुए कहा
उसके हाथ अपने लंड की तरफ बढ़ते देख लंड मे हल्का सा झटका लग गया. स्नेहा के ठंडे हाथ अपने गर्म लंड पर पड़ते ही अरुण की आँखें मस्ती मे बंद हो गयी. स्नेहा अपने हाथो से उसे उठाकर इधर उधर करने लगी जैसे कि कोई नया खिलोना हो.
वो अपने दूसरे हाथ को नीचे ले जाकर उसके टट्टो को सहलाने लगे. पहले बार छूने के कारण उसने कुछ ज़्यादा ही ताक़त से उसे पकड़ लिया तो अरुण की दर्द भरी आह निकल गयी.
"सॉरी," स्नेहा ने उसकी ओर देखते हुए कहा.
उसके टट्टो को छोड़कर स्नेहा लंड को इधर उधर करके देखने लगी. वो घुटनो के बल बैठकर आराम से उसका मुयाइना करने लगी.
"तो इसी के कारण इतना बवाल मचा पड़ा है?"
अरुण ने आइब्रो सिकोडकर उसे देखा तो वो हँसने लगी.
"सॉरी, बेबी," उसने कहा, और खड़े होकर उसके शॉर्ट्स को उपर कर दिया.
"अब इस से कहो कि ये अपनी चूत दिखाए?" दिमाग़ मे उस आवाज़ ने अरुण को फिर ऑर्डर किया
"तुम्हे क्या लगता है कि हम दोनो 5 साल के बच्चे हैं कि मैने तुम्हे दिखाया अब तुम मुझे दिखाओ खेले?" अरुण ने झुंझलाते हुए अपने मन मे उस आवाज़ को जबाब दिया
"मेरे गुलाम, जस्ट डू ऐज आइ से." उस आवाज़ ने कहा
"तो अब आपने इसे देख लिया तो.." अरुण स्नेहा से कहने लगा.
"हां, लेकिन जब ये इतना बड़ा है तो तुम सीधे कैसे चल पाते हो?" वो सवाल करने लगी और साथ मे अपनी टवल को ठीक करने लगी.
"हहा, सो फन्नी, मैं तो यह कह रहा था कि अब जब आपने मेरी चीज़ देखी है तो अब मुझे वो टवल के पीछे छुपि चीज़ देखनी है."
स्नेहा ने एक दम से हसना बंद किया और शरमाते हुए उसे देखने लगी. वो अपने हाथ आगे करके उसे रोकने लगी लेकिन अरुण हंस कर उसके हाथ को सामने से हटाने लगा.
"दी, आप चीटिंग नही कर सकती." वो किसी बच्चे की तरह बोला.
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