RE: bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
स्नेहा भी उसे देखकर मुस्कुरा दी फिर उसके सामने बिस्तर पर बैठते हुए बोली.."मुझे कुछ चीज़े समझ मे नही आ रही."
अरुण ने उसकी तरफ कुर्सी को घुमाया और उसके चेहरे को देखने लगा. "वेल, जैसा मैने कहा था आप मुझसे कुछ भी पूछ सकती हो..तो शूट."
अब स्नेहा अपने बाल खुजाने लगी. उसे समझ ही नही आया कि वो कैसे पूछे.
"उम्म्म्मम, मैं बस ऐसे ही पूछने आई थी कि अगर तुम फ्री हो तो क्या हम लोग कुछ देर बात कर सकते हैं?"
ये सुनकर अरुण कुर्सी से उठकर उसके साथ बेड पर बैठ गया. "कभी भी दी, अब बताओ किस बारे मे बात करनी है?" अरुण ने उसके बालो को उसके कानो के पीछे करके उसके हाथ को अपने हाथ मे ले लिया.
स्नेहा ने नज़रें उठाकर देखा तो वो बहुत ही ज़्यादा क्यूट लगा, उसकी इच्छा किस करने की होने लगी.
उसने अपने हाथ को अरुण के सिर पर रख के उसके बालों मे फेरने लगी, फिर दोनो हाथों से उसके गालों को पकड़कर नीचे बिस्तर पर झुकते हुए खुद भी उसके उपर लेटती चली गयी. बिस्तर पर सिर लगते ही उसने अरुण के होठों को अपने होठों से जोड़ दिया. और अपनी जीभ से उसके होठों को खोलने की कोसिस करने लगी.
अरुण भी वापस उसे किस करने लगा. अरुण के किस करते ही स्नेहा को अपने सरीर मे उत्तेजना की लहर महसूस होने लगी. अरुण ने अपनी मजबूत बाहों से उसे अपनी ओर पास खींचा. ऐसे करने से स्नेहा के दूध उसके सीने पर धस्ते लगे.
अरुण का एक हाथ उसकी पीठ को सहलाने लगा और स्नेहा की बॉडी मे एक और लहर दौड़ गयी जब अरुण ने उसी हाथ से उसके चूतड़ को धीरे से दबा दिया. उसे ये फीलिंग बहुत अच्छी लगी तो उसने अरुण को चूतड़ दबाने दिए. अरुण का दूसरा हाथ पेट के रास्ते उपर बढ़ने लगा तो स्नेहा ने खुद को उपर उठाकर उसके हाथ के लिए रास्ता बना दिया.
"ये मैं क्या कर रही हूँ? ऐसे तो ये मेरे ब्रेस्ट्स को दबा सकता है?" वो खुद से मन मे पूछने लगी.
उसकी आह निकल गयी जैसे ही अरुण के हाथों ने असलियत मे उसके दूधों को टीशर्ट के उपर से दबाना शुरू कर दिया. उसके सिर पर मस्ती चढ़ने लगी. सब कुछ हल्का हल्का महसूस होने लगा. उसके कंट्रोल के बिना उसके पैर खुद ब खुद ही खुल गये और उसकी कमर खुद ही अरुण की कमर पर रगड़ने लगी.
"तू एग्ज़ाइट हो रही है, डफर," अरुण के लंड का एहसास अपनी चूत पर होते ही उसके मन मे आवाज़ आई.
ख़ुसी के कारण उसकी एक और आह निकल गयी. उधर अरुण एक हाथ से उसके चूतड़ और दूसरे से उसके दूध को मस्ती मे मसलता जा रहा था. स्नेहा ने अपनी जीभ को उसके मूह की गहराई तक डाला और उससे अपनी जीभ चुसवाने लगी. जितनी बार अरुण उसकी जीभ को अपने मूह मे भरकर तेज़ी से चूस्ता उतनी बार ही स्नेहा की कमर उसकी कमर पर धक्का देती. मस्ती मे भरकर वो तेज़ी से अपनी कमर को अरुण के लंड पर रगड़ने लगी.
लेकिन तभी अचानक अरुण ने एक दम से किस को तोड़ दिया.
"आइ'म सो स...सॉरी दी." अरुण सॉरी कहने लगा, उसे डर लगने लगा कि उसने कहीं कोई लाइन तो क्रॉस नही कर दी. कही वो स्नेहा की मासूमियत का ग़लत फ़ायदा तो नही उठा रहा था?
स्नेहा भी उससे थोड़ा अलग हुई लेकिन उसके हाथ को थामे रही.."नो, तुम्हे सॉरी कहने की ज..ज़रूरत नही है. इट वाज़ माइ फॉल्ट, मुझे ही..."
अरुण दोबारा माफी माँगने लगा, लेकिन वो बिना कुछ बोले उसके पास से हटकर खड़ी हुई और शांति से लेकिन तेज चाल के साथ रूम से बाहर चली गयी.
"नाइस गोयिंग, चूतिए. अच्छी ख़ासी चूत खुद थाली मे आई थी. लेकिन इन्हे तो सॉरी कहना था. क्यू तोड़ा किस? अच्छा ख़ासा वो भी मस्त होकर लंड पर कमर हिला रही थी. बस कुछ देर और फिर वो चूत हमारी होती, लेकिन नही..चूतिया." अरुण ने दिमाग़ में उस आवाज़ ने गुस्से से कहा
"शट्ट अप्प्प" अरुण बड़ी तेज़ी से मन मे चीखा और अपने सिर को तेज़ी से तकिये पर पटक दिया.
वो स्नेहा के बारे मे सोचने लगा कि कही उसने उसे कोई चोट तो नही पहुचाई. उसे कुछ समझ ही नही आया कि सब कैसे होता चला गया. जैसे ही स्नेहा के होठ और जीभ उसके होंठो से मिले उसके पूरे सरीर मे झुरजुरी दौड़ गयी. उसकी पूरी बॉडी अपने आप ही हरकते करने लगी थी. लेकिन कुछ देर बाद उसे ध्यान आया कि स्नेहा थी. वो मासूम सी स्नेहा. तब उसे ये सब करना ग़लत लगा. इसलिए उसने किस तोड़ा. और शायद उसने ये करके सही ही किया. लेकिन अब वो क्या करे. ये सब सोचते सोचते उसे हल्की हल्की नींद आने लगी.
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"कुछ खट्टा मीठा सा स्वाद आ रहा है. उम्म्म्ममममम...क्या है यह?" अरुण मन मे सोच रहा है. उसके आस पास हल्की सी हलचल हो रही है. उसे अपने उपर काफ़ी वजन भी महसूस हुआ. उसने धीरे धीरे आँखें खोली तो देखता ही रह गया. उसके मूह के उपर आरोही बैठी है और खुद हल्का सा उठ कर उसके होंठों पर अपनी चूत को रगड़ रही थी. अरुण की जब आँख खुली तो उसने अपने हाथों से उसकी जांघों के दोनो ओर डाला और सहारा देकर उसकी चूत के कमरस को ग्रहण करने लगा. आरोही ने भी जब ये जाना कि अरुण जाग गया है तो उसके मूह के उपर और प्रेशर से चूत को हिलाते हुए सिसकियाँ भरने लगी. वो अपने एक हाथ से दूध को भी दबाए जा रही थी.
अरुण उसकी क्लाइटॉरिस को जितना छेड़ने लगा, आरोही उतनी ही तेज़ी से अपनी कमर को हिलाने लगे. अरुण के लिए एक ही जगह पर जीभ को रखना मुश्किल होता जा रहा था तो उसने थोड़ा और ज़ोर लगाकर उसे अपने उपर ठहराने की कोसिस करी. तो आरोही थोड़ा शांत हो गयी. अरुण जीभ को कौन्दार बनाकर चूत की फांको के अंदर डाल दिया तो आरोही ने मचलकर उसके सिर को पकड़लिया और आहह आअहह करने लगी. कुछ ही देर मे आरोही की कमर ने एक अलग ही स्पीड पकड़ ली. आरोही पूरे जोरो से अपनी चूत को अरुण के मूह पर रगड़ने लगी, और मस्ती मे आहें भरके सिर को पीछे कर दिया. अरुण भी बिना रुके उसे ऑर्गॅज़म का मज़ा देने लगा. कुछ देर बाद जब आरोही ने कमर हिलाना बंद किया तो अरुण ने उसकी पीठ को पकड़कर धीरे से उसे अपने पास लिटा दिया और किस करने लगा. कुछ मिनटों के बाद उसने किस करना बंद किया फिर उसके गालों को चूमते हुए उसके चेहरे पे पसीने के कारण चिपके बाल हटाने लगा. फिर दोनो एक दूसरे की आँखों मे देखने लगे.
"भाई आज हमारी स्पेशल नाइट है ना?"
अरुण ने मुस्कुरा कर उसके माथे को चूम लिया और हां मे सिर हिला दिया. फिर दोनो दोबारा किस करने लगे. फिर हल्का सा नीचे बढ़कर वो दोनो दूधों और निपल्स को चूमते हुए नाभि तक आ पहुचा. नाभि मे उसने ढेर सारा थूक डाल कर उसे अपने होठों से खीचा तो आरोही की कमर उत्तेजना मे अपने आप उपर हो गयी. लेकिन तभी आरोही ने उसका सिर पकड़कर उसे पास मे लिटा दिया.
"अब मुझे बस जो चाहिए वो चाहिए, कोई नौटंकी नही..हीही." आरोही ने हंस कर कहा और उसके सीने को चूमने लगी. फिर सीधे नीचे जाकर लंड को टॅट्टो समेत चाट कर गीला कर दिया. फिर वो लंड को चूस्ते हुए बहुत ही प्यासी नज़रो से अरुण की आँखों मे झाँकने लगी. उस वक़्त अरुण को लगा कि इस वक़्त इस पूरी दुनिया आरोही को सिर्फ़ उसकी और उसकी ही ज़रूरत है. उसने देर ने करते हुए उसके सिर को पकड़ा और अपने पास खिचते हुए किस करने लगा. किस करते करते उसने उसे साइड मे लिटा दिया और खुद उसके उपर होकर उसकी जीभ के साथ खेलने लगा. अरुण उसकी गर्दन से लेकर उसकी चिन तक जीभ बाहर निकालकर चाटने लगा. पसीने मे मिला हुआ उसका स्वाद उस समय उसे किसी अमृत से कम नही लग रहा था. उसका लंड आरोही की चूत पर हल्के हल्के रगड़ रहा था. लेकिन फिर भी वो खुद को कंट्रोल करके उसे पूरा मज़ा देना चाहता था. आरोही ने भी उसका साथ देते उसके चेहरे को अपने दोनो हाथो मे पकड़कर अपने जीभ से चाट लिया. जितनी बार आरोही की जीभ अरुण से छूटी उतनी बार अरुण की सिसकी निकल जाती. दोनो के शरीर आपस मे पसीने से लथपथ होकर चिपके पड़े थे. दोनो शरीर की गर्मी मिलकर उन दोनो को एक अलग ही दुनिया मे पहुचा रही थी.
आरोही ने अपने दोनो हाथ साइड मे किए तो अरुण उसके कंधे से छूते हुए अपने पंजो को उसके पंजो से मिला दिया और दोनो बड़ी तेज़ी से एक दूसरे की जीभ को चूमने लगे.
इस वक़्त दोनो एक दूसरे के लिए अपने प्यार को पूरे तरीके से महसूस कर रहे थे.
"आरोही," अरुण ने उसके होठों से एक इंच की दूरी पर अपने होठों को लेजा कर कहा, "ये मेरी जिंदगी के सबसे खास दिनो मे से एक दिन है."
ये बात उसने इतने धीरे से कही थी कि शायद हवा को भी इसकी भनक नही पड़ी होगी लेकिन कहते हैं ना जब दिल के तार जुड़े हो तो बिन बोली बातें भी सुनी जा सकती हैं, ये तो फिर भी उसने बोली थी.
ये सुनकर आरोही की आँखो मे आसू आ गये और वो अपना सिर हिलाने लगी.
"आइ'हॅड डू एनितिंग फॉर यू," अरुण ने अपने दिल को खोलकर उसके सामने रख दिया.
"आइ नो, भाई" आरोही ने ये कहकर अपनी टाँगें उसकी कमर के इर्द गिर्द कर दी और उससे कस के चिपक गयी. अरुण का लंड उसकी चूत पर दस्तक दे रहा था.
अरुण आरोही की सुलगती प्यासी आँखो मे देखने लगा और अपनी कमर को हल्के से आगे बढ़ने लगा. लेकिन दो तीन बार कोसिस करने पर भी उसकी लंड बार फिसल जाता तो आरोही ने अपना हाथ आगे बढ़ाकर उसके लंड को अपनी चूत के सामने कर दिया. अरुण ने वही पर अपनी कमर को हल्के से धक्का दिया तो आरोही की आँखें खुलती चली गयी.
लंड का सुपाडा अंदर तक जा चुका था. अरुण को चूत की टाइटनेस से पता चल रहा था कि आरोही की चूत काफ़ी ज़्यादा टाइट है.
अरुण ने थोड़ा सा और ज़ोर लगाया तो आरोही ने चीखते हुए उसके गले मे बाहें डालकर जाकड़ लिया.
"भाई, थोड़ा आह..धीरे"
अरुण ने हां मे सिर तो हिला दिया लेकिन इस से ज़्यादा धीरे कैसे जाए ये उसे समझ मे नही आया. फिर भी उसने थोड़ा और अंदर बढ़ने की कोसिस की तो आरोही चीखने लगी और उसका पूरा शरीर काँपने लगा. अरुण एक दम वही रुक गया. वो आरोही को तक़लीफ़ मे कभी नही देख सकता था. उसने सोचा आगे ना बढ़कर इतना ही आगे पीछे किया जाए. अरुण ने लंड को पीछे किया तो आरोही की आह उसके कानो मे पड़ी. उसने उतना लंड दोबारा अंदर डाला तो वो दोबारा चीखने लगी. तो अरुण उतना ही लंड डाले डाले उसके उपर लेटा रहा. दोनो एक दूसरे को पकड़े हुए वैसे ही कुछ देर लेटे रहे.
कुछ देर बाद आरोही अपनी कमर को बहुत धीरे धीरे चलाने लगी. अरुण तब भी वैसे ही रहा. उसने सोचा अभी आरोही को ही कंट्रोल करने देता हूँ. आरोही हल्के हल्के कमर को उसके लंड पर हिलाए हुए किस करने लगी.
"ज़्यादा दर्द हो रहा है?" अरुण ने उससे पूछा.
"थोड़ा," आरोही ने उसे दोबारा किस करते हुए कहा,"बट, आइ'म रियली हॅपी."
ये सुनकर अरुण थोड़ा रिलॅक्स हुआ और उसने भी धीरे अपने कमर को हिलाते हुए आरोही का साथ देना स्टार्ट कर दिया.
कुछ देर ऐसे ही धीरे धीरे धक्के देते हुए लंड थोड़ा और अंदर हुआ. लेकिन तभी अरुण को लगा कि ऐसे तो वो जल्दी झड जाएगा, एक तो कुछ घंटे पहले जब आरोही ने उसका लंड चूसा था तो क्लाइमॅक्स नही हुआ था तो उसके दिमाग़ मे एक आइडिया आया. वो अपना एक हाथ नीच ले गया और अपने लंड के जस्ट उपर से आरोही की क्लिट को रगड़ने लगा. जैसे ही उसने क्लिट को रगड़ना शुरू किया आरोही की हल्की सिसकियाँ तेज लेकिन मस्ती भरी चीखों मे बदलने लगी. इस मस्ती की वजह से आरोही की चूत ने लंड को और कस के जकड लिया.
क्लिट रगड़ते हुए दोनो कमर हिलाने लगे. आरोही पता नही क्या क्या कहे जा रही थी..उस मे से कुछ एक ही अरुण की समझ मे आई..."ओह्ह्ह भाई....उम्म्म्म....आइ लव ....आअहह..चोदो...आहह लव...". आरोही की इन बातों से अरुण के धक्को की स्पीड और तेज हो गयी लेकिन अब आरोही उतना ज़्यादा नही चीख रही थी. वो भी अपनी कमर को हिला हिलाकर उसका साथ देने लगी.
"ओह.."
"आरुउउउ..आहह"
"भीइ...आइ...ओहमम्म्मम.."
"आइ लव....."
"आहह.."
अरुण के टॅट्टो मे उबाल आना शुरू हो गया. आरोही मस्ती मे सिसकी लेते हुए उसकी पीठ को खरोचने लगी. उसके चेहरे पर पसीना और आसू दोनो चमक रहे थे. अरुण ने क्लिट पर अपना अंगूठा चलाना जारी रखा. दोनो की आँखें एक दूसरे की आँखो मे खोई हुई थी. आरोही की आँखो से मोती जैसे हल्के हल्के आसू निकल रहे थे. अरुण का मन किया कि वो उसके हर आसू को पी जाए. आरोही की कमर अब कुछ ज़्यादा ही तेज़ी से उपर नीचे होने लगी. अरुण भी उसका साथ देते हुए स्पीड बढ़ाने लगा लेकिन जब भी उसकी चीख की आवाज़ बढ़ जाती तो वो खुद को कंट्रोल करके स्पीड कम करते हुए उसे किस करने लगता.
कुछ पॅलो बाद दोनो की स्पीड कुछ ज़्यादा ही तेज हो गयी. आरोही के नाख़ून उसकी पीठ मे धस्ते ही चले गये. अरुण की आँखो के सामने बस आरोही का ही चेहरा घूमने लगा.
"ओह....ओह.." आरोही की इस सिसकारी के साथ अरुण का शरीर ऐन्ठता ही चला गया. और एक के बाद एक पिचकारी वो चूत मे उडेलने लागा. उसके बाद भी उसने क्लिट को रगड़ना बंद नही किया. वो आरोही को भी उसके चरम तक पहुचा कर मज़ा देना चाहता था. दोनो के मूह से बस एक ही लाइन निकल रही थी.."आइ लव यू....आइ लव यू..." कुछ ही पॅलो मे आरोही का शरीर बड़ी तेज़ी के साथ हवा मे उछलते हुए उसके साथ चिपक गया. अरुण का हाथ क्लिट पर से हट गया और वो दोनो हाथों से उसे पकड़कर अपने साथ चिपकाने लगा. आरोही का मूह उसकी गर्दन पर था और वो हर झटके के साथ गर्दन को चूमते हुए काटने लगी. लगभग 5 मिनिट तक अरुण उसे ऐसे ही अपने से चिपकाए रहा फिर जब वो शांत हो गयी तो उसे धीरे से बेड पर लिटा दिया और अपने लंड को बाहर निकाल लिया. आरोही ने उसके एक हाथ को सीधा करके उसे तकिये का रूप दे दिया और उसे गले लग के लेट गयी. अरुण भी आराम से उसे अपने गले लगाए रहा. उसका दूसरा हाथ उसकी पीठ पर गोल गोल घूमता रहा.
"ज़्यादा दर्द तो नही हुआ?"
अरुण को महसूस हुआ की आरोही मुस्कुरा रही थी.
"थोड़ा सा, लेकिन इस पल के लिए ऐसा दर्द 100 बार भी सहना पड़े तो कोई गम नही आंड इट ईज़ ऑल्सो दा बेस्ट डे ऑफ माइ लाइफ." फिर दोनो कुछ देर ऐसे ही लेटे लेटे एक दूसरे की सासो को सुनते रहे. फिर अरुण पीठ के बल सीधा लेट गया तो आरोही उसके सीने पर अपना सिर रख के चिपक के सोने लगी. अरुण ने ज्यदा हलचल किए बिना बिना चादर डाल ली और आरोही का सिर चूम कर मीठे सपनो मे सो गया.
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सुबह अरुण की जब आँख खुली तो उसे अपनी पीठ पर किसी की साँसें महसूस हुई. उसने अपने हाथ पैरो को हिलाया तो उसके सीने पर भी गर्म गर्म सासें थी. उसने आँखें खोलकर देखा तो आरोही उसके सीने से चिपकी हुई थी. हर सास के साथ उसके दूध उठाते और फिर वापस अरुण के पेट से चिपक जाते.
अगर आरोही सामने लेटी है तो पीठ पर कौन है. फिर उसका ध्यान अपनी कमर पर पड़े हाथ पर गया. हाथ देखकर उसके चेहरे पर पहले तो थोड़ा दर लेकिन फिर एक ख़ुसी भी आ गयी. उसने धीरे से खुद को सीधा किया तो आरोही भी नींद मे हिलकर उससे और ज़्यादा चिपक गयी. आरोही का मूह अरुण की गर्दन पर आ गया और हाथ और पैर उसने अरुण के उपर डाल दिए. ये देखकर अरुण के चेहरे पर स्माइल और बड़ी हो गयी. उसने दूसरी तरफ नज़र घुमाई तो सोनिया का मासूम सा मुस्कुराता हुआ चेहरा दिखाई दिया. उसकी आँखें बंद थी लेकिन चेहरे पर एक बड़ी स्माइल थी. उसने भी आरोही की तरह अरुण के उपर हाथ और पैर चढ़ा दिए लेकिन वो गर्दन पर अपने दाँत और जीभ चलाने लगी.
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