bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
01-25-2019, 12:06 AM,
#43
RE: bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
आरोही ने आँख मारते हुए उसे बाहर घटी सारी घटना बता दी कि कैसे उसने अरुण को ऑफर दिया लेकिन कुछ हो नही पाया. "आइ गेस, अरुण भूल गया कि मैं उससे तेज रन्निंग करती हूँ. फिर भी अच्छा ही हुआ आटीस्ट इससे उसने ये कंट्रोल वाली बकवास तो बंद करी. अब हम लोग दोबारा उसके साथ मस्ती कर सकते हैं."

सुप्रिया हँसते हुए उसे किस करने लगी. फिर कुछ देर बाद उठकर किचन मे चली गयी. उसने एक बार पीछे मुड़कर देखा तो मुस्कुराने लगी क्यूकी आरोही चुपके से उसके रूम मे जा रही थी.

******************

सुप्रिया के दरवाजे को अंदर से लॉक करके आरोही धीरे धीरे चलते हुए बेड के पास पहुचि. अरुण पीठ के बल लेटा हुआ खाने के बारे मे बड़बड़ा रहा था. आरोही ने बिना किसी आवाज़ के अपने शॉर्ट्स उतार दिया, फिर एक एक करके टीशर्ट और ब्रा पैंटी भी, फिर जल्दी से बिना कोई आवाज़ किए अरुण के उपर से चादर भी हटा दी.

आरोही उसके पास लेटने से पहले अपने भाई की स्मूद बॉडी को निहारने लगी. उसने अपने मूह को लंड की तरफ और दोनो टाँगो को उसकी सिर की तरफ करके धीरे से सोते हुए लंड के सुपाडे को मूह मे भर लिया. वो अपनी जीभ से लंड पर सुख चुके उसके और सुप्रिया के कमरस का स्वाद लेने लगी.

उधर लंड पर जीभ के पड़ते ही अरुण ने हिलाना शुरू किया और उसकी आँखें खुलने लगी. लेकिन उसका लंड उससे काफ़ी तेज था, उसके पूरे तरीके से जागने से पहले ही लंड अपने पूरे शबाब पर आ गया. कुछ ही देर बाद अरुण भी पूरा जाग गया और आरोही की मखमली जीभ को लंड पर महसूस करके मस्त हो गया. उसने आरोही की टाँगो को अपने पास खिचा और उसकी चूत को अपने मूह पर झुकने लगा. आरोही की सिसकारी गले मे घुट गयी जब अरुण ने अपनी गर्म और गीली जीभ को उसकी क्लाइटॉरिस पर रख कर रगड़ दिया. "ओह गॉड," आरोही के मूह से निकाला, फिर उसने जल्दी से लंड को वापस मूह मे रखा और पूरा का पूरा निगल गयी.

"उम्म्म, आइ लव यू, आरू." अरुण ने उसकी चूत को चाटते हुए बोला. आरोही ने अपने हाथ अरुण के चुतड़ों के नीचे किए और उसके चुतड़ों को उठाकर लंड को अपने गले के अंदर तक ले जाने लगी. इतनी गहराई तक लंड जाने पर अरुण मस्ती मे सिसकी लेने लगा और अपने आप ही उसकी कमर खुद अंदर की तरफ झटके मारने लगी.

लेकिन फिर उसने झटके धीरे कर दिया जब उसे लगा की वो आरोही को चोट ना पहुचा दे. 

"डॉन'ट वरी भाई. मुझे कुछ परेशानी होगी तो मैं बता दूँगी. आज की रात आप बस मेरे हो. अब जल्दी से मुझे ये दे दो." आरोही ने लंड को मूह से निकालकर कहा फिर दोबारा पूरे लंड को मूह के आगोश मे ले लिया.

आरोही की बात सुनके अरुण ने भी उसकी बात मानी और अपने झटके तेज करते हुए उसके मूह को चोदने लगा. हर बार लंड पहले से थोड़ा ज़्यादा अंदर होता जाता. कुछ झटको के बाद आरोही ने लंड को मूह से निकालने ही नही दिया और जड़ तक अपने मूह को पहुचकर मज़ा लेने लगी. अरुण ने मस्ती मे भरकर चूत को मूह मे भर लिया. कुछ देर बाद अरुण ने छूट चाटना बंद की और लंड को आरोही के मूह से निकालकर हटने लगा. आरोही उसे ध्यान से देखती रही. फिर अरुण उसके सामने लेट कर उसकी छूट की तरफ लंड लाने लगा तो आरोही ने ना मे सिर हिला दिया.

ऐसा देखकर अरुण थोड़ा मायूस होकर वही बैठ गया. उसे समझ ही नही आया कि क्या प्राब्लम हो गयी. वो तो कब्से ये चाहती थी. फिर मना क्यूँ किया? उसके चेहरे के भाव को समझकर आरोही मुस्कुरा दी. उसने आगे बढ़कर अरुण को बेड पर लिटाया और साइड से उस से चिपककर उसे किस करने लगी.

"भाई, आइ वॉंट और फर्स्ट टाइम टू बे स्पेशल. उपर से खाना लगभग तय्यार ही है, कुछ ही देर मे दी की आवाज़ आती ही होगी. और अब तो यह शर्त वाला मसला भी ख़त्म हो गया है तो चिंता की कोई बात ही न्ही है. आज रात मैं पूरे तरीके से आपकी हो जाउन्गी."

अरुण के चेहरे पर ये सुनते ही स्माइल आ गयी लेकिन तुरंत ही चली भी गयी.

"लेकिन स..."

वो बोल ही रहा था की आरोही ने उसके होठों पर उंगली रख दी.

"तुम सोनिया की टेन्षन मत लो, वो तो अपनी फ्रेंड के घर गयी है आज. वो रात वही गुज़रेगी. तो आज की रात तुम सिर्फ़ मेरे हो, सिर्फ़ मेरे और मैं तुम्हारी." फिर दोनो किस करने लगे.

तभी दरवाजे पर नॉक हुई. तो दोनो तुरंत ही रुक गये.

"अरुण खाना तय्यार है, आ जाओ." स्नेहा की आवाज़ थी. जब कुछ देर तक और कुछ नही हुआ तो दोनो ने चैन की सास ली. माना कि स्नेहा को सब कुछ पता था लेकिन देखना कुछ ज़्यादा ही हो जाता. फिर दोनो ने जल्दी से कपड़े पहने. आरोही तो जल्दी से आँख मार निकल गयी, अरुण कुछ देर बाद रूम से निकलकर बाथरूम गया. वहाँ से मूह हाथ धोकर सीधा डाइनिंग टेबल पर जाके बैठ गया. आरोही वहाँ पहले से ही बैठी हुई थी.

चारो चुपचाप खाना खाने लगे. अरुण को तो ये अजीब नही लगा क्यूकी वो तो खाने पर ऐसे टूटा जैसे जन्मो से भूखा हो. कुछ देर बाद अरुण ने ध्यान दिया की आज डिन्नर के टाइम कुछ ज़्यादा ही खामोशी थी. वैसे तो हमेशा कुछ ना कुछ टॉपिक ऑन ही रहता था. चलो स्नेहा तो नॉर्मली वैसे भी चुप ही रहा करती थी लेकिन सुप्रिया और आरोही. ये दोनो क्यू शांत है? 

उधर स्नेहा को भी कुछ अटपटा सा लग रहा था. वो बार बार सुप्रिया और आरोही की तरफ बारी बारी देख रही थी. अरुण तो किसी भूके की तरह खाने मे मगन था. लेकिन इन दोनो को क्या हुआ? आरोही के चेहरे पर अजीब से भाव थे और कुछ कुछ देर बाद उसके चेहरे पर स्माइल आ जाती थी. हां सुप्रिया क्यू मुस्कुरा रही थी ये तो उसे पता था क्यूकी उसने दोनो के सेक्स की आवाज़ें सुनी थी. सुप्रिया और स्नेहा के रूम एक दूसरे से सटे हुए थे तो तेज आवाज़ें आर पर चली जाती थी. लेकिन आरोही क्यू? क्या इसने भी साथ मे किया? नही अभी नही. आवाज़ से तो सिर्फ़ दो ही लोग लग रहे थे. इन सब चीज़ो से उसकी क्यूरीयासिटी और बढ़ती जा रही थी. की आख़िर ऐसा क्या है उसके भाई मे जो बाकी तीनो इतना ज़्यादा उतावली थी उसके साथ सेक्स करने को? फिर उसे एक दम से एक ख़याल आया. की अगर उसे कोई सेक्षुयल एक्सपीरियेन्स मिल जाए तो वो ये बात आसानी से समझ सकती है.

एक तो इससे पहले उसके सामने इस चीज़ से रिलेटेड कोई प्राब्लम आई नही. स्कूल और कॉलेज, हर जगह उसका पूरा ध्यान सिर्फ़ पढ़ाई पर रहा. यहाँ तक की उसने बाय्फ्रेंड भी नही बनाया. ऐसा नही था कि लड़को ने उससे बात करने की कोसिस नही की. लेकिन उसने कभी उन पर इतना ध्यान ही न्ही दिया. और बाकी लड़कियाँ उसे ज़्यादा पसंद नही करती थी. क्यूकी स्नेहा से गॉसिपिंग तो हो नही पाती थी.

लेकिन जबसे अरुण ने उसे ये बताया की वो बाकी सब के साथ सेक्षुयली इंटिमेट है और जबसे उसने किस किया तबसे उसके अंदर एक अजीब से चीज़ जाग गयी थी. ये क्या था उसे खुद नही पता?

वो बड़े ध्यान से अपने भाई को अब्ज़र्व करने लगी थी तबसे. कैसे चलता है, किस तरीके से उसकी मसपेसिया हिलती थी. बिना शर्ट के वो उसे कुछ ज़्यादा ही अच्छा लगता था. उसके मन मे वो पिक्चर घूमने लगी जब उसने अरुण को बाथरूम मे नंगा देखा था. वो वही खड़ा हुआ था और उसका पेनिस बिल्कुल सीधा खड़ा हुआ था और उसकी ओर पॉइंट कर रहा था.

वो कुछ और देर उसके पेनिस को देखना चाहती थी लेकिन जब उसका ध्यान अरुण के चेहरे पर गया तो उसने जल्दी से दरवाजा बंद कर दिया. ये सब चीज़ें उसके मन से निकल ही नही पा रही थी. शायद इसीलिए बाकी सब भी उसके पीछे पड़ी रहती हैं

"शायद उसका पेनिस जादुई है," एक दम से उसने सोचा तो खुद अपनी हसी कंट्रोल नही कर पाई.

बाकी तीनो उसे ध्यान से देखने लगे. वो अपने ख़यालो मे इतना ज़्यादा खो गयी थी की उसे ध्यान ही नही रहा की वो टेबल पर सबके साथ बैठी थी. फिर उसे गोआ वाली बातें याद आने लगी, कैसे आरोही अपनी जीभ बाहर निकालकर उसके पेनिस को चूस रही थी. और जब अरुण के पेनिस से ईजॅक्युलेशन हुआ तब आरोही ने कितने मज़े से उसे निगल लिया था. एक पल की भी देरी नही की थी उसने.

वो सोचने लगी को उसका टेस्ट कैसा होता होगा. ऐसे ही उसके ख़याल अपने भाई और उसके लंड के इर्द गिर्द घूमते रहे. फिर जब अरुण ने उठकर अपनी प्लेट को सिंक मे रखा तब वो अपने ख़यालो से बाहर आई.

वो अरुण को उपर अपने कमरे मे जाते हुए देखने लगी. फिर उसने भी जल्दी से खाना ख़तम किया फिर सुप्रिया के साथ बर्तन धोने मे हेल्प करने लगी. कुछ देर बाद वो अपने रूम मे जाकर बिस्तर पर बैठ गयी. उसके मन से अरुण के लंड की तस्वीर निकल ही नही रही थी. वो अरुण के साथ की गयी सारी बातें याद करने लगी. जब उसने अरुण को बताया की उसने आज तक मास्टरबेट नही किया तो अरुण कितना चौंक गया था.

"क्या ये कामन चीज़ होती है?" उसने मन मे सोचा.

स्नेहा को ये समझ मे ही नही आ रहा था की ऑर्गॅज़म मे ऐसी क्या बड़ी बात होती है. और उपर से उसने आज तक ऑर्गॅज़म फील भी नही करा था तो उसे पता भी न्ही थी. सोचते सोचते वो जाके सीशे के सामने खड़ी हो गयी और अपने आप को निहारने लगी. उसके ब्रेस्ट्स बड़े थे, लेकिन सुप्रिया से कम. उसने क्यूरियस होकर अपनी टीशर्ट को उतार दिया और ब्रा के हुक को खोल दिया. और अपने नंगे दूधों को देखकर सोचने लगी कि क्या अरुण को ये ऐसे पसंद आएँगे. 

आने चाहिए, अरुण ने कहा भी था की उसके ब्रेस्ट्स पर्फेक्ट थे. उसे भी लगा की उसके ब्रेस्ट्स काफ़ी सही थे लेकिन उसने आज से पहले ये बात कभी सोची ही नही. शायद अरुण ने सही कहा था. उसने एक हाथ से अपने दूध को पकड़ा फिर निपल के चारो ओर उंगली फिरा कर निपल को दबा दिया.

"दट वाज़ नाइस," उसने सोचा, लेकिन फिर वो खुद को बेवकूफ़ समझने लगी क्यूकी वो अपने ही रूम मे सीशे के सामने आधी नंगी खड़ी होकर अपने ही दूधों के साथ खेल रही थी.

ये सोचकर उसने जल्दी से ब्रा पहनी और फिर टीशर्ट पहेन कर बिस्तर पर लेट गयी. आख़िर ये सेक्स इतना मज़ा क्यू देता है. वो किसी और बात पर ध्यान ही नही दे पा रही थी. उसने सोचा की कॉलेज शुरू होने से पहले उसे इन सवालो के जवाब पाने ही होंगे नही तो वो ढंग से पढ़ नही पाएगी. फिर उसे अरुण की बात ध्यान आई की वो कभी भी उससे कुछ भी पूछ सकती है.

वो जल्दी से उठकर अपने कमरे से बाहर चली गयी. अरुण के रूम के बाहर आकर पहले तो वो किसी और बहेन की आवाज़ सुनने की कोसिस करने लगी. फिर उसे कीबोर्ड की क्लिक क्लिक की आवाज़ सुनाई दी तो उसने धीरे से नॉक कर दिया.

"खुला है.." अरुण ने अंदर से कह दिया.

उसने गेट खोला और अंदर आकर बिना किसी आवाज़ के गेट को बंद कर दिया. अरुण ऐसे ही नेट सर्फ कर रहा था. स्नेहा को रूम मे देखकर अरुण प्यार से उसकी ओर स्माइल करने लगा. उसकी स्माइल देखकर स्नेहा के पेट मे गुदगुदी होने लगी.
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