bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
01-25-2019, 12:06 AM,
#42
RE: bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
अरुण का पारा सारी हदे तोड़कर उपर चढ़ने लगा. उसने अपनी हर बहेन पर गुस्सा आने लगा. उसने गुस्से मे जल्दी से कपड़े चेंज किए और अपने रूम मे जाकर बेड पर लेट गया.

"मैं सो जाता हूँ, उठुंगा तो सब ठीक हो जाएगा...हूऊऊहह." और गहरी गहरी साँसे लेकर सोने की कोसिस करने लगा.

उसने जैसे ही आँखें बंद करी तो आरोही स्नेहा के दूधों पर से बटर चाट रही थी, सुप्रिया उसके लंड को चूस रही थी. उसके मन मे यही तस्वीरें घूम फिर कर आने लगी. 

वो तुरंत ही सीधा होकर बिस्तर पर बैठ गया.."फक्क्क...फक्क्क...." अरुण थोड़ा तेज़ी से बोलने लगा.

"मैने कहा था भाई मत करो ये सब लेकिन नही...अब भुगत भोसड़ी के..चैन से सो तक नही पा रहा.." अरुण के दिमाग़ में उस आवाज़ ने चुटकी लेते हुए कहा

"एक्सर्साइज़," अरुण ने चुटकी बजाते हुए कहा."एक्शेरसीएस से सेक्षुयल टेन्षन कम होती है. एक्सर्साइज़ ही करता हूँ"

उसने जल्दी से लोवर और टीशर्ट पहनी और नीचे जाने लगा तो आरोही भी रन्निंग वाले कपड़े मे हॉल मे थे. उसे देख कर आरोही हँस पड़ी.."ट्विन आइंटूयीशन?" फिर उसके आगे हल्के हल्के भागने लगी.

अरुण की आँखें अपने आप ही उसकी गान्ड पर टिक गयी. और इस बार वो किसी भी तरीके से उन्हे वहाँ से हटा भी नही पा रहा था. अरुण लगातार आरोही के पीछे दौड़ता रहा और उसकी गान्ड को मटकते हुए देखता रहा.

आरोही सब जानकार मुस्कुराए जा रही थी. उसने अपनी गर्दन पीछे मोडी और कहा.."भाई एक ऑफर, अगर तुमने मुझे पकड़ लिया, तो 3 दिन तक बिल्कुल परेशान नही करूँगी." इतना कह कर वो तेज़ी से आगे भागने लगी.

"अब तो भागना ही पड़ेगा." अरुण अपने आप से बोला और वो भी उसके पीछे तेज़ी से भागने लगा. आरोही के पीछे पीछे अरुण को उसकी महक आने लगी, और वो उसकी खुसबू मे मदहोश होने लगा उसे वही खुसबू याद आने लगी जब वो दोनो बाथरूम मे थे. तो उसने कुछ पॅलो के लिए अपनी आँखें बंद कर ली. लेकिन फिर कुछ पल बाद आँखें खोली तो दोनो के बीच की दूरी और बढ़ गयी थी.

अब तो अरुण और मेहनत करके दौड़ने लगा. दौड़ते दौड़ते उसकी सास फूलने लगी लेकिन दोनो के बीच की दूरी भी कम हो रही थी. जितना पास वो आता जा रहा था आरोही की महक उतनी ही तेज होती जा रही थी. अरुण सोचने लगा जैसे ही पकड़ेगा आज चोद डालेगा. अब उससे नही रहा जाएगा.

"साले पहले क्यू नही बोला. भाग मिल्खा भाग. भाग मेरे शेर...हमें वो चूत चाहिए..." अरुण के दिमाग़ की आवाज़ ने अरुण का जोश बढ़ाते हुए कहा 

अरुण अब तो और जोश मे आकर स्पीड तेज करने की कोसिस करने लगा. उसने अपना हाथ आगे बढ़ाकर आरोही का कंधा पकड़ने की कोसिस करी लेकिन सिर्फ़ उंगलिया ही छू पाई कंधे को.

"डॅम इट!"

आरोही ने उसकी उंगलियों को महसूस किया तो मुस्कुरा दी और अपनी स्पीड को हल्का सा तेज कर दिया. आगे आख़िरी मोड़ था तो उसने अरुण को और सताने को सोचा. उसने थोड़ी सी स्पीड कम की तो अरुण को लगा कि वो पकड़ लेगा. लेकिन तुरंत ही वो मूड गयी और घर के दरवाजे पर जाकर खड़ी होकर हँसने लगी.

अरुण को अब एक एक कदम उठाना भारी पड़ रहा था. वो भारी कदमो से उसके पास से घर के अंदर आया और सोफे पर बैठ कर हाँफने लगा. आरोही पीछे हँसती हुई आई और उपर जाने लगी.

"रन्निंग के लिए थॅंक्स, भाई" वो उपर जाते जाते बोली.

अरुण ने गुस्से मे तकिये को मारना शुरू कर दिया. फिर कुछ देर बाद टीवी ओन करके देखने लगा. 

तब तक सुप्रिया वहाँ आई तो अरुण ने उसे देखा तो देखता ही रह गया. सुप्रिया ने वही एप्रन पहना था और शॉर्ट्स के साथ वाइट टीशर्ट.

"चूत...चूत..." अरुण के दिमाग़ मे वो आवाज़ शोर मचाने लगी

अरुण का पूरा चेहरा गुस्से और भागने से लाल था. उसकी सास नॉर्मल हो चुकी थी लेकिन बॉडी पूरी गर्म थी. उपर से जब सुप्रिया ने उसे देखकर एक स्माइल पास करी तो उसका गुस्सा और बढ़ने लगा. सुप्रिया अंजान बनते हुए उसके सामने ही कपड़े फोल्ड करने लगी और अरुण को अपने क्लीवेज के दर्शन करवा रही थी.

"देख तेरी दी कितनी बुरी है. उसे पता है तेरा खड़ा हो जाता है जब तू उन्हे ऐसे देखता है. और देख तुझे परेशान करने के लिए तेरे सामने झुकी है.." अरुण के दिमाग़ में उस आवाज़ ने अरुण को उकसाते हुए कहा

बस इस बात ने अरुण के सारे बाँध खोल दिए. उसके अंदर की सारी सेक्षुयल टेन्षन उबाल लेने लगा. इतने दिनो से जितना कुछ उसने अपने अंदर समेट कर रखा था सब बाहर आने को उतावला होने लगा. वो तुरंत ही सोफे से उठा और भागकर सुप्रिया को पकड़कर कंधे पर उठा लिया.

"अरुण ये क्या हरकत..." सुप्रिया उसकी पीठ पर मारते हुए बोलने लगी.

अरुण चुपचाप उसे लेकर आगे बढ़ने लगा.

सुप्रिया को पहले तो लगा की अरुण दोबारा उसे पूल मे डालेगा लेकिन जब वो बेडरूम की तरफ मुड़ा तो उसके चेहरे पर एक स्माइल आ गयी.

अरुण अब पूरी तरीके से अपनी हवस के बस मे था. उसका पूरा का पूरा ध्यान सिर्फ़ एक चीज़ पर ही था..सुप्रिया. उसने अपने पीछे दरवाजे को बंद किया और सुप्रिया को बिस्तर पर रख के उसके एप्रन को फाड़ दिया.

"अरुण एक मिनट..." सुप्रिया बोली, लेकिन तुरंत ही अरुण के होठों ने उसके होठों को बंद कर दिया. 

"अब टीशर्ट भी फाड़ दे." अरुण के दिमाग़ मे उस आवाज़ ने कहा

अरुण ने उसकी टीशर्ट को पकड़कर फाड़ दिया. वो अपने होठों को नीचे करके उसकी गर्दन को चूम कर जल्दी से दूधों पर पहुचा और उन्हे चूस्ते हुए उसके शॉर्ट्स को उतार दिया. फिर खुद हटकर अपने कपड़ो को जल्दी से उतार कर फेकने लगा. अंडरवेर उतरते ही उसका लंड पूरे उफान के साथ खड़ा हुआ था. उसके सुपाडे से प्री-कम की बूंदे सॉफ सॉफ चमक रही थी.

सुप्रिया अभी भी इसी बात मे खोई हुई थी एक दम से अरुण का सब्र कैसे टूट गया कि अरुण ने दोबारा अपना ध्यान उसके उपर कर दिया. जैसे ही अरुण ने पैंटी को फाडा सुप्रिया की आह निकल गयी.

"ओह गॉड, स्वीतू यस....आह", सुप्रिया बोली जब अरुण ने उसे बिस्तर पर धकेल दिया और उसके पैर घुटनो से पकड़कर खोल दिए. फिर उसके पैरो के बीच अपनी हवस भरी नज़रो से देखने लगा. उसने सुप्रिया के दोनो पैर अपने कंधो पर रखे, और उसकी कमर को अपनी ओर खींचकर लंड को चूत पर सेट कर दिया. पहले तो थोड़ी देर उसने लंड को बाहर बाहर से ही उसकी चूत पर रगड़ा जिससे उसके प्रेकुं से चूत भी गीली हो गयी.

"घुसेड दे अब."अरुण के दिमाग़ में आवाज़ ने कहा

अरुण को ये तो पता था कि वो अपनी दी को ज़्यादा चोट नही पहुचाएगा लेकिन थोड़ा दर्द तो बनता ही था.

सुप्रिया की तेज आह निकल गयी जैसे ही उसका लंड उसकी चूत की दीवारो को चीरते हुए अंदर तक गया. वो उसकी चूत के पूरे मज़े लेते हुए लंड को चूत के अंदर बाहर करने लगा. हर धक्के के साथ सुप्रिया की मस्ती भरी आह छूटने लगी. सुप्रिया अपनी चूत की प्यास को बुझाने के लिए अपनी कमर को और ज़्यादा हिलाने लगी. अरुण भी पूरी गहराई तक अपने लंड को पेलता, और उसकी गहरी, चिकनी चूत का मज़ा लेते हुए मस्त होने लगा. उसने सुप्रिया की कमर को पकड़कर हल्का सा उठा लिया और फिर और तेज़ी से धक्के मारने लगा. सुप्रिया ने आँखें खोलकर अपनी नज़रें उसकी नज़रों से जोड़ दी और एक टक उसे देखने लगी.

"ओह गॉड, येस्स्स्स्स.....लेकिन थोड़ा..आअर...अह्ह्ह्ह.." सुप्रिया धक्को और आहों के बीच मे कहने लगी लेकिन इस वक़्त अरुण तो किसी और ही दुनिया मे खोया हुआ था. अरुण की नज़रो के सामने इस वक़्त सिर्फ़ सुप्रिया के सीन ही घूम रहे थे जब उसने उसे उत्तेजित करके बीच मे छोड़ दिया था. तो उसने कमर को और उठाकर बिल्कुल सीधा कर दिया और बेड पर उपर नीचे होकर लंड को पेलने लगा. सुप्रिया का सिर तकिया मे घुसा जा रहा था और उसकी चीखें और आहें निकलती जा रही थी. फिर अरुण ने उसका एक पैर उठाकर अपने कंधे पर रखकर चोदने लगा. थोड़ी देर ऐसे ही धक्के मारने के बाद उसने लंड को चूत से बाहर निकाला और सुप्रिया को पलटकर पेट के बल कर दिया. फिर उसकी दोनो टाँगो को उठाकर अपने कंधे पर रखा और दोबारा अपने लंड को उसकी चूत के साथ मिला कर झटके पर झटके देने लगा. सुप्रिया भी मुस्कुराते हुए अपने होठ काटने लगी और हल्की हल्की सिसकी लेने लगी.

"ओह...अरून्न्ञन्...अह्ह्ह्ह...यस....आरुन...येस्स्स..." सुप्रिया ने अपने हाथों को नीचे रखकर अपनी उपर की बॉडी को हवा मे उठाते हुए कहा. अरुण पूरे जोश के साथ उसे चोद रहा था...पूरे कमरे मे चूतड़ और जांघों के मिलन से थप्प थप्प की आवाज़ गूँज़ रही थी.

फिर तुरंत ही उसने चोदना बंद कर दिया तो सुप्रिया के चेहरे पर असमंजस के भाव आने लगे. अरुण ने सुप्रिया को उठाया और दीवार के पास ले जाने लगा.

"यअहह....दीवार से सटाकर चोद साली को....ओह एआहह.." अरुण के दिमाग़ की आवाज़ ने मज़े लेते हुए कहा

अरुण ने भी देर ना करते हुए सुप्रिया को दीवार से सटा दिया और उसकी एक टाँग को अपने हाथ से पकड़कर लंड को एक ही झटके मे अंदर तक पेल दिया. सुप्रिया ने मस्ती मे भरकर अपने दाँतों से उसके कंधे पर निशान डाल दिए और अपने नाखूनों से उसकी पीठ को नोचने लगी.

"आहह..भाई...सो गूओड़...अरुंण....रुकना मत...आआहह...जो चाहो..आहह..उःम्म्म्मम...वो करो....चोद डालो मुझे.....चोद दो अपनी बहेन को..आअहह...ओह्ह्ह्ह...येस्स्स्स.." सुप्रिया उसकी गर्दन को काटते हुए कहने लगी.

अरुण का ऑर्गॅज़म बनने लगा तो उसकी स्पीड और तेज हो गयी. दोनो के शरीर पूरे तरीके से पसीने से लथपथ थे. सुप्रिया के दूध बुरी तरह से दोनो के बीच पिसे पड़े थे. उसने हाथ बढ़ाकर उसके बालों को अपनी मुट्ठी मे क़ैद किया और वही उसे उठाकर बेड पर लाकर पटक दिया. पूरे रास्ते उसका लंड चूत से बाहर नही आया. फिर बेड पर वो बालो को पकड़े पकड़े धक्के मारने लगा. कुछ ही पॅलो बाद अरुण को सुप्रिया की चूत मे कसावट महसूस होने लगी. सुप्रिया की बातें और उसके चेहरे के भाव देखकर तो उससे और रहा नही गया और उसके शरीर मे एक के बाद एक मस्ती की लहर दौड़ने लगी. सुप्रिया के पूरे शरीर मे हलचल होने लगी, यहाँ तक की मस्ती मे उसने अपने पैरो के अंगूठे और उंगलियों को भी मरोड़ना सुरू कर दिया.

"आहह..अरुण...आअहह,यस....चोदो..और चोदो..," सुप्रिया चीख कर बोली, उस समय अगर उसके सामने कोई भी आ जाता तब भी वो रुकने वाली नही थी. इधर अरुण ने अपने रस को उसकी चूत मे चोदना शुरू कर दिया, हर झटके के साथ उसकी भी आह छूटने लगी. जब कुछ मिनूट बाद उसका क्लाइमॅक्स ख़तम हुआ तो वो निढाल होकर सुप्रिया के उपर गिर गया और बहुत धीरे धीरे उसकी गर्दन को काटने और चूमने लगा. उधर सुप्रिया अरुण के रस को अपनी चूत से रिस्ते हुए महसूस करके खुद के ऑर्गॅज़म के मज़े लेने लगी. उसने भी अरुण की पीठ पर अपने हाथ घुमा लिए.

"वाउ," वो मस्ती मे हँसते हुए बोली, उसका पूरा चेहरा लाली से चमक रहा था. "मुझे लगता है, हुहह..हम लोगो को तुम्हे ऐसे ही परेशान करते रहना चाहिए...अगर एंड मे तुम ये करने वाले हो," वो उसे चूमते हुए बोली.

"दी...अगर आप लोगो ने ऐसा कुछ किया तो मुझे घर छोड़ कर सही मे जाना पड़ेगा.." अरुण कराहते हुए बोला, फिर उसके उपर से उतरकर साइड मे लेट कर उसे अपने साथ चिपका लिया.."आइ'म सॉरी, दी. मुझसे अब कंट्रोल नही होता.."

"सॉरी? उसकी कोई ज़रूरत नही. और यहाँ से निकलने की तो कभी सोचना भी मत. कभी नही मतलब कभी नही." सुप्रिया ने उसके होठों को अपने होठों मे रखकर चूस्ते हुए कहा...फिर उसके लंड को अपने हाथ मे लेकर कहने लगी."तुम्हे लगता है तुम इससे दोबारा खेलने के लिए कह सकते हो"

"उहह," अरुण कराह कर बोला.."आप कोसिस कर सकती हो, लेकिन लगता नही कि वो कुछ घंटो तक खेलना पसंद करेगा."

"उनन्ं" सुप्रिया बुरा से मूह बनाकर बोली फिर हँसकर उसे किस करने लगी. कुछ देर किस करने के बाद वो आराम से उसके सीने पर सिर रखकर लेट गयी. "यू नो अरुण, आइ'म रियली हॅपी कि अब तुम हम लोगो को रेज़िस्ट नही करने वाले. आइ लव यू, स्वीतू."

"आइ लव यू टू, दी."

"ओह यअहह....बयतेवेी...यअहह....ईप्पपप्प्प्प्प्प्प्प्प्प्पीईईईईई...आइ विन्नननननननननननणणन्.....ईईईईईईईईईईईई.....ववववववीीईईईईईईईईईन्न्ननणणन्...मैं जीत गया भडुए....मैं जीत गया." अरुण के दिमाग़ की आवाज़ ने अपनी खुशी का इज़हार करते हुए कहा 

"ओह्ह्ह्ह..फक मी.." अरुण अंदर ही सोचते हुए बोला.

"कल तो बदले का दिन है..हाहहहहहहः...." दिमाग़ के आवाज़ ने अरुण को बताया

"कॅन'ट वेट..." अरुण मायूसी से बोल दिया.

इतनी तेज चुदाई के बाद अरुण सुप्रिया के आगोश मे ही चैन से सो गया. लगभग 1 घंटे बाद सुप्रिया की आँख खुली तो उसने घड़ी की तरफ नज़र की. डिन्नर का टाइम हो गया था. उसने धीरे से अरुण की तरफ मूह करके उसे किस कर दिया. और उसे हल्के से हिलाने लगी.

अरुण नींद मे ही कुछ बडबडाने लगा. "नही दी..बस इतना ही खाउन्गा." और खर्राटे लेने लगा.

सुप्रिया को ये सुनकर हँसी आ गयी. उसने उसे दोबारा किस किया और उठकर बाथरूम चली गयी और गुनगुने पानी से शवर लेने लगी. शवर लेते हुए वो अभी जो कुछ हुआ उसके बारे मे सोचने लगी. उसे ये तो पक्का पता था कि अरुण जल्दी ही कंट्रोल खोने वाला था लेकिन इस तरीके से बेकाबू होकर सेक्स करेगा ये उसने बिल्कुल नही सोचा था. लेकिन उसे मज़ा भी काफ़ी आया था.

इन सब चीज़ो से उसकी जिंदगी मे काफ़ी चेंजस आए थे. उसने आरोही और सोनिया को एक अलग ही नज़र से देखना शुरू कर दिया था. आरोही के साथ एक अलग ही रिश्ता बन गया था उस रात के बाद. एक तो आरोही भी जाने कितना बदल गयी थी. कहाँ वो सिंपल सी चुलबुली लड़की थी और अब सेक्स के पीछे बिल्कुल क्रेज़ी. सुप्रिया अपने बदन पर साबुन लगाने लगी. और आँखें बंद करके उस रात को याद करने लगी जब उन तीनो ने एक साथ प्यार का भरपूर आनंद लिया था. उसने कभी नही सोचा था की वो और आरोही ऐसा कुछ करेगी. लेकिन उस रात सब कुछ अपने आप ही होता चला गया जैसा की ऐसा होना ही ठीक था.

आरोही की जीभ का अहसास अपनी चूत पर याद आते ही एक ठंडी लहर सी दौड़ गयी सुप्रिया की बॉडी मे. उसके हाथ अपने आप ही साबुन लगाते लगाते चूत पर चले गये. उसे अरुण के उस मूसल लंड का अहसास भी काफ़ी अच्छा लगा था लेकिन आरोही की जीभ इतनी गरम और सॉफ्ट थी कि उसको शब्दो मे बयान नही किया जा सकता था. वो दोबारा उस अहसास को पाना चाहती थी लेकिन उसे ये समझ नही आ रहा था कि वो ये बात आरोही से कैसे कहे. उपर से आरोही की सुई तो आजकल सिर्फ़ अरुण पर ही टिकी हुई थी.

"बेचारी.." सुप्रिया के मूह से अनायास ही निकल गया जब उसे ध्यान आया कि आरोही अभी तक वर्जिन थी और जैसे ही उसका नंबर आने वाला था तभी अरुण ने ये शर्त वाला धमाका कर दिया. उसे आरोही के थोड़ा बुरा भी लगने लगा. लेकिन अब तो अरुण शर्त ख़तम कर चुका है तो अब आरोही को जो चाहिए वो मिल जाएगा. उसके बाद वो आरोही से इस बारे मे बात करेगी.

फिर वो शवर बंद करके बाहर निकली और रूम मे जाकर पैंटी पहनी. उसने पास मे पड़ी हुई अरुण की शर्ट को उठाया और नाक के पास ले जाकर उसकी मदहोश करने वाली महेक का आनंद लेने लगी. उसने उसी शर्ट को पहेन लिया और धीरे से बाहर निकलकर दरवाजा बंद कर दिया.

"मेरी बारी?" आरोही ने सोफे पर बैठे बैठे पूछा.

सुप्रिया ने उसकी ओर देखकर मुस्कुरा दिया और उसके पास जाकर बैठ गयी.

"अरुण अभी बहुत थक गया है और सो रहा है, आरू." उसने आरोही को गले लगाकर उसके गाल चूमते हुए कहा. फिर उसे अलग करके उसकी आँखो मे देखते हुए कहने लगी.."और टेन्षन मत लो, मुझे पूरा यकीन है कि कुछ टाइम बाद वो बिल्कुल रेडी हो जाएगा, शायद डिन्नर के बाद."

आरोही हंसते हुए बोली.."थकना तो था ही. आप दोनो ने तो पूरा घर ही हिला कर रख दिया. मैं तो नीचे पानी लेने आई थी, आपके कमरे से इतनी आवाज़ें सुन मैने कीहोल से देखा."

ये सब सुनकर सुप्रिया का चेहरा लाल होने लगा. वो और आरोही दोनो एक दूसरे से चिपके बैठे थे और दोनो की बाहें एक दूसरे के गले मे थी. दोनो की नज़रें आपस मे मिली तो सुप्रिया धीरे से आगे की ओर झुकने लगी. वो सोचने लगी कि प्लीज़ आरोही किस करने से मना ना कर दे. वो दोबारा अपनी बहेन के साथ होने का अहसास पाना चाहती थी. सुप्रिया ने अपने गीले होठ आरोही से सटा दिए और फिर एक चैन की साँस ली जब उसे महसूस हुआ कि आरोही भी उसे वापस किस कर रही है. दोनो कुछ देर एक दूसरे के होठों का मज़ा लेते रहे फिर आरोही हल्के से हँसते हुए अलग हो गयी और उसने सुप्रिया के गाल को चूम लिया.

उसने अपनी बड़ी बहेन की ओर देखते हुए मुस्कुरा दिया. "मुझे लगा था कि उस रात के बाद आप कभी मुझे ये मौका नही देने वाली हो," उसने अपनी मन की बात सुप्रिया को कही तो सुप्रिया के चेहरे पर एक स्माइल आ गयी.

"मुझे भी यही डर था. मुझे लगा कि तुम अब मेरे साथ कुछ पल शेयर नही करना चाहती."

आरोही ने तुरंत ही उसके सिर को पकड़कर अपने पास कर लिया और अपने होठ उसके होठों मे पेवस्त कर दिए. सुप्रिया के नरम होठ खुलते चले गये और आरोही अपनी जीभ उसके होठों के रास्ते उसके मूह मे डालती चली गयी. दोनो की जीभ एक दूसरे के मूह मे डॅन्स करने लगी. आरोही उसके होठों को चूसने के बाद उसके गालों को चूमते हुए गर्दन तक पहुचि और उसकी गर्दन पर हल्के हल्के चूसने और काटने लगी. काफ़ी देर बाद दोनो ने एक दूसरे को अपने आलिंगन से आज़ाद किया.

"वैसे तुमने ऐसा क्या किया कि उसने अपना सारा कंट्रोल खोकर मेरे उपर हमला कर दिया?" सुप्रिया ने आरोही के गालो को सहलाते हुए पूछा.
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