bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
01-24-2019, 11:57 PM,
#5
RE: bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
5
उधर सोनिया की तरफ देखते देखते अरुण पता नही क्या क्या इमॅजिन करने लगता है.
उधर उसके मन मे आवाज़ें आ रहीं हैं "बूब्स दूध मम्मे.गंद.चूतर..आआह्ह."

उसकी नज़र तब जाके स्नेहा दी की तरफ़ पड़ी. और वो सोचने लगा कितनी सुंदर दी हैं उसकी. इनका तो कभी बाय्फ्रेंड वग़ैरह भी नही रहा. और क्योंकि वैसे भी आज उसके हॉर्मोन्स हाइ थे तो वो सोचने लगा क्या कभी किसी ने स्नेहा दी के दूध छुए होंगे. क्या स्नेहा दी वर्जिन होंगी.?? फिर तुरंत ही उसके मूह से निकला "कर क्या रहा हूँ आख़िर मैं." और पूल के दूसरी साइड जाके सफाई करने लगा. फिर उसकी नज़र आरोही की तरफ पड़ी जो पेड़ की छाया मे अपना एक हाथ आँखों पर रख के सो रही है शायद. उसने पतली सफेद टीशर्ट और ब्लू कॅप्री पहनी हुई है. वो देखने लगा कि उसके बूब्स थोड़े छोटे थे. सोनिया से थोड़े से छोटे. उसे हमेशा लगता था कि आरोही अभी भी वर्जिन ही होगी. जुड़वा होने का साइड एफेक्ट शायद जो ये बात उसे लगती थी.

इन्ही सब बातों को सोचते हुए वो दोबारा पूल की सफाई मे जुट गया.

इधर सोनिया अब अपना योगा करके मॅगज़ीन पढ़ रही थी. लेकिन वो मॅगज़ीन पर ध्यान ही नही दे पा रही थी. वो बार बार अरुण को पूल की सफाई करते हुए देखती और हर बार एक गुस्से की लहर उसके अंदर उमड़ पड़ती. उसे समझ मे नही आ रहा था कि आख़िर एक इंसान उसे इतना कैसे इरिटेट कर सकता है. वो उसकी मसल्स और बॉडी की तरफ़ देखने लगती है और उसके चेहरे पर एक हल्की स्माइल आ जाती है. लेकिन फिर तुरंत ही उसे अपने उपर गुस्सा आने लगता है जब उसे रीयलाइज़ होता है कि वो अपने डफर भाई की बॉडी की तारीफ कर रही होती है.

अरुण तब तक पूल की सफाई पूरी कर चुका था.
इसके बाद उसने ऐसे ही अपनी तीनो खूबसूरत बहनों की तरफ नज़रें घुमाई. बस यही ग़लती कर गया. वो तीन सुंदरता की देवियाँ वहाँ आराम फर्मा रही थी. उन तीनो को देखकर तो किसी का भी मन डोल जाए तो अरुण तो बैसे भी सुबह से ही सेक्स का मारा हुआ था. सोनिया की जंघें, स्नेहा के बूब्स और आरोही की कॅप्री के बीच से पता चलती उसकी दरार को देखकर अरुण के लंड महाराज ने अपना सिर उठा दिया था.

अरुण ने तब पूल से निकलने की सोची लेकिन जब उसका ध्यान अपने हथियार की ओर गया तो वो बड़ा सावधानी से अपनी बहनों की नज़र बचाकर पूल से बाहर निकला और अपने आप को सुकून देने के लिए वहाँ पड़े प्रेशर पाइप से पानी की धार अपने सिर पर डालने लगा. लेकिन इससे कुछ फ़ायदा तो हुआ नही उल्टा उसकी तीनो बहनों की आँखें चौड़ी ज़रूर हो गयीं. अरुण ने सोचा अब इस से बचने का एक ही तरीका है कि मास्टरबेट कर लिया जाए.

"आअह...सोनिया.." ये कहकर उसके मन मे हँसी की आवाज़ आने लगी.

अरुण तेज़ी से पीछे के दरवाजे की ओर गया और हाल मे एंटर होने ही वाला थी कि सुप्रिया तब तक वहाँ तौलिया लेकर आ गयी और बोली.."ऐसे गंदगी फैलाओगे क्या फर्श पर..कपड़े देकर जाओ.."

"नही मैं उपर से चेंज करके दे दूँगा.." अरुण जल्दी से बोला.

"और उपर से तुम्हे भी तो याद करना है.."ऐसा उसकी मन मे आवाज़ आई.

लेकिन सुप्रिया फर्श तो गंदा होने नही देने वाली थी तो दोबारा फोर्स किया. तो अरुण ने अपनी जीन्स का बटन खोलके एक हाथ से अपना बॉक्सर पकड़कर दूसरे हाथ से जीन्स नीचे करने लगा. पर जैसा हम चाहते हैं वैसा तो हो नही सकता सो जीन्स उपर से भीगी हुई तो नीचे तो हो नही रही थी. तो सुप्रिया ने सिर्फ़ मदद करने के लिए उसकी जीन्स को पकड़कर थोड़ी फोर्स के साथ नीचे कर लिया.और जीन्स नीचे हो भी गयी लेकिन...

जीन्स के साथ साथ अरुण का बॉक्सर भी नीचे आ गया और इसके कारण अरुण का लंड फुफ्कार कर खड़ा हो गया और सुप्रिया जोकि बैठ के जीन्स उतार रही थी उसके होठों से रगड़ ख़ाता हुआ उछलने लगा. इसके कारण सुप्रिया एक दम से पीछे को हटी और फर्श पर गिर पड़ी और एक दम से उसका हाथ अपने मूह पर आ गया...

"शाबाश मेरे शेर"उसके मन ने कहा.

"ओह माइ गॉडसॉरी".. बस इतना कह के अरुण तेज़ी से जीन्स और बॉक्सर्स को हाथो से पकड़कर सीढ़ियों से उपर भाग गया..
"वाउ.." बस इतना ही सुप्रिया के मूह से निकल पाया..
"वाउ..."
अरुण तेज़ी से भाग कर अपने रूम मे पहुँचा और सोचने लगा इस कंडीशन से बाहर कैसे आया जाए.

एक तो उसका हथियार शांत होने का नाम नही ले रहा था. तो उसने अपने ड्रॉयर से लोशन निकाला और एक कपड़े को कंधे पर डालकर मूठ मारने लगा.
पहले तो पॉर्न को याद करने लगा पर जब उससे फ़ायदा नही हुआ तो फिर सोनिया के बारे मे सेक्सी बातें सोचने लगा. उसके मन मे दिखाई देने लगा सोनिया अपने सेक्सी चिकने दूधों पर तेल मसल रही है. उसके दूध बिल्कुल सफेद, कॉनदार है. छोटे छोटे हल्के पिंक रंग के निपल और साथ मे वो अपने दोनो हाथों से उनको मसल रही है निपल्स को खींचकर उन्हे मसल रही है और साथ मे हल्की हल्की आहें उसके गले से बाहर आ रही हैं..

"ओह सोनिया..सोनिया...सोनिया" बस यही राग अलापता जा रहा था.

"अरुंण.."

अरुण के हाथ एक दम रुक गये. उसे याद आया कि वो अपने रूम का दरवाजा लॉक करना भूल गया था. उसकी पीठ दरवाजे की तरफ है...

"शिट...शिट...शिट" अरुण मन मे सोचता है ये तो सुप्रिया दी की आवाज़ है..

"अरुण तुम ठीक हो...इधर देखो.." सुप्रिया आगे बढ़के उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहती है.

"ह्म्म" अरुण बिना पलटे जवाब देता है..

"मैने कहा इधर देखो.." सुप्रिया एक तरीके से ऑर्डर देते हुए उसके कंधा अपनी तरफ खींचती है..

अरुण अपना लंड हाथ मे लिए अपनी सुप्रिया दी के सामने पलटता है उसकी आँखें बंद हैं..
सुप्रिया जैसे ही ये देखती है वो थोड़ा पीछे हट जाती है..

"मैं..म..मैं.." अरुण के मूह से शर्म के कारण शब्द नही निकलते और आँखें बंद ही रखता है..लेकिन अपने हाथों से जीन्स और बॉक्सर उपर चढ़ा लेता है.

"स्वीतू .. एंबरस्स होने की ज़रूरत नही है...ये तो नॉर्मल चीज़ है.. मैं भी करती हूँ हालाँकि तुम्हारे जितना नही और ना ही मैं अपनी बहनों के बारे मे सोचती हूँ ये करते वक़्त.." सुप्रिया बड़े प्यार से दिलासा देते हुए बोली..
अब तो अरुण और ज़्यादा शर्म से गढ़ा चला जाता है...
अरुण का पूरा चेहरा लाल हो चुका है. उसकी इच्छा हो रही की बस अभी धरती फट जाए और वो उसमे समा जाए.

"भाई कुछ तो बोलो.."

"क्या बोलू. आज तो सही मे जिंदगी का सबसे बेकार दिन है. पहले नीचे तुम्हारे साथ वो...और अब तुमने मुझे मास्टरबेट करते हुए पकड़ लिया वो भी अपनी ही बहन को इमॅजिन करते हुए..."ऐसा लग रहा था जैसे अरुण बस रोने ही वाला हो.

"आइ आम सॉरी...मैने तुम्हे नीचे कपड़े उतारने को मजबूर किया जिसके कारण..." सुप्रिया बोली..

"जिसके कारण तुम्हारे मूह से मेरा वो टकरा गया..."अरुण रुंधी सी आवाज़ मे बोला.

"ष्ह...मैं गुस्सा नही हूँ स्वीतू.." सुप्रिया प्यार से बोली. "कॅन वी टॉक? तुम शायद थोड़ा अच्छा महसूस करोगे..."

"इससे बढ़िया मैं अपने आप को किसी कोठरी मे बंद कर लूँगा..." अरुण आँखें नीचे करे करे ही बोला..

"वैसे तुम ये करते वक्त अपनी बहेन को क्यू याद कर रहे थे??"

"मुझे खुद नही पता दीं मुझे क्या हो गया है. आज सुबह से कुछ ज़्यादा ही जैसे मेरा क्लाइमॅक्स होने वाला था एक दम से इमेज आ गयी मेरे मन मे.." अरुण दूसरी तरफ मूह करके बोला..तब तक अरुण बेड पर और सुप्रिया सामने कुर्सी पर बैठ जाती है.

"तो कौन थी वो? स्नेहा.." सुप्रिया ने बड़ी उत्सुकता के साथ पूछा..

"सोनिया..." अरुण बहुत धीमे से बोलकर सुप्रिया की तरफ देखने लगता है...
अरुण का चेहरा ये कहते वक़्त बिल्कुल गर्म और लाल हो जाता है.

"सोनिया? सच मे.."

अरुण उपर की ओर देखता है तो सुप्रिया के चेहरे पर कन्फ्यूषन देखता है.

"मैं कह रहा हूँ इसका नाम ले ..मज़ा आएगा.."

"क्यू सोनिया मे क्या दिक्कत है..शी ईज़ हॉट आंड सेक्सी.." अरुण अपनी मन की आवाज़ को ना सुनकर सोनिया को डिफेंड करता है. उसे खुद विश्वास नही होता कि वो सोनिया को बचाने को डिफेंड करने की कोशिस कर रहा है..

"मैं जानता था तेरा सोनिया के लिए ही खड़ा होता है.."

"प्लीज़ तुम चुप रहो तुम्हारे कारण ही ये हो रहा है" अरुण मन मे सोचता है..

"नही सोनिया मे कोई प्राब्लम नही है बट मैने सोचा अगर तुम किसी के बारे मे सोचोगे तो वो या तो स्नेहा होगी. क्यूकी उसके बूब्स भी लगभग पर्फेक्ट हैं या फिर आरोही...वैसे भी तुम और आरोही काफ़ी क्लोज़ हो.." सुप्रिया उसकी तरफ देखते हुए कहती है..

"भाई मैं बता रहा हूँ तेरी दीदी पक्का लेसबो हैं..देख इनकी भी नज़र है स्नेहा दी के मम्मो पर..हहा"

"प्लीज़" अरुण मन मे सोचता है और सुप्रिया की ओर बहुत ही असमंजस से देखने लगता है. उसे अपने कानो पर यकीन ही नही होता कि उसकी सुप्रिया दी जो इतनी सीधी और सिंपल दिखती हैं वो स्नेहा दी के बूब्स भी नोटीस करती होंगी.

"व्हाट?? ऐसे क्या देख रहे हो..अब मैं डेली इसी घर मे तो रहती हूँ तो एक दो चीज़ तो नोटीस कर ही लेती हूँ.." सुप्रिया अपनी सफाई पेश करती है..

"लेसबो...लेसबो..लेसबो...तेरी दी लेसबो...हरे"

इधर उसके मन मे पार्टी सेलेब्रेशन चल रही है..
"दी मैं हमेशा ऐसा थोड़ी ना करता हूँ..बस पता नही कैसे आज ही ये पहली बार हुआ कि सोनिया का ख़याल आया हो जहेन मे मास्टरबेट करते वक़्त.." अरुण सुप्रिया की नज़रों को बचाता हुआ कहता है.
वो आरोही और सोनिया वाली बात अपने तक ही रखता है.

"इसमे इतना परेशान होने वाली कोई बात नही है भाई..सबके मन मे मास्टरबेट करते टाइम अजीब से खायल आते हैं.." सुप्रिया उसकी नज़रों को ढूँडने की कोसिस करती है. पर अरुण उसकी नज़रों से नज़रें मिला ही नही पा रहा है..

"अरुण.."

"क्या दी..?"

" तुम्हारा ये अभी तक एरेक्ट कैसे है?? मुझे आए लगभग 15 मिनिट हुए हैं तबसे अभी तक ये उसी कंडीशन मे हैं..मुझे तो ऐसा लग रहा है जैसे तुम्हे इससे दर्द हो रहा हो..ये नॉर्मल कब तक होगा??" सुप्रिया बड़ी जिग्यासा के साथ उसके लंड की तरफ उंगली करके उसे बताती है.

अरुण इस बार सुप्रिया की आँखों की तरफ देखता है..
" पता नही दी..ऐसा लगता है जैसे ये नॉर्मल होना ही नही चाहता..चाहे मैं कुछ भी कर लूँ.." अरुण थोड़ा परेशान होके कहता है.

"तो तुम मास्टरबेट करते हुए कुछ देख क्यूँ नही लेते लाइक प..पॉर्न वग़ैरह..??" सुप्रिया अपनी नज़रें बचाते हुए कहती है. उसकी आँखें बार बार अरुण के चेहरे और लंड के बीच उपर नीचे हो रही हैं..

"ओह येस..तेरी दी तुझे सेक्स ज्ञान दे रही हैं..इसे कहते हैं दी.."

"कोई फ़ायदा नही दी.." 

"तो कुछ इमॅजिन ही कर लो"

"जैसे ही कुछ इमॅजिन करूँगा दोबारा सोनिया आ जाएगी दिमाग़ मे.."

"सोनिया ही क्यूँ?? स्नेहा क्यूँ न्ही?? और आरोही...क्या बस सोनिया ही बसी पड़ी है दिमाग़ मे??" वो हल्की स्माइल के साथ पूछती है..

"सोनिया...ओह मेरी सोनियाअ.."

"ये मेरी जिंदगी का सबसे बेकार दिन है" अरुण अपने चेहरे पे अपने हाथों को रखते हुए कहता है.

"ओह स्वीतू..मैं तो बस हेल्प करना चाहती हूँ.."

"ऐसा नही है कि सिर्फ़ सोनिया आती हो..तुम सब आती हो कभी ना कभी मेरे दिमाग़ मे..आइ कॅंट कंट्रोल इट दी..पिछले कुछ सालों से ऐसा ही हो रहा है.."

"हम सब?? इसका मतलब क..क्या..."
सुप्रिया थोड़ा सा शरमाते हुए बोलने की कोसिस करती है. 

इस बार अरुण के चेहरे पर बहुत हल्की सी स्माइल आ जाती है जो वो जाहिर नही होने देता.." हां दी आप भी.."

सुप्रिया का चेहरा ये सुनते ही लाल हो जाता है और वो अपनी नज़रें चुराने लगती है..

"और दी आजकल तो आप कुछ ज़्यादा ही..."

"म..म्म..मैं??"
कुछ सेकेंड्स के लिए बिल्कुल सन्नाटा छा जाता है. अरुण और सुप्रिया की आँखें इस वक़्त एक दूसरे से मिलने की हिम्मत नही कर पा रही है. सुप्रिया के गालों पर हल्का हल्का गुलाबी रंग चढ़ना स्टार्ट हो गया है.

"मैं क्यू??" सुप्रिया हकलाकर पूछती है..

"बिकॉज़ यू हॅव अवेसम सेक्सी चिकनी मलाईदर दूध..." इसके बाद अरुण के दिमाग़ मे सीटियाँ बजने लगती हैं..

"मतलब दी.." अरुण कुछ समझ नही पाता..

"मतलब मैं क्यूँ?? ना तो मैं सोनिया जितनी खूबसूरत हूँ..ना मेरे स्नेहा जितने ब..बूब्स पर्फेक्ट हैं..ना आरोही की तरह मेरी बॉडी सेक्सी है फिर मैं क्यूँ??" सुप्रिया थोड़ा धीमी आवाज़ मे बोली..

पोंगगगग.....लेसबो...

" आरोही की सेक्सी बॉडी???" अरुण बोला...

"अब ये मत कहना कि आरोही की बॉडी सेक्सी नही है.." सुप्रिया ने बिल्कुल नॉर्मली बोला..

"नही है..लेकिन मैने कभी नही सोचा कि आप भी ऐसा सोचती होगी.." अरुण को अब ऐसा लग रहा था जैसे वो अपनी सुप्रिया दी को तो बिल्कुल जानता ही ना हो..

"हां..उन लोगो मे वो क्वालिटीस हैं..लेकिन आप मुझे बिल्कुल पर्फेक्ट लगती हो. क्यूट, पर्फेक्ट, ब्यूटिफुल, प्रेटी.." अरुण ये कहते वक़्त डाइरेक्ट्ली सुप्रिया की आँखों मे देखता है..

"तुम्हे सही मे लगता है मैं खूबसूरत हूँ?"

"हां दी..जब आप खाना बनाती हो बिल्कुल उसमे कॉन्सेंट्रेट करके तब मन करता है बस आपको ही देखता रहूं. आप उस टाइम बिल्कुल पर्फेक्ट डॉल की तरह लगती हो.."
ये सुन के सुप्रिया के गालों की लाली और बढ़ गयी..


ममममीईए

"तू पक्का मार पड़वाएगा.." अरुण सोचता है..
" दी..सॉरी" अरुण अपना चेहरा नीचे झुकाते हुए कहता है..

"किसलिए अरुण? मास्टरबेशन के टाइम मेरे बारे मे सोचने के लिए??"

"हां और इस कंडीशन के लिए भी.." अरुण अपने लंड की तरफ़ देखते हुए कहता है..
बेटा सॅंडल पड़ने वाली हैं..
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