RE: Incest Porn Kahani वाह मेरी क़िस्मत (एक इन्�...
पार्ट 8
मेरी बात सुनकर अम्मी ने गहरी नजरों से मेरी तरफ देखा और धीमी आवाज़ में बोलीं “नही मैं इधर ही ठीक हूँ अफ़ताब” |
“अम्मी आपका यूँ दरवाज़े पर खड़े रहना मुझे अच्छा नही लग रहा, आप मेरी बात माने और जो भी बात करनी है इधर मेरे पास आकर करें प्लीज़” मैं अम्मी के ज्वाब में बोला |
मेरी बात सुनकर अम्मी ने चंद लम्हे कुछ सोचा और फिर बिना दुपट्टे के आहिस्ता आहिस्ता क़दमों के साथ चलती हुई मेरे साथ मेरे बिस्तर पर आ तो बैठी मगर उनके चेहरे पर बदस्तूर हिचकिचाहट छाई हुई थी |
“जीईईईईईईईई अम्मी ऐसी कौन सी बात है जिसे करने के लिए आप सुबह होने का इंतज़ार नही कर सकती थीं” मैंने अम्मी की कमीज़ से छलकते उनके भारी मुम्मों पर अपनी नज़र जमाते हुए पूछा |
तो आधी रात के वक़्त अपनी अम्मी को पहली बार यूँ बिना दुपट्टे के अपने साथ एक ही पलंग पर बैठा देखकर मेरे जिस्म में गर्मी और लौड़े में जोश आने लगा था |
“तुम्हारे किचन से उठकर आने के बाद से अब तक मैं यही बात सोचती रही हूँ, कि तुमको अपनी बहन के साथ यह सब कुछ नही करना चाहिए था अफ़ताब” मेरी बात के ज्वाब में अम्मी ने अपनी नज़रें ऊपर करते हुए मेरी आँखों में देखा और मुझसे ट्यूबवेल पर मेरी और संध्या की चुदाई की बात दुबारा स्टार्ट कर दी |
मगर अम्मी की बात पर तवजो देने की बजाए मुझे तो अपने पास बैठी अम्मी के जिस्म से उठने वाली उनके गुंदाज जिस्म की भीनी भीनी खुशबु ने बेहाल कर दिया और संध्या के साथ साथ मुझे अब अपनी अम्मी के जिस्म की भी तलब होने लगी थी |
“आपकी बात सही है, मगर यकीन माने हमारे दरमियाँ जो कुछ भी हुआ वो सब जोश-ए-जज़्बात और बेईख्तियारी में हुआ है अम्मी जान” अम्मी की बात सुनकर मैंने एक बार फिर अम्मी के शरीर पर भरपूर निगाह डाली और आहिस्ता से अम्मी की बात का ज्वाब दिया |
और साथ ही बेख़याली में अपने पास बैठी अम्मी के हाथ में दोस्ताना अंदाज़ में अपना हाथ डाल कर अपनी अम्मी के हाथ को अपनी उँगलियों के पंजे में जकड़ लिया |
“उफफफफफफफफफफफफफ्फ़ छोड़ो मेरा हाथ अफ़ताब” मेरी और अम्मी की हथेली आपस में टच होते ही हम दोनों माँ बेटे को एक करंट सा लगा तो अम्मी ने अपने हाथ को मेरे हाथ से एकदम छुड़ा लिया |
“बेईख्तियारी के बच्चे, अगर मेरी जगह गाँव का कोई और शक्स डेरे पर आकर तुम दोनों बहन भाई को ट्यूबवेल पर उस हालत में रंगे हाथों पकड़ लेता, तो जानते हो इस बात का क्या अंजाम होना था अफ़ताब” अपने हाथ को मेरे हाथ से निकलते ही अम्मी ने थोड़ा गुस्से भरे अंदाज़ में कहा |
“अम्मी आपको शायद मालूम नही कि हमारे ट्यूबवेल की होद्दी में खड़े होकर हमारे खेतों में मीलों तक देखा जा सकता है, और यही वजह थी कि संध्या के साथ होद्दी में नहाते हुए मैं अपने खेतों के चारों तरफ देख भी रहा था, इसलिए अगर गाँव की तरफ से कोई शक्स हमारे डेरे की तरफ आता, तो मैं उसे काफ़ी दूर से देख सकता था, मगर मुझे समझ नही आई कि मेरी नजरों से बच कर आप कैसे डेरे पर आ गईं अम्मी” मैंने यह कहते हुए अपनी अम्मी के चेहरे की तरफ देखा तो मुझे यूँ लगा कि जैसे मेरी बात सुनते ही अम्मी के चेहरे का रंग एकदम बदल सा गया है |
मगर इसके साथ ही अम्मी की आँखों में मुझे एक चीज़ भी दिखाई दी जो ज़ाकिया की चुदाई के बाद मैंने अपनी बहन संध्या की आँखों में भी देख चुका और वो चीज़ थी एक गर्म औरत की जिन्सी प्यास की चमक |
ज़ाकिया की चुदाई के बाद अपनी बहन संध्या की आँखों की इस चमक को पढ़ने में मुझे थोड़ा वक़्त लगा था |
लेकिन संध्या की चुदाई के बाद आज अपनी अम्मी की आँखों में भी जिन्सी भूख की वो ही चमक देख कर मुझे सारे मामले तक पहुँचने में ज़रा भी देर ना लगी |
“उफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ इसका मतलब यह है कि संध्या की गोलियाँ और मेरे कंडोम अम्मी ने आज नही पकड़े, बल्कि यह सब चीज़ें कुछ दिन पहले उनके हाथ लगी हैं, और डेरे पर आज अम्मी की आमद इत्फाक़िया नही थी, बल्कि आज अम्मी जानबूझ कर ऐसे रास्ते से डेरे पर आईं थीं, कि जहाँ से आते हुए वो हमारी नज़र में ना आ सकें, ताकि वो छुप कर अपने बच्चों की चुदाई का नज़ारा कर सकें” अम्मी की आँखों में मौजूद चुदाई की प्यास को देखकर मुझे एक ही लम्हे में ना सिर्फ़ सारे मामले की समझ आ गई बल्कि संध्या और मेरी चुदाई का इल्म होने के बावजूद हम दोनों से गुस्से ना करने का सबब भी मुझे पता चल गया और इसी वजह से मेरे लौड़े की गर्मी और तेज़ होती चली गई |
“लगता है अम्मी के जिस्म में भी जिन्सी प्यास की आग लगी हुई है, इसलिए मेरे लिए यह एक सुनहरी मौक़ा है जिसका फ़ायदा उठा कर संध्या के साथ साथ मैं अपनी अम्मी की चूत का मज़ा भी चख़ सकता हूँ” रात की तन्हाई में अपनी अम्मी के साथ एक ही बिस्तर पर बैठे हुए मेरे दिल में इस ख्याल ने जन्म लिया तो दिल ही दिल में मैंने अपने आप को आने वाले लम्हे के लिया तैयार कर लिया |
“तुम किन सोचों में पड़ गए हो, मुझे ज्वाब दो कि तुमने अपनी बहन का पीछा छोड़ना है कि नही अफ़ताब” मेरे पास बैठी अम्मी ने जब मुझे गुम सूम अपनी सोचों में मग्न देखा तो मेरी तरफ देखती हुई बोलीं |
“ठीक है आपके कहने पर मैं संध्या से अपना तालुक़ खत्म कर सकता हूँ, मगर मेरा क्या बनेगा अम्मी जान” यह कहते हुए मैंने अपने हाथ को पास बैठी अपनी अम्मी की गोश्त भरी राण पर रखकर शलवार के ऊपर से अपनी अम्मी की गुंदाज राण को अपने हाथ से हल्का सा दबाया तो अम्मी की राण से निकलने वाली गर्मी की लहर ने मेरे पूरे वजूद हो गरमा कर रख दिया |
“उफफफफफफफफफफफफ्फ़ अम्मी की राणों में इतनी गर्मी है, तो उनकी चूत में तो पूरी आग ही लगी होगी यार” अपनी अम्मी की टांग की तपिस को शलवार के ऊपर से अपने हाथ पर महसूस करते ही मेरे दिल में यह ख्याल आया तो मज़े के मारे मेरे हाथ का दबाव अम्मी की राण पर बढ़ता चला गया |
“ठीक है मैं कोई अच्छा सा रिश्ता देखकर तुम्हारी शादी कर देती हूँ बेटा” अपनी टांग पर रखे हुए मेरे हाथ को नज़रअंदाज़ करते हुए अम्मी ने मेरी बात का ज्वाब दिया तो मेरा हौसला बढ़ गया और मैंने अपने हाथ को अम्मी की राण पर आहिस्ता आहिस्ता फ़ेरना शुरू कर दिया |
“शादी तो ठीक है मगर इससे पहले मैं अब्बू की छोड़ी हुई सारी जायदाद में से अपना पूरा हिस्सा वसूल करना चाहता हूँ अम्मी” अम्मी की बात के ज्वाब में डरते डरते मैं बोला और साथ ही मेरे हाथ ने अब अपना रुख़ आहिस्ता आहिस्ता अम्मी की रान के अंदरूनी हिस्से की तरफ कर लिया |
अम्मी अपनी राण पर फिरने वाले मेरे हाथ की हरक़त को महसूस तो कर रही थीं मगर इसके बावजूद उन्होंने मुझे रोकने की कोई कोशिश नही की | इसलिए मेरे हाथ का दबाव अपनी अम्मी की रान पर बढ़ता चला जा रहा था |
इस दौरान मैंने महसूस किया कि यूँ ही मेरे हाथ ने अम्मी की थाइस के अंदरूनी हिस्से की तरफ अपना सफ़र शुरू किया तो मेरे हाथ ही हरकत से अम्मी के जिस्म में एक अकड़ सी भी आने लगी थी |
“अपने वालिद का एकलौता बेटा होने की हैसियत से अब्बू की वफ़त के बाद सब कुछ तुम्हारा ही तो है, इसलिए जायदाद से पूरा हिस्सा वसूल करने वाली तुम्हारी बात की मुझे समझ नही आई अफ़ताब” मेरी बात के ज्वाब में अम्मी ने हैरानी से मेरी तरफ देखते हुए पूछा |
“आप जानती हैं कि बाप की छोड़ी हुई सारी चीज़ों पर बेटे का हक़ होता है, वैसे तो मैंने अब्बू की सारी चीज़ों पर अपना क़ब्ज़ा पक्का कर लिया है, मगर उनकी छोड़ी हुई सबसे कीमती चीज़ अभी तक मेरी पहुँच से बाहर है, और आज मौक़ा आ गया है कि मैं उस पर भी अपना हक़ जता लूँ अम्मी जान” मैंने धड़कते दिल के साथ यह बात कही और अपने हाथ को अपनी अम्मी की चूत के नज़दीक ले आया |
“सीधी सीधी बात करो, क्यों पहेलियाँ बूझा रहे हो अफ़ताब” अपनी चूत के इतनी नज़दीक पहुँच चुके मेरे हाथ की गर्मी को महसूस करके अम्मी की साँसों में तेज़ी आने लगी |
“असल में अपनी बहन संध्या की कुंवारी चूत को चोद कर मुझे अपने ही घर की चूत का चस्का पड़ गया है, इसीलिए मैं चाहता हूँ कि अब अपने बाप की छोड़ी हुई चूत में अपना लौड़ा डाल कर अब्बू की सारी जायदाद का पूरा मालिक बन जाऊँ अम्मी जी” |
यह बात कहते हुए मैंने अम्मी की राण पर चलाते हुए हाथ को आगे बढ़ाया और शलवार के ऊपर से अपनी अम्मी की चूत को एकदम अपनी ग्रिफ्त में कर लिया |
मेरे हाथ ने यूँ ही पहली बार अपनी अम्मी की चूत को छुआ तो जज़्बात की शिद्दत से अम्मी के मुँह से बेईख्तियारी में एक गरम सिसकी निकल गई “ओह” |
अपने मुँह से सिसकी निकलने के बावजूद अम्मी ने मेरे हाथ पर अपना हाथ मार कर अपनी चूत पर जमे हुए मेरे हाथ को एक झटके से अलग किया और एकदम बिस्तर से उठ कर गुस्से के आल्म में बोलीं, “अपनी इस गंदी हरकत और इस बकवास पर शर्म आनी चाहिए तुम्हें अफ़ताब” |
मैं तो अम्मी से की जानी वाली इस हरकत के ज्वाब में अम्मी की गालियों और थप्पड़ों की उम्मीद लगाये बैठा था |
मगर जब मेरी इस हरकत के ज्वाब में अम्मी सिर्फ़ ज़ुबानी गुस्सा निकाल कर कमरे से बाहर जाने लगीं तो मुझे समझ आ गई कि अम्मी की चूत में जिन्सी आग के शोले भड़क उठे हैं और अब उनके मुँह पर नज़र आने वाला गुस्सा नकली है |
इस बात ने मेरी हिम्मत और बढ़ा दी और इसके साथ ही मैं भी बिस्तर से उठा और बाहर जाती अपनी अम्मी की कमर ममें पीछे से हाथ डाल कर मैंने उनको अपनी तरफ खीँच लिया |
तो मेरी शलवार में तना हुआ मेरा लौड़ा पीछे से अम्मी की गांड की मोटी मोटी पहाड़ियों में फँसता चला गया |
“तुम पागल हो गए हो, मुझे जाने दो, मत भूलो मैं तुम्हारी अम्मी हूँ अफ़ताब” मेरे लौड़े की सख्ती को अपनी भारी गांड पर महसूस करते ही अम्मी ने अपने आपको मेरी बाहों की ग्रिफ्त से छुड़ाने की कोशिश की |
“अम्मी मुझे अंदाज़ा नही था कि अब्बू की वफ़त के बाद आपके जिस्म की जिन्सी प्यास इतनी बढ़ चुकी है, कि उसे ठंडा करने के लिए आप अपने ही सगे बच्चों की चुदाई देख देख कर मज़े करती रही हैं” मैं अम्मी की बात को नज़रअंदाज़ करते हुए बोला |
इसके साथ ही मैंने अपनी गरम ज़ुबान से अपनी अम्मी की गर्दन को चाटते हुए अपने हाथों को ऊपर किया |
और अपनी अम्मी की भारी मोटी छातियों को कमीज़ के ऊपर से अपने काबू में करते ही उन को आहिस्ता आहिस्ता दबाना और मसलना शुरू कर दिया |
“क्या बकवास किए जा रहे हो तुम, छोड़ो मुझे अफ़ताबबबबब” अपनी भारी छातियों से मेरे हाथों के टच होते ही अम्मी के जिस्म को करंट लगा और उन्होंने एक बार फिर अपने जिस्म को मेरी क़ैद से छुड़ाने की कोशिश की |
“आप बेशक़ अपने मुँह से मेरी कही गई बात का इक़रार ना करें, मगर आपकी आँखों में तैरती जिन्सी प्यास मुझे बता चुकी है, कि आप ना सिर्फ़ मेरी और संध्या की चुदाई को छूप छूप कर देखती रही हैं, बल्कि आपकी चूत में मेरे लौड़े की आग भी लगी हुई है अम्मी जान” मैंने अपनी अम्मी के मोटे मुम्मों को अपने हाथों में ज़ोर से मसलते हुए यह बात अपनी अम्मी से कही |
“नहींईईईईईईईईईईईईईईई मैंने ऐसा कोई काम नही किया अफ़ताब, हटो पीछे और जाने दो मुझे” मेरी बात का ज्वाब देते हुए अम्मी ने अपने आपको छुडवाने की कोशिश की |
“आप चाहे जो मर्ज़ी कहें, मगर हक़ीकत यही है कि मेरे लौड़े की तलब की वजह से आप मेरे लौड़े के पानी से भरे कंडोम को अपने इन मोटे मुम्मों के दरमियाँ रखने पर मजबूर हो गई थीं अम्मी जी” अम्मी से बात कहते हुए मैं अपने एक हाथ को अम्मी के मुम्मे से हटा कर नीचे लाया और फिर अपने हाथ को अम्मी की एलास्टिक वाली शलवार के अंदर डाल कर अपनी अम्मी की चूत पर अपना हाथ रख दिया |
अपनी अम्मी की चूत की तपिस को अपने हाथ की हथेली पर महसूस करते ही मुझे ऐसे लगा कि मैंने किसी तंदूर में हाथ डाल दिया हो |
मैंने यूँ ही अम्मी की गरम चूत पर हाथ रख कर उनकी फुद्दी के लबों को हाथ से मसला तो मेरे हाथ के दबाव और मज़े के मारे अम्मी के मुँह से एक सिसकारी सी निकली "हाईईईईईईईईईईईईईईई, नही करो ना अफ़ताब..” |
अम्मी की सिसकारी सुनते ही मुझे जोश आया और मैं अपना मुँह अम्मी के कान के पास लाकर बोला “उफफफफफफफफ्फ़ आपकी चूत तो संध्या से भी ज्यादा गरम और प्यासी है, बस आप मुझे एक मौक़ा दें तो मैं आपकी प्यासी चूत में अपना लौड़ा डाल कर आपकी बेवा ज़िन्दगी में फिर से बहार कर दूंगा अम्मी जान” |
अपनी अम्मी से यह बात कहने के साथ साथ मैं अम्मी की शलवार में घुसे हुए हाथ को अम्मी की चूत पर ज़ोर ज़ोर से फेरता रहा तो मेरे हाथ की मेहरबानी से अम्मी की चूत और गरम हो कर अपना पानी छोड़ने लगी |
जिसकी वजह से अम्मी की चूत से बहने वाला पानी उनकी फुद्दी से निकल निकलकर अम्मी की गुंदाज राणों को गीला करने लगा |
अम्मी की चूत से छेडछाड करने के चंद ही लम्हे बाद मैंने महसूस कर लिया कि अम्मी की ना नुकर अब दम तौड़ रही है |
इसलिए अपनी अम्मी को और गरम करने के लिए मैंने अपनी एक उंगली को चूत के दाने पर रखकर उसे मसलना शुरू कर दिया |
तो इसके साथ ही मेरे हाथ के मज़े से बेहाल होते हुए अम्मी के सब्र का पैमाना भी लबरेज़ हो गया और फिर अपनी जिन्सी प्यास के हाथों मजबूर हो कर बेखुदी के आल्म में आख़िरकार अम्मी चिल्ला उठीं “उफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ क्या अब अपने हाथ से ही मेरी चूत का सारा पानी निकालोगे, या अपने लौड़े का हल चलाकर अपने अब्बू की छोड़ी हुई बंजर ज़मीन को फिर से आबाद भी करोगे बेटा” |
यह कहते हुए अम्मी ने अपनी जिस्म को पीछे की तरफ धकेला और अपनी गुंदाज गांड को ज़ोर ज़ोर से मेरे खड़े हुए सख्त लौड़े पर रगड़ना शुरू कर दिया |
“ओह मेरा लौड़ा तो आपकी प्यासी ज़मीन को पानी लगाने के लिए कब से तैयार है, बस आपकी रज़ामंदी का इंतज़ार था अम्मी जाननननन” अम्मी की मस्ती भरी आवाज़ सुन कर मुझे भी जोश आया और मैंने एक ही झटके में अपनी अम्मी की कमीज़ और शलवार को उतारके उन्हें ज़मीन पर फैंक दिया |
अब अम्मी मेरे सामने इस हालात में खड़ी थीं कि उनकी पीठ मेरी तरफ थी जबकि उनके जिस्म पर सिर्फ़ एक ब्रेज़ियर और अंडरवेअर बाकी बचा रह गया था और ब्रेज़ियर और पेंटी में मलबूस अम्मी का गोरा दूध की तरह साफ जिस्म मेरे लौड़े पर बिजलियाँ गिरा रहा था |
अम्मी के गरम प्यासे जिस्म को भूखी नजरों से देखते हुए मैंने भी जल्दी से अपनी शलवार कमीज़ उतारी और फिर अपनी अम्मी के पीछे आ खड़ा हुआ |
“ओह हाईईईईई मैं आपके हसीन बदन के पीछे पागल हो रहा हूँ अम्मी” यह कहते हुए मैंने पीछे से एक बार फिर अपना हाथ अपनी अम्मी की पेंटी में डाला और अपनी अम्मी की चूत के दाने से खेलने लग गया |
साथ ही साथ मैंने अपनी अम्मी का हाथ पकड़ कर अपने पत्थर की तरह सख्त लौड़े पर रख दिया और बोला “देखें मेरा लौड़ा कैसे बेचैन हो रहा है आपकी चूत में जाने के लिए अम्मी”
“ओह तुम्हारे लौड़े के साथ साथ मेरी फुद्दी भी बहुत मचल रही है तुम्हारे लौड़े से चुद्वाने के लिए बेटाआआ” मेरे लौड़े को अपने हाथ की ग्रिफ्त में लेते हुए अम्मी ने कहा और साथ ही अपने हाथ से मेरे लौड़े की मुट्ठ लगाना शुरू कर दी |
अब कमरे में हालात यह थी कि मैं अम्मी के पीछे खड़े हो कर अपनी अम्मी की पेंटी में हाथ डाले उनकी चूत के लबों और फुद्दी के छोल्ले को अपने हाथ से रगड़ और मसल रहा था |
जबकि मेरी अम्मी अपने जवान बेटे के मोटे सख्त लौड़े को अपने हाथ में लेकर मुट्ठ लगाते हुए मुझे मज़ा दे रही थीं और हम दोनों के मुँह से मज़े भरी सिसकारियाँ निकल कर कमरे के माहौल को और रंगीन बना रही थीं |
थोड़ी देर और अपनी अम्मी की चूत को अपने हाथ से गरम करने के बाद मैंने अम्मी के ब्रेज़ियर की हुक खोल कर अपनी अम्मी के मोटे बड़े कबूतरों को पिंजरे की क़ैद से आज़ाद किया और साथ ही अपनी अम्मी की पेंटी भी उतार कर अपनी अम्मी को अपने ही हाथों मुकम्मल नंगा कर दिया |
“आप बिस्तर पर घोड़ी बन कर लेट जाएँ, मैं आपकी चूत को पीछे से चोदना चाहता हूँ अम्मी जीईईईई” अपनी अम्मी को पूरा नंगा करने के बाद मैंने उनको पेट के बल बिस्तर पर लेटाया तो इस अंदाज़ में अम्मी की भारी गांड पीछे से हवा में उठ गई |
“उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ क्या फुटबाल जैसी गोल गांड है आपकी अम्मीईईईईईईई जानननन” |
अपनी अम्मी की हवा में उठी हुई गांड की दोनों भारी भारी पहाड़ियों को अपने हाथ में थाम कर ज़ोर से मसलते हुए मैं बोला |
अम्मी की गांड के पीछे बैठ कर मैंने यूँ ही अम्मी की मोटी पहाड़ियों को अपने हाथ से खोला तो अम्मी की फूली हुई प्यारी चूत मेरी आँखों के सामने खुलती चली गई |
“उफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ लगता है कि मेरे घर की औरतें अपनी चूत की सफाई का बहुत ख्याल रखती हैं” संध्या की तरह अपनी अम्मी की बिना वालों वाली चूत को देख कर मैंने कहा और साथ ही अपनी उंगली को थूक लगा कर अपनी अम्मी की चूत पर फैरना शुरू कर दिया |
“उफफफफफफफफफफफ्फ़ अब डालल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल भी दो ना अपना लौड़ा मेरी चूत में, क्यों तरसा रहे हो अपनी अम्मी को बेटाआ” अपनी पानी छोड़ती चूत पर मेरी थूक भरी उंगली को महसूस करते ही घोड़ी बनी मेरी अम्मी के मुँह से सिसकारी निकल गई |
“ज़रा सब्र करें, क्योंकि आपकी चूत को चोदने से पहले मैं आपकी चूत का ज़ायक़ा चखना चाहता हूँ अम्मी जान” अपनी अम्मी की बेकरारी को नज़रअंदाज़ करते हुए मैंने यह बात कही और साथ ही अपना मुँह खोल कर अपनी अम्मी की चूत पर अपनी गरम ज़ुबान घुमा दी |
चूत चटाई का यह तज़ुर्बा अम्मी के लिए बिल्कुल नया था इसलिए मेरी गरम ज़ुबान के चूत से टकराते ही अम्मी लज़्ज़त के मारे सिसकीयाँ लेने लगीं और बोलीं ”उफफफफफ्फ़ तुम्हारे मरहूम अब्बू ने अपनी पूरी शादीशुदा ज़िंदगी में मेरे साथ कभी यह काम नही किया, जो तुम मेरे साथ इस वक़्त कर रहे हो अफ़ताब” |
“ओह अब्बू का तो मुझे पता नही, मगर आपकी चूत के इस नमकीन स्वाद ने मुझे पागल कर दिया है अम्मीईईईई” अपनी अम्मी की बात के ज्वाब में दीवानावार अपनी अम्मी की चूत को चाटते हुए मैं भी सिसका |
“हाईईईईईईईईई आज मेरा अपना बेटा ही मुझे जिन्सी लज्ज़त की नई दुनिया दिखा रहा है हाईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई” मेरी चूत चटाई से बेहाल होते हुए अम्मी बोलीं |
अम्मी की इन बातों ने मेरी गरम जोशी में इज़ाफ़ा कर दिया और मैं कुछ देर यूँ ही अपनी अम्मी की चूत को चाट चाटकर अम्मी की चूत को गीला करता रहा |
जब मैंने अपनी अम्मी की चूत को अच्छी तरह से अपने लौड़े के लिए तैयार कर लिया तो मैं उठ कर अपनी अम्मी की गांड के पीछे आया और अपने लौड़े को अपने हाथ में पकड़ कर अपनी अम्मी की चूत के लबों के दरमियाँ रगडा |
“ऊफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ् बेटाआआअ” अपनी बेवगी के इतने महीनों बाद आज पहली बार एक जवान लौड़े को अपनी चूत के लबों से टकराते हुए महसूस करके अम्मी ज़ोर से सिसक उठीं |
मेरे लिए यह लम्हा एक ख्वाब से कम नही था कि मैं रात की तारेकी में अपने कमरे में अपनी ही सग़ी अम्मी की चूत पर अपने सख्त लौड़े को रगड़ रहा था और मेरी अम्मी मेरे गरम और सख्त लौड़े को अपनी चूत के लबों से छूता हुआ महसूस कर मज़े से सिसकीयाँ ले रही थी |
इसलिए अपनी अम्मी की चूत पर अपना लौड़ा रगड़ने के साथ ही मेरे लिए अब अपनी माँ की चूत से और दूर रहना नामुनकीन हो गया तो अपने लौड़े को हाथ में थाम एक लम्हे के लिए मैं अम्मी की चूत से अलग हुआ और दूसरे ही लम्हे एकदम आगे को बढ़ते हुए मैंने अपने लौड़े को पीछे से अपनी वालिदा की चूत में घुसा दिया, जिस फुद्दी ने आज से कई साल पहले मुझे अपनी कोख से निकाल कर इस दुनिया में जन्म दिया था |
“ओह अफ़ताब” मेरे लौड़े के चूत में घुसते ही मस्ती भरी आवाज़ अम्मी के मुँह से निकली |
तो अपनी अम्मी की गरम सिसकी सुनकर मज़े से मैं भी सिसकार उठा ““उफफफफफफ्फ़ फख़ीराआआआअ”
“हाईईईईईईईईईईईईईईई फुद्दी में लौड़ा डालते ही अम्मी से एकदम फख़ीरा पर आ गए हो तुम तो अफ़ताब” मेरी कही हुई बात सुनकर अम्मी बोलीं और साथ ही अपनी गांड को पीछे धकेलते हुए मेरे लौड़े को अपनी चूत में पूरे का पूरा ज़ज्ब कर लिया |
“हाँ क्योंकि मेरे लौड़े को चूत में लेते ही अम्मी से बीवी जो बन गई हो आप, मेरी फख़ीरा बेगम” अम्मी की बात का ज्वाब देते हुए मैंने अम्मी की गांड की भारी पहाड़ियों को अपने दोनों हाथों में थामा और अपनी अम्मी की चूत में ज़ोर ज़ोर से अपने लौड़े के झटके मारने लगा |
“हाईईईईईईईईईईईईईईईईईईई मैं तो लौड़े का स्वाद ही भूल गई थी, मगर मेरी चूत में अपना जवान लौड़ा डाल कर तुमने वाक्या ही मेरी बेवा चूत को फिर से सुहागन कर दिया है, ओह चोदो मुझे अफ़ताब, मेरे सरताज” |
“उफफफफफफफफफफ्फ़ तुम्हारी चूत तो तुम्हारी बेटी की चूत से भी ज्यादा मज़ेदार है फख़ीरा बेगम” अपनी अम्मी की बात सुनते ही मैं अपने दोनों हाथों से अम्मी के मोटे मोटे सेक्सी चूतड़ सख्ती से पकड़ कर तेज़ी से अम्मी को चोदने लगा |
पूरे कमरे में मेरी और अम्मी की लज़्ज़त भरी आवाज़ें गूंज रहीं थीं | “आआहह उउउफफफफफ्फ़ ऊउीईईईई माँआई मरर गगइिईईईईईईई उउफफफफ्फ़ बेटा तुम बहुत अच्छी चोदाई करते हो, आअहह मुझे बहुत मज़ा आ रहा है ओह” |
मैं अब तूफानी अंदाज़ में अम्मी की चूत को चोदने में मसरूफ़ था और अम्मी भी अब अपनी गांड को पीछे धकेलते हुए मेरे लौड़े को अपनी चूत में दबोचे चली जा रही थी |
कुछ देर ऐसे ही घोड़ी बना कर चोदने के बाद मैंने अम्मी की चूत से अपना लौड़ा निकाला तो मेरा लौड़ा अपनी अम्मी की चूत के पानी से भरा हुआ था |
“आप बिस्तर पर सीधी हो कर लेट जाएँ अम्मी जान” अम्मी की चूत से लौड़ा निकाल कर मैंने उन्हें कमर के बल सीधा बिस्तर पर लेटा दिया |
“उफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ यह है ना वही मुम्मे, जिन के दरमियाँ आपने मेरे लौड़े के पानी से भरे कंडोम को छुपा कर रखा था अम्मी जान” बिस्तर पर सीधा लेटाते ही मेरी नज़र पहली बार अपनी अम्मी के उन मुम्मों पर पड़ी तो मैंने अम्मी के मोटे मुम्मों के लंबे निपल्स पर अपनी गरम ज़ुबान फ़ेरते हुए अम्मी से पूछा |
“हाँ और तुम्हारे लौड़े के पानी से भरे कंडोम ने मेरे मुम्मों में भी इतनी ही आग लगी थी, जितनी आग इस वक़्त तुम्हारा लौड़ा मेरी फुद्दी में लगा रहा है अफ़ताब” यह बात कहते हुए अम्मी ने मेरे सिर पर अपना हाथ रखकर ज़ोर से सिर दबाया तो अम्मी का पूरा निप्पल मेरे खुले मुँह में घुसता चला गया |
“आप अपने इन बड़े मुम्मों को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर एक साथ मिलाएं अम्मी” मैंने अपनी अम्मी के मोटे मुम्मों को ज़ुबान से चाटते और चुमते हुए कहा |
“वो किस लिए बेटा” मेरी बात सुनकर अम्मी ने थोड़ी हैरानी से मुझे पूछा |
“क्योंकि मैं आपके इन मुम्मो को अपने लौड़े के साथ चोदकर आपके मुम्मों का शुक्रिया अदा करना चाहता हूँ, जिन्होंने मेरे लौड़े के पानी की इतनी इज्ज़त अफज़ाई की है अम्मी जान” मैं अम्मी की बात का ज्वाब देते हुए उठा और अम्मी के पेट के एन ऊपर चढ़ कर बैठ गया |
अम्मी ने मेरे कहने के मुताबिक़ अपने दोनों हाथों से अपने मुम्मों को आपस में जोड़ा तो मेरा लौड़ा मेरी अम्मी के मोटे और बड़े मुम्मों की क़ैद में जकड़ा गया |
“उफफफफफफफफफफ्फ़ आपकी चूत के साथ साथ आपके मुम्मों में भी बहुत गर्मी है फख़ीरा बेगम” अपनी अम्मी की चूत के छूटे हुए पानी से भरा हुआ अपना सख्त और जवान लौड़े को अम्मी की गुंदाज छातिओं के दरमियाँ रखते हुए मैंने कहा और इसके साथ ही जोश से अपने लौड़े को अपनी अम्मी के मोटे और भारी मुम्मों के दरमियाँ तेज़ी से रगड़ना शुरू किया |
तो मेरे लौड़े की गर्मी के हाथों बेहाल होते हुए अम्मी ने भी अपना मुँह खोल दिया | जिसकी वजह से मेरे लौड़े का टोपा अम्मी की गरम ज़ुबान से भी रगड़ खाने लगा |
“उफफफफफफफफफ्फ़ आपके गुंदाज मुम्मों के साथ साथ आपकी गरम ज़ुबान भी मेरे लौड़े को प्यार कर रही है अम्मीई जीईईईईईईईईईईईईई” अपनी अम्मी की ज़ुबान को अपने लौड़े के टोपे पर महसूस करते ही मैं मज़े से चिल्ला उठा |
“जब मेरा बेटा अपनी अम्मी की बेवा चूत में दुबारा से ज़िन्दगी की खुशियाँ ला सकता है, तो मैं एक माँ से अपनी ही बेटे की बीवी बन कर अपने शोहर को चुदाई का नया मज़ा क्यों नही दे सकती अफ़ताब जानुउउ” मेरी बात के ज्वाब में मेरे लौड़े पर जोश से अपनी ज़ुबान चलाते हुए अम्मी ने कहा |
तो अपनी बीवी/अम्मी की यह बात सुन कर जोश के मारे मेरे लौड़े की नसें भी फूलने लगी और अब मैं पहले से भी ज्यादा तेज़ी के साथ अपने मोटे लौड़े को अपनी अम्मी के भारी मुम्मों के दरमियाँ रगड़ने लग गया |
“उफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ तुमने आज मेरी चूत और मेरे मुम्मों को एक साथ चोद कर यह साबित कर दिया है, कि वालिद के बाद एक माँ की चूत पर सिर्फ़ और सिर्फ़ उसके सगे बेटे का ही हक़ होता है अफ़ताब” मेरे सख्त जवान लौड़े की गर्मी को अपने मुम्मों के दरमियाँ महसूस करते हुए अम्मी के मुँह से बेतहाशा सिसकियाँ निकलने लगी |
“हाईईईईईईईईईई अब मुझसे और बरदाश्त नही हो रहा, इसलिए मैं आपके मुम्मों में ही अपने लौड़े का पानी छोड़ने लगा हूँ फख़ीराआआअ बेगमम्ममम”
अपनी अम्मी की बात सुनते ही मेरे लौड़े का बंद टूट गया और मेरे लौड़े से मेरा गरम पानी निकल कर अम्मी के मुम्मों के साथ साथ उन के मुँह में भी गिरने लगा |
“ओह तुमने बचपन में जिन छातियों से दुध पिया था, आज मेरी इन्ही छातियों के दरमियाँ अपने लौड़े का गरम पानी उड़ेलकर, तुमने अपने दूध का हक़ अदा कर दिया है मेरे बेटे”
मेरे लौड़े का थिक मादा अम्मी के बड़े मुम्मों और खुले मुँह में गिरते ही मज़े के साथ मेरे लौड़े के नमकीन पानी को चाट कर अपने ह्ल्क में उतारते हुआ अम्मी ने कहा |
अपनी अम्मी के मुम्मों के दरमियाँ अपने लौड़े का पानी उड़ेलते हुए मेरी नज़र कमरे के दरवाज़े की तरफ गई |
तो मुझे संध्या नज़र आई जो दरवाज़े पर बुत बन कर खड़ी मुझे और अम्मी को हैरानी के साथ देखने में मसरूफ़ थी |
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