RE: Incest Porn Kahani वाह मेरी क़िस्मत (एक इन्�...
मैं इस दौरान अभी तक पानी में नंगा ही बैठा हुआ था लेकिन मुझे पता था कि मेरा जिस्म पानी में होने के बावजूद भी मेरे इतने नज़दीक खड़े होने की वजह से अम्मी को मेरे जिस्म का निचला हिसा और ख़ास तौर पर मेरा निचे खड़ा हुआ लौड़ा होद्दी के साफ़ पानी में पूरा नज़र आ सकता था |
“तुम दोनों क्या कर रहे थे” अम्मी ने मेरे करीब आकर खड़े होते हुए मुझसे सवाल किया |
“कुछ नही हम तो दोनों बस नहा रहे थे अम्मी” अपनी अम्मी के सवाल का जवाब देते हुए मैं बोला |
“वको मत और उठकर पानी से फौरन बाहर निकलो खबीस इंसान” मेरे बात के जवाब में अम्मी ने गुस्से से मेरी तरफ देखा और चीखते हुए बोलीं |
अम्मी की बात सुनते ही मैं घबरा कर एकदम पानी से निकला और उसी तरह अपनी नंगी हालत में ही अपनी अम्मी के सामने खड़ा हो गया |
मुझे पानी से निकल कर अपने सामने खड़ा होते देखते ही अम्मी की नज़र मेरे गीले जिस्म पर पड़ी और फिर मेरे जिस्म को देखते देखते उन की नज़र मेरी टांगों के दरमियाँ ढीले पड़ते मेरे लौड़े पर भी जा टिकी |
“अब इधर खड़े खड़े मेरा मुंह क्या देख रहे हो, जाओ और जाकर अपने कपडे बेगैरत” मेरी टांगों के दरमियाँ मेरे लौड़े को एक शान से इधर उधर झूलता देख कर अम्मी को अपनी ग़लती का अहसास हुआ और उन्होंने फ़ोरन ही मुझसे नज़रें चुराते हुए एक बार फिर चीखते हुए मुझे कहा |
अम्मी का गुस्से भरा हुक्म सुनते ही मैं अपनी जगह से हिला और ज़मीन पर बिखरे अपने कपड़े उठा कर संध्या की तरह मैंने भी डेरे के कमरे की तरफ दौड़ लगा दी |
दौड़ते हुए मैं अभी कमरे के दरवाज़े पर ही पहुंचा था कि मेरी नज़र संध्या पर पड़ी जो अपने कपड़े पहन कर खाने के बर्तन उठाए कमरे से बाहर निकल रही थी |
शर्म के मारे संध्या की आँखें इस वक़्त झुकी हुई थी | इसलिए उस वो मेरी तरफ देखे और कोई बात किए बिना ही खामोशी से घर की तरफ चल पड़ी |
अपनी बहन के बाहर जाते ही मैं कमरे में दाखिल हुआ और जिस्म को खुशक किए बगैर ही मैंने जल्दी जल्दी अपने कपड़े पहन लिए |
कपड़े पहन कर मैं बाहर आया तो देखा कि संध्या के साथ साथ अम्मी भी घर वापिस जा चुकी थीं |
“उफफफफफफफफफफफफ्फ़ शुक्र है कि अम्मी चली गईं हैं, वरना उन्होंने तो मार मार मेरा क़त्ल कर देना था आज” डेरे के कमरे से बाहर आकर मैंने जब अम्मी को मौजूद नही पाया तो दिल में यह बात सोचते हुए मैंने सुख का साँस लिया |
“चाहे अम्मी यहाँ से घर चली गई हैं, लेकिन पता नही घर जाने जे बाद अम्मी संध्या से ना जाने क्या सलूक करेंगी, और उसके बाद जब शाम को मैं घर लौटूंगा, मेरी फिर वापसी पर ना जाने वो मेरे साथ क्या सलूक करेंगीं आज” अपनी अम्मी और बहन के घर जाने के बाद मेरा किसी काम में दिल नही लग रहा था | इसलिए बाकी का सारा दिन चारपाई पर लेटकर मैं आने वाले वक़्त के बारे में सोच कर फ़िक्रमंद होता रहा |
मुझे उस दिन को होने वाले वाक्य के बारे में सोचते सोचती शाम हो गई तो फिर मैं ना चाहते हुए भी घर जाने के लिए तैयार हो गया |
“तुझे बड़ा शोंक था ना अपनी ही बहन की कुंवारी चूत को चोदने का, अब बहन चोद तो ली है, तो अब इस का नतीजा भी भुगतो बेटा” अपने घर के दरवज़े पर खड़े होकर मेरे दिल में यह बात आई तो आने वाले लम्हे को सोचते हुए मेरा दिल ज़ोर से धक धक करने लगा |
“जब उड़ता तीर बंद में लिया है तो अंजाम तो भूगतना ही पड़ेगा तुम्हे बच्चे, इसलिए अब सोच मत और हालात का सामना करने के लिए खुद को तैयार कर लो अफ़ताब” अपने घर के दरवाज़े पर खड़े मेरे दिल में यह दूसरा ख्याल आया तो फिर धड़कते दिल के साथ मैंने ना चाहते हुए भी अपने घर के दरवाज़े पर दस्तक दे ही दी |
|