Incest Porn Kahani वाह मेरी क़िस्मत (एक इन्सेस्ट स्टोरी)
01-24-2019, 11:53 PM,
#9
RE: Incest Porn Kahani वाह मेरी क़िस्मत (एक इन्�...
Part6

“हाए मैंने अपनी ही सग़ी बहन की कुंवारी चूत को चोद कर उसकी फुद्दी में अपने लौड़े का पानी छोड़ तो दिया है, लेकिन अगर वो पेट से हो गई तो अम्मी और गाँव के बाकी लोगों को क्या जवाब दूंगा मैं” अपनी जिन्सी हवस के हाथों मजबूर होकर मैं आज अपनी सग़ी बहन की चूत का स्वाद तो चख़ चुका था | मगर अब अपने लौड़े की गरमी कम होने के बाद मुझे अपनी ग़लती का अहसास हो रहा था |

“तूझे आइन्दा हर सूरत इस बारे में बहुत एहतियात करने पड़ेगी अफ़ताब” अपनी ग़लती का अहसास होने के बाद मैंने सोचा तो मेरे ज़ेहन में एक आइडिया आया और फिर मैं भी अपने कपड़े पहन कर मोटर साइकिल पर गुजरात सिटी चला गया |

गुजरात शहर पहुँच कर मैंने वहाँ एक मेडिकल स्टोर से अपने लिए कंडोम का एक पूरा डिब्बा लिया और साथ में अपनी बहन संध्या के लिए हमल रोकने वाली गोलियाँ भी खरीद लीं |

“मैं आज घर जाते ही संध्या को एक गोली खाने के लिए दे दूंगा, ताकि हमारी चुदाई के दौरान मेरी बहन प्रेग्नेंट होने से बच सके” अपनी ही बहन के लिए हमल गोलियाँ खरीदते वक़्त मेरे ज़ेहन में यह ख्याल आया तो आने वाली रात के तसुवर से ही मेरे लौड़े में दुबारा से हलचल होने लगी |

चूँकि कंडोम के साथ चुदाई की वजह से लौड़े और चूत की स्किन आपस में रगड़ नही खाती जिसकी वजह से कंडोम पहनकर चुदाई करने में मुझे ज्यादा मज़ा नही आता |

मगर मुझे पता था कि प्रेगेंसी रोकने वाली इन गोलियाँ का असर उन्हें खाने के कुछ दिन बाद होता है | इसलिए जब तक हमल रोकने वाली गोलियाँ अपना असर दिखाना शुरू ना कर देतीं उस वक़्त तक कंडोम इस्तेमाल करना अब मेरी मजबूरी ही थी |

उस शाम घर वापसी पर मेरी नज़रें अपनी बहन के जवान जिस्म को ढूंड रहीं थीं लेकिन शायद वो मुझे तडपाना चाह रही थी | इसलिए संध्या जानबूझ कर फौरन मेरे सामने नही आई बल्कि वो काफ़ी देर अपने कमरे में ही बैठ कर मेरा सामना करने से कतराती रही मगर घर में सिर्फ़ तीन लोग होने की वजह से उसके लिए बहुत देर तक मुझसे छुप कर रहना एक नामुमकिन सी बात थी | 

इसलिए मेरे घर आने के दो घंटे बाद आख़िर संध्या को मेरा सामना करना ही पड़ गया मगर अपनी बहन की चुदाई के बाद पहली दफ़ा अपने घर में हमारा आमना सामना होने के बावजूद मैंने अपनी अम्मी के सामने उसे ऐसे ही शो किया जैसे हमारे दरमियाँ कभी कुछ हुआ ही नही था | 

फिर जब अम्मी किसी काम के लिए किचन में गईं तो मैंने अपनी पॉकेट से निकाल कर संध्या को गोलियों का पैकेट दिया और बोला “खाने के फ़ौरन बाद इस पैकेट में से एक गोली निकाल कर खा लेना संध्या” |

मेरी बात सुनते हुए संध्या ने अपने हाथ में थमी गोलियों की तरफ देखा और फिर हैरत से मुझे देखने लगी इससे पहले कि वो मुझसे कोई सवाल कर पाती अम्मी दुवारा कमरे में दाखिल हो गईं | जिसकी वजह से मेरी बहन गोलियों को अपनी मुट्ठी में दबाते हुए कमरे से बहार चली गई |

फिर अम्मी के सोने के बाद रात के एक बजे मैं अपने कमरे से उठकर दबे पाँव अपनी बहन संध्या के कमरे में दाखिल हुआ तो बिस्तर पर चादर डाल कर लेटी अपनी बहन संध्या को अपना मुंतज़ीर पाया |

“आप रात के 1 बजे अपनी जवान बहन के कमरे में किया करने आए हैं भाई” मुझे आहिस्ता से दरवाज़ा खोल कर चोरों की तरह अपने कमरे में आता देख कर बिस्तर पर लेटी मेरी बहन ने मुझे छेड़ते हुए पूछा |

“रात की तन्हाई में इस वक़्त तुम्हारा भैया नही बल्कि तुम्हारा सैयाँ तुमसे मिलने आया है मेरी जान” संध्या की शोख़ी भरी बात का जवाब देते हुए मैंने दरवाज़े की कुण्डी लगाई और अपने कपड़े उतार कर बिस्तर पर मौजूद अपनी गरम बहन के पहलु में जा लेटा तो चादर के नीचे संध्या पहले ही से नंगी हालत में लेटी हुई थी |

“हाईईईईईईईईईईईई तुम तो अपने सारे कपड़े उतार कर पहले से ही चुद्वाने के लिए तैयार लेटी हुई हो संध्या” मेरे हाथों ने चादर के नीचे से अपनी बहन के गरम जिस्म को यूँ ही छुआ तो अपनी बहन को मेरे इंतज़ार में यूँ नंगा लेटा हुआ पाकर मुझे खुश्गुवार हैरत हुई तो मैंने खुशी के आलम में अपनी बहन के कान में सरगोशी की |

“आज दिन में अपनी चूत आपसे चुद्वाने के बाद से अब तक मेरी फुद्दी आप के लौड़े की तलब में पागल हो रही है, इसलिए बिना कोई वक़्त ज़ाया किए बगैर मेरी चूत में अपना लौड़ा डाल दो भाईईईईईईईईई” मेरी बात के जवाब में संध्या ने निहायत बेशर्मी से फ़रमाइश की तो मेरे लिए भी अपनी बहन से और दूर रहना नामुमकिन हो गया |

“इस का मतलब है कि जवानी की आग दोनों तरफ बराबर लगी हुई है मेरी जान” अपनी बहन की बात का जवाब देते हुए मैंने संध्या को उल्टा किया और फिर अपने लौड़े पर कंडोम चड़ा कर घोड़ी बनी अपनी बहन की चूत में अपना लौड़ा डाल दिया |

उस रात मैंने दो बार अपनी बहन संध्या की चूत का मज़ा लिया और फिर अपने लौड़े का पानी आख़िरकार कंडोम में ही निकाला और उसके बाद अपने कमरे में आकर सकूँ की नींद सो गया |

उस दिन के बाद तो जैसे मेरी ज़िंदगी में बहार ही आ गई थी | क्योंकि अगले एक हफ्ते के दौरान मैं और संध्या ने अपनी रही सही शर्म भी उतार फैंकी और हम दोनो बहन भाई आपस में काफ़ी खुल गए | जिसकी वजह से हमें जब भी मौक़ा मिलता तो हम घर और डेरा दोनो जगह पर खुल कर चुदाई में मशरूफ़ हो जाते थे और मैं अपनी बहन को हर अंदाज़ में चोदने के साथ साथ मैंने ना सिर्फ़ संध्या को अपने लौड़े की चुसाई पर मनाया बल्कि साथ ही साथ अपनी बहन को 69 स्टाइल से भी ओरल सेक्स करवा कर उसकी चूत को जिन्सी मज़े की एक नई मंज़िल पर पहुँचा दिया | 

चूँकि हमारा डेरा गाँव से काफ़ी हटकर था यहाँ पर चारों तरफ सिर्फ़ हमारी अपनी ज़मीन थी जिसकी वजह से हमारे डेरे की तरफ गाँव के आम लोगों का आना जाना बहुत ही कम था |

इसलिए संध्या के साथ डेरे पर किसी रोक टोक और डर के बगैर चुदाई करने में मुझे ज्यादा मज़ा आता था |

एक दिन जब संध्या डेरे पर आई तो मेरे दिमाग को ना जाने क्या सुझा कि मैं अपने और संध्या के सारे कपड़े उतार कर अपनी बहन के साथ नंगी हालत में ट्यूबवेल की छत पर चढ़ गया |

चूँकि ट्यूबवेल की छत पर से हमारे खेतों के चारों तरफ बड़ी आसानी से देखा जा सकता था |

इसलिए मैंने बिना किसी खौफ़ और खतरे के अपनी बहन को दिन की रोशनी में अपने ट्यूबवेल की छत पर ही चोद डाला |

उस रोज़ खुले आसमान तले दिन की रोशनी में अपनी ही बहन से रंग रलियाँ मनाते हुए मुझे बहुत मज़ा आया |

ट्यूबवेल की चुदाई के दूसरे दिन संध्या डेरे पर आई और मुझे खाना देकर खुद कमरे से बाहर निकल गई | खाने से फ़ारिग हो कर मैंने अपने खेतों को पानी देने के लिए ट्यूबवेल को ओंन किया और फिर खुद भी कमरे से बाहर आ गया | 

तो अपनी बहन संध्या को ट्यूबवेल के साथ बनी हुई पानी की होद्दी में कपड़ों समेट नहाते हुए देखा |

“खैरियत तो है आज घर की बजाए ट्यूबवेल पर ही नहाना शुरू कर दिया है तुमने संध्या” अपनी बहन को उसके कपड़ों समेत पानी की होद्दी में मज़े से उछलते कूदते देखकर मैंने संध्या से सवाल किया |

“जब आप मुझे अपने घर के कमरे की बजाए ट्यूबवेल की छत पर चढ़ कर चोद सकते हैं, तो मैं घर की बजाए अपने ट्यूबवेल पर नहा क्यों नही सकती भाई” |

मेरे सवाल के जवाब में मस्ती से पानी में अपने हाथ मारते हुए संध्या ने जवाब दिया तो अपनी बहन के गीले बदन को देख कर मेरे लौड़े में भी जोश आ गया |

“अच्छा तो चलो दोनो मिल कर नहाते हैं फिर” संध्या की बात के जवाब में बोलते हुए मैंने अपने कपड़े उतारे और फिर दौड़ते हुए मैं भी पानी की होद्दी में चला गया |

पानी की होद्दी में आते ही मैंने एक एक कर अपने हाथ से अपनी बहन के सारे कपड़े उतार कर होद्दी से बाहर फ़ेंके और फिर हम दोनो बहन भाई मिल कर पानी की होद्दी में एक साथ नहाने लगे |

ट्यूबवेल से आते तेज़ पानी के नीचे नहाते हुए हमें बहुत मज़ा आ रहा था |

नहाने के दौरान मैं संध्या के जिस्म से चिमटते हुए अपनी बहन के मुम्मों और चूत को छेड़ रहा था जबकि जवाब में संध्या भी मेरे लौड़े से छेड़छाड़ करने में मसरूफ़ थी |

जिसकी वजह से ट्यूबवेल के ठंडे पानी में नहाने के बावजूद हमारे जिस्मों में जवानी की गर्मी चड़ती जा रही थी |

“अच्छा संध्या तुम मेरी गोद में बैठ कर अपनी चूत में मेरा लौड़ा डालो और मेरे लौड़े और अपनी चूत में लगी आग को ठंडा करो मेरी जान” थोड़ी देर की छेडछाड के बाद जब हम दोनो बहन भाई बहुत गरम हो गए तो होद्दी के एक कोने में बैठते हुए मैंने संध्या से कहा |

“ठीक है आप नीचे बैठें मैं आपके ऊपर चढ़ कर आप के लौड़े की गर्मी निकालती हूँ भाईईईईई” मेरी बात का जवाब देते हुए संध्या ने अपना मुँह डेरे के दरवाज़े की तरफ और अपनी कमर मेरी तरफ करते हुए मेरे तने हुए लौड़े को अपनी टाँगों के बीच में इस तरह अड्जस्ट किया कि जिसकी वजह से मेरा लौड़ा अब अपनी बहन की गिली चूत के फूले हुए लबों से रगड़ खाने लगा था | 

“ओह आपके सख्त लौड़े का क्याआआआअह्हह्हह मज़ाआआआअ है भाईईईईईईईईईईईईईईईईईई” अपनी टांगों के दरमियाँ फँसे हुए मेरे मोटे सख्त लौड़े के ऊपर अपनी चूत को तेज़ी से सरकाते हुए संध्या ने सिसकी भरे लहजे में मुझे कहा |

इसके साथ संध्या ने अपनी गांड को हल्के से नीचे लाते हुए होद्दी के पानी में खड़े मेरे लौड़े को अपनी मुट्ठी में काबू किया और साथ ही मेरे मोटे सख्त लौड़े को पानी में अपनी पानी पानी होती हुई प्यासी चूत पर टिका दिया |

“उफफफफफफ्फ़ कयाआआआ गरम चूत हाईईईईईईईईईईईई तुम्हारीईईईईई संध्या” ट्यूबवेल की होद्दी के ठंडे पानी में भी अपनी बहन की चूत की तपिस को अपने लौड़े पर महसूस करते ही मैंने नीचे से ऊपर की तरफ धक्का मारा |

तो एक मिसाइल की तरह तेज़ी के साथ ऊपर को उठ कर मेरा लौड़ा अपनी बहन की चूत के निशाने पर जा लगा और मेरे लौड़े के साथ साथ होद्दी का थोड़ा सा पानी भी मेरी बहन की चूत में दाखिल हो गया |

“हाईईईईईईईईईईईईईईईईईईई आपसे अपनी चूत मरवा कर हर बार एक नया मज़ा मिलता है मुझे” मेरे लौड़े के झटके के साथ साथ चूत के छोल्ले और फुद्दी की दीवारों से टकराने वाले होद्दी के पानी से पैदा होने वाली लज्ज़त की वजह से संध्या ल्ज्ज्तों की नई मंज़िल पर पहुँचते हुए चिल्ला उठी |

इसके साथ ही संध्या मेरी गोद में बैठ कर ऊपर नीचे होते हुए मुझसे अपनी चूत चुद्वाने लगी और मैं पानी में बैठ कर अपनी बहन की चूत को मज़े से चोदने लगा |

अब ट्यूबवेल के पानी में दो जवान नंगे जिस्म जल रहे थे और हम दोनो बहन भाई एक दूसरे को चोद कर अपने जिस्म की गर्मी को कम करने की कोशिश करने लगे |

ट्यूबवेल की होद्दी के बहते पानी में हमारी चुदाई की वजह से “फ़चा फॅच फ़चा फॅच, फका फक फका फक” की आवाज़ें पैदा हो रही थीं |

कुछ देर यूँ ही अपनी बहन की ज़ोरदार चुदाई के बाद मुझे यूँ लगा कि जैसे मैं अपने लौड़े का पानी छोड़ने वाला हूँ चूँकि मैंने आज अपनी बहन संध्या की चुदाई के दौरान कंडोम नही पहना हुआ था |

इसलिए मैं अपने लौड़े के पानी को अपनी बहन की चूत में छोड़ने की ग़लती दुबारा नही दोहराना चाहता था |

“संध्या मैं चाहता हूँ कि तुम अब मेरे लौड़े को अपनी चूत से निकाल कर इसे अपने मुँह में लो, और मेरे लौड़े की चुसाई लगा कर मेरा पानी निकाल दो मेरी जान” थोड़ी देर और अपनी बहन को चोदने के बाद मैंने संध्या को अपने लौड़े से उतारा और फिर अपनी बहन से फ़रमाइश की |

“अच्छा लो मैं अभी अपने मुँह से अपने भाई के लौड़े को ठंडा कर देती हूँ” मेरी बात सुनते ही संध्या मेरी गोद से उठी और मेरी खुली टांगों के दरमियाँ में बैठ कर उसने अपना मुँह खोला और अपनी चूत के जूस से भरे हुए मेरे लौड़े को अपने मुँह में लेकर मज़े से मेरा लौड़ा चूसने लगी |

“ओह चुसोऊऊऊओ मेरे लौड़े को मेरी बहन मेरी जाननननणणन” अपनी गांड को उठाकर अपनी बहन के गरम मुँह में अपने लौड़े को ज़ोर से ठोंस्ते हुए मैं मज़े से चिल्ला रहा था और मेरी टांगों के दरमियाँ बैठ कर मेरी सग़ी बहन अपने भाई के सख्त लौड़े को सक करने में मशगुल हो गई |

मेरी बहन का मेरे लौड़े को चुप्पा लगाने का अंदाज़ा इतना सेक्सी और मज़ेदार था कि थोड़ी ही देर बाद मेरा लौड़ा जोश के आल्म मे झटके खाने लगा और साथ ही मेरे मुँह से खुद बा खुद सिसकीयाँ जारी हो रही थीं “ओह हाईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई” |

अब ट्यूबवेल की होद्दी में सुरते हाल यह थी कि इधर अपनी बहन के मुँह के स्वाद की वजह से यूँ यूँ मेरे मुँह से निकलने वाली सिसकियों की रफ़्तार तेज़ हो रही थी, त्यों त्यों मेरी बहन के चुप्पा लगाने की रफ़्तार भी तेज़ से तेज़ होती जा रही थी |

जिसकी वजह से चंद ही लम्हों बाद मैं एक तेज़ “आहह” भर कर अपनी सग़ी बहन के मुँह के अंदर ही डिसचार्ज हो गया तो मेरे लौड़े के गरम मादे से मेरी बहन का मुँह और होंठ पूरी तरह भर गए |

“ओह कैसा लगा मेरे लौड़े का पानी मेरी जान” अपने लौड़े के मादे को अपनी बहन के मुँह में चोते हुए मैंने संध्या से पूछा |

“ओह आपके लौड़े का यह नमकीन पानी बहुत ही स्वादला है भाईईईईईईईईईईई” मेरे लौड़े के लेसदार मादे को अपने ह्ल्क में उतारते हुए संध्या ने जवाब दिया और फिर उठकर मेरे पहलू में आ बैठी |

उस दिन चुदाई के दौरान हम दोनो बहन भाई इतने मग्न हुए कि वक़्त गुज़रने का अहसास ही नही हुआ |

फिर अपनी चुदाई के बाद हम दोनो बहन भाई जब थक हार कर पानी की होद्दी में बैठ कर आपस में बातें कर रहे थे कि इतने में अपने पीछे से हमें गुस्से भरी एक आवाज़ सुनाई दी “यह क्या चल रहा है यहाँ” |

यह आवाज़ सुनते ही हम दोनों ने अपने पीछे की तरफ मुड़ कर देखा तो पीछे देखते साथ ही ट्यूबवेल के ठंडे पानी में बैठे होने के बावजूद हम दोनों बहन भाई के पसीने छुट गए |

क्योंकि उधर उस वक़्त कोई और नही बल्कि हमारी अपनी सग़ी अम्मी हमारे सामने खड़ी थीं और गुस्से से लाल सुर्ख मुँह के साथ वो अपनी आँखें फाड़ फाड़ कर हमें देख रही थीं |

“ओह अम्मी आप और यहाँ” अपनी अम्मी के हाथों अपने ही सगे भाई के साथ यूँ नंगे नहाते हुए पकड़े जाने पर संध्या के मुँह से एकदम निकला और इसके साथ ही वो पानी से निकल कर पास पड़े अपने गीले कपड़ों से अपने नंगे जिस्म को छुपाने की नाकाम कोशिश करते हुए कमरे की तरफ दौड़ गई |

“ले भाई अफ़ताब पुत्र आज तो तू लौड़ा लग गया है दोस्त” संध्या के कमरे में जाते ही मेरे ज़ेहन में यह ख्याल आया और इसके साथ ही मैंने अम्मी को आहिस्ता आहिस्ता पानी की होद्दी के नज़दीक आते देखा |

“अच्छा हुआ कि अम्मी ने हम दोनों को चुदाई करते हुए नही पकड़ लिया, वरना आज तो अम्मी के हाथों हम दोनों ने क़त्ल ही हो जाना था” अम्मी को गुस्से भरी हालत में अपने नज़दीक आता देखकर मैंने सोचा |

मगर इसके साथ ही मेरे ज़ेहन में एक और बात आई कि “जवान बहन के साथ डेरे पर यूँ खुलेआम नंगा नहाना भी तो कोई कम जुर्म नही, जिसकी सज़ा अम्मी से जरुर मिलेगी मुझे, मगर अब जो भी हो मुझे हर हालत में मर्दानावर अपनी अम्मी का सामना तो करना ही पड़ेगा” |

मैं अपनी इन्ही सोचों में मग्न था कि इतने में अम्मी होद्दी के किनारे के बिल्कुल करीब आकर खड़ी हो गईं |
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