Incest Porn Kahani वाह मेरी क़िस्मत (एक इन्सेस्ट स्टोरी)
01-24-2019, 11:52 PM,
#7
RE: Incest Porn Kahani वाह मेरी क़िस्मत (एक इन्�...
अपनी बहन की बात के साथ साथ अपने लौड़े पर चलने वाले बहन के हाथ के कमाल की वजह से मेरा रोम रोम खिल उठा और मेरी ख़ुशी का ठिकाना ना रहा |

जोश में आकर मैंने अपनी उंगली अपनी प्यारी बहन की कुंवारी चूत के गुलाबी होंठो पर ज़ोर से रगड़ी और साथ ही मज़े से सिसकते हुए कहा “हाईईईईईईईईईईईईईईई अगर इस बात का मुझे पहले इल्म होता, कि ज़ाकिया के साथ साथ मेरी बहन की चूत भी मेरे लौड़े की तलबगार है, तो यकीन मानो मैं अब तक नाजाने कितनी बार तुम्हें चोद चुका होता मेरी बहन” अपनी बहन की फूली हुई चूत के ऊपर उंगलियाँ फ़ेरते हुए मैं बोला |

तो संध्या का मखमली जिस्म मेरी बाहों में मचल उठा और वो भी सिसकते हुए बोल पड़ी “उफफफफफफफफफफफफ्फ़ आपने अपनी हरकतों के साथ ही साथ अपनी बातों से भी मेरी चूत में आग लगा दी है भाईईईईईईईईईईईईईईई”

अपनी बहन की यह गरम बात सुनते ही मैंने अपनी बहन की चूत को अपनी मुट्ठी में दबोचा तो दूसरी तरफ संध्या के हाथ की ग्रिफ्त मेरे लौड़े के गिर्द मज़बूत होती चली गई और फिर सब रिश्ते नाते बुला कर हम दोनो बहन भाई ने एक दूसरे के लौड़े और फुद्दी पर अपने अपने हाथ तेज़ी के साथ चलाना शुरू कर दिए |

कुछ देर अपने हाथ से अपनी बहन की चूत को और गरम करने के बाद मैंने संध्या की कमीज़ को उसके कोनों से पकड़ा और फिर पहले अपनी बहन की कमीज़ और साथ ही उसका ब्रेज़ियर भी उतार कर अपने हाथ से अपनी सग़ी बहन को मुकम्मल नंगा कर दिया | 

अपने हाथों अपनी बहन के जिस्म से एक एक कर के सारे कपड़े उतारने के बाद मैं संध्या से अलग हुआ और थोड़ा पीछे होकर कमरे में खड़ी अपनी बहन की नंगी जवानी का नज़ारा करने लगा | 

वाहह इस वक़्त डेरे के कमरे में क्या ग़ज़ब का नज़ारा था | मेरी अपनी सग़ी बहन मेरी प्यासी आँखों के सामने कमरे में पूरी नंगी हालत में खड़ी थी और कमरे की खिड़की से आती रोशनी में चमकते हुआ मेरी सग़ी बहन संध्या का दूधिया जिस्म इस वक़्त मुझे दावत-ए-गुनाह दे रहा था |

मेरी बहन संध्या की बड़ी और गोल गोल छाती बहुत सफ़ेद थी जिसपर ब्राउन रंग के मोटे मोटे निपल्स थे और जो इस वक़्त मेरी बहन की चूत की गरमी के असर की वजह से अकड़ कर उसकी जवान छातियों पर खड़े हो चुके थे |

अपनी बहन की रस भरी छातियों पर निगाह डालने के बाद संध्या के पेट से नीचे आते हुए मैं यूँ ही अपनी नजरों को अपनी बहन की टांगों पर लाया तो अपनी बहन की गोश्त भारी राणों के दरमियाँ छुपे हुए अपनी बहन के पोषीदा ख़ज़ाने पर मेरी नज़र जम गई |

“हाईईईईईईई मैं ही वो पहला खोजी हूँ, जिसने आज अपनी ही जवान सग़ी बहन की टांगों में छुपे कुबेर के खज़ाने का पता चला लिया हाईईईईईईईईईईई” अपनी बहन की कुंवारी चूत के फूले लबों को देखकर मेरे मुँह में पानी आ गया |

मेरी बहन की टांगों के दरमियाँ उस अनछुई शेव्ड चूत मेरे हाथों की गरमी से बेहाल होकर हल्के हल्के पानी छोड़ रही थी और यह पानी इस वक़्त संध्या की चूत से टपक कर उसकी गोश्त भरी राणों पर बह रहा था |

“हाईईईई दूध की तरह यह सफैद बाज़ू, बगैर किसी दाग के सॉफ सुथरा ऐसा जिस्म, और ऊपर से रेशम की तरह नरम स्किन उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ क्या ग़ज़ब का खूबसूरत जिस्म है मेरी बहन का” मैं अपने सामने खड़ी अपनी बहन की जवानी को देखते हुए यह सब सोच रहा था |

अपनी बहन को उसके कपड़ों की क़ैद से आज़ाद करने और अपनी आँखों को अपनी बहन के नंगे हुस्न से अच्छी तरह सेकने के बाद मैंने भी अपनी शलवार कमीज़ उतारी और फिर मैं खुद भी अपनी बहन के सामने पूरा नंगा खड़ा हो गया |

“कैसाआ लगाआआआआ मेरा लौड़ा संध्या” अपनी सग़ी बहन की नजरों के सामने मुकम्मल नंगा हो कर मैंने अपने हाथ से अपने खड़े हुए नंगे लौड़े को मसलते हुए पूछा |

“ नानाआआआअ पूछें मुझसे ऐसे सवाल भाईईईईईई, मुझे शरम्म्म्ममममममम आती है ऐसी बातें करते हुए” मेरे सामने पूरी नंगी हालत में खड़े होकर भी मेरे सवाल पर संध्या शर्माते हुए बोली |

“हम दोनो के दरमियाँ अब इतना सब कुछ होने के बाद भी तुम इतना क्यों शरमा रही हो मेरी जान” संध्या की बात के जवाब में झुंझलाते हुए मैंने कहा |

“अच्छा भाई अगर आप मजबूर करते हैं तो बता देती हूँ, कि आप का लौड़ा दूर से देखने में भी मोटा और लंबा नज़र आता था, मगर आज इतने नज़दीक से देखने में तो यह और भी बहुत बड़ा लग रहा है, वैसे मुझे समझ नही आ रही कि यह इतना मोटा और लंबा लौड़ा मेरी सहेली ज़ाकिया के अंदर जाता कैसा था भाईईईईईईईईईईई” मेरे नंगे लौड़े को प्यासी नजरों से देखते हुए मेरी सग़ी जवान बहन ने यूँ ही बेशर्मी से यह बात कहते हुए मेरे लौड़े की तारीफ की तो फख्र और गरूर के मारे मेरा लौड़ा और अकड़ता चला गया |

“अभी चंद लम्हों बाद जब मेरा लौड़ा तुम्हारी चूत में जाएगा ना, तो तुम्हें खुद ही पता चल जाएगा, कि तुम्हारी सहेली मेरे लौड़े को कैसे अपनी चूत में ले लेती थी मेरी जान” अपनी बहन के सवाल पर मस्त होते हुए मैंने जवाब दिया |

इसके साथ ही मस्ती में आते हुए मैंने संध्या को चारपाई पर लेटाया और उसके मखमली चूतड़ के निचे एक तकिया रख दिया जिसकी वजह से मेरी प्यारी बहन की चूत उप्पर को उठ गई |

संध्या को चारपाई पर लेटाने के बाद मैं भी चारपाई पर आया और फिर अपनी बहन की टांगों के दरमियाँ बैठ कर मैंने अपनी ही सगी बहन की कुंवारी चूत के लबों को अपने हाथों से खोल दिया |

“उफफफफफफफफफफफ्फ़ कितनी दिलकश और हसीन चूत है मेरी बहन की” अपनी बहन की चूत के अंदर का गुलाबी हिस्सा मेरी नजरों के सामने आया तो अपनी बहन की चूत की अंदरूनी खूबसूरती देख कर मेरी लार टपक पड़ी |

“हाईईईईई चुदाई से पहले क्यों ना अपनी बहन की इस प्यारी और कुंवारी चूत का स्वाद चखने के साथ अपनी बहन की अनचुदी फुद्दी की थोड़ी सी महक भी सूंघ लूँ मैं” अपनी नजरों के सामने खुली फुद्दी को देख कर मेरे ज़ेहन में यह ख्याल आया तो इसके साथ अपने सिर को नीचे झुकाते हुए मैं फौरन अपना मुँह अपनी बहन की चूत के एन ऊपर ले आया |

“हूऊऊऊऊओ क्याआआआअह्हह्हह खुश्बूरदार फुद्दी है तुम्हारी संध्या” अपनी बहन की चूत के लबों के नज़दीक अपनी नाक लाते हुए मैंने संध्या की कुंवारी चूत की खुशबू को सूँघा और साथ ही अपनी बहन के मुम्मे को अपने हाथ से दबाते हुए अपना मुँह अपनी बहन की चूत पर चिपका कर अपनी बहन की चूत को मज़े से चाटने लगा |

“उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़..... भाईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई... यहह कैसीईईईईईईईईईई आगगगगगगगगगगग.. लगाआआआ.... दीईईईईईईई हाईईईईईईईईईईई तूमम्म्ममममममम ने..... मुझे” अपनी चूत पर पहली बार किसी मर्द के गरम होंठो के लबों से चिपकने और चूत पर चलती गरम ज़ुबान के मज़े से बेहाल होकर संध्या मज़े से चिल्लाती हुई बोली |

अब कमरे में यह हालत थी कि मेरे मुँह और ज़ुबान की गर्मी से बेहाल हो कर मेरी बहन संध्या तो जैसे बेसुध हो चुकी थी और इसी बेखुदी के आलम में वो चारपाई पर नीचे से अपनी गांड को ऊपर उठा उठा कर मेरे मुँह पर मार रही थी |

जबकि मैं चारपाई पर लेटी हुई अपनी बहन की खुली टांगों के दरमियाँ लेट कर अपनी बहन की चूत को अपने मुँह और ज़ुबान से चाट रहा था और साथ ही साथ अपनी बहन की चूत से निकलने वाले गरम पानी को शरवत समझ कर पीने में मसरूफ़ था |

कुछ देर यूँ ही अपनी बहन की चूत का पानी पीने के बाद अब मेरा दिल अपनी बहन की चूत को चोदने को मचल उठा तो अपने मुँह को संध्या की चूत से अलग करने के बाद मैं अपनी बहन की टांगों के दरमियाँ बैठा और बोला “तैयार हो जाओओ संध्या,अब मैं तुम्हें एक लड़की से औरत बनाने जा रहा हूँ, और वो भी अपनीईईईईईईईईई औरतततत” 

“हाईईईईईईईईईईईईईईई जब से आपको अपनी सहेली की चुदाई करते देखा है, मैं तो उसी वक्त इस लम्हे के इंतज़ार में तरस रहीईईईई हूँ, कि कब तुम मुझे अपनी औरत बनाओगे भाईईईईईईईईईईई” मेरी बात सुनते ही संध्या की जिन्सी भूख अपने सिखर पर जा पहुंची और मेरे लौड़े को भूखी नजरों से देखते हुए वो सिसकार उठी |

अब चारपाई पर अपनी बहन की खुली टांगों के दरमियाँ बैठ कर मैं भी हवस भरी नज़र से अपनी बहन के नंगे हुस्न को निहारते हुए आगे को झुका और अपने लौड़े को पहली बार अपनी बहन की चूत पर रख कर अपने लौड़े के मोटे टोपे को अपनी बहन की कुंवारी चूत पर रगड़ने लगा |

“ओह” अपनी बहन की कुंवारी चूत पर मेरे लौड़े की रगड़ से हम दोनो बहन भाई के मुँह से लज़्ज़त भरी सिसकी फूट पड़ी |

अपनी बहन की यह सिसकी सुन कर मैं मस्त हुआ और इसी मस्ती के आलम में मैंने संध्या की चूत पर फिरने वाले अपने लौड़े पर दबाव बढ़ा दिया |

जिसकी वजह से मेरे लौड़े का टोपा मेरी बहन संध्या की कुंवारी चूत के लबों में धंसता चला गया |

“उफफफफफफफफ्फ़ क्यों तडपा रहे हो मुझे, अब डाल भी दो ना अंदर भाईईईईईईईईई” अपनी फुद्दी के लबों में फँसे हुए मेरे लौड़े की गरमी से बेहाल होते हुए संध्या चिल्लाई और इसके साथ ही उसने चारपाई से अपनी गांड को उठा कर मेरे लौड़े को अपनी कुंवारी चूत के अंदर लेने की कोशिश की |

“ठीक है तो फिर अब अपनी फुद्दी को मेरे लौड़े के इस्तक़बाल के लिए तैयार कर लो मेरी बहन” अपनी बहन की बात का जवाब देते हुए मैंने कहा और इसके साथ मैंने संध्या के जिस्म से थोड़ा ऊपर होते हुए अपने लौड़े को अपनी बहन की चूत के लबों से बाहर निकाल लिया |

मुझे अपने लौड़े को उसकी चूत से यूँ अलग करते देख कर संध्या ने हैरत के आलम में मेरी तरफ देखा | मगर इससे पहले के वो कुछ बोल सकती मैं अपने जिस्म को तेज़ी के साथ नीचे ला कर एक झटका मारा तो लोहे की तरह सखत मेरा लौड़ा संध्या की चूत के गुलाबी लबों को चीरता हुआ मेरी बहन की चूत में घुसता चला गया |

मेरे लौड़े ने मेरी बहन की चूत के कुंवारे परदे को फाड़ कर यूँ ही अपनी ही बहन की “नथ” खोली तो दर्द और मज़े के मिले जुले अहसास से संध्या चीख पड़ी ““हाईईईईईईईईईईई मरर गईईईईई” और इसके साथ ही उस का जिस्म अकड़ता चला गया |

“अपनी जिस्म को ढीला छोड़ दो, अभी थोड़ी ही देर में दर्द कम होता चला जाएगा मेरी जान” अपने लौड़े से अपनी बहन को अपनी औरत बनाने और उसकी चूत को जिन्सी दर्द से रोशणास करवाने के दौरान मैंने संध्या को तसल्ली देते हुए समझाया और इसके साथ ही अपने लौड़े को और आगे बढ़ाने की बजाए मैंने थोड़ा रुकते हुए अपनी बहन के चेहरे की तरफ देखा तो पता चला के मेरे लौड़े के ज़ोरदार झटके की वजह से दर्द के मारे ना सिर्फ़ मेरी बहन संध्या के चेहरे का रंग बदल गया था बल्कि साथ ही साथ उसकी आँखों में आंसू भी तैरने लगे थे |

“ओह मुझे बहुत अफ़सोस है कि मैंने अपनी प्यारी बहन को इतनी तकलीफ़ दी है आज, कि दर्द के मारे तुम्हारे आँसू निकल पड़े हैं मेरी बहन” अपनी बहन की आँखों में से बहते आंसुओं को देखते हुए मुझे बहुत शर्मिंदगी महसूस होने लगी तो मैं संध्या से बोला |

“अपने ही सगे भाई से अपनी कुंवारी चूत की सील तुड़वाने का एहसास किसी क़िस्मत वाली को ही नसीब होता है, इसलिए यह दर्द के नही बल्कि खुशी के आँसू हैं भाईईईईईईईईई”

मेरी बात के जवाब में नीचे से अपनी चूत उठाकर मेरे लौड़े को अपने अंदर और जज़ब करते हुए संध्या बोली तो अपनी बहन के इस जवाब से मुझे हौसला मिला और साथ ही मेरी लौड़े को और जोश आता चला गया फिर इसी जोश के साथ मैं अपने मुँह को नीचे लाया और अपनी बहन की जवान छातियों को अपने मुँह में भर लिया |

“बहुत प्यासे हैं मेरे मुम्मे तुम्हारे होंठों के लिए, ओह चूसो मेरे मुम्मों को, चूसो मेरे निपल्स मेरे भाईईईईईईईईईईई” |

मैंने यूँ ही अपनी बहन के निप्पल पर अपनी गरम ज़ुबान फेरी तो मज़े के मारे संध्या चिल्ला उठी |

थोड़ी देर अपनी बहन के मोटे मुम्मो को चूसने के बाद मैंने अपने मुँह को अपनी बहन के रस भरे निपल्स से अलग किया और संध्या की आँखों में आँखें डाल कर देखते हुए बोला “मैं तुम्हारा बहुत शुक्रगुज़ार हूँ कि तुमने अपनी यह कुंवारी चूत चोदने का मौक़ा मुझे दिया है संध्या” |

अपनी बहन से यह बात कहते हुए मैं फिर पीछे हटा और अपने लौड़े को बहन की चूत से बाहर निकाल कर फिर तेज़ी के साथ एक और झटका लगाया तो इस बार मेरी बहन संध्या की चूत से बहने वाले खून और बहन की चूत के रस ने मेरे लौड़े का रास्ता बहुत आसान बना दिया और मेरा लौड़ा फिसलते हुए मेरी बहन की फुद्दी में पूरा जड़ तक घुस गया |

मेरे लौड़े के अंदर जाते ही मेरी बहन संध्या की मखमली चूत की मुलायम दीवारों ने मेरे लौड़े को अपने आगोश में ऐसे जकड़ा कि जैसे मेरी बहन की चूत की दीवारें सदियों से मेरे लौड़े के इस्तक़बाल की मुंतीज़र थीं |

“हाईईईईईईईईईईईईई ज़ाकिया की चूत अच्छी है या मेरी भाईईईईईईईईईई” अपनी चूत में मेरे लौड़े को पूरी तरह जज़्ब करते ही मेरी बहन संध्या ने मज़े से कराहते हुए मुझेसे सवाल किया |

“अपनी सग़ी बहन की चूत में जो मज़ा है, वो ज़ाकिया तो क्या दूनिया की किसी और चूत में नही है मेरी जान” अपनी बहन की बात सुन कर मैंने जवाब दिया और अपना सिर झुकाकर संध्या की खुली टांगों की तरफ नज़र डाली जहाँ मेरा लौड़ा इस वक़्त अपनी बहन की चूत में मुकम्मल तौर पर दाखिल हो चुका था |

अपने लौड़े के गिर्द लिपटे अपनी बहन की चूत के लबों की गरमी महसूस करके मुझे इस वक़्त यूँ महसूस हो रहा था कि जैसे मेरा लौड़ा आग की भट्ठी में घुस गया हो मगर चूत की इतनी तपिस और गरमेश के बावजूद भी मुझे अपनी बहन की चूत में अपना लौड़ा डाल कर इस वक़्त जन्नत का मज़ा मिल रहा था |
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